‘मेरे बच्चे का क्या कुसूर, वो मासूम था। 24 साल का अभी हुआ था। कभी किसी से झगड़ा तक नहीं किया। उसकी नोकझोंक अपनी बहन तक सीमित थी। लड़ाई-झगड़ा तो उसे पता भी नहीं था। फिर उसे हत्यारे ने क्यों मारा? उसके हाथ तक नहीं कांपे। वो मुझे अपना दर्द तक नहीं बता सका। कुछ दिन हॉस्पिटल में ही जिंदा रहता, तो कम से कम उससे आखिरी बार बात तो कर पाते।’ ये दर्द प्रियांशु की मां रेनू जैन का है, जिसकी अहमदाबाद में हत्या कर दी गई। घर में पिछले 10 दिनों से मातस पसरा है। जैसे सबकुछ थम सा गया हो। शुक्रवार को अहमदाबाद से प्रियांशु का सामान घर पहुंचा तो एक बार फिर सब रो पड़े। दैनिक भास्कर की टीम प्रियांशु के घर पहुंची। यहां हर कोई गमगीन दिखा। बात करते-करते परिजनों की आंखों में आंसू आ गए। पढ़िए उन्होंने क्या कुछ बताया… यादों में प्रियांशु…तस्वीर लेकर रोती रहती हैं मां
मेरठ के प्रियांशु अहमदाबाद (गुजरात) के माइका कॉलेज के MBA सेकेंड ईयर स्टूडेंट थे। गुजरात पुलिस के कॉन्स्टेबल वीरेंद्र सिंह बढ़ेरिया ने बीच सड़क पर चाकू से गोद कर हत्या कर दी। परिवार के इकलौते बेटे प्रियांशु को गुजरे 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन उनकी मां रेनू के दर्द अभी भी ताजा हैं। उनकी हर बात 10 नवंबर, 2024 पर ही अटकी है। बेबस मां आज भी बेटे के फोन का इंतजार कर रही हैं। रेनू जैन रोजाना मोबाइल में रात 10.30 बजे यशु कॉल लिखकर एक अलार्म सेट करती हैं। लेकिन अब मोबाइल में सिर्फ अलार्म बजता है, उनके बेटे की कॉल नहीं आती। वह बार-बार मोबाइल देखती हैं, मैसेज बॉक्स खोलती हैं। वॉट्सऐप खोल कर यशु का लास्ट मैसेज सीन देखती हैं। जैसे ही उसकी नजर लास्ट सीन 10 नवंबर रात 8 बजे पर जाती है, उनका दिल भर आता है। रीनू जैन की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश करता है, लेकिन रेनू बेटे की तस्वीर हाथ में लेकर उस पर हाथ फेरने लगती हैं। उसे सीने से लगाती हैं और रोने लगती हैं। ये देख उनके साथ बैठा हर व्यक्ति रो देता है। बड़ी मन्नतों से हुआ था बेटा…मैं उससे आखिरी बार बात तक न कर पाई
रेनू जैन ने कहा- हमें अब न्याय चाहिए। मेरा बच्चा वापस नहीं आ सकता, हम किसके सहारे जिएंगे। सभी पैरेंट्स मेरा दर्द समझ सकते हैं। सब आगे आएं और हमें न्याय दिलाएं। तभी तो समाज में ये मैसेज जाएगा कि एक मां का दर्द क्या होता है? अपराधी को कम से कम फांसी तो हो…। हम तो अभी इस दर्द से उबर ही नहीं पाए हैं। हम कुछ सोचने की हालत में नहीं हैं। कोई इतना जालिम कैसे हो सकता है। वो 24 साल का बच्चा था, बच्चे को देखकर उसे जरा भी तरस नहीं आया। बस चाकू निकाला और मार दिया उसे। बेटी के साढ़े 7 साल बाद इतनी मन्नतों से वो हुआ था। हम अपनी दुनिया में खुश थे, उसने सारा तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया हमें। सारा घर उजाड़ दिया, हम कैसे जी पाएंगे समझ नहीं आता। मेरे बच्चे का कोई कुसूर भी नहीं था, फिर भी मार दिया। वो बचे नहीं, हम बस इतना चाहते हैं, उसे सजा मिले। मुझे ये भरोसा ही नहीं हो रहा कि मेरा बेटा अब कभी नहीं आएगा। हम उसके कमरे में उस दिन से गए ही नहीं, हम घर में उसकी फोटो भी नहीं लगा पा रहे। उसके कपड़े, किताबें उसकी हर चीज जो जहां जैसी थी वो वैसे ही रखी हैं। मैं समझ ही नहीं पा रही कि अब मेरा बच्चा कभी नहीं आएगा, हम कैसे जिंदा रहेंगे। भाई की आवाज सुनने को तरस रही हूं..वो मेरे दोस्त की तरह था
प्रियांशु की बहन गीतिका अपने पति के साथ घर को संभाल रही हैं। घर का बेटा बनकर अपने माता-पिता की देखभाल कर रही हैं। अपने आंसुओं को सब से छिपाकर अकेले में रोती हैं। कहती हैं- भाई-बहनों में जो छोटी-मोटी नोंकझोंक होती है, वो हमारे बीच भी होती थी। लेकिन वो कभी इन चीजों को बीच में नहीं लाता था। वो रिलेशनशिप को लेकर बहुत मैच्योर था। मेरे रोके से पहले हमारी हल्की सी लड़ाई हुई, इसके बावजूद उसने सारी रस्में और जिम्मेदारी को निभाया। गीतिका कहती हैं- हमारी रोजाना 3 से 4 बार फोन पर बात होती थी। हम हर बात शेयर करते थे। लास्ट दिन भी उसने मुझे सारी बातें बताई। पिछले 10 दिनों से उसका कोई मैसेज नहीं आया। हम सिर्फ मोबाइल पर उसके लास्ट मैसेज देखते रहते हैं। उसकी आवाज सुनने को मैं तरस रही हूं। हम इंस्टाग्राम पर मीम शेयर करते थे, वो सब मिस्ड आउट हैं, सारी चीजें बहुत मिस होती हैं। काश जाने से पहले एक बार हम मिल पाते, हम आपस में बात भी नहीं कर पाए। हमारे दिल की तमाम बातें दिल में रह गईं, उसके मन में भी बहुत कुछ होगा जो वो हमसे कहना चाहता होगा, बताना चाहता होगा। वो भी आखिरी बार हमसे मिलना चाहता होगा, लेकिन कुछ भी नहीं हो सका. अब मैं क्या बोलूं…। बहन ने कहा- लोग आगे आएं, प्रियांशु को न्याय दिलाएं
गीतिका आगे कहती हैं- इकलौते भाई को मैंने हमेशा के लिए खो दिया। मैं चाहती हूं ये केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाए, प्रियांशु को जस्टिस मिले। उसके हत्यारे को फांसी की सजा मिले। अपराधी पुलिस में है, तो उसके साथ कोई ढिलाई न बरती जाए। सजा में ज्यादा समय न लगाया जाए। लोग आगे आएं और इस कॉज़ से जुड़ें..मैं नहीं चाहती जिस तरह हम सफर कर रहे हैं, इस चीज को कोई और भी फील करे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वो पुलिस में है तो इन सब चीजों से बाहर निकल जाए। उसे नॉर्मल क्रिमिनल्स की तरह ट्रीट किया जाए। हम बडीज थे कभी जीजा-साले जैसा रिश्ता नहीं रहा
प्रियांशु के जीजा वर्तिक प्रियांशु को याद करते हुए कहते हैं- वो मेरे लिए यशु था। मेरे छोटे भाई की तरह था। हमारे बीच कभी जीजा-साले वाला रिश्ता नहीं रहा। हम बडीज और दोस्त थे। वो जब भी अहमदाबाद से मेरठ आता तो पहले गुड़गांव हमारे पास आकर 2 दिन रुकता फिर यहां मेरठ आता। कॅरियर को लेकर वो बहुत क्लियर और फोकस था। उसे एमबीए करना है, MICA में जाना है। ये सब उसको क्लियर था। वो कभी डाउट में नहीं रहा। हम लोग डॉक्युमेंट्री, मूवी, बुक्स, स्पोर्ट्स हर टॉपिक पर डिस्कस करते थे। 2021 में जब मेरी गीतिका की शादी हुई थी, उसके छह महीने पहले हमारा रोका हुआ था। तभी से हमारी बातें होती थी। उसको जस्टिस मिले हम यही चाहते हैं। हॉस्टल से मेरठ आया प्रियांशु का सामान, किसी ने देखा तक नहीं
शुक्रवार को माइका मैनेजमेंट की तरफ से प्रियांशु का सामान उसके घर भेज दिया गया। कोरियर में प्रियांशु के हॉस्टल रूम से उसका सारा सामान आया। उसके कपड़े, किताबें, बैग और जरूरत की हर चीज जो प्रियांशु की अब आखिरी निशानी हैं। लेकिन अब तक घरवालों ने उस सामान को खोल कर नहीं देखा है। उनकी हिम्मत नहीं हो रही कि वो उन कार्टन को खोल कर अपने बेटे की आखिरी निशानियों को देख अपना दिल हल्का कर सकें। 12 दिन से नहीं खुला प्रियांशु का कमरा, कोई जाना नहीं चाहता
घर के फर्स्ट फ्लोर पर प्रियांशु का रूम है। जिसे हाल ही में तैयार कराया गया था। पिछले 12 दिनों से उस कमरे का दरवाजा नहीं खुला है। किसी ने कमरे में झांका नहीं है। परिजन कहते हैं- उस कमरे में जाकर क्या करें? ऐसा लगता है कि कमरे में सामने से मेरा बेटा मम्मी कहता हुआ आ जाएगा। इसलिए घर में किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि वो कमरे में जाएं। बस प्रियांशु का हॉस्टल से आया सामान उसके जीजा ने इस कमरे में रखवा दिया है। बाकी किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही उस कमरे में जाने की। ———- ये पढ़ें : प्रयागराज में वकील की पीट-पीटकर हत्या:नाराज साथियों का चक्काजाम, सड़क पर टायर जलाए; कचहरी छावनी बनी प्रयागराज में बदमाशों के हमले में घायल वकील की गुरुवार रात मौत हो गई। घटना से गुस्साए वकीलों ने शुक्रवार सुबह जिला अदालत में कार्य का बहिष्कार किया। करीब एक घंटे तक नारेबाजी की। इसके बाद टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया और कोर्ट के सामने चक्का जाम कर दिया…(पढ़ें पूरी खबर) ‘मेरे बच्चे का क्या कुसूर, वो मासूम था। 24 साल का अभी हुआ था। कभी किसी से झगड़ा तक नहीं किया। उसकी नोकझोंक अपनी बहन तक सीमित थी। लड़ाई-झगड़ा तो उसे पता भी नहीं था। फिर उसे हत्यारे ने क्यों मारा? उसके हाथ तक नहीं कांपे। वो मुझे अपना दर्द तक नहीं बता सका। कुछ दिन हॉस्पिटल में ही जिंदा रहता, तो कम से कम उससे आखिरी बार बात तो कर पाते।’ ये दर्द प्रियांशु की मां रेनू जैन का है, जिसकी अहमदाबाद में हत्या कर दी गई। घर में पिछले 10 दिनों से मातस पसरा है। जैसे सबकुछ थम सा गया हो। शुक्रवार को अहमदाबाद से प्रियांशु का सामान घर पहुंचा तो एक बार फिर सब रो पड़े। दैनिक भास्कर की टीम प्रियांशु के घर पहुंची। यहां हर कोई गमगीन दिखा। बात करते-करते परिजनों की आंखों में आंसू आ गए। पढ़िए उन्होंने क्या कुछ बताया… यादों में प्रियांशु…तस्वीर लेकर रोती रहती हैं मां
मेरठ के प्रियांशु अहमदाबाद (गुजरात) के माइका कॉलेज के MBA सेकेंड ईयर स्टूडेंट थे। गुजरात पुलिस के कॉन्स्टेबल वीरेंद्र सिंह बढ़ेरिया ने बीच सड़क पर चाकू से गोद कर हत्या कर दी। परिवार के इकलौते बेटे प्रियांशु को गुजरे 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन उनकी मां रेनू के दर्द अभी भी ताजा हैं। उनकी हर बात 10 नवंबर, 2024 पर ही अटकी है। बेबस मां आज भी बेटे के फोन का इंतजार कर रही हैं। रेनू जैन रोजाना मोबाइल में रात 10.30 बजे यशु कॉल लिखकर एक अलार्म सेट करती हैं। लेकिन अब मोबाइल में सिर्फ अलार्म बजता है, उनके बेटे की कॉल नहीं आती। वह बार-बार मोबाइल देखती हैं, मैसेज बॉक्स खोलती हैं। वॉट्सऐप खोल कर यशु का लास्ट मैसेज सीन देखती हैं। जैसे ही उसकी नजर लास्ट सीन 10 नवंबर रात 8 बजे पर जाती है, उनका दिल भर आता है। रीनू जैन की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश करता है, लेकिन रेनू बेटे की तस्वीर हाथ में लेकर उस पर हाथ फेरने लगती हैं। उसे सीने से लगाती हैं और रोने लगती हैं। ये देख उनके साथ बैठा हर व्यक्ति रो देता है। बड़ी मन्नतों से हुआ था बेटा…मैं उससे आखिरी बार बात तक न कर पाई
रेनू जैन ने कहा- हमें अब न्याय चाहिए। मेरा बच्चा वापस नहीं आ सकता, हम किसके सहारे जिएंगे। सभी पैरेंट्स मेरा दर्द समझ सकते हैं। सब आगे आएं और हमें न्याय दिलाएं। तभी तो समाज में ये मैसेज जाएगा कि एक मां का दर्द क्या होता है? अपराधी को कम से कम फांसी तो हो…। हम तो अभी इस दर्द से उबर ही नहीं पाए हैं। हम कुछ सोचने की हालत में नहीं हैं। कोई इतना जालिम कैसे हो सकता है। वो 24 साल का बच्चा था, बच्चे को देखकर उसे जरा भी तरस नहीं आया। बस चाकू निकाला और मार दिया उसे। बेटी के साढ़े 7 साल बाद इतनी मन्नतों से वो हुआ था। हम अपनी दुनिया में खुश थे, उसने सारा तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया हमें। सारा घर उजाड़ दिया, हम कैसे जी पाएंगे समझ नहीं आता। मेरे बच्चे का कोई कुसूर भी नहीं था, फिर भी मार दिया। वो बचे नहीं, हम बस इतना चाहते हैं, उसे सजा मिले। मुझे ये भरोसा ही नहीं हो रहा कि मेरा बेटा अब कभी नहीं आएगा। हम उसके कमरे में उस दिन से गए ही नहीं, हम घर में उसकी फोटो भी नहीं लगा पा रहे। उसके कपड़े, किताबें उसकी हर चीज जो जहां जैसी थी वो वैसे ही रखी हैं। मैं समझ ही नहीं पा रही कि अब मेरा बच्चा कभी नहीं आएगा, हम कैसे जिंदा रहेंगे। भाई की आवाज सुनने को तरस रही हूं..वो मेरे दोस्त की तरह था
प्रियांशु की बहन गीतिका अपने पति के साथ घर को संभाल रही हैं। घर का बेटा बनकर अपने माता-पिता की देखभाल कर रही हैं। अपने आंसुओं को सब से छिपाकर अकेले में रोती हैं। कहती हैं- भाई-बहनों में जो छोटी-मोटी नोंकझोंक होती है, वो हमारे बीच भी होती थी। लेकिन वो कभी इन चीजों को बीच में नहीं लाता था। वो रिलेशनशिप को लेकर बहुत मैच्योर था। मेरे रोके से पहले हमारी हल्की सी लड़ाई हुई, इसके बावजूद उसने सारी रस्में और जिम्मेदारी को निभाया। गीतिका कहती हैं- हमारी रोजाना 3 से 4 बार फोन पर बात होती थी। हम हर बात शेयर करते थे। लास्ट दिन भी उसने मुझे सारी बातें बताई। पिछले 10 दिनों से उसका कोई मैसेज नहीं आया। हम सिर्फ मोबाइल पर उसके लास्ट मैसेज देखते रहते हैं। उसकी आवाज सुनने को मैं तरस रही हूं। हम इंस्टाग्राम पर मीम शेयर करते थे, वो सब मिस्ड आउट हैं, सारी चीजें बहुत मिस होती हैं। काश जाने से पहले एक बार हम मिल पाते, हम आपस में बात भी नहीं कर पाए। हमारे दिल की तमाम बातें दिल में रह गईं, उसके मन में भी बहुत कुछ होगा जो वो हमसे कहना चाहता होगा, बताना चाहता होगा। वो भी आखिरी बार हमसे मिलना चाहता होगा, लेकिन कुछ भी नहीं हो सका. अब मैं क्या बोलूं…। बहन ने कहा- लोग आगे आएं, प्रियांशु को न्याय दिलाएं
गीतिका आगे कहती हैं- इकलौते भाई को मैंने हमेशा के लिए खो दिया। मैं चाहती हूं ये केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाए, प्रियांशु को जस्टिस मिले। उसके हत्यारे को फांसी की सजा मिले। अपराधी पुलिस में है, तो उसके साथ कोई ढिलाई न बरती जाए। सजा में ज्यादा समय न लगाया जाए। लोग आगे आएं और इस कॉज़ से जुड़ें..मैं नहीं चाहती जिस तरह हम सफर कर रहे हैं, इस चीज को कोई और भी फील करे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वो पुलिस में है तो इन सब चीजों से बाहर निकल जाए। उसे नॉर्मल क्रिमिनल्स की तरह ट्रीट किया जाए। हम बडीज थे कभी जीजा-साले जैसा रिश्ता नहीं रहा
प्रियांशु के जीजा वर्तिक प्रियांशु को याद करते हुए कहते हैं- वो मेरे लिए यशु था। मेरे छोटे भाई की तरह था। हमारे बीच कभी जीजा-साले वाला रिश्ता नहीं रहा। हम बडीज और दोस्त थे। वो जब भी अहमदाबाद से मेरठ आता तो पहले गुड़गांव हमारे पास आकर 2 दिन रुकता फिर यहां मेरठ आता। कॅरियर को लेकर वो बहुत क्लियर और फोकस था। उसे एमबीए करना है, MICA में जाना है। ये सब उसको क्लियर था। वो कभी डाउट में नहीं रहा। हम लोग डॉक्युमेंट्री, मूवी, बुक्स, स्पोर्ट्स हर टॉपिक पर डिस्कस करते थे। 2021 में जब मेरी गीतिका की शादी हुई थी, उसके छह महीने पहले हमारा रोका हुआ था। तभी से हमारी बातें होती थी। उसको जस्टिस मिले हम यही चाहते हैं। हॉस्टल से मेरठ आया प्रियांशु का सामान, किसी ने देखा तक नहीं
शुक्रवार को माइका मैनेजमेंट की तरफ से प्रियांशु का सामान उसके घर भेज दिया गया। कोरियर में प्रियांशु के हॉस्टल रूम से उसका सारा सामान आया। उसके कपड़े, किताबें, बैग और जरूरत की हर चीज जो प्रियांशु की अब आखिरी निशानी हैं। लेकिन अब तक घरवालों ने उस सामान को खोल कर नहीं देखा है। उनकी हिम्मत नहीं हो रही कि वो उन कार्टन को खोल कर अपने बेटे की आखिरी निशानियों को देख अपना दिल हल्का कर सकें। 12 दिन से नहीं खुला प्रियांशु का कमरा, कोई जाना नहीं चाहता
घर के फर्स्ट फ्लोर पर प्रियांशु का रूम है। जिसे हाल ही में तैयार कराया गया था। पिछले 12 दिनों से उस कमरे का दरवाजा नहीं खुला है। किसी ने कमरे में झांका नहीं है। परिजन कहते हैं- उस कमरे में जाकर क्या करें? ऐसा लगता है कि कमरे में सामने से मेरा बेटा मम्मी कहता हुआ आ जाएगा। इसलिए घर में किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि वो कमरे में जाएं। बस प्रियांशु का हॉस्टल से आया सामान उसके जीजा ने इस कमरे में रखवा दिया है। बाकी किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही उस कमरे में जाने की। ———- ये पढ़ें : प्रयागराज में वकील की पीट-पीटकर हत्या:नाराज साथियों का चक्काजाम, सड़क पर टायर जलाए; कचहरी छावनी बनी प्रयागराज में बदमाशों के हमले में घायल वकील की गुरुवार रात मौत हो गई। घटना से गुस्साए वकीलों ने शुक्रवार सुबह जिला अदालत में कार्य का बहिष्कार किया। करीब एक घंटे तक नारेबाजी की। इसके बाद टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया और कोर्ट के सामने चक्का जाम कर दिया…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर