फरीदाबाद में पुलिस अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की जांच कर रही है। पुलिस के रिकॉर्ड में जिले में 147 रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। इन्हें यूएन एचसीआर द्वारा बनाए गए कार्ड पर ही यहां रहने की अनुमति है। पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि पुलिस की टीम पूरे फरीदाबाद में अलग-अलग जगह पर रोहिंग्या मुसलमानों की जाकर जांच कर रही है। कोई बिना वैरिफिकेशन और बिना दस्तावेज के तो फरीदाबाद में नहीं रह रहा है। गौरतलब है कि दूसरे देशों में दखल देने की संभावनाओं को देखते हुए भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अब अलग-अलग सामाजिक संगठन अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर करने की मांग की जा रही है। पुलिस ने की रोहिंग्याओं के आई कार्ड की जांच इस बीच म्यांमार से आए रोहिंग्याओं के बीच में बांग्लादेशियों के छुप कर रहने की भी सूचना आ रही हैं। जिसको लेकर पुलिस जांच में जुटी हुई है। फरीदाबाद में रह रहे करीब डेढ़ सौ रोहिंग्या की बस्ती में बांग्लादेशी के रहने को लेकर भी पुलिस ने जांच की है और रोहिंग्याओं के आई कार्ड की जांच की है। रोहिंग्यों का कहना है कि उनके यहां कोई बांग्लादेशी नहीं रहता। वह खुद यहां 10 साल से रह रहे हैं और यूएन एचसीआर द्वारा बनाए गए कार्ड पर ही यहां रहने की अनुमति है। भारत में रहने के लिए इस कार्ड का होना जरूरी है। यह हर 2 साल में रिन्यू भी करना होता है। उनका कहना है कि वह कबाड़ी का काम करके अपना गुजारा कर रहे हैं। वही इस पूरे मामले को लेकर फरीदाबाद में पुलिस अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की जांच कर रही है। पुलिस के रिकॉर्ड में जिले में 147 रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। इन्हें यूएन एचसीआर द्वारा बनाए गए कार्ड पर ही यहां रहने की अनुमति है। पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि पुलिस की टीम पूरे फरीदाबाद में अलग-अलग जगह पर रोहिंग्या मुसलमानों की जाकर जांच कर रही है। कोई बिना वैरिफिकेशन और बिना दस्तावेज के तो फरीदाबाद में नहीं रह रहा है। गौरतलब है कि दूसरे देशों में दखल देने की संभावनाओं को देखते हुए भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अब अलग-अलग सामाजिक संगठन अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर करने की मांग की जा रही है। पुलिस ने की रोहिंग्याओं के आई कार्ड की जांच इस बीच म्यांमार से आए रोहिंग्याओं के बीच में बांग्लादेशियों के छुप कर रहने की भी सूचना आ रही हैं। जिसको लेकर पुलिस जांच में जुटी हुई है। फरीदाबाद में रह रहे करीब डेढ़ सौ रोहिंग्या की बस्ती में बांग्लादेशी के रहने को लेकर भी पुलिस ने जांच की है और रोहिंग्याओं के आई कार्ड की जांच की है। रोहिंग्यों का कहना है कि उनके यहां कोई बांग्लादेशी नहीं रहता। वह खुद यहां 10 साल से रह रहे हैं और यूएन एचसीआर द्वारा बनाए गए कार्ड पर ही यहां रहने की अनुमति है। भारत में रहने के लिए इस कार्ड का होना जरूरी है। यह हर 2 साल में रिन्यू भी करना होता है। उनका कहना है कि वह कबाड़ी का काम करके अपना गुजारा कर रहे हैं। वही इस पूरे मामले को लेकर हरियाणा | दैनिक भास्कर
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