हरियाणा के फरीदाबाद जिले में लगातार भीषण गर्मी के बढ़ते पारे से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते जिले के अलग-अलग इलाकों में लू लगने से उल्टी दस्त और बुखार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते फरीदाबाद में लोगों की मौत के आंकड़ों में भी वृद्धि हुई है। मोर्चरी में नहीं है शव रखने की जगह बता दें कि जिले में हीट वेव का असर देखने को मिल रहा है। 18 जून से लेकर 20 जून की शाम 5:00 बजे तक फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल की मोर्चरी में 72 लोगों के शव पहुंच चुके है। जिसके चलते अस्पताल की मोर्चरी खचाखच भर गई। मोर्चरी के अंदर काम करने वाले डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों को पांव रखने तक की जगह नहीं मिल रही है। पोस्टमार्टम करने में लगे 2-2 डॉक्टर शवों की संख्या ज्यादा होने के चलते मोर्चरी में शवों के खराब होने का सिलसिला जारी हो गया और शवों से निकलने वाली दुर्गंध के चलते मोर्चरी के आसपास लोगों का खड़ा होना भी मुश्किल हो गया। हालांकि लगातार शवों का पोस्टमार्टम दो-दो डॉक्टरों द्वारा कराया गया। जिसमें डॉक्टर मनीष दयाल और प्रियंका शामिल थी। डॉक्टर मनीष दयाल ने बताया कि उन्होंने लगभग 8 शवों का पोस्टमार्टम किया है और डॉक्टर प्रियंका ने भी लगभग 10 शवों का पोस्टमार्टम किया है। बाकी शवों का भी कल पोस्टमार्टम किया जाएगा। मोर्चरी में कम है फ्रिज की संख्या गौरतलब है की फरीदाबाद जिला लगभग 28 से 30 लाख की आबादी वाला जिला है। केवल फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में ही सड़क दुर्घटना व अन्य किसी हादसे में शिकार हुए लोगों का पोस्टमार्टम कराया जाता है। मोर्चरी छोटी होने और फ्रिजों की संख्या कम होने के चलते मोर्चरी में शवों को रखने की जगह तक नहीं बची। इसलिए मोर्चरी और फ्रिज की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए। हरियाणा के फरीदाबाद जिले में लगातार भीषण गर्मी के बढ़ते पारे से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते जिले के अलग-अलग इलाकों में लू लगने से उल्टी दस्त और बुखार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते फरीदाबाद में लोगों की मौत के आंकड़ों में भी वृद्धि हुई है। मोर्चरी में नहीं है शव रखने की जगह बता दें कि जिले में हीट वेव का असर देखने को मिल रहा है। 18 जून से लेकर 20 जून की शाम 5:00 बजे तक फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल की मोर्चरी में 72 लोगों के शव पहुंच चुके है। जिसके चलते अस्पताल की मोर्चरी खचाखच भर गई। मोर्चरी के अंदर काम करने वाले डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों को पांव रखने तक की जगह नहीं मिल रही है। पोस्टमार्टम करने में लगे 2-2 डॉक्टर शवों की संख्या ज्यादा होने के चलते मोर्चरी में शवों के खराब होने का सिलसिला जारी हो गया और शवों से निकलने वाली दुर्गंध के चलते मोर्चरी के आसपास लोगों का खड़ा होना भी मुश्किल हो गया। हालांकि लगातार शवों का पोस्टमार्टम दो-दो डॉक्टरों द्वारा कराया गया। जिसमें डॉक्टर मनीष दयाल और प्रियंका शामिल थी। डॉक्टर मनीष दयाल ने बताया कि उन्होंने लगभग 8 शवों का पोस्टमार्टम किया है और डॉक्टर प्रियंका ने भी लगभग 10 शवों का पोस्टमार्टम किया है। बाकी शवों का भी कल पोस्टमार्टम किया जाएगा। मोर्चरी में कम है फ्रिज की संख्या गौरतलब है की फरीदाबाद जिला लगभग 28 से 30 लाख की आबादी वाला जिला है। केवल फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में ही सड़क दुर्घटना व अन्य किसी हादसे में शिकार हुए लोगों का पोस्टमार्टम कराया जाता है। मोर्चरी छोटी होने और फ्रिजों की संख्या कम होने के चलते मोर्चरी में शवों को रखने की जगह तक नहीं बची। इसलिए मोर्चरी और फ्रिज की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में राज्यसभा सीट के लिए लॉबिंग:कुलदीप बिश्नोई समेत 4 नेता दौड़ में; दिल्ली में सक्रिय, CM सैनी की चलेगी
हरियाणा में राज्यसभा सीट के लिए लॉबिंग:कुलदीप बिश्नोई समेत 4 नेता दौड़ में; दिल्ली में सक्रिय, CM सैनी की चलेगी हरियाणा में कृष्ण लाल पंवार के इसराना से विधायक बनने के बाद उनकी जगह पर सीट खाली हो गई है। कृष्ण लाल पंवार SC कोटे से राज्यसभा गए थे। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि SC कोटे से ही नेता राज्यसभा में भेजा जाएगा। हालांकि भाजपा अभी चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव घोषणा की तारीख का इंतजार कर रही है। मगर जिस तरफ से नेताओं की दिल्ली दौड़ रही है उससे साफ जाहिर है कि नेता राज्यसभा जाने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। राज्यसभा के लिए पूर्व CM चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, पूर्व सांसद रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया, सत्य प्रकाश जरावता दौड़ में शामिल हैं। इसके अलावा खिलाड़ियों के नाम भी विचार चल रहा है। अब आने वाले समय में पता चलेगा कि भाजपा किसे अपना उम्मीदवार बनाती है। राज्यसभा सांसद थे कृष्ण लाल पंवार, अब हैं मंत्री
2014 के चुनाव में इनेलो से टिकट कटने के बाद बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़ने वाले कृष्ण लाल पंवार को भाजपा ने राज्यसभा भेजा था। कृष्ण लाल पंवार 2014 में इसराना विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधायक बने। बीजेपी ने उन्हें परिवहन, आवास एवं कारावास मंत्रालय दिया। 2019 में वे फिर इसराना विधानसभा से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद बीजेपी ने उनको राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद 2024 में इसराना से तीसरी बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। राज्यसभा से इस्तीफा देकर हरियाणा सरकार में मंत्री बने। कुलदीप बिश्नोई ने परिवार सहित धनखड़ से की थी मुलाकात
हरियाणा में खाली हो रही राज्यसभा सीट के लिए अब कुलदीप बिश्नोई ने लॉबिंग शुरू कर दी है। बिश्नोई परिवार फिर से अपनी राजनीतिक जमीन बनाने में जुट गया है। 11 अक्टूबर को दिल्ली में कुलदीप बिश्नोई ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी। उनके साथ पूरा परिवार भी मौजूद था। इस दौरान हरियाणा विधानसभा चुनाव और आगामी राजनीति को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी से हरियाणा भवन में मुलाकात की और बाहर मीडिया में बयान दिया कि वह राज्यसभा के लिए दौड़ में नहीं है। वह किसी पद के लालच में नहीं है। बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में बिश्नोई परिवार के हिस्से 3 सीटें आईं। 3 में से 2 सीटों पर नजदीकी हार हुई और 1 सीट नलवा पर कुलदीप के दोस्त रणधीर पनिहार जीत गए। बेटे की हार से उन्हें झटका लगा। उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा आदमपुर से चुनाव जीतकर सरकार में मंत्री बने। मगर ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए वह अब राज्यसभा के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। किरण चौधरी हाल ही में चुनी गई हैं राज्यसभा सांसद
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुलदीप बिश्नोई राज्यसभा की खाली हुई सीट पर चुनाव लड़कर राज्यसभा जाना चाहते हैं। राज्यसभा सीट के लिए भाजपा के पास पूर्ण बहुमत भी है। इससे पहले दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने पर खाली हुई राज्यसभा सीट पर किरण चौधरी ने चुनाव लड़ा और वह राज्यसभा सांसद चुनी गईं। किरण चौधरी के सामने विपक्ष चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। भूपेंद्र हुड्डा अकसर यह कहते नजर आए कि हमारे पास बहुमत नहीं है। कौन-कौन राज्यसभा की दौड़ में 1.कुलदीप बिश्नोई: पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बेटे हैं। 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे। 3 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। पूर्व में विधायक और सांसद रह चुके हैं। पत्नी और बेटा भी विधायक रह चुके हैं। प्रदेश में और राजस्थान में बिश्नोई वोटरों पर पकड़ हैं। भाजपा ने चुनाव में चुनाव कैंपेन समिति का प्रदेश संयोजक बनाया था। बेटे के पास भाजयुमो में पद है। ऐसे में इनके चेहरे पर पार्टी में विचार चल रहा है। 2. सत्य प्रकाश जरावता: भाजपा के पुराने नेताओं में से हैं। अहीरवाल में पुराना SC चेहरा हैं। दिल्ली में बड़े नेताओं के करीबी हैं। दावेदारी इसलिए भी मजबूत है क्योंकि 2019 में विधायक चुनने के बाद भाजपा ने 2024 में पटौदी से टिकट काटकर बिमला चौधरी को टिकट दे दिया। इससे पहले पार्टी ने 2019 में बिमला चौधरी का टिकट काटते हुए उनकी जगह सत्यप्रकाश जरावता को मैदान में उतारा। BJP की यह रणनीति सफल रही और जरावता यहां से बाजी मार ले गए। अब भाजपा इनको राज्यसभा भेजकर दलित वोटों को मैसेज दे सकती है। 3. सुनीता दुग्गल: सुनीता दुग्गल सिरसा से सांसद रही हैं। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर कांग्रेस से आए अशोक तंवर को दे दिया, मगर वह हार गए। सुनीता दुग्गल को रतिया से हाल ही में विधानसभा चुनाव में टिकट मिला, मगर वह हार गईं। सिरसा-फतेहाबाद की 8 विधानसभा में कोई विधायक नहीं है। ऐसे में भाजपा क्षेत्र के प्रतिनिधित्व के लिए सुनीता दुग्गल को राज्यसभा भेजने पर विचार कर सकती है। 4. बंतो कटारिया: पूर्व सांसद स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया इस बार अंबाला से लोकसभा चुनाव हार गई। अंबाला एससी रिजर्व सीट है। यहां एससी वोटरों को साधने के लिए बंतो कटारिया को राज्यसभा भेजा जा सकता है। स्व. रतन लाल कटारिया नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में बंतों कटारिया को राज्यसभा में भेजा जा सकता है। हालांकि बंतो राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं है।
केंद्रीय मंत्री खट्टर के भतीजे का निधन:ब्रेन ट्यूमर के चलते 20 दिन से अस्पताल में थे भर्ती, इकलौता बेटा था
केंद्रीय मंत्री खट्टर के भतीजे का निधन:ब्रेन ट्यूमर के चलते 20 दिन से अस्पताल में थे भर्ती, इकलौता बेटा था केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर के भतीजे वैभव खट्टर का बुधवार को निधन हो गया। वे करीब 20-25 दिन से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। जिन्होंने उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। मनोहर लाल खट्टर के भाई एवं रोहतक के प्रीत विहार निवासी चरणजीत खट्टर को दो बच्चे (एक बेटा व एक बेटी) हैं। उनके बेटे वैभव खट्टर (गोरू) को ब्रेन ट्यूमर था। इसका उपचार करने के लिए उन्हें करीब 20-25 दिन पहले मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वैभव खट्टर की उम्र करीब 30 वर्ष थी और वह अविवाहित थे। उन्होंने LLB पास की हुई थी और वो एडवोकेट थे। वैभव खट्टर के पिता चरणजीत खट्टर मनोहर लाल के छोटे भाई है। जिनका रोहतक के शीला बाईपास स्थित श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया।