पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने शनिवार को फिरोजपुर में स्थित स्टेट ऑडिट डिपार्टमेंट तैनात दो ऑडिटरों जगजीत सिंह और अमित को 1,30,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस बारे में विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि उक्त ऑडिटरों की यह गिरफ्तारी फिरोज़पुर छावनी में 17वीं राजपूत रेजीमेंट में तैनात सेना के नायब सूबेदार सत्य प्रकाश की शिकायत के आधार पर की गई है। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने विजिलेंस ब्यूरो से संपर्क करके बताया कि उक्त ऑडिटरों को उनके विभाग द्वारा वर्ष 2023-2024 के लिए उनकी यूनिट के रिकॉर्ड का ऑडिट करने की ड्यूटी सौंपी गई है, लेकिन इन ऑडिटरों ने पिछले साल के ऑडिट आपत्तियों को ठीक करने और इस साल के ऑडिट को मंजूरी देने के लिए 1,50,000 रुपए की रिश्वत की मांग की है। कार्यालय में बुलाकर मांगे रुपए शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि ऑडिटर जगजीत सिंह ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर उनके साथी धर्मराज की उपस्थिति में रिश्वत की रकम अदा करने की मांग दोहराई और उसने इस बातचीत को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया है। प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, विजिलेंस ब्यूरो की फिरोज़पुर रेंज की टीम ने एक जाल बिछाकर दोनों ऑडिटरों को शिकायतकर्ता से 1,30,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए दो सरकारी गवाहों की उपस्थिति में गिरफ्तार कर लिया। इस संबंध में विजिलेंस ब्यूरो के थाना फिरोज़पुर रेंज में उक्त दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी जांच की जाएगी। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने शनिवार को फिरोजपुर में स्थित स्टेट ऑडिट डिपार्टमेंट तैनात दो ऑडिटरों जगजीत सिंह और अमित को 1,30,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस बारे में विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि उक्त ऑडिटरों की यह गिरफ्तारी फिरोज़पुर छावनी में 17वीं राजपूत रेजीमेंट में तैनात सेना के नायब सूबेदार सत्य प्रकाश की शिकायत के आधार पर की गई है। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने विजिलेंस ब्यूरो से संपर्क करके बताया कि उक्त ऑडिटरों को उनके विभाग द्वारा वर्ष 2023-2024 के लिए उनकी यूनिट के रिकॉर्ड का ऑडिट करने की ड्यूटी सौंपी गई है, लेकिन इन ऑडिटरों ने पिछले साल के ऑडिट आपत्तियों को ठीक करने और इस साल के ऑडिट को मंजूरी देने के लिए 1,50,000 रुपए की रिश्वत की मांग की है। कार्यालय में बुलाकर मांगे रुपए शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि ऑडिटर जगजीत सिंह ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर उनके साथी धर्मराज की उपस्थिति में रिश्वत की रकम अदा करने की मांग दोहराई और उसने इस बातचीत को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया है। प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, विजिलेंस ब्यूरो की फिरोज़पुर रेंज की टीम ने एक जाल बिछाकर दोनों ऑडिटरों को शिकायतकर्ता से 1,30,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए दो सरकारी गवाहों की उपस्थिति में गिरफ्तार कर लिया। इस संबंध में विजिलेंस ब्यूरो के थाना फिरोज़पुर रेंज में उक्त दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी जांच की जाएगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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दिल्ली सिख नरसंहार में टाइटलर पर आरोप तय:पुल बंगश गुरुद्वारे की घटना पर कोर्ट का फैसला; कांग्रेस सरकार में मिली थी क्लीनचिट दिल्ली की कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली में सिख समुदाय के नरसंहार के 40 साल बाद कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए हैं। जगदीश टाइटलर के खिलाफ पुल बंगश गुरुद्वारे के बाहर ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या का केस चल रहा है। जबकि कांग्रेस सरकार के समय जगदीश टाइटलर को इस मामले में बरी कर दिया गया था। सीनियर भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली अदालत ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए हैं। उनके खिलाफ IPC 147, 149,153A,188, 109, 295,, 380, 302 के तहत चार्ज फ्रेम किए गए। कोर्ट ने कहा कि जगदीश टाइटलर के खिलाफ इन धाराओं के तहत केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय उन्हें बरी कर दिया गया था। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद रिव्यू पटीशन डाली गई थी। 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली में सिख समुदाय के नरसंहार के 40 साल बाद कोर्ट का ये निर्णय आया है। न्याय में देरी सही, लेकिन होता दिख रहा भाजपा के सीनियर नेशनल स्पोक्स्पर्सन आरपी सिंह ने कहा- न्याय देर से ही, पर होता दिख रहा है। 1984 सिख कत्लेआम से जुड़े पुलबंगश गुरुद्वारा हिंसा और तीन सिखों की हत्या का मामले में राउज़ ऐवन्यू कोर्ट ने मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय किए। टाइटलर के खिलाफ IPC 147, 149,153A,188, 109, 295,, 380, 302 के तहत आरोप तय किया। क्यों भड़के थे दंगे 1984 ब्लू स्टार ऑपरेशन के बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों बेअंत सिंह व सतवंत सिंह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद पूरे देश में सिखों को निशाना बनाया जाने लगा। सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए। कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर तब सांसद थे। उन्होंने दंगों में हिंसक भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाया था। पुल बंगश इलाके में 3 लोगों की हत्या हुई। ये बयान सिख दंगों के तत्कालीन गवाहों ने कोर्ट में दिए। इस मामले में चल रही सुनवाई पर सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। ऐसे चश्मदीद गवाह हैं जिन्होंने उसे 1984 के दंगों के दौरान भीड़ को उकसाते हुए देखा था। SGPC प्रधान बोले- न्याय की उम्मीद जगी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने 1984 के सिख नरसंहार से जुड़े एक मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत द्वारा दोष फ्रेम किए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी है।
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