फोटो भेजकर पसंद कराते, डील फाइनल होते ही बच्चा चुराते:एक क्लू से खंगाले 500 CCTV, यूपी पुलिस 1760 KM दूर बंगाल की खाड़ी पहुंची

फोटो भेजकर पसंद कराते, डील फाइनल होते ही बच्चा चुराते:एक क्लू से खंगाले 500 CCTV, यूपी पुलिस 1760 KM दूर बंगाल की खाड़ी पहुंची

यूपी की हाथरस पुलिस ने एक ऐसे इंटरस्टेट बच्चा चोर गैंग पकड़ा, जो ऑर्गेनाइज्ड तरीके से काम करता है। पहले बच्चे की डिमांड आती है। फिर बच्चा टारगेट करके उसकी फोटो खरीदार को भेजकर पसंद कराई जाती है। पैसे की डीलिंग फाइनल होने पर ही बच्चा चुराया जाता है। इस गैंग के तार कई हॉस्पिटलों में वार्ड बॉय और नर्स से जुड़े हैं। ये लोग इन्हें कस्टमर प्रोवाइड कराते हैं। अब तक करीब 7 राज्यों में इस गैंग का नेटवर्क मिला है। 8 बच्चों को चुराकर बेचने की बात कबूली है। यूपी पुलिस के सामने फिलहाल सबसे बड़ी दिक्कत आंध्र प्रदेश की लैंग्वेज तेलुगु नहीं समझ पाना है। इसलिए पुलिस अब जेल गए आरोपियों को जल्द रिमांड पर लेगी और ट्रांसलेटर के जरिए पूछताछ करेगी। यह गैंग कैसे काम करता था? बच्चे की कीमत कैसे तय करते थे? कहां-कहां नेटवर्क है? आरोपियों का प्रोफाइल क्या है? इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार पढ़िए… पहले पूरा मामला जानिए
हाथरस नगर कोतवाली क्षेत्र में जागेश्वर कॉलोनी है। यहां गली नंबर-2 में रहने वाले प्रिंस गोस्वामी दिल्ली-नोएडा में रैपिडो बाइक चलाते हैं। घर में उनका साढ़े 3 साल का बेटा कविश अपनी दादी राजेश कुमार के साथ रहता है। 9 मई की शाम साढ़े 6 बजे कविश घर के बाहर खेल रहा था। वहीं से वह अचानक लापता हो गया। 15 मई को हाथरस पुलिस ने इस केस में हाथरस में रहने वाले मोनू पाठक, उसकी पत्नी नेहा शर्मा कै अलावा आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम पड़ोरी निवासी मल्लिकार्जुन, कड़प्पा निवासी मैद्दी पाटला और एक अन्य महिला सुब्बालक्ष्मी को गिरफ्तार किया। इसके बाद बच्चा चुराने वाले इंटरस्टेट गैंग का खुलासा हुआ। पुलिस इस गैंग तक कैसे पहुंची? एक CCTV से क्लू मिला, फिर 1760 KM दूर पहुंच गई हाथरस पुलिस
हाथरस सदर कोतवाली के इंस्पेक्टर गिरीश चंद्र ने बताया- शुरुआत में हमने यही माना कि बच्चा आसपास खेल रहा होगा। थोड़ी देर में लौटकर आ जाएगा। लेकिन, जब बच्चा काफी देर बाद तक नहीं मिला, तो इलाके के CCTV फुटेज चेक किए गए। आरोपी के घर से महज 100 मीटर दूरी पर ही हमें एक घर के बाहर CCTV लगा मिला। इसकी फुटेज चेक की गई, तो सारी चीजें साफ हो गईं। मोनू पाठक बच्चे को ले जाता हुआ दिखा। इसके बाद हमने पूरे रास्ते के फुटेज खंगाले तो साफ हुआ कि वो बच्चे को लेकर हाथरस बस स्टैंड तक गया है। इसके बाद वापस आया और फिर पत्नी नेहा को साथ लेकर गया। ये दंपती बच्चे को बस से लेकर आगरा गए। इंस्पेक्टर ने बताया- हमने एक पुलिस टीम आगरा भेजी। आगरा बस स्टैंड पर लगे सीसीटीवी में तीनों बस से उतरते हुए दिखे। फिर ऑटो करके रेलवे स्टेशन तक गए। वहां से आंध्र प्रदेश की ट्रेन में बैठे और सीधे विजयवाड़ा पहुंचे। पुलिस टीम इनके मूवमेंट को CCTV फुटेज से ट्रैक करते हुए पीछा करती रही। इस तरह पुलिस टीम विजयवाड़ा पहुंच गई। वहां पर बस-रेलवे स्टेशन के नजदीक करीब 150 होटल हैं। सबसे मुश्किल काम था, इन सभी होटलों में जाकर चेक करना। पुलिस ने पहले ही मोनू और उसकी पत्नी के फोटो CCTV फुटेज से प्रिंट आउट करवा लिए थे। पुलिस ने एक-एक करके करीब 100 होटल खंगाल डाले। तब जाकर एक होटल के रजिस्टर में इन दोनों की एंट्री मिली। उसके बाद मोनू और नेहा पकड़े गए। इनसे बच्चा रिकवर हो गया। पूछताछ में बच्चे की डिलीवरी लेने वालों का पता चला। फिर वो भी पकड़े गए। पुलिस ने इस पूरे ऑपरेशन में यूपी से लेकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में करीब 500 CCTV खंगाले। इस तरह पुलिस ने हाथरस से विजयवाड़ा तक करीब 1760 किलोमीटर का सफर पूरा किया, जो आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ है। जिस बच्चे को अगवा किया, उसका सौदा 1.80 लाख में हुआ
बच्चे का रेट तय कैसे करते हैं? इस पर हाथरस के SP चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया- अगवा हुए बच्चे की उम्र साढ़े 3 साल थी। इसका रेट 1 लाख 80 हजार रुपए तय हुआ था। ये पूरा पैसा मोनू पाठक और उसकी पत्नी नेहा को मिलना था। डिलीवरी लेने वाले आंध्र प्रदेश के गैंग द्वारा कस्टमर को ये बच्चा कितने रुपए में बेचा जाना था, ये अभी क्लियर नहीं हो पाया है। हालांकि ये गैंग बच्चों की सुंदरता और कस्टमर की हैसियत देखकर उनका मोलभाव करता था। एक लाख रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक बच्चा बेचा जाता था। न्यू बॉर्न बेबी का रेट कुछ ज्यादा होता है। इस गैंग के टारगेट पर 1 से 4 साल तक के बच्चे होते हैं। आरोपियों ने पूछताछ में इसी तरह चुराकर 8 बच्चे बेचने की बात कबूली है। हालांकि इस गैंग ने हाथरस में ये पहली घटना की थी, जिसे समय रहते वर्कआउट कर लिया गया। ये गैंग उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों में फैला है। विजयवाड़ा जेल में बनी बच्चा चुराने की प्लानिंग
इस केस में सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि हाथरस का दंपती आंध्र प्रदेश के इस गैंग से कैसे जुड़ा? इस सवाल के जवाब में एक पुलिस अधिकारी बताते हैं- आरोपी मोनू पाठक की सास गांजा तस्करी के धंधे से जुड़ी रही है। वह मूलरूप से गाजियाबाद की रहने वाली है। कई महीने पहले वह आंध्र प्रदेश से गांजा तस्करी करके ला रही थी। तब विजयवाड़ा पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। कई महीनों तक वो विजयवाड़ा जेल में बंद रही। इधर, चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में एक महिला विजयवाड़ा जेल में बंद थी। उस दौरान मोनू पाठक की सास की उससे मुलाकात हुई। जब बेटी नेहा और दामाद मोनू उससे मुलाकात करने विजयवाड़ा जेल में जाते थे, तब उनकी मुलाकात दूसरी महिला के घरवालों से होती थी। नेहा-मोनू को अपनी मां को जमानत दिलाने के लिए रुपए की जरूरत थी। इसलिए उस कैदी महिला के घरवालों ने उन्हें सुझाव दिया कि अगर वो भी बच्चा चोरी का काम शुरू कर दें, तो अच्छा पैसा मिल सकता है। मोनू और उसकी पत्नी नेहा के दिमाग में यही बात घर कर गई। उन्होंने आंध्र प्रदेश के गैंग के लिए बच्चा चुराने का काम किया। सबसे आखिर में पीड़ित फैमिली की बात आरोपी और पीड़ित परिवार के 50 साल पुराने ताल्लुकात
जिस बच्चे को किडनैप किया गया, उसका नाम कविश है। उम्र साढ़े 3 साल है। पिता प्रिंस गोस्वामी ने करीब 10-11 साल तक ब्लू डार्ट कूरियर कंपनी में काम किया था। कुछ दिन पहले ही नोएडा-दिल्ली में रैपिडो बाइक चलाने का काम शुरू किया। पत्नी से विवाद है, इसलिए वो अलग रहती है। हाथरस में बच्चे के साथ उसकी दादी राजेश कुमार रहती हैं। जिस दिन ये घटना हुई, तब प्रिंस दिल्ली में मौजूद थे। प्रिंस बताते हैं- 9 मई की शाम करीब 7 बजे मुझे मां ने फोन करके बताया कि कविश नहीं मिल रहा। मैंने कहा कि इंतजार कर लो, थोड़ी देर में घूमकर आ जाएगा। जब वो नहीं मिला, तो रात 9 बजे मैं दिल्ली से चला और देर रात हाथरस पहुंचा। तब तक पता चला कि CCTV फुटेज देखने के बाद पुलिस ने पड़ोसी मोनू पाठक को संदिग्ध मानते हुए हिरासत में ले लिया है। प्रिंस बताते हैं- 10 मई की सुबह जब मैं हाथरस नगर कोतवाली में गया, तो पड़ोसी मोनू पाठक से बात हुई। मोनू ने कहा कि पुलिस मुझे गलत फंसा रही है। मैं तो तुम्हारे घर आता रहता हूं। कितनी पुरानी-जान पहचान है। मोनू की बात सुनकर एक बार मुझे भी लगा कि पुलिस कहीं उसे झूठा न फंसा दे। लेकिन, जब बच्चा बरामद हुआ और पुलिस की कहानी सुनी तो मैं भी दंग रह गया। मुझे भरोसा नहीं था कि मोनू ऐसा करेगा। वो मेरे बड़े भाई का दोस्त था। घर पर खूब आना-जाना हुआ करता था। जिसने बच्चा चुराया, वही ढूंढने का नाटक करता रहा
किडनैप हुए बच्चे की दादी राजेश कुमार बताती हैं- घर के सामने ही एक छोटा-सा मैदान है। मेरा पोता अक्सर शाम के वक्त वहीं खेलता रहता है। जब गायब हुआ, तो मुझे भी यही लगा कि कहीं चला गया होगा। मैंने जब बच्चे को ढूंढना शुरू किया, तो पड़ोसी मोनू पाठक अपनी पत्नी नेहा शर्मा के साथ एक काले रंग का बैग लेकर जाते दिखा। मैंने उससे बच्चे के बारे में पूछा तो उसने कहा कि नेहा की सास-ससुर से लड़ाई हो गई है। मैं इसको हाथरस स्टैंड पर गाजियाबाद जाने वाली बस में बैठाकर वापस आता हूं। उसके बाद मैं भी बच्चा ढूंढने में तुम्हारी मदद करूंगा। कुछ देर बाद मोनू वापस आया और मेरे साथ बच्चा ढूंढने का नाटक किया। उसने जरा भी शक नहीं होने दिया कि बच्चा चुराने में उसका हाथ है। बच्चा नहीं मिलने पर मैं सीधे पुलिस चौकी और फिर थाने पहुंची। कुछ ही देर में पुलिस आ गई। पुलिस ने जब CCTV फुटेज देखे, तो मोनू ही बच्चे को ले जाते दिखा। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में टैंकर से पेट्रोल-डीजल चुरा रहे, एथेनॉल मिलाकर गाड़ी का इंजन कबाड़ कर रहे; रिपोर्टर को कट्‌टा दिखाकर धमकाया हाईवे से अचानक टैंकर कच्ची सड़क पर उतर जाता है। 50 मीटर पर खेतों के बीच पर्दा उठता है और टैंकर अंदर चला जाता है। टैंकर के रुकते ही पर्दा गिर जाता है। 6-7 लोग टैंकर में से पेट्रोल निकालकर 100-100 लीटर के 5 कैन भरने लगते हैं। फिर उतना ही 50 रुपए लीटर वाला एथेनॉल टैंकर में मिला देते हैं। पढ़ें पूरी खबर यूपी की हाथरस पुलिस ने एक ऐसे इंटरस्टेट बच्चा चोर गैंग पकड़ा, जो ऑर्गेनाइज्ड तरीके से काम करता है। पहले बच्चे की डिमांड आती है। फिर बच्चा टारगेट करके उसकी फोटो खरीदार को भेजकर पसंद कराई जाती है। पैसे की डीलिंग फाइनल होने पर ही बच्चा चुराया जाता है। इस गैंग के तार कई हॉस्पिटलों में वार्ड बॉय और नर्स से जुड़े हैं। ये लोग इन्हें कस्टमर प्रोवाइड कराते हैं। अब तक करीब 7 राज्यों में इस गैंग का नेटवर्क मिला है। 8 बच्चों को चुराकर बेचने की बात कबूली है। यूपी पुलिस के सामने फिलहाल सबसे बड़ी दिक्कत आंध्र प्रदेश की लैंग्वेज तेलुगु नहीं समझ पाना है। इसलिए पुलिस अब जेल गए आरोपियों को जल्द रिमांड पर लेगी और ट्रांसलेटर के जरिए पूछताछ करेगी। यह गैंग कैसे काम करता था? बच्चे की कीमत कैसे तय करते थे? कहां-कहां नेटवर्क है? आरोपियों का प्रोफाइल क्या है? इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार पढ़िए… पहले पूरा मामला जानिए
हाथरस नगर कोतवाली क्षेत्र में जागेश्वर कॉलोनी है। यहां गली नंबर-2 में रहने वाले प्रिंस गोस्वामी दिल्ली-नोएडा में रैपिडो बाइक चलाते हैं। घर में उनका साढ़े 3 साल का बेटा कविश अपनी दादी राजेश कुमार के साथ रहता है। 9 मई की शाम साढ़े 6 बजे कविश घर के बाहर खेल रहा था। वहीं से वह अचानक लापता हो गया। 15 मई को हाथरस पुलिस ने इस केस में हाथरस में रहने वाले मोनू पाठक, उसकी पत्नी नेहा शर्मा कै अलावा आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम पड़ोरी निवासी मल्लिकार्जुन, कड़प्पा निवासी मैद्दी पाटला और एक अन्य महिला सुब्बालक्ष्मी को गिरफ्तार किया। इसके बाद बच्चा चुराने वाले इंटरस्टेट गैंग का खुलासा हुआ। पुलिस इस गैंग तक कैसे पहुंची? एक CCTV से क्लू मिला, फिर 1760 KM दूर पहुंच गई हाथरस पुलिस
हाथरस सदर कोतवाली के इंस्पेक्टर गिरीश चंद्र ने बताया- शुरुआत में हमने यही माना कि बच्चा आसपास खेल रहा होगा। थोड़ी देर में लौटकर आ जाएगा। लेकिन, जब बच्चा काफी देर बाद तक नहीं मिला, तो इलाके के CCTV फुटेज चेक किए गए। आरोपी के घर से महज 100 मीटर दूरी पर ही हमें एक घर के बाहर CCTV लगा मिला। इसकी फुटेज चेक की गई, तो सारी चीजें साफ हो गईं। मोनू पाठक बच्चे को ले जाता हुआ दिखा। इसके बाद हमने पूरे रास्ते के फुटेज खंगाले तो साफ हुआ कि वो बच्चे को लेकर हाथरस बस स्टैंड तक गया है। इसके बाद वापस आया और फिर पत्नी नेहा को साथ लेकर गया। ये दंपती बच्चे को बस से लेकर आगरा गए। इंस्पेक्टर ने बताया- हमने एक पुलिस टीम आगरा भेजी। आगरा बस स्टैंड पर लगे सीसीटीवी में तीनों बस से उतरते हुए दिखे। फिर ऑटो करके रेलवे स्टेशन तक गए। वहां से आंध्र प्रदेश की ट्रेन में बैठे और सीधे विजयवाड़ा पहुंचे। पुलिस टीम इनके मूवमेंट को CCTV फुटेज से ट्रैक करते हुए पीछा करती रही। इस तरह पुलिस टीम विजयवाड़ा पहुंच गई। वहां पर बस-रेलवे स्टेशन के नजदीक करीब 150 होटल हैं। सबसे मुश्किल काम था, इन सभी होटलों में जाकर चेक करना। पुलिस ने पहले ही मोनू और उसकी पत्नी के फोटो CCTV फुटेज से प्रिंट आउट करवा लिए थे। पुलिस ने एक-एक करके करीब 100 होटल खंगाल डाले। तब जाकर एक होटल के रजिस्टर में इन दोनों की एंट्री मिली। उसके बाद मोनू और नेहा पकड़े गए। इनसे बच्चा रिकवर हो गया। पूछताछ में बच्चे की डिलीवरी लेने वालों का पता चला। फिर वो भी पकड़े गए। पुलिस ने इस पूरे ऑपरेशन में यूपी से लेकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में करीब 500 CCTV खंगाले। इस तरह पुलिस ने हाथरस से विजयवाड़ा तक करीब 1760 किलोमीटर का सफर पूरा किया, जो आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ है। जिस बच्चे को अगवा किया, उसका सौदा 1.80 लाख में हुआ
बच्चे का रेट तय कैसे करते हैं? इस पर हाथरस के SP चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया- अगवा हुए बच्चे की उम्र साढ़े 3 साल थी। इसका रेट 1 लाख 80 हजार रुपए तय हुआ था। ये पूरा पैसा मोनू पाठक और उसकी पत्नी नेहा को मिलना था। डिलीवरी लेने वाले आंध्र प्रदेश के गैंग द्वारा कस्टमर को ये बच्चा कितने रुपए में बेचा जाना था, ये अभी क्लियर नहीं हो पाया है। हालांकि ये गैंग बच्चों की सुंदरता और कस्टमर की हैसियत देखकर उनका मोलभाव करता था। एक लाख रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक बच्चा बेचा जाता था। न्यू बॉर्न बेबी का रेट कुछ ज्यादा होता है। इस गैंग के टारगेट पर 1 से 4 साल तक के बच्चे होते हैं। आरोपियों ने पूछताछ में इसी तरह चुराकर 8 बच्चे बेचने की बात कबूली है। हालांकि इस गैंग ने हाथरस में ये पहली घटना की थी, जिसे समय रहते वर्कआउट कर लिया गया। ये गैंग उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों में फैला है। विजयवाड़ा जेल में बनी बच्चा चुराने की प्लानिंग
इस केस में सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि हाथरस का दंपती आंध्र प्रदेश के इस गैंग से कैसे जुड़ा? इस सवाल के जवाब में एक पुलिस अधिकारी बताते हैं- आरोपी मोनू पाठक की सास गांजा तस्करी के धंधे से जुड़ी रही है। वह मूलरूप से गाजियाबाद की रहने वाली है। कई महीने पहले वह आंध्र प्रदेश से गांजा तस्करी करके ला रही थी। तब विजयवाड़ा पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। कई महीनों तक वो विजयवाड़ा जेल में बंद रही। इधर, चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में एक महिला विजयवाड़ा जेल में बंद थी। उस दौरान मोनू पाठक की सास की उससे मुलाकात हुई। जब बेटी नेहा और दामाद मोनू उससे मुलाकात करने विजयवाड़ा जेल में जाते थे, तब उनकी मुलाकात दूसरी महिला के घरवालों से होती थी। नेहा-मोनू को अपनी मां को जमानत दिलाने के लिए रुपए की जरूरत थी। इसलिए उस कैदी महिला के घरवालों ने उन्हें सुझाव दिया कि अगर वो भी बच्चा चोरी का काम शुरू कर दें, तो अच्छा पैसा मिल सकता है। मोनू और उसकी पत्नी नेहा के दिमाग में यही बात घर कर गई। उन्होंने आंध्र प्रदेश के गैंग के लिए बच्चा चुराने का काम किया। सबसे आखिर में पीड़ित फैमिली की बात आरोपी और पीड़ित परिवार के 50 साल पुराने ताल्लुकात
जिस बच्चे को किडनैप किया गया, उसका नाम कविश है। उम्र साढ़े 3 साल है। पिता प्रिंस गोस्वामी ने करीब 10-11 साल तक ब्लू डार्ट कूरियर कंपनी में काम किया था। कुछ दिन पहले ही नोएडा-दिल्ली में रैपिडो बाइक चलाने का काम शुरू किया। पत्नी से विवाद है, इसलिए वो अलग रहती है। हाथरस में बच्चे के साथ उसकी दादी राजेश कुमार रहती हैं। जिस दिन ये घटना हुई, तब प्रिंस दिल्ली में मौजूद थे। प्रिंस बताते हैं- 9 मई की शाम करीब 7 बजे मुझे मां ने फोन करके बताया कि कविश नहीं मिल रहा। मैंने कहा कि इंतजार कर लो, थोड़ी देर में घूमकर आ जाएगा। जब वो नहीं मिला, तो रात 9 बजे मैं दिल्ली से चला और देर रात हाथरस पहुंचा। तब तक पता चला कि CCTV फुटेज देखने के बाद पुलिस ने पड़ोसी मोनू पाठक को संदिग्ध मानते हुए हिरासत में ले लिया है। प्रिंस बताते हैं- 10 मई की सुबह जब मैं हाथरस नगर कोतवाली में गया, तो पड़ोसी मोनू पाठक से बात हुई। मोनू ने कहा कि पुलिस मुझे गलत फंसा रही है। मैं तो तुम्हारे घर आता रहता हूं। कितनी पुरानी-जान पहचान है। मोनू की बात सुनकर एक बार मुझे भी लगा कि पुलिस कहीं उसे झूठा न फंसा दे। लेकिन, जब बच्चा बरामद हुआ और पुलिस की कहानी सुनी तो मैं भी दंग रह गया। मुझे भरोसा नहीं था कि मोनू ऐसा करेगा। वो मेरे बड़े भाई का दोस्त था। घर पर खूब आना-जाना हुआ करता था। जिसने बच्चा चुराया, वही ढूंढने का नाटक करता रहा
किडनैप हुए बच्चे की दादी राजेश कुमार बताती हैं- घर के सामने ही एक छोटा-सा मैदान है। मेरा पोता अक्सर शाम के वक्त वहीं खेलता रहता है। जब गायब हुआ, तो मुझे भी यही लगा कि कहीं चला गया होगा। मैंने जब बच्चे को ढूंढना शुरू किया, तो पड़ोसी मोनू पाठक अपनी पत्नी नेहा शर्मा के साथ एक काले रंग का बैग लेकर जाते दिखा। मैंने उससे बच्चे के बारे में पूछा तो उसने कहा कि नेहा की सास-ससुर से लड़ाई हो गई है। मैं इसको हाथरस स्टैंड पर गाजियाबाद जाने वाली बस में बैठाकर वापस आता हूं। उसके बाद मैं भी बच्चा ढूंढने में तुम्हारी मदद करूंगा। कुछ देर बाद मोनू वापस आया और मेरे साथ बच्चा ढूंढने का नाटक किया। उसने जरा भी शक नहीं होने दिया कि बच्चा चुराने में उसका हाथ है। बच्चा नहीं मिलने पर मैं सीधे पुलिस चौकी और फिर थाने पहुंची। कुछ ही देर में पुलिस आ गई। पुलिस ने जब CCTV फुटेज देखे, तो मोनू ही बच्चे को ले जाते दिखा। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में टैंकर से पेट्रोल-डीजल चुरा रहे, एथेनॉल मिलाकर गाड़ी का इंजन कबाड़ कर रहे; रिपोर्टर को कट्‌टा दिखाकर धमकाया हाईवे से अचानक टैंकर कच्ची सड़क पर उतर जाता है। 50 मीटर पर खेतों के बीच पर्दा उठता है और टैंकर अंदर चला जाता है। टैंकर के रुकते ही पर्दा गिर जाता है। 6-7 लोग टैंकर में से पेट्रोल निकालकर 100-100 लीटर के 5 कैन भरने लगते हैं। फिर उतना ही 50 रुपए लीटर वाला एथेनॉल टैंकर में मिला देते हैं। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर