‘मैंने डॉक्टर (सन्नो) से कहा कि रेनू को हैवी ब्लीडिंग हो रही है। उसने कहा – यह खून नहीं, पानी है… सब नॉर्मल है। 6 घंटे बाद मेरी पत्नी की जान चली गई। अब बच्चों की तरफ देखता हूं तो आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। हॉस्पिटल में 27 अप्रैल को जो कुछ हुआ, उसे बताते हुए दिनेश चौहान परेशान हो जाते हैं। कहते हैं – गांव की आशा कार्यकर्ता गंगोत्री के कहने पर श्री गोविंद हॉस्पिटल चला गया। मुझे क्या पता था कि OT टेक्नीशियन से मेरी पत्नी का ऑपरेशन करवा देंगे। अब तक मेरे ढाई साल के बेटे दिव्यांश को पता है कि उसकी मां कहीं घूमने गई है, जल्दी लौट आएगी। 10 दिन के बेटे का नाम तक नहीं रखा, उसे बुआ पाल रही है। रेनू चौहान की मौत के बाद नवजात बच्चे की परवरिश कैसे हो रही है? हॉस्पिटल संचालक पति-पत्नी का क्या हुआ? हॉस्पिटल फिर शुरू तो नहीं हो गया? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर एप टीम ने बांसगांव थाना के गोहली बसंत में रेनू के परिवार से मुलाकात की। पढ़िए रिपोर्ट… OT टेक्नीशियन ने खुद को डॉक्टर बताकर किया ऑपरेशन गोरखपुर में एक OT टेक्नीशियन ने खुद को डॉक्टर बताकर 14 महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी कर दी। 15वें ऑपरेशन में महिला की मौत हो गई। इस ऑपरेशन में एक बच्चा भी पैदा हुआ। इसका पता चलते ही टेक्नीशियन और अस्पताल संचालक पति-पत्नी फरार हो गए। गुस्साए घरवालों ने अस्पताल में हंगामा किया। शुरुआती जांच में पता चला कि अस्पताल संचालक पति-पत्नी नॉर्मल डिलीवरी को कॉम्प्लिकेटेड बताकर पेशेंट को डराते थे। कहते थे – पेट में बच्चा टेढ़ा है। फिर सर्जन के नाम पर OT टेक्नीशियन को बुलाकर ऑपरेशन करवाते थे। हॉस्पिटल भी बिना लाइसेंस के चल रहा था। यहां कोई भी डिग्रीधारी डॉक्टर नहीं था। इसके बाद पुलिस ने हॉस्पिटल को सील कर दिया। फिलहाल, संचालक पति-पत्नी फरार हैं। टेक्नीशियन पन्नालाल, उसके बेटे नीरज और आशा कार्यकर्ता गंगोत्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दिनेश बोले – आशा हमें गुमराह करती रही गोहली बसंत में हमारी मुलाकात दिनेश कुमार से हुई। वह कहते हैं – जब रेनू दोबारा प्रेग्नेंट हुई, तब पूरा घर बहुत खुश था। बांसगांव CHC पर जिस महिला डॉक्टर से चेकअप करवाते थे, उसने 28 अप्रैल को डिलीवरी की डेट बताई थी। 27 अप्रैल को दर्द उठा, तो दिन में डेढ़ बजे मैंने गांव की आशा कार्यकर्ता गंगोत्री को फोन किया। वह घर आ गई और 102 नंबर की एंबुलेंस को फोन कर बुलाया। दोपहर ढाई बजे मैं बांसगांव CHC पर पहुंचा। वहां कोई डॉक्टर नहीं था। जो नर्स मौजूद थी, उसने कहा – नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी। रेनू का प्लेटलेट काउंट कुछ कम था, इसलिए नर्स ने दोबारा जांच कराई। प्लेटलेट्स लगभग 72 से 73 हजार निकले। उसने कहा- डिलीवरी के लिए इतना पर्याप्त है। नर्स ने शाम 6 बजे तक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। नर्स के साथ कमरे में मौजूद आशा बाहर आई। उसने मुझसे कहा – यहां व्यवस्था नहीं है, रेफर कर रहे हैं। मैंने कहा कि जिला महिला अस्पताल ले चलते हैं। लेकिन यह बात आशा कार्यकर्ता को मंजूर नहीं थी। उसे लगा कि महिला अस्पताल गए तो उसका कमीशन मारा जाएगा। उसने मुझे डराना शुरू किया- आज रविवार है, वहां ड्यूटी पर कोई मिलेगा नहीं। यहीं पास में बघराई है। वहां मैडम अच्छी डॉक्टर हैं। अपने पास समय भी कम है। वहीं ले चलते हैं, ठीक रहेगा। सरकारी एंबुलेंस तक छोड़नी पड़ी आशा कार्यकर्ता ने कहा- वहां सरकारी एंबुलेंस नहीं जाएगी। रुको, मैं डॉक्टर साहब को फोन करती हूं। वह अपनी गाड़ी लेकर आ जाएंगे। डॉक्टर के नाम पर सन्नो ने अपने पति अंबरीश को फोन किया। मगर, वह गाड़ी कहीं और लेकर गया था। इसके बाद मैंने खुद गाड़ी बुक की और पत्नी को लेकर वहां पहुंचा। वहां की हालत देखकर अटपटा जरूर लगा, लेकिन एक-दो मरीजों को देखकर कुछ हिम्मत बंधी। वहां हमें अस्पताल संचालक सन्नो मिली। उसने खुद का परिचय डॉक्टर के रूप में दिया। संचालन में साथ देने वाला उसका पति भी डॉक्टर का एप्रन पहनकर सामने आया। सन्नो ने आत्मविश्वास भरी बातों से मुझे झांसे में ले लिया। रेनू को OT में ले जाया गया। 2 घंटे बाद सन्नो बाहर आई। कहा- ऑपरेशन करना पड़ेगा। 15 हजार रुपए लगेंगे। इस पर मैंने कहा कि जिसमें जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहें, वही करिए। इसके बाद एक कागज पर दस्तखत कराए गए। सन्नो ने मुझसे कहा कि इसके लिए बाहर से डॉक्टर बुलाना पड़ेगा। मैंने हामी भर दी। इसके बाद उसने पन्नालाल को फोन किया। OT टेक्नीशियन के रूप में काम करने वाला पन्नालाल अपने बेटे को लेकर वहां पहुंचा। रात 9:30 बजे सन्नो, उसका पति अंबरीश, पन्नालाल, उसका बेटा नीरज और दो अन्य नर्सें ऑपरेशन थिएटर में 1 से डेढ़ घंटे तक रहे। रात लगभग 11:15 बजे बाहर आए तो पन्नालाल और उसका बेटा चुपचाप चले गए। घबराओ मत, यह खून नहीं, पानी है… दिनेश बताते हैं – ऑपरेशन के बाद वे लोग यह कहते हुए चले गए कि बेटा हुआ है, दोनों ठीक हैं। जब मैंने पत्नी रेनू से पूछा, तो उसने कहा कि पेट में दर्द हो रहा है। मैंने देखा तो ब्लीडिंग हो रही थी। यह बात सन्नो को बताई तो उसने कहा – घबराओ मत, यह खून नहीं, पानी है। यह सब नॉर्मल है। इसके बाद रेनू को वार्ड में शिफ्ट कर दिया। सन्नो ऊपर के तल पर बने आवास में चली गई। रातभर पत्नी दर्द से कराहती रही। ब्लीडिंग में भी कोई कमी नहीं आ रही थी। नर्सों से कहते, तो वे कहतीं – मैडम ने कहा है न, कोई बात नहीं है। यह सुनकर मैं चुप हो जाता। ब्लीडिंग इतनी अधिक हो गई कि सुबह 4 बजे रेनू की स्थिति बिगड़ने लगी। इस बार मैंने नाराजगी जताई, तो सन्नो को उतरकर नीचे आना पड़ा। मैंने उनसे कहा कि ‘जिस डॉक्टर ने ऑपरेशन किया है, उन्हें बुलाइए। सन्नो ने फिर पन्नालाल को फोन लगाया और वह अपने बेटे के साथ वहां पहुंच गया। फिर OT में ले जाकर हुआ ड्रामा दिनेश ने कहा – पन्नालाल किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह अस्पताल पहुंचा। उसने मरीज के परिजनों से कोई बात नहीं की। मरीज को OT में ले जाया गया। फिर सारे लोग वहां जमा हो गए और आधे घंटे तक अंदर रहे। इस बार पन्नालाल बाहर आया और मुझसे कहा – बच्चेदानी का मुंह फट गया है, इसलिए ब्लीडिंग हो रही है। दो यूनिट ब्लड की जरूरत होगी। इन्हें गोरखपुर ले जाना पड़ेगा। इस पर मैंने कहा – इतनी जल्दी मैं गाड़ी की व्यवस्था कैसे करूंगा? आशा कार्यकर्ता गंगोत्री भी वहां मौजूद थी। उसने कहा – डॉक्टर अपनी गाड़ी से ले चलेंगे। इसके बाद अंबरीश ने गाड़ी निकाली। पीछे की सीट पर रेनू को लिटाया गया। हम लोग रेनू को पैडलेगंज के पास सनसिटी अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन अस्पताल से 200 मीटर पहले ही रेनू ने दम तोड़ दिया। पीछे गाड़ी से आ रहे पन्नालाल ने रेनू की जांच कर उसकी मौत की पुष्टि की। अंबरीश उन्हें गाड़ी में बैठाकर सनसिटी अस्पताल पहुंचा। वहां गाड़ी खड़ी करके अस्पताल में जाकर बैठ गया। उसे कई बार फोन किया गया, तब वह बाहर आया। वापस आते वक्त रास्ते में ही उसने एक नाबालिग लड़के को बुला लिया। उसने गाड़ी की चाबी उस लड़के को देकर खुद फरार हो गया। वही लड़का गाड़ी से शव लेकर घर पहुंचा। गाड़ी शव लेकर पहुंची तो गांव के लोगों ने चालक को बंधक बना लिया। 112 नंबर पर सूचना दी गई। पुलिस आई और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई। नवजात बच्चे को नर्स ने अपने कब्जे में ले लिया रेनू के जेठ महेश ने बताया- रेनू ने बेटे को जन्म दिया था। बेटा स्वस्थ था। लेकिन जब रेनू को गोरखपुर ले जाया जा रहा था, तो अस्पताल की नर्सों ने बेटे को अपनी कस्टडी में ले लिया। उन्होंने कहा – इसे ले जाने की कोई जरूरत नहीं है। जैसे ही उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि रेनू की मौत हो चुकी है, उन्होंने बच्चा दिनेश की बहन को दे दिया। कहा- इसे घर या गोरखपुर ले जाइए। इसकी जरूरत पड़ेगी। मौत की सूचना पाकर वे बच्चे को लेकर घर चली आईं। अब पुलिस एक्शन जानिए पुलिस ने मामले में पहले अंबरीश राय की गाड़ी को छोड़ दिया था, जबकि परिजनों का कहना है – दिनेश के घर से थाने तक उसमें एक महिला कॉन्स्टेबल बैठकर गई थी। तर्क यह दिया जा रहा है कि उस समय तक कोई तहरीर नहीं मिली थी। अब जब मामला हाईलाइट हो गया है, तो गाड़ी की तलाश की जा रही है। SP साउथ जितेंद्र कुमार ने बताया – पन्नालाल और उसके बेटे नीरज कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। श्री गोविंद अस्पताल के संचालक अंबरीश राय और सन्नो राय फरार हैं। दोनों के पास कोई डिग्री नहीं है। उनकी तलाश में टीमें लगाई गई हैं। जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उनकी गाड़ी की तलाश भी चल रही है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल सील किया घटना से पहले बांसगांव के CHC अधीक्षक को इस बात की जानकारी नहीं थी कि महज कुछ किलोमीटर दूर ही बिना पंजीकरण के फर्जी अस्पताल चल रहा था। जब एक मरीज की मौत हो गई, तो आनन-फानन में सील करने पहुंच गए। साथ ही नीरज के उनवल स्थित अस्पताल को भी सील कर दिया गया। इस मामले में CMO डॉ. राजेश झा ने बताया – श्री गोविंद और मेडिकेयर अस्पताल का कोई पंजीकरण नहीं था। दोनों को सील कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। जिले के सभी सीएचसी और पीएचसी अधीक्षकों की जिम्मेदारी तय की गई है कि वे अपने क्षेत्र में बिना पंजीकृत अस्पताल संचालित नहीं होने देंगे। नियमित रूप से जांच करेंगे। अगर कोई अस्पताल संचालित होता पाया गया, तो उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। आशा बहुओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी भी दशा में निजी अस्पताल में मरीज को लेकर न जाएं। ———————- घटना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- गोरखपुर में OT टेक्नीशियन ने 14 महिलाओं के ऑपरेशन किए:पेट में बच्चा टेढ़ा…कहकर डराता था अस्पताल संचालक, 15वीं की मौत से खुला राज गोरखपुर में ओटी टेक्नीशियन ने खुद को डॉक्टर बताकर 14 महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी कर डाली। 15वें ऑपरेशन में महिला की मौत हो गई। इसका पता चलते ही टेक्नीशियन और अस्पताल संचालक पति-पत्नी फरार हो गए। गुस्साए घरवालों ने अस्पताल में हंगामा किया। पूरी खबर पढ़िए… ‘मैंने डॉक्टर (सन्नो) से कहा कि रेनू को हैवी ब्लीडिंग हो रही है। उसने कहा – यह खून नहीं, पानी है… सब नॉर्मल है। 6 घंटे बाद मेरी पत्नी की जान चली गई। अब बच्चों की तरफ देखता हूं तो आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। हॉस्पिटल में 27 अप्रैल को जो कुछ हुआ, उसे बताते हुए दिनेश चौहान परेशान हो जाते हैं। कहते हैं – गांव की आशा कार्यकर्ता गंगोत्री के कहने पर श्री गोविंद हॉस्पिटल चला गया। मुझे क्या पता था कि OT टेक्नीशियन से मेरी पत्नी का ऑपरेशन करवा देंगे। अब तक मेरे ढाई साल के बेटे दिव्यांश को पता है कि उसकी मां कहीं घूमने गई है, जल्दी लौट आएगी। 10 दिन के बेटे का नाम तक नहीं रखा, उसे बुआ पाल रही है। रेनू चौहान की मौत के बाद नवजात बच्चे की परवरिश कैसे हो रही है? हॉस्पिटल संचालक पति-पत्नी का क्या हुआ? हॉस्पिटल फिर शुरू तो नहीं हो गया? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर एप टीम ने बांसगांव थाना के गोहली बसंत में रेनू के परिवार से मुलाकात की। पढ़िए रिपोर्ट… OT टेक्नीशियन ने खुद को डॉक्टर बताकर किया ऑपरेशन गोरखपुर में एक OT टेक्नीशियन ने खुद को डॉक्टर बताकर 14 महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी कर दी। 15वें ऑपरेशन में महिला की मौत हो गई। इस ऑपरेशन में एक बच्चा भी पैदा हुआ। इसका पता चलते ही टेक्नीशियन और अस्पताल संचालक पति-पत्नी फरार हो गए। गुस्साए घरवालों ने अस्पताल में हंगामा किया। शुरुआती जांच में पता चला कि अस्पताल संचालक पति-पत्नी नॉर्मल डिलीवरी को कॉम्प्लिकेटेड बताकर पेशेंट को डराते थे। कहते थे – पेट में बच्चा टेढ़ा है। फिर सर्जन के नाम पर OT टेक्नीशियन को बुलाकर ऑपरेशन करवाते थे। हॉस्पिटल भी बिना लाइसेंस के चल रहा था। यहां कोई भी डिग्रीधारी डॉक्टर नहीं था। इसके बाद पुलिस ने हॉस्पिटल को सील कर दिया। फिलहाल, संचालक पति-पत्नी फरार हैं। टेक्नीशियन पन्नालाल, उसके बेटे नीरज और आशा कार्यकर्ता गंगोत्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दिनेश बोले – आशा हमें गुमराह करती रही गोहली बसंत में हमारी मुलाकात दिनेश कुमार से हुई। वह कहते हैं – जब रेनू दोबारा प्रेग्नेंट हुई, तब पूरा घर बहुत खुश था। बांसगांव CHC पर जिस महिला डॉक्टर से चेकअप करवाते थे, उसने 28 अप्रैल को डिलीवरी की डेट बताई थी। 27 अप्रैल को दर्द उठा, तो दिन में डेढ़ बजे मैंने गांव की आशा कार्यकर्ता गंगोत्री को फोन किया। वह घर आ गई और 102 नंबर की एंबुलेंस को फोन कर बुलाया। दोपहर ढाई बजे मैं बांसगांव CHC पर पहुंचा। वहां कोई डॉक्टर नहीं था। जो नर्स मौजूद थी, उसने कहा – नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी। रेनू का प्लेटलेट काउंट कुछ कम था, इसलिए नर्स ने दोबारा जांच कराई। प्लेटलेट्स लगभग 72 से 73 हजार निकले। उसने कहा- डिलीवरी के लिए इतना पर्याप्त है। नर्स ने शाम 6 बजे तक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। नर्स के साथ कमरे में मौजूद आशा बाहर आई। उसने मुझसे कहा – यहां व्यवस्था नहीं है, रेफर कर रहे हैं। मैंने कहा कि जिला महिला अस्पताल ले चलते हैं। लेकिन यह बात आशा कार्यकर्ता को मंजूर नहीं थी। उसे लगा कि महिला अस्पताल गए तो उसका कमीशन मारा जाएगा। उसने मुझे डराना शुरू किया- आज रविवार है, वहां ड्यूटी पर कोई मिलेगा नहीं। यहीं पास में बघराई है। वहां मैडम अच्छी डॉक्टर हैं। अपने पास समय भी कम है। वहीं ले चलते हैं, ठीक रहेगा। सरकारी एंबुलेंस तक छोड़नी पड़ी आशा कार्यकर्ता ने कहा- वहां सरकारी एंबुलेंस नहीं जाएगी। रुको, मैं डॉक्टर साहब को फोन करती हूं। वह अपनी गाड़ी लेकर आ जाएंगे। डॉक्टर के नाम पर सन्नो ने अपने पति अंबरीश को फोन किया। मगर, वह गाड़ी कहीं और लेकर गया था। इसके बाद मैंने खुद गाड़ी बुक की और पत्नी को लेकर वहां पहुंचा। वहां की हालत देखकर अटपटा जरूर लगा, लेकिन एक-दो मरीजों को देखकर कुछ हिम्मत बंधी। वहां हमें अस्पताल संचालक सन्नो मिली। उसने खुद का परिचय डॉक्टर के रूप में दिया। संचालन में साथ देने वाला उसका पति भी डॉक्टर का एप्रन पहनकर सामने आया। सन्नो ने आत्मविश्वास भरी बातों से मुझे झांसे में ले लिया। रेनू को OT में ले जाया गया। 2 घंटे बाद सन्नो बाहर आई। कहा- ऑपरेशन करना पड़ेगा। 15 हजार रुपए लगेंगे। इस पर मैंने कहा कि जिसमें जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहें, वही करिए। इसके बाद एक कागज पर दस्तखत कराए गए। सन्नो ने मुझसे कहा कि इसके लिए बाहर से डॉक्टर बुलाना पड़ेगा। मैंने हामी भर दी। इसके बाद उसने पन्नालाल को फोन किया। OT टेक्नीशियन के रूप में काम करने वाला पन्नालाल अपने बेटे को लेकर वहां पहुंचा। रात 9:30 बजे सन्नो, उसका पति अंबरीश, पन्नालाल, उसका बेटा नीरज और दो अन्य नर्सें ऑपरेशन थिएटर में 1 से डेढ़ घंटे तक रहे। रात लगभग 11:15 बजे बाहर आए तो पन्नालाल और उसका बेटा चुपचाप चले गए। घबराओ मत, यह खून नहीं, पानी है… दिनेश बताते हैं – ऑपरेशन के बाद वे लोग यह कहते हुए चले गए कि बेटा हुआ है, दोनों ठीक हैं। जब मैंने पत्नी रेनू से पूछा, तो उसने कहा कि पेट में दर्द हो रहा है। मैंने देखा तो ब्लीडिंग हो रही थी। यह बात सन्नो को बताई तो उसने कहा – घबराओ मत, यह खून नहीं, पानी है। यह सब नॉर्मल है। इसके बाद रेनू को वार्ड में शिफ्ट कर दिया। सन्नो ऊपर के तल पर बने आवास में चली गई। रातभर पत्नी दर्द से कराहती रही। ब्लीडिंग में भी कोई कमी नहीं आ रही थी। नर्सों से कहते, तो वे कहतीं – मैडम ने कहा है न, कोई बात नहीं है। यह सुनकर मैं चुप हो जाता। ब्लीडिंग इतनी अधिक हो गई कि सुबह 4 बजे रेनू की स्थिति बिगड़ने लगी। इस बार मैंने नाराजगी जताई, तो सन्नो को उतरकर नीचे आना पड़ा। मैंने उनसे कहा कि ‘जिस डॉक्टर ने ऑपरेशन किया है, उन्हें बुलाइए। सन्नो ने फिर पन्नालाल को फोन लगाया और वह अपने बेटे के साथ वहां पहुंच गया। फिर OT में ले जाकर हुआ ड्रामा दिनेश ने कहा – पन्नालाल किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह अस्पताल पहुंचा। उसने मरीज के परिजनों से कोई बात नहीं की। मरीज को OT में ले जाया गया। फिर सारे लोग वहां जमा हो गए और आधे घंटे तक अंदर रहे। इस बार पन्नालाल बाहर आया और मुझसे कहा – बच्चेदानी का मुंह फट गया है, इसलिए ब्लीडिंग हो रही है। दो यूनिट ब्लड की जरूरत होगी। इन्हें गोरखपुर ले जाना पड़ेगा। इस पर मैंने कहा – इतनी जल्दी मैं गाड़ी की व्यवस्था कैसे करूंगा? आशा कार्यकर्ता गंगोत्री भी वहां मौजूद थी। उसने कहा – डॉक्टर अपनी गाड़ी से ले चलेंगे। इसके बाद अंबरीश ने गाड़ी निकाली। पीछे की सीट पर रेनू को लिटाया गया। हम लोग रेनू को पैडलेगंज के पास सनसिटी अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन अस्पताल से 200 मीटर पहले ही रेनू ने दम तोड़ दिया। पीछे गाड़ी से आ रहे पन्नालाल ने रेनू की जांच कर उसकी मौत की पुष्टि की। अंबरीश उन्हें गाड़ी में बैठाकर सनसिटी अस्पताल पहुंचा। वहां गाड़ी खड़ी करके अस्पताल में जाकर बैठ गया। उसे कई बार फोन किया गया, तब वह बाहर आया। वापस आते वक्त रास्ते में ही उसने एक नाबालिग लड़के को बुला लिया। उसने गाड़ी की चाबी उस लड़के को देकर खुद फरार हो गया। वही लड़का गाड़ी से शव लेकर घर पहुंचा। गाड़ी शव लेकर पहुंची तो गांव के लोगों ने चालक को बंधक बना लिया। 112 नंबर पर सूचना दी गई। पुलिस आई और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई। नवजात बच्चे को नर्स ने अपने कब्जे में ले लिया रेनू के जेठ महेश ने बताया- रेनू ने बेटे को जन्म दिया था। बेटा स्वस्थ था। लेकिन जब रेनू को गोरखपुर ले जाया जा रहा था, तो अस्पताल की नर्सों ने बेटे को अपनी कस्टडी में ले लिया। उन्होंने कहा – इसे ले जाने की कोई जरूरत नहीं है। जैसे ही उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि रेनू की मौत हो चुकी है, उन्होंने बच्चा दिनेश की बहन को दे दिया। कहा- इसे घर या गोरखपुर ले जाइए। इसकी जरूरत पड़ेगी। मौत की सूचना पाकर वे बच्चे को लेकर घर चली आईं। अब पुलिस एक्शन जानिए पुलिस ने मामले में पहले अंबरीश राय की गाड़ी को छोड़ दिया था, जबकि परिजनों का कहना है – दिनेश के घर से थाने तक उसमें एक महिला कॉन्स्टेबल बैठकर गई थी। तर्क यह दिया जा रहा है कि उस समय तक कोई तहरीर नहीं मिली थी। अब जब मामला हाईलाइट हो गया है, तो गाड़ी की तलाश की जा रही है। SP साउथ जितेंद्र कुमार ने बताया – पन्नालाल और उसके बेटे नीरज कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। श्री गोविंद अस्पताल के संचालक अंबरीश राय और सन्नो राय फरार हैं। दोनों के पास कोई डिग्री नहीं है। उनकी तलाश में टीमें लगाई गई हैं। जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उनकी गाड़ी की तलाश भी चल रही है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल सील किया घटना से पहले बांसगांव के CHC अधीक्षक को इस बात की जानकारी नहीं थी कि महज कुछ किलोमीटर दूर ही बिना पंजीकरण के फर्जी अस्पताल चल रहा था। जब एक मरीज की मौत हो गई, तो आनन-फानन में सील करने पहुंच गए। साथ ही नीरज के उनवल स्थित अस्पताल को भी सील कर दिया गया। इस मामले में CMO डॉ. राजेश झा ने बताया – श्री गोविंद और मेडिकेयर अस्पताल का कोई पंजीकरण नहीं था। दोनों को सील कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। जिले के सभी सीएचसी और पीएचसी अधीक्षकों की जिम्मेदारी तय की गई है कि वे अपने क्षेत्र में बिना पंजीकृत अस्पताल संचालित नहीं होने देंगे। नियमित रूप से जांच करेंगे। अगर कोई अस्पताल संचालित होता पाया गया, तो उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। आशा बहुओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी भी दशा में निजी अस्पताल में मरीज को लेकर न जाएं। ———————- घटना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- गोरखपुर में OT टेक्नीशियन ने 14 महिलाओं के ऑपरेशन किए:पेट में बच्चा टेढ़ा…कहकर डराता था अस्पताल संचालक, 15वीं की मौत से खुला राज गोरखपुर में ओटी टेक्नीशियन ने खुद को डॉक्टर बताकर 14 महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी कर डाली। 15वें ऑपरेशन में महिला की मौत हो गई। इसका पता चलते ही टेक्नीशियन और अस्पताल संचालक पति-पत्नी फरार हो गए। गुस्साए घरवालों ने अस्पताल में हंगामा किया। पूरी खबर पढ़िए… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
बच्चा टेड़ा है…कहकर OT टेक्नीशियन ने पत्नी का ऑपरेशन किया:गोरखपुर में पति बोला-फर्जी डॉक्टर कहती रही, ब्लीडिंग नहीं पानी है; 6 घंटे बाद जान चली गई
