बच्चों के जज्बे को बाढ़ भी नहीं कर पाई प्रभावित, पेड़ की छांव के नीचे जगने लगी शिक्षा की अलख

बच्चों के जज्बे को बाढ़ भी नहीं कर पाई प्रभावित, पेड़ की छांव के नीचे जगने लगी शिक्षा की अलख

<p style=”text-align: justify;”><strong>Gorakhpur News:</strong> गोरखपुर में राप्&zwj;ती और रोहिन का पानी भले ही कम हो रहा है. फिर भी ऐसे कई गांव हैं, जो बाढ़ की चपेट में हैं. गांव में बाढ़ की वजह से बच्&zwj;चे भी स्&zwj;कूल नहीं जा पा रहे हैं. &nbsp;वहीं बांध पर बसे कई ऐसे गांव भी हैं, जो बाढ़ से बचे हुए हैं, लेकिन स्&zwj;कूल बाढ़ के पानी में डूबने की वजह से बांध और उसके दूसरे छोर पर बसे गांव में पेड़ की छांव में शिक्षा की अलख जग रही है. हालांकि शिक्षकों और यहां पढ़ने वाले बच्&zwj;चों को भी उम्&zwj;मीद है कि वे बाढ़ का पानी उतरने के बाद फिर से स्&zwj;कूल में अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गोरखपुर के विकासखंड खोराबार का कठउर गांव अब शहर का हिस्&zwj;सा हो गया है. फिर भी यहां जब बाढ़ आती है, तो पूरा इलाका डूब जाता है. कम्&zwj;पोजिट विद्यालय कठउर में 200 से अधिक बच्&zwj;चे पढ़ते हैं. यहां प्रधानाचार्य आशा त्रिपाठी के अलावा 15 शिक्षक शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. जुलाई माह में अभी विद्यालय का नया सत्र शुरू ही हुआ था कि बाढ़ आ गई. आसपास के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए. बेसिक शिक्षा विभाग ने बच्&zwj;चों और शिक्षकों के साथ दस्&zwj;तावेजों की सुरक्षा को देखते हुए बाढ़ प्रभावित स्&zwj;कूलों की प्रधानाचार्य को वै&zwj;कल्&zwj;पिक व्&zwj;यवस्&zwj;था करने को कहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाढ़ के पानी से प्रभावित हो रही शिक्षा</strong><br />कम्&zwj;पोजिट विद्यालय कठउर एक सप्&zwj;ताह से बाढ़ के पानी की वजह से बंद है. बच्&zwj;चों की सुरक्षा को देखते हुए मलौली बांध के पश्चिम में बसे स्&zwj;कूल पर ताला जड़ दिया गया है. स्&zwj;कूल के अंदर भी पानी भरा है. आसपास गहरा पानी होने की वजह से स्&zwj;कूल की वैकल्पिक व्&zwj;यवस्&zwj;था बंधे और उसके पूरब छोर पर गांव में की गई है. दस्&zwj;तावेजों को सुरक्षित करने के लिए दो कमरों को किराए पर लिया गया है. वहीं बच्&zwj;चों को गांव के बंधे तो कभी पेड़ की छांव के नीचे बढ़ाया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कम्पोजिट विद्यालय कठउर की प्रधानाचार्य आशा त्रिपाठी बताती हैं कि बाढ़ आए एक सप्&zwj;ताह हो गया है. इस विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक के बच्&zwj;चे पढ़ते हैं. वे बताती हैं कि यहां पर 261 बच्&zwj;चों को शिक्षा दी जाती है. बाढ़ के पहले 70 से 80 प्रतिशत बच्&zwj;चे पढ़ने आ रहे थे. अभी ये संख्&zwj;या घटकर 20 से 30 प्रतिशत पर आ गई है. यहां पर शिक्षामित्र को लेकर कुल 15 शिक्षक और शिक्षिकाएं हैं. वे बताती हैं बांध के आसपास रहने वाले बच्&zwj;चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं. परेशानी तो है. यहां स्&zwj;कूल और क्&zwj;लास वाली सुविधा इस भीषण गर्मी में नहीं मिल पा रही है. जब पढ़ाई का माहौल शुरू हुआ, तब तक बाढ़ आ गई. इस समय संख्&zwj;या 50 से करीब हो गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p>
<figure class=”image”><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/20/a7ce1d3e46f78707054179337726a2f91721491259895898_original.jpg” alt=”स्कूल में भरा बाढ़ का पानी” />
<figcaption>स्कूल में भरा बाढ़ का पानी</figcaption>
</figure>
<p style=”text-align: justify;”>यहां पढ़ने वाले बच्&zwj;चे वीरा, अंश, दीप्ति, पल्&zwj;लवी, सुकन्&zwj;या, अंकिता बताती हैं कि स्&zwj;कूल में पानी भरने की वजह से वे लोग यहां पर पेड़ की छांव के नीचे पढ़ रहे हैं. हालांकि यहां पर बच्&zwj;चों को पढ़ने में अच्&zwj;छा लग रहा है लेकिन यहां पेड़ की छांव के नीचे पढ़ने वाले बच्&zwj;चों को पूरी उम्&zwj;मीद है कि बाढ़ का पानी उतरेगा और उनकी कक्षाएं फिर से शुरू हो पाएंगी. बाढ़ प्रभावित गांव में बच्&zwj;चों को सुरक्षित स्&zwj;थान पर शिक्षा देने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से पत्र भी जारी किया गया है. सरकार के आदेश के बाद जारी पत्र को सभी विद्यालय में भेजा गया है. ऐसे में जो विद्यालय बाढ़ की चपेट में हैं, वहां वै&zwj;कल्पिक व्&zwj;यवस्&zwj;था की गई है. जिससे शिक्षा के साथ नौनिहालों का जीवन भी सु&zwj;रक्षित रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढे़ं: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-2025-cm-yogi-adityanath-meeting-with-oficer-in-prayagraj-and-instructed-2741943″><strong>महाकुंभ को लेकर सीएम योगी की अधिकारियों के साथ बैठक, कहा- ‘मेले में स्वच्छता का रखा जाए ध्यान'</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Gorakhpur News:</strong> गोरखपुर में राप्&zwj;ती और रोहिन का पानी भले ही कम हो रहा है. फिर भी ऐसे कई गांव हैं, जो बाढ़ की चपेट में हैं. गांव में बाढ़ की वजह से बच्&zwj;चे भी स्&zwj;कूल नहीं जा पा रहे हैं. &nbsp;वहीं बांध पर बसे कई ऐसे गांव भी हैं, जो बाढ़ से बचे हुए हैं, लेकिन स्&zwj;कूल बाढ़ के पानी में डूबने की वजह से बांध और उसके दूसरे छोर पर बसे गांव में पेड़ की छांव में शिक्षा की अलख जग रही है. हालांकि शिक्षकों और यहां पढ़ने वाले बच्&zwj;चों को भी उम्&zwj;मीद है कि वे बाढ़ का पानी उतरने के बाद फिर से स्&zwj;कूल में अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गोरखपुर के विकासखंड खोराबार का कठउर गांव अब शहर का हिस्&zwj;सा हो गया है. फिर भी यहां जब बाढ़ आती है, तो पूरा इलाका डूब जाता है. कम्&zwj;पोजिट विद्यालय कठउर में 200 से अधिक बच्&zwj;चे पढ़ते हैं. यहां प्रधानाचार्य आशा त्रिपाठी के अलावा 15 शिक्षक शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. जुलाई माह में अभी विद्यालय का नया सत्र शुरू ही हुआ था कि बाढ़ आ गई. आसपास के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए. बेसिक शिक्षा विभाग ने बच्&zwj;चों और शिक्षकों के साथ दस्&zwj;तावेजों की सुरक्षा को देखते हुए बाढ़ प्रभावित स्&zwj;कूलों की प्रधानाचार्य को वै&zwj;कल्&zwj;पिक व्&zwj;यवस्&zwj;था करने को कहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाढ़ के पानी से प्रभावित हो रही शिक्षा</strong><br />कम्&zwj;पोजिट विद्यालय कठउर एक सप्&zwj;ताह से बाढ़ के पानी की वजह से बंद है. बच्&zwj;चों की सुरक्षा को देखते हुए मलौली बांध के पश्चिम में बसे स्&zwj;कूल पर ताला जड़ दिया गया है. स्&zwj;कूल के अंदर भी पानी भरा है. आसपास गहरा पानी होने की वजह से स्&zwj;कूल की वैकल्पिक व्&zwj;यवस्&zwj;था बंधे और उसके पूरब छोर पर गांव में की गई है. दस्&zwj;तावेजों को सुरक्षित करने के लिए दो कमरों को किराए पर लिया गया है. वहीं बच्&zwj;चों को गांव के बंधे तो कभी पेड़ की छांव के नीचे बढ़ाया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कम्पोजिट विद्यालय कठउर की प्रधानाचार्य आशा त्रिपाठी बताती हैं कि बाढ़ आए एक सप्&zwj;ताह हो गया है. इस विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक के बच्&zwj;चे पढ़ते हैं. वे बताती हैं कि यहां पर 261 बच्&zwj;चों को शिक्षा दी जाती है. बाढ़ के पहले 70 से 80 प्रतिशत बच्&zwj;चे पढ़ने आ रहे थे. अभी ये संख्&zwj;या घटकर 20 से 30 प्रतिशत पर आ गई है. यहां पर शिक्षामित्र को लेकर कुल 15 शिक्षक और शिक्षिकाएं हैं. वे बताती हैं बांध के आसपास रहने वाले बच्&zwj;चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं. परेशानी तो है. यहां स्&zwj;कूल और क्&zwj;लास वाली सुविधा इस भीषण गर्मी में नहीं मिल पा रही है. जब पढ़ाई का माहौल शुरू हुआ, तब तक बाढ़ आ गई. इस समय संख्&zwj;या 50 से करीब हो गई है.</p>
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<figure class=”image”><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/20/a7ce1d3e46f78707054179337726a2f91721491259895898_original.jpg” alt=”स्कूल में भरा बाढ़ का पानी” />
<figcaption>स्कूल में भरा बाढ़ का पानी</figcaption>
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<p style=”text-align: justify;”>यहां पढ़ने वाले बच्&zwj;चे वीरा, अंश, दीप्ति, पल्&zwj;लवी, सुकन्&zwj;या, अंकिता बताती हैं कि स्&zwj;कूल में पानी भरने की वजह से वे लोग यहां पर पेड़ की छांव के नीचे पढ़ रहे हैं. हालांकि यहां पर बच्&zwj;चों को पढ़ने में अच्&zwj;छा लग रहा है लेकिन यहां पेड़ की छांव के नीचे पढ़ने वाले बच्&zwj;चों को पूरी उम्&zwj;मीद है कि बाढ़ का पानी उतरेगा और उनकी कक्षाएं फिर से शुरू हो पाएंगी. बाढ़ प्रभावित गांव में बच्&zwj;चों को सुरक्षित स्&zwj;थान पर शिक्षा देने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से पत्र भी जारी किया गया है. सरकार के आदेश के बाद जारी पत्र को सभी विद्यालय में भेजा गया है. ऐसे में जो विद्यालय बाढ़ की चपेट में हैं, वहां वै&zwj;कल्पिक व्&zwj;यवस्&zwj;था की गई है. जिससे शिक्षा के साथ नौनिहालों का जीवन भी सु&zwj;रक्षित रहे.</p>
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