बहराइच हिंसा-रामगोपाल की पत्नी को अब तक नौकरी नहीं:बोली- विधायक फोन नहीं उठाते, पिता ने कहा- योगीजी पर भरोसा

बहराइच हिंसा-रामगोपाल की पत्नी को अब तक नौकरी नहीं:बोली- विधायक फोन नहीं उठाते, पिता ने कहा- योगीजी पर भरोसा

‘यूपी सरकार ने जो कहा था, वह किया। लेकिन, अब तक नौकरी नहीं मिली। विधायक जी और डीएम मैम नौकरी के लिए 15 दिन, 1 महीने और 2 महीने बता रहे। विधायक जी तो अब फोन भी नहीं उठाते। हमारे पास और कोई सहारा नहीं है। पैसा देने वाला भी नहीं है। नौकरी मिल जाए, तो ठीक रहेगा।’ यह कहना है बहराइच हिंसा में मारे गए रामगोपाल मिश्रा की पत्नी रोली का। रोली शादी के 3 महीने में ही विधवा हो गई थी। अब ससुराल में रामगोपाल के बूढ़े मां-बाप के साथ रह रही हैं। कहती हैं कि आगे भी अपने पति की याद के साथ यहीं रह लूंगी। दैनिक भास्कर की टीम बहराइच हिंसा के 6 महीने बाद पीड़ित परिवार से मिलने रामगोपाल मिश्रा के गांव पहुंची। हमने गांव की स्थिति देखी। लोगों से बात की, परिवार का हाल जाना। पढ़िए बहराइच से ग्राउंड रिपोर्ट… हम बहराइच में महसी तहसील के रेंहुआ मंसूर गांव पहुंचे। 13 अक्टूबर, 2024 को रामनवमी के दिन रेंहुआ मंसूर से सैकड़ों लोग मूर्ति विसर्जन के लिए निकले थे। गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर महाराजगंज कस्बे में आसपास के गांव की सभी मूर्तियां इकट्ठा होने लगीं। महाराजगंज कस्बे में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। डीजे पर बज रहे गानों को लेकर विवाद हुआ, फिर थोड़ी ही देर में हिंसक झड़प शुरू हो गई। इस हिंसा में रेंहुआ मंसूर गांव के रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के 6 महीने बीत चुके हैं। हम रामगोपाल मिश्रा के गांव पहुंचे। गांव में एक अजीब-सी शांति है। हर आने-जाने वाले अपरिचित को लोग पलटकर हमें देखते रहे। संकरे रास्तों से होते हुए हम रामगोपाल के घर पहुंचे। घर की दीवारों का प्लास्टर हो रहा है। परिवार के बाकी लोग उसी में जुटे नजर आए। बरामदे में बुजुर्ग पिता कैलाश नाथ मिश्रा लेटे थे। बेटे की असमय मौत के बाद वह बीमार रहने लगे हैं। हमने रामगोपाल की पत्नी रोली के बारे में पूछा। इस पर वह कहते हैं कि किसी काम से बहराइच गई है, अभी आती होगी। 4 महीने पहले डॉक्यूमेंट लिया, अब तक नौकरी नहीं मिली
कुछ देर बाद रोली घर आ गईं। हमारी बातचीत की शुरुआत सरकार की तरफ से हुए वादों को लेकर हुई। रोली कहती हैं- सीएम योगी ने जो कुछ कहा था, वह सब कुछ है। लेकिन, नौकरी नहीं मिली है। नौकरी के लिए 15 दिन, 1 महीने और 2 महीने की बात कही जा रही है। यही बात हमारे यहां के विधायक सुरेश्वर सिंह जी कह रहे हैं। कुछ पूछना होता है तो उनके पास फोन लगाते हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठाते। कई बार फोन किया। सुबह भी किया, शाम को भी किया, लेकिन उनसे अब बात नहीं हो पाती। रोली से हमने पूछा कि क्या आप बहराइच की डीएम मोनिका रानी से भी मिलीं? वह कहती हैं- उनसे भी दो बार मिल चुकी हूं। डीएम मैम कहती हैं कि 10 दिन रुको, 20 दिन रुको। परेशान मत हो, नौकरी मिल जाएगी। इसी तरह से 6 महीने बीत गए, लेकिन अब तक नौकरी नहीं मिली है। 4 महीने पहले हमारे सारे डॉक्यूमेंट लिए गए थे। कहा गया था कि यहीं पास के गड़वा में जो कस्तूरबा गांधी स्कूल है उसमें नौकरी दी जाएगी। पैसे की कमी के चलते घर नहीं बन पाया
रोली मिश्रा को पीएम आवास योजना के तहत एक घर भी मिला है। इसके लिए 1 लाख 20 हजार रुपए उन्हें मिले। जिस जगह पर वह घास-फूस के मकान में रामगोपाल के साथ रह रही थीं। अब उसी जगह पर उन्होंने अपने घर का निर्माण करवाया है। दो कमरे का मकान बनकर तैयार हो गया है, लेकिन अभी प्लास्टर पूरा नहीं हो पाया है। रोली कहती हैं- हमें जो 5 लाख रुपए मिले थे, उसमें से भी साढ़े 4 लाख खर्च हो गए। 50 हजार हमने बचा लिया है। अब पैसा नहीं होने की वजह से घर भी पूरा नहीं बन सका। रोली कहती हैं- हमने सीएम योगी से भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन जब लखनऊ गए तो वह कानपुर चले गए थे। इस हफ्ते या फिर अगले हफ्ते हम लखनऊ में उनसे मिलने जाएंगे। अगर उनसे मुलाकात होगी तो हम नौकरी के लिए कहेंगे। क्या पता वह सुन लें? हमारी कोई शिकायत नहीं है। हमारे पास पैसे की दिक्कत है, हमें कोई देने वाला भी नहीं है। जहां पति की मौत, उसका नाम लेना पसंद नहीं
हमने रोली से पूछा कि हिंसा के बाद क्या वह कभी महाराजगंज गई हैं? वह कहती हैं- एक बार बैंक में केवाईसी से जुड़ा काम था, तब गई थी। बैंक घटनास्थल के पास ही था। मैं फोटो कॉपी करवाने गई, तो दुकानदार बताने लगे कि बगल वाली छत पर ही मौत हुई थी। हमने दुकान वाले भइया से कहा कि क्या हमें एक बार उस जगह को दिखाएंगे? तब उनकी पत्नी हमें ऊपर लेकर गई थी। आज भी वहां सब कुछ वैसा ही पड़ा है। रोली आगे कहती हैं- बैंक का काम न होता, तो मैं महाराजगंज कभी नहीं जाती। अब तो नाम लेना भी गंवारा नहीं करता। हम लोगों ने सोचा था कि महाराजगंज का नाम बदलकर पति के नाम से कर दिया जाए, लेकिन वह नहीं हुआ। वहीं एक खाली जगह थी, वहां अपने पति की मूर्ति लगवाने की सोची थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ। विधायक बोले- वह तो नौकरी कर रही है
हमने स्थानीय भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह से बात की। उनसे रोली मिश्रा को मिलनी वाली नौकरी की स्थिति के बारे में पूछा। विधायक ने कहा- उनकी पत्नी तो गड़वा के कस्तूरबा गांधी स्कूल में काम कर रही हैं। हमने कहा- मेरी रोली से बात हुई है, वह कहीं भी काम नहीं कर रही हैं। इसके जवाब में विधायक कहते हैं- हमने तो EWS वगैरह का काम पूरा करवा दिया था। रोली मिश्रा की नौकरी को लेकर हमने बहराइच की डीएम मोनिका रानी से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, जिले में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के चलते बात और मुलाकात नहीं हो पाई। बहराइच में हिंसा के बाद जब मुआवजे और मदद की घोषणा हुई थी, तब डीएम मोनिका रानी ने परिवार का सत्यापन किया था। उन्होंने इसके बाद कहा था कि ज्यादातर योजनाओं का फायदा परिवार को दिया जा चुका है। रोली की शैक्षिक योग्यता कक्षा- 8 तक है। ऐसे में उच्च पदों पर समायोजित किए जाने की संभावना नहीं है। चतुर्थ श्रेणी में योग्यता के अनुसार नौकरी की संभावना है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… मथुरा में यूट्यूब देखकर युवक ने खुद का ऑपरेशन किया, दर्द से परेशान था; पेट चीरने के बाद हाथ डालकर देखा, फिर सिल दिया मथुरा में पेट दर्द से परेशान 32 साल के युवक ने खुद ही अपना ऑपरेशन कर लिया। यूट्यूब देखकर उसने ऑपरेशन का तरीका सीखा, फिर इंटरनेट पर एनेस्थेसिया इंजेक्शन के बारे में पढ़ा। इसके बाद घर के पास से 200 मीटर दूर मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन, सर्जिकल ब्लेड और दवाएं लेकर आया। घर पर आकर पेट में दर्द वाली जगह पर ब्लेड से 7 सेंटीमीटर चीर दिया। पढ़ें पूरी खबर ‘यूपी सरकार ने जो कहा था, वह किया। लेकिन, अब तक नौकरी नहीं मिली। विधायक जी और डीएम मैम नौकरी के लिए 15 दिन, 1 महीने और 2 महीने बता रहे। विधायक जी तो अब फोन भी नहीं उठाते। हमारे पास और कोई सहारा नहीं है। पैसा देने वाला भी नहीं है। नौकरी मिल जाए, तो ठीक रहेगा।’ यह कहना है बहराइच हिंसा में मारे गए रामगोपाल मिश्रा की पत्नी रोली का। रोली शादी के 3 महीने में ही विधवा हो गई थी। अब ससुराल में रामगोपाल के बूढ़े मां-बाप के साथ रह रही हैं। कहती हैं कि आगे भी अपने पति की याद के साथ यहीं रह लूंगी। दैनिक भास्कर की टीम बहराइच हिंसा के 6 महीने बाद पीड़ित परिवार से मिलने रामगोपाल मिश्रा के गांव पहुंची। हमने गांव की स्थिति देखी। लोगों से बात की, परिवार का हाल जाना। पढ़िए बहराइच से ग्राउंड रिपोर्ट… हम बहराइच में महसी तहसील के रेंहुआ मंसूर गांव पहुंचे। 13 अक्टूबर, 2024 को रामनवमी के दिन रेंहुआ मंसूर से सैकड़ों लोग मूर्ति विसर्जन के लिए निकले थे। गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर महाराजगंज कस्बे में आसपास के गांव की सभी मूर्तियां इकट्ठा होने लगीं। महाराजगंज कस्बे में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। डीजे पर बज रहे गानों को लेकर विवाद हुआ, फिर थोड़ी ही देर में हिंसक झड़प शुरू हो गई। इस हिंसा में रेंहुआ मंसूर गांव के रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के 6 महीने बीत चुके हैं। हम रामगोपाल मिश्रा के गांव पहुंचे। गांव में एक अजीब-सी शांति है। हर आने-जाने वाले अपरिचित को लोग पलटकर हमें देखते रहे। संकरे रास्तों से होते हुए हम रामगोपाल के घर पहुंचे। घर की दीवारों का प्लास्टर हो रहा है। परिवार के बाकी लोग उसी में जुटे नजर आए। बरामदे में बुजुर्ग पिता कैलाश नाथ मिश्रा लेटे थे। बेटे की असमय मौत के बाद वह बीमार रहने लगे हैं। हमने रामगोपाल की पत्नी रोली के बारे में पूछा। इस पर वह कहते हैं कि किसी काम से बहराइच गई है, अभी आती होगी। 4 महीने पहले डॉक्यूमेंट लिया, अब तक नौकरी नहीं मिली
कुछ देर बाद रोली घर आ गईं। हमारी बातचीत की शुरुआत सरकार की तरफ से हुए वादों को लेकर हुई। रोली कहती हैं- सीएम योगी ने जो कुछ कहा था, वह सब कुछ है। लेकिन, नौकरी नहीं मिली है। नौकरी के लिए 15 दिन, 1 महीने और 2 महीने की बात कही जा रही है। यही बात हमारे यहां के विधायक सुरेश्वर सिंह जी कह रहे हैं। कुछ पूछना होता है तो उनके पास फोन लगाते हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठाते। कई बार फोन किया। सुबह भी किया, शाम को भी किया, लेकिन उनसे अब बात नहीं हो पाती। रोली से हमने पूछा कि क्या आप बहराइच की डीएम मोनिका रानी से भी मिलीं? वह कहती हैं- उनसे भी दो बार मिल चुकी हूं। डीएम मैम कहती हैं कि 10 दिन रुको, 20 दिन रुको। परेशान मत हो, नौकरी मिल जाएगी। इसी तरह से 6 महीने बीत गए, लेकिन अब तक नौकरी नहीं मिली है। 4 महीने पहले हमारे सारे डॉक्यूमेंट लिए गए थे। कहा गया था कि यहीं पास के गड़वा में जो कस्तूरबा गांधी स्कूल है उसमें नौकरी दी जाएगी। पैसे की कमी के चलते घर नहीं बन पाया
रोली मिश्रा को पीएम आवास योजना के तहत एक घर भी मिला है। इसके लिए 1 लाख 20 हजार रुपए उन्हें मिले। जिस जगह पर वह घास-फूस के मकान में रामगोपाल के साथ रह रही थीं। अब उसी जगह पर उन्होंने अपने घर का निर्माण करवाया है। दो कमरे का मकान बनकर तैयार हो गया है, लेकिन अभी प्लास्टर पूरा नहीं हो पाया है। रोली कहती हैं- हमें जो 5 लाख रुपए मिले थे, उसमें से भी साढ़े 4 लाख खर्च हो गए। 50 हजार हमने बचा लिया है। अब पैसा नहीं होने की वजह से घर भी पूरा नहीं बन सका। रोली कहती हैं- हमने सीएम योगी से भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन जब लखनऊ गए तो वह कानपुर चले गए थे। इस हफ्ते या फिर अगले हफ्ते हम लखनऊ में उनसे मिलने जाएंगे। अगर उनसे मुलाकात होगी तो हम नौकरी के लिए कहेंगे। क्या पता वह सुन लें? हमारी कोई शिकायत नहीं है। हमारे पास पैसे की दिक्कत है, हमें कोई देने वाला भी नहीं है। जहां पति की मौत, उसका नाम लेना पसंद नहीं
हमने रोली से पूछा कि हिंसा के बाद क्या वह कभी महाराजगंज गई हैं? वह कहती हैं- एक बार बैंक में केवाईसी से जुड़ा काम था, तब गई थी। बैंक घटनास्थल के पास ही था। मैं फोटो कॉपी करवाने गई, तो दुकानदार बताने लगे कि बगल वाली छत पर ही मौत हुई थी। हमने दुकान वाले भइया से कहा कि क्या हमें एक बार उस जगह को दिखाएंगे? तब उनकी पत्नी हमें ऊपर लेकर गई थी। आज भी वहां सब कुछ वैसा ही पड़ा है। रोली आगे कहती हैं- बैंक का काम न होता, तो मैं महाराजगंज कभी नहीं जाती। अब तो नाम लेना भी गंवारा नहीं करता। हम लोगों ने सोचा था कि महाराजगंज का नाम बदलकर पति के नाम से कर दिया जाए, लेकिन वह नहीं हुआ। वहीं एक खाली जगह थी, वहां अपने पति की मूर्ति लगवाने की सोची थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ। विधायक बोले- वह तो नौकरी कर रही है
हमने स्थानीय भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह से बात की। उनसे रोली मिश्रा को मिलनी वाली नौकरी की स्थिति के बारे में पूछा। विधायक ने कहा- उनकी पत्नी तो गड़वा के कस्तूरबा गांधी स्कूल में काम कर रही हैं। हमने कहा- मेरी रोली से बात हुई है, वह कहीं भी काम नहीं कर रही हैं। इसके जवाब में विधायक कहते हैं- हमने तो EWS वगैरह का काम पूरा करवा दिया था। रोली मिश्रा की नौकरी को लेकर हमने बहराइच की डीएम मोनिका रानी से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, जिले में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के चलते बात और मुलाकात नहीं हो पाई। बहराइच में हिंसा के बाद जब मुआवजे और मदद की घोषणा हुई थी, तब डीएम मोनिका रानी ने परिवार का सत्यापन किया था। उन्होंने इसके बाद कहा था कि ज्यादातर योजनाओं का फायदा परिवार को दिया जा चुका है। रोली की शैक्षिक योग्यता कक्षा- 8 तक है। ऐसे में उच्च पदों पर समायोजित किए जाने की संभावना नहीं है। चतुर्थ श्रेणी में योग्यता के अनुसार नौकरी की संभावना है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… मथुरा में यूट्यूब देखकर युवक ने खुद का ऑपरेशन किया, दर्द से परेशान था; पेट चीरने के बाद हाथ डालकर देखा, फिर सिल दिया मथुरा में पेट दर्द से परेशान 32 साल के युवक ने खुद ही अपना ऑपरेशन कर लिया। यूट्यूब देखकर उसने ऑपरेशन का तरीका सीखा, फिर इंटरनेट पर एनेस्थेसिया इंजेक्शन के बारे में पढ़ा। इसके बाद घर के पास से 200 मीटर दूर मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन, सर्जिकल ब्लेड और दवाएं लेकर आया। घर पर आकर पेट में दर्द वाली जगह पर ब्लेड से 7 सेंटीमीटर चीर दिया। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर