हरियाणा की बहादुरगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार दिनेश कौशिक का विरोध शुरू हो गया है। कौशिक का विरोध किसी और ने नहीं, बल्कि उनके ही सगे बड़े भाई नरेश कौशिक ने किया है। नरेश का आरोप है कि उनका छोटा भाई अहंकारी है। उन्होंने कहा, ‘टिकट मिले हुए उसे 3 दिन हो गए, लेकिन उसने आज तक मुझे एक कॉल तक करना ठीक नहीं समझा। भले ही हमारे बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन मैंने कभी अपने भाई के खिलाफ कुछ नहीं बोला। उल्टा वह मेरे खिलाफ लगातार गलत बयानबाजी करता रहा।’ नरेश ने फूट-फूटकर रोते हुए कहा, ‘मेरे परिवार में बेटी (दिनेश की बेटी) की शादी थी, लेकिन इस आदमी (दिनेश कौशिक) ने मुझे उस शादी तक में शामिल नहीं होने दिया। वह बहुत बड़ा अहंकारी है। मेरे परिवार को साजिश के तहत तोड़ा गया।’ शुक्रवार को नरेश कौशिक ने बहादुरगढ़ शहर में अपने समर्थकों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने बगैर नाम लिए ओमप्रकाश धनखड़ पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके परिवार में ही फूट डाल दी। पूर्व विधायक नरेश कौशिक ने कहा इस परिस्थिति में पार्टी के कैंडिडेट का समर्थन कैसे संभव है? जो उनके पास एक कॉल तक नहीं कर सकता। मेरे साथ साजिश रची गई। मेरे घर को लूटने काम किया गया। मेरे परिवार को लूटने का काम किया गया। मेरी राजनीति को खत्म करने की कोशिश की गई। इसलिए मैंने पार्टी को कहा- ये फैसला बदलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम चुनाव लड़ेंगे तो कमल के फूल पर लड़ेंगे। मैंने हमेशा पार्टी हित के लिए काम किया है। मैंने उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाई जो लोग कहते थे वोट डालकर दिखा देना। हमने दो बार दीपेंद्र हुड्डा को यहां से हराने का काम किया। मुझे दुख इस बात का है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मैं बीमार हो गया। अगर मैं बीमार नहीं होता तो अबकी बार भी दीपेंद्र को यहां से हराकर भेजते। जो नेता अपनी सीट नहीं जीत पाए वो पूरे झज्जर जिले की सीट दिलाने का काम करते है और वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को घुमराह कर मेरे भाई को लेकर गए। उन्हें पता था कि उनका भाई जीत नहीं सकता। क्योंकि नरेश कौशिक के साथ हलके की जनता हैं। इसी साजिश के तहत मेरी टिकट कटवाई गई। नरेश ने कहा कि पार्टी दो दिन में अपना फैसला बदले। वरना उसके बाद कार्यकर्ता जो फिर फैसला लेंगे मुझे मंजूर हैं। हालांकि नरेश कौशिक ने पार्टी नहीं छोड़ी हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी वह पार्टी में थे और आज भी बीजेपी में हैं। आगे का निर्णय कार्यकर्ता लेंगे। पिछले चुनाव में मिली थी हार बता दें कि नरेश कौशिक बहादुरगढ़ में बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं। 2014 में वह इसी सीट से बीजेपी की टिकट पर जीतकर विधायक चुने गए थे। हालांकि 2019 में पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट दिया, लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र जून के सामने चुनाव हार गए। इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनके छोटे भाई दिनेश कौशिक को दिया। दोनों भाइयों के बीच मतभेद काफी समय से चले आ रहे है। इसी के चलते नरेश कौशिश दिनेश को टिकट दिए जाने से खासे नाराज दिखे। नरेश कौशिक का टिकट कटने की एक वजह उनका आईएनएलडी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या में नाम आना भी रहा। हालांकि नफे सिंह राठी हत्याकांड की जांच अभी सीबीआई कर रही हैं। राठी के परिवार ने कौशिक सहित आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को नामजद कराया था। सीबीआई की टीम नरेश कौशिक के अलावा अन्य नामजद लोगों से पूछताछ भी कर चुकी है। हरियाणा की बहादुरगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार दिनेश कौशिक का विरोध शुरू हो गया है। कौशिक का विरोध किसी और ने नहीं, बल्कि उनके ही सगे बड़े भाई नरेश कौशिक ने किया है। नरेश का आरोप है कि उनका छोटा भाई अहंकारी है। उन्होंने कहा, ‘टिकट मिले हुए उसे 3 दिन हो गए, लेकिन उसने आज तक मुझे एक कॉल तक करना ठीक नहीं समझा। भले ही हमारे बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन मैंने कभी अपने भाई के खिलाफ कुछ नहीं बोला। उल्टा वह मेरे खिलाफ लगातार गलत बयानबाजी करता रहा।’ नरेश ने फूट-फूटकर रोते हुए कहा, ‘मेरे परिवार में बेटी (दिनेश की बेटी) की शादी थी, लेकिन इस आदमी (दिनेश कौशिक) ने मुझे उस शादी तक में शामिल नहीं होने दिया। वह बहुत बड़ा अहंकारी है। मेरे परिवार को साजिश के तहत तोड़ा गया।’ शुक्रवार को नरेश कौशिक ने बहादुरगढ़ शहर में अपने समर्थकों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने बगैर नाम लिए ओमप्रकाश धनखड़ पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके परिवार में ही फूट डाल दी। पूर्व विधायक नरेश कौशिक ने कहा इस परिस्थिति में पार्टी के कैंडिडेट का समर्थन कैसे संभव है? जो उनके पास एक कॉल तक नहीं कर सकता। मेरे साथ साजिश रची गई। मेरे घर को लूटने काम किया गया। मेरे परिवार को लूटने का काम किया गया। मेरी राजनीति को खत्म करने की कोशिश की गई। इसलिए मैंने पार्टी को कहा- ये फैसला बदलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम चुनाव लड़ेंगे तो कमल के फूल पर लड़ेंगे। मैंने हमेशा पार्टी हित के लिए काम किया है। मैंने उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाई जो लोग कहते थे वोट डालकर दिखा देना। हमने दो बार दीपेंद्र हुड्डा को यहां से हराने का काम किया। मुझे दुख इस बात का है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मैं बीमार हो गया। अगर मैं बीमार नहीं होता तो अबकी बार भी दीपेंद्र को यहां से हराकर भेजते। जो नेता अपनी सीट नहीं जीत पाए वो पूरे झज्जर जिले की सीट दिलाने का काम करते है और वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को घुमराह कर मेरे भाई को लेकर गए। उन्हें पता था कि उनका भाई जीत नहीं सकता। क्योंकि नरेश कौशिक के साथ हलके की जनता हैं। इसी साजिश के तहत मेरी टिकट कटवाई गई। नरेश ने कहा कि पार्टी दो दिन में अपना फैसला बदले। वरना उसके बाद कार्यकर्ता जो फिर फैसला लेंगे मुझे मंजूर हैं। हालांकि नरेश कौशिक ने पार्टी नहीं छोड़ी हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी वह पार्टी में थे और आज भी बीजेपी में हैं। आगे का निर्णय कार्यकर्ता लेंगे। पिछले चुनाव में मिली थी हार बता दें कि नरेश कौशिक बहादुरगढ़ में बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं। 2014 में वह इसी सीट से बीजेपी की टिकट पर जीतकर विधायक चुने गए थे। हालांकि 2019 में पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट दिया, लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र जून के सामने चुनाव हार गए। इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनके छोटे भाई दिनेश कौशिक को दिया। दोनों भाइयों के बीच मतभेद काफी समय से चले आ रहे है। इसी के चलते नरेश कौशिश दिनेश को टिकट दिए जाने से खासे नाराज दिखे। नरेश कौशिक का टिकट कटने की एक वजह उनका आईएनएलडी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या में नाम आना भी रहा। हालांकि नफे सिंह राठी हत्याकांड की जांच अभी सीबीआई कर रही हैं। राठी के परिवार ने कौशिक सहित आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को नामजद कराया था। सीबीआई की टीम नरेश कौशिक के अलावा अन्य नामजद लोगों से पूछताछ भी कर चुकी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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चरखी दादरी के बेटे ने रचा इतिहास:पेरिस पैरालंपिक में जीता गोल्ड, खेल से संवरी जिंदगी, देश को किया गौरवान्वित हरियाणा के नितेश कुमार जो चरखी दादरी के नांदा गांव से ताल्लुक रखते हैं। जिन्होंने आज पैरा बैडमिंटन पेरिस पैरालंपिक के पुरुष एकल एसएल 3 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। फाइनल मुकाबले में उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 18-21, 23-21 के स्कोर से मात दी। इस जीत ने नितेश की कठिनाइयों और संघर्षों से भरी यात्रा को एक शानदार अंत दिया है। सीएम सैनी ने दी बधाई नितेश कुमार की इस उपलब्धि पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने उन्हें बधाई दी है। सीएम सैनी ने सोशल साइट एक्स पर लिखा, “हरियाणा के बाढ़डा के नांधा गांव के लाल नितेश कुमार ने मेंस सिंगल्स SL3 – बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। इस स्वर्णिम उपलब्धि के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। आप भविष्य में भी ऐसे ही सफलता के नए आयाम छूते रहें। हम सभी को आप पर गर्व है।” हादसे ने छीना पैर, लेकिन नहीं तोड़ी हिम्मत 2009 में जब नितेश केवल 15 साल के थे, विशाखापत्तनम में एक ट्रेन हादसे ने उनकी जिंदगी को हिला कर रख दिया था। इस हादसे में नितेश ने अपना एक पैर खो दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यह वही समय था जब उन्होंने अपने सपनों को नया आकार देने का फैसला किया। महीनों तक बिस्तर पर रहने के बाद नितेश ने खेल को अपने जीवन का नया मकसद बना लिया और बैडमिंटन को अपनी शक्ति का स्रोत बनाया। IIT मंडी से इंजीनियरिंग, खेल में पाया नया मुकाम नितेश ने अपनी पढ़ाई आईआईटी मंडी से बीटेक में की है, लेकिन उनकी असली पहचान बैडमिंटन में मिली। पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन के प्रति उनकी रुचि बढ़ी और उन्होंने इसे ही अपने करियर का हिस्सा बना लिया।वर्तमान में, नितेश करनाल के कर्ण स्टेडियम में कोच के रूप में सेवा दे रहे हैं, जहां वह युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। नितेश परिजनों का मानना है कि खेल ने ही उसे जीवन में नई दिशा दी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाया दम नितेश की खेल उपलब्धियों की सूची लंबी है। उन्होंने 2018 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता, 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया, और 2022 और 2024 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसने उन्हें एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। पिता से मिली प्रेरणा, कोच ने दिखाई राह नितेश के पिता, जो पहले नौसेना में थे और अब राजस्थान में एक निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं, हमेशा से नितेश के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। नितेश का सपना था कि वह भी अपने पिता की तरह वर्दी पहनें, लेकिन हादसे के बाद उन्होंने खेल को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उनके कोच और परिवार ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। गांव में जश्न का माहौल नितेश की इस ऐतिहासिक जीत के बाद उनके गांव नांदा में जश्न का माहौल है। गांव के लोग उनके परिवार के साथ मिलकर उनकी इस बड़ी उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं। नितेश की यह जीत न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
हरियाणा कांग्रेस में CM पद को लेकर रस्साकशी:सैलजा की प्रस्तावित यात्रा देख हुड्डा ने बेटे को किया आगे, दीपेंद्र निकालेंगे गांव-गांव पदयात्रा
हरियाणा कांग्रेस में CM पद को लेकर रस्साकशी:सैलजा की प्रस्तावित यात्रा देख हुड्डा ने बेटे को किया आगे, दीपेंद्र निकालेंगे गांव-गांव पदयात्रा हरियाणा कांग्रेस में सीएम पद को लेकर रस्साकशी चल रही है। सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा ने एक सप्ताह पहले घोषणा की थी कि वह हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले शहरी क्षेत्र में पदयात्रा निकालेंगी। यह पदयात्रा शहरी क्षेत्रों में पहुंचेगी। इस यात्रा का रूट प्लान को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शैलजा फिलहाल निजी काम से विदेश में हैं, उनके लौटते ही पदयात्रा का कार्यक्रम तय किया जाएगा। शैलजा के इस पदयात्रा के बारे में घोषणा करते ही पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने अपने सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को आगे रखकर रथ यात्रा का कार्यक्रम फाइनल कर दिया। पूर्व सीएम हुड्डा के एक महीने के कार्यक्रम का शेड्यूल पहले से ही तय था। ऐसे में दीपेंद्र हुड्डा को शैलजा से आगे रखा गया है। शैलजा से पहले रथ यात्रा निकालकर हुड्डा हाईकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि हरियाणा में प्रचार की जिम्मेदारी पूरी तरह से उन्होंने संभाल ली है। इस बीच, शैलजा समर्थकों ने कुमारी शैलजा को जूनियर हुड्डा की रथ यात्रा के बारे में जानकारी दे दी है। शैलजा जल्द ही विदेश से हरियाणा लौट सकती हैं। कुमारी शैलजा जुलाई के अंतिम सप्ताह में यात्रा शुरू करेंगी। कुमारी सैलजा : 44 विधानसभा सीटों कवर करेंगी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश के जिन 44 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई, उनमें से अधिकतर शहरी क्षेत्र हैं। विधानसभा चुनाव बिल्कुल सिर पर है। ऐसे में कांग्रेस को शहरी क्षेत्रों पर फोकस करने की जरूरत है। इसलिए सैलजा शहरी इलाकों में पदयात्रा निकालकर पार्टी को मजबूत करना चाहती है। सैलजा खेमे ने बताया कि जुलाई के अंतिम सप्ताह में पद यात्रा शुरू करने की प्लानिंग तैयार की जा रही है। जल्द ही तारीख की घोषणा के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को मीडिया के माध्यम से यात्रा का रूट जारी कर दिया जाएगा। इस पदयात्रा को लेकर कुछ अहम जिम्मेदारियां भी कार्यकर्ताओं को सौंपी जानी हैं। इसके लिए कार्यकर्ता मीटिंग बुलाई जाएगी। दीपेंद्र हुड्डा : कल से निकालेंगे पदयात्रा, जीटी बेल्ट पर रहेगा फोकस कुमारी सैलजा से पहले दीपेंद्र हुड्डा कल यानी 15 जुलाई से पदयात्रा निकालेंगे। यह पदयात्रा शहरों में निकलेगी और दीपेंद्र हुड्डा रोजाना करीब 5 किमी चलेंगे। इसके अलावा गांवों में यात्रा के लिए मिनी बस तैयार की जा रही है। इस पदयात्रा में लोगों से संवाद किया जाएगा और भाजपा सरकार की नाकामियों पर जनता से सीधा संवाद किया जाएगा। दीपेंद्र हुड्डा कल 15 जुलाई करनाल से इस यात्रा की शुरुआत करेंगे। करनाल की पुरानी अनाज मंडी से इसकी शुरुआत हो रही है। दीपेंद्र पहले सप्ताह में 9 अलग-अलग जिलों के 14 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे। शुरुआत में जीटी रोड बेल्ट पर फोकस रहेगा। भूपेंद्र हुड्डा : रथयात्रा निकालेंगे वर्ग सम्मेलन करेंगे
दीपेद्र हुड्डा की पदयात्रा के बाद भूपेंद्र हुड्डा 20 अगस्त के बाद प्रदेश में रथ यात्रा निकालेंगे। इस रथ यात्रा में कांग्रेस हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान साथ रहेंगे। यह रथ यात्रा सभी 90 विधानसभा में जाएगी। इसके अलावा हुड्डा वर्ग सम्मेलन करेंगे। इसकी शुरुआत हिसार से ही होगी। 28 जुलाई को हिसार में गुरु दक्ष प्रजापति महाराज की जयंती मनाई जाएगी। इसके बाद 3 अगस्त को सोनीपत में बीसीए सम्मेलन, 4 अगस्त को गुरुग्राम में मजदूर एवं सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी सम्मेलन, 9 अगस्त को महेंद्रगढ़ में पूर्व सैनिक सम्मेलन, 10 अगस्त को अनुसूचित जाति सम्मेलन, 11 अगस्त को पानीपत में व्यापारी सम्मेलन, 16 अगस्त को भिवानी में महिला सम्मेलन, 17 अगस्त को फरीदाबाद में एनआरआई सम्मेलन तथा 18 अगस्त को करनाल में मदन लाल ढींगरा की पुण्यतिथि कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। हर बार गुटबाजी भारी पड़ी
हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान 2 विधानसभा और 3 लोकसभा चुनाव में उठाया है। लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई। किरण अब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गई है। किरण चौधरी ने तो हुड्डा कैंप पर उनकी सियासी हत्या की साजिश रचने जैसे आरोप तक लगाए थे। गुरुग्राम, रेवाड़ी जिलों में लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव कांग्रेस का बड़ा चेहरा है मगर हुड्डा से उनकी कुछ खास नहीं बनती। इसी तरह कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह जैसे नेताओं की भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दूरी बनाए रहते हैं।
पेरिस ओलिंपिक में आगे बढ़ा करनाल का बलराज:रोइंग में क्वार्टरफाइनल के लिए किया क्वालिफाई; परिवार में खुशी, मां बोली- गोल्ड लाएगा बेटा
पेरिस ओलिंपिक में आगे बढ़ा करनाल का बलराज:रोइंग में क्वार्टरफाइनल के लिए किया क्वालिफाई; परिवार में खुशी, मां बोली- गोल्ड लाएगा बेटा हरियाणा के करनाल के कैमला गांव के बलराज पंवार ने ओलिंपिक रोइंग में क्वार्टरफाइनल मुकाबले के लिए क्वालिफाई कर लिया है। आपको बता दें कि 27 जुलाई को हिट्स राउंड में बलराज पंवार चौथे स्थान पर रहे थे, जिसके बाद उनके पास एक रिपीचेज राउंड का मौका था और इसको उन्होंने नहीं गंवाया। आज रिपीचेज राउंड में बलराज दूसरे स्थान पर रहे। उन्होंने 7 मिनट 12 सेकेंड और 41 मिलीसेकेंड में अपनी रेस को पूरा किया। पेरिस ओलिंपिक में मुकाबले में मोनाको के खिलाड़ी ने उन्हें दो सेकेंड से मात दी, लेकिन बलराज से मेडल की उम्मीद अब भी बरकरार है। आपको बता दें कि प्रत्येक रिपीचेज में पहले 2 खिलाड़ी क्वार्टरफाइनल के लिए क्वालिफाई करेंगे। शेष खिलाड़ी सेमीफाइनल ई/एफ में जाएंगे। पहले मुकाबले में चौथे स्थान पर था बलराज बलराज ने शुरुआत में तेज गति दिखाई और तीसरे स्थान पर थे, लेकिन एल्बन्ना ने जल्दी ही उन्हें पीछे छोड़ दिया। पहले 500 मीटर का चेकपॉइंट एल्बन्ना ने 1:41.94 में पार किया जबकि बलराज 1:43.53 पर थे। 1000 मीटर के निशान पर बलराज और एल्बन्ना एक दूसरे के करीब थे, जबकि मैकिन्टोश ने बड़ी बढ़त बना रखी थी। बलराज ने अंतिम 100 मीटर में भी मिस्री खिलाड़ी पर दबाव बनाए रखा, लेकिन 2000 मीटर की हीट 7:07.11 में पूरी की, जो एल्बन्ना से 2 सेकेंड पीछे थी। उम्मीद है गोल्ड मेडल आएगा: मां बलराज की मां कमला, बहन मनीषा, भाई संदीप व पत्नी सोनिया का कहना है कि हमें बलराज की मेहनत पर पूरा भरोसा है। जिस तरह से आज बलराज ने अपना प्रदर्शन दिखाया है, वह दूसरे स्थान पर रहा है और क्वार्टर फाइनल में पहुंच गया है। वह सेमीफाइनल में भी पहुंचेगा और फाइनल में भी। वह जीतकर देश का नाम जरूर रोशन करेगा और इसकी उम्मीदें हमें भी है और पूरे देश को भी।