बहुचर्चित हाथरस कांड के 4 साल पूरे:भाई बोला- जब तक पूरा न्याय नहीं मिलेगा बहन की अस्थियों को विसर्जित नहीं करूंगा

बहुचर्चित हाथरस कांड के 4 साल पूरे:भाई बोला- जब तक पूरा न्याय नहीं मिलेगा बहन की अस्थियों को विसर्जित नहीं करूंगा

हाथरस कांड को आज 4 साल पूरे हो चुके हैं। 14 सितंबर 2020 को आज के ही दिन चंदपा कोतवाली क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी में अनुसूचित जाति की एक युवती के साथ दरिंदगी हुई थी। इसके बाद 29 सितंबर 2020 को इस युवती ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया था। मामले में इसी गांव के संदीप, रवि रामू और लवकुश के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने बिना घर वालों की सहमति के युवती के शव का रात्रि में ही अंतिम संस्कार कर दिया था। इस घटना को लेकर योगी सरकार की काफी फजीहत हुई थी। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारियों को निलंबित किया गया था। मामले की जांच सीबीआई को सौंप गई थी और सीबीआई ने न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया था। 2 मार्च 2023 को इस मामले में स्थानीय न्यायालय का फैसला आया था। न्यायालय ने इसे गैंगरेप का मामला नहीं माना था। न्यायालय ने इसे गैर इरादतन हत्या का मामला माना था। न्यायालय ने तीन आरोपियों रामू, रवि और लवकुश को निर्दोष माना था और एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तीनों आरोपी जमानत पर पहले से ही जेल से रहा हो चुके थे। संदीप अभी जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी गई थी। 4 साल बाद भी पीड़ित परिवार सुरक्षा के कड़े घेरे में रह रहा है। बिटिया के भाई का कहना है कि वह और उसके परिवार के 9 सदस्य आज सुरक्षा के बीच कैदियों जैसी जिंदगी बिता रहे हैं। उसका और उसके भाई का 4 साल पहले ही रोजगार छूट गया था। उस समय सरकार ने परिवार की एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आवास देने का वादा किया था, लेकिन यह बात अभी तक पूरा नहीं हुआ। कोर्ट का आदेश भी सरकार ने नहीं माना। न्याय के लिए जारी रहेगी जंग
बिटिया के भाई का कहना है कि उसे अभी तक पूरा न्याय नहीं मिला है। न्याय के लिए उसकी जंग जारी रहेगी। उसका यह भी कहना है कि जब तक उन्हें पूरा न्याय नहीं मिलेगा, वह अपनी बहन की अस्थियों को विसर्जित नहीं करेगा। हाथरस कांड को आज 4 साल पूरे हो चुके हैं। 14 सितंबर 2020 को आज के ही दिन चंदपा कोतवाली क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी में अनुसूचित जाति की एक युवती के साथ दरिंदगी हुई थी। इसके बाद 29 सितंबर 2020 को इस युवती ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया था। मामले में इसी गांव के संदीप, रवि रामू और लवकुश के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने बिना घर वालों की सहमति के युवती के शव का रात्रि में ही अंतिम संस्कार कर दिया था। इस घटना को लेकर योगी सरकार की काफी फजीहत हुई थी। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारियों को निलंबित किया गया था। मामले की जांच सीबीआई को सौंप गई थी और सीबीआई ने न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया था। 2 मार्च 2023 को इस मामले में स्थानीय न्यायालय का फैसला आया था। न्यायालय ने इसे गैंगरेप का मामला नहीं माना था। न्यायालय ने इसे गैर इरादतन हत्या का मामला माना था। न्यायालय ने तीन आरोपियों रामू, रवि और लवकुश को निर्दोष माना था और एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तीनों आरोपी जमानत पर पहले से ही जेल से रहा हो चुके थे। संदीप अभी जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी गई थी। 4 साल बाद भी पीड़ित परिवार सुरक्षा के कड़े घेरे में रह रहा है। बिटिया के भाई का कहना है कि वह और उसके परिवार के 9 सदस्य आज सुरक्षा के बीच कैदियों जैसी जिंदगी बिता रहे हैं। उसका और उसके भाई का 4 साल पहले ही रोजगार छूट गया था। उस समय सरकार ने परिवार की एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आवास देने का वादा किया था, लेकिन यह बात अभी तक पूरा नहीं हुआ। कोर्ट का आदेश भी सरकार ने नहीं माना। न्याय के लिए जारी रहेगी जंग
बिटिया के भाई का कहना है कि उसे अभी तक पूरा न्याय नहीं मिला है। न्याय के लिए उसकी जंग जारी रहेगी। उसका यह भी कहना है कि जब तक उन्हें पूरा न्याय नहीं मिलेगा, वह अपनी बहन की अस्थियों को विसर्जित नहीं करेगा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर