<p style=”text-align: justify;”>छत्तीसगढ़ के कांकेर में बागेश्वर धाम सरकार के बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सामने 11 परिवारों ने धर्म वापसी की है. हिंदू धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को मानने वाले 11 परिवारों ने धीरेंद्र शास्त्री के सामने वापस हिंदू धर्म को अपना लिया है. इस दौरान डिप्टी सीएम विजय शर्मा भी मौजूद रहे. कांकेर सासंद भोजराज नाग, विधायक आशाराम नेताम ने पैर धुलवाकर वापसी करवाई. नरहर देव मैदान में दरबार के दौरान पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने वापसी कराई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह ख़बर अपडेट की जा रही है…</strong></p> <p style=”text-align: justify;”>छत्तीसगढ़ के कांकेर में बागेश्वर धाम सरकार के बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सामने 11 परिवारों ने धर्म वापसी की है. हिंदू धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को मानने वाले 11 परिवारों ने धीरेंद्र शास्त्री के सामने वापस हिंदू धर्म को अपना लिया है. इस दौरान डिप्टी सीएम विजय शर्मा भी मौजूद रहे. कांकेर सासंद भोजराज नाग, विधायक आशाराम नेताम ने पैर धुलवाकर वापसी करवाई. नरहर देव मैदान में दरबार के दौरान पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने वापसी कराई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह ख़बर अपडेट की जा रही है…</strong></p> छत्तीसगढ़ अब्दुल रहीम राथर बने जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर, करेंगे पहले सत्र की अध्यक्षता
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करनाल में संदिग्ध परिस्थितियों में युवती लापता:समुदाय विशेष के लड़के पर अपहरण का आरोप, परिवार बोले- लड़की को बहला-फुसलाकर ले गया हरियाणा के करनाल के असंध थाने में एक युवक पर 18 साल की लड़की को अगवा करने का आरोप लगा है। लड़की पिछले 8-10 दिनों से अपने मामा के घर रह रही थी और अचानक घर से गायब हो गई। परिजनों को शक है कि युवक उसे बहला-फुसलाकर ले गया है। परिजनों ने लड़की की तलाश की लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा। जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। समुदाय विशेष के युवक पर आरोप लड़की के भाई ने पुलिस को बताया कि उसकी चचेरी बहन एक समुदाय विशेष के युवक के संपर्क में थी, उसे समझाने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं मानी। 5 जुलाई की सुबह 3 बजे बहन अपने घर से गायब हो गई। भाई ने बताया कि बहन का मोबाइल नंबर बंद है और जब युवक के घर पर फोन किया गया तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया। जब कहा गया कि हम पुलिस में शिकायत करेंगे तो उनकी तरफ से जवाब मिला कि जो करना है कर लो। युवती से करवाया भाई के पास फोन युवक ने मेरी बहन से फोन करवाकर मुझे धमकी भी दी कि उसे ढूंढने की कोशिश मत करो। युवक एक विशेष समुदाय से है और वह हमारी बहन को बहला-फुसलाकर ले गया है, जिससे उसकी जान को खतरा है। आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस ने किया मामला दर्ज असंध थाना के जांच अधिकारी श्री भगवान ने बताया कि असंध थाना में यह मामला दर्ज किया गया है और पुलिस ने धारा 137, 87 BNS के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि युवती को सुरक्षित वापस लाया जा सके और दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सके।
यूपी के IAS-IPS केंद्र के पैमाने पर खरे नहीं:कभी रहता था वर्चस्व, अब आधे भी नहीं; टॉप-4 पोस्ट पर एक भी नहीं
यूपी के IAS-IPS केंद्र के पैमाने पर खरे नहीं:कभी रहता था वर्चस्व, अब आधे भी नहीं; टॉप-4 पोस्ट पर एक भी नहीं एक समय था, जब यूपी की ब्यूरोक्रेसी पूरे देश में फैली रहती थी। केंद्र में भी बड़ी संख्या में IAS-IPS यूपी कैडर के ही रहते थे। लेकिन, अब स्थिति पलट चुकी है। केंद्र में यूपी के गिने-चुने अफसर ही नजर आ रहे हैं। IPS के मुकाबले IAS की स्थिति ज्यादा खराब है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर यूपी के कितने अफसर हो सकते हैं, लेकिन कितने हैं? पहले कितने रहे हैं? इस समय किन अहम पदों पर यूपी के अफसर तैनात हैं? संख्या घटने की वजह क्या है? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की। पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट… पहले जानते हैं, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कितने आईएएस हैं?
यूपी में कुल IAS अफसरों की स्ट्रेंथ 652 है। इसमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकतम कोटा 141 का फिक्स है। दो दशक पहले तक केंद्र में यूपी के अफसरों का दबदबा रहता था। यह संख्या 70-75 होती थी। कैबिनेट सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी, फाइनेंस सेक्रेटरी, डिफेंस सेक्रेटरी जैसे बड़े पदों पर यूपी के अफसर तैनात रह चुके हैं। लेकिन, आज की तारीख में यूपी के अफसर इस तरह के महत्वपूर्ण पदों से दूर हैं। यूपी कॉडर के केवल 33 IAS केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसमें सेक्रेटरी रैंक के अफसरों की संख्या मात्र 5 है। खास बात यह भी है कि यूपी के 6 IAS ऐसे हैं, जो किसी न किसी मंत्री के निजी सचिव हैं। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन बताते हैं- एक दौर था, जब यूपी के अफसरों का दिल्ली में दबदबा रहता था। कैबिनेट सेक्रेटरी, सेक्रेटरी होम, सेक्रेटरी फाइनेंस, सेक्रेटरी डिफेंस जैसे महत्वपूर्ण पदों में से कोई न कोई पद यूपी के अफसरों के पास रहता था। लेकिन, हाल के दिनों में यूपी से केंद्र जाने वाले अफसरों की संख्या काफी कम हुई है। इसकी कई वजह हैं। पहली वजह- डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर कोई भी अफसर केंद्र में तैनाती नहीं चाहता। राज्य में रहने से वह किसी भी जिले का डीएम बन सकता है। या फिर सचिवालय में उसे अच्छी पोस्टिंग मिल सकती है। दूसरी वजह- अच्छे अफसरों को राज्य सरकार भी नहीं छोड़ती। केंद्र में जाने के लिए NOC की जरूरत होती है। तीसरी वजह- केंद्र सरकार का 360 डिग्री पैमाना है, जिसमें बड़ी संख्या में यूपी के अफसर फेल हो जाते हैं। जब यह व्यवस्था नहीं थी, उस समय निर्धारित कोटे के कम से कम आधे अफसर तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते ही थे। क्या है 360 डिग्री फार्मूला आलोक रंजन बताते हैं- हर अफसर का हर साल परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन होता है। पहले इसी इवैल्यूएशन के आधार पर केंद्र में तैनाती मिल जाती थी। लेकिन, कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने एक स्क्रीनिंग कमेटी बना दी है। इसमें रिटायर्ड अफसरों को रखा गया है। इनका काम सिर्फ परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन ही नहीं, आईएएस या आईपीएस के लिए पब्लिक से भी फीडबैक लेना भी है। जैसे संबंधित अधिकारी की इमेज कैसी है, सत्यनिष्ठा कितनी है? कर्तव्यों का कितना पालन करता है? इस तरह के फीडबैक लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा जाता है। PMO भी फिर उसे अपने पैमाने पर परखता है। उसके बाद किसी अधिकारी को केंद्र में किसी पद के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। यूपी के वे अफसर जो रहे सर्वोच्च पदों पर
यूपी कॉडर के कई IAS केंद्र में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रह चुके हैं। इनमें बतौर कैबिनेट सेक्रेटरी बीके चतुर्वेदी, पीके सिन्हा, अजीत सेठ, कमल पांडेय, प्रभात कुमार, सुरेंद्र सिंह जैसे अफसरों के नाम शामिल हैं। अब बात IPS अफसरों की
यूपी में IPS की कुल स्ट्रेंथ 541 है। इसमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का कोटा 117 अफसरों का तय है। पहले केंद्र में नियुक्ति की यह संख्या 60-65 होती थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति में यूपी के मात्र 31 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। इसके अलावा दो अन्य अफसरों संजय सिंघल और राजा श्रीवास्तव को केंद्र में तैनाती दी गई है। लेकिन, यूपी सरकार ने उन्हें अभी रिलीव नहीं किया है। मौजूदा समय में केंद्रीय अर्धसैनिक बल की दो अलग-अलग फोर्स के मुखिया यूपी के IPS अफसर हैं। इसमें NDRF के डीजी पीयूष आनंद और BSF के डीजी दलजीत चौधरी तैनात हैं। यूपी के पूर्व DGP ओम प्रकाश सिंह बताते हैं- केंद्र में इंपैनलमेंट के लिए जब से प्रक्रिया को थोड़ा कठिन बनाया गया, तभी से यूपी के अफसरों की दिल्ली में तैनाती कम हो गई। केंद्र में तैनाती के लिए अब सिर्फ परफॉर्मेंस रिपोर्ट ही मायने नहीं रखती। सीनियर रिटायर IAS-IPS की स्क्रीनिंग कमेटी संबंधित अधिकारी की ईमानदारी, एकाग्रता, काम करने की क्षमता के पैमाने पर आंकती है। अगर इसमें अधिकारी फिट बैठता है, तभी उसे केंद्र में तैनाती मिलती है। इसके अलावा किसी भी बैच से अधिकतम 20 फीसदी अफसर ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चुने जाते हैं। पहले इसकी सीमा तय नहीं थी। ओम प्रकाश सिंह बताते हैं- 2 साल पहले स्थिति और भी खराब थी। उस समय यूपी का एक भी अफसर किसी भी फोर्स का मुखिया नहीं था। कम अफसर ऐसे रहे हैं, जिन्हें केंद्र में दो-दो फोर्स की जिम्मेदारी के साथ यूपी का डीजीपी बनने का मौका मिला हो। मैं उनमें से एक रहा हूं। पहले डीजी एनडीआरएफ और फिर डीजी सीआईएसएफ बना था। बाद में यूपी का डीजीपी भी रहा। ओम प्रकाश सिंह के अलावा प्रकाश सिंह बीएसएफ के डीजी, असम के डीजी और यूपी के डीजी रहे हैं। आईपीएस रैंक में सबसे अहम पद केंद्र में आईबी और सीबीआई चीफ का होता है। यूपी कॉडर के आखिरी आईबी डायरेक्टर 1972 बैच के आईपीएस राजीव माथुर थे। राजीव माथुर का कार्यकाल जनवरी, 2009 से दिसंबर, 2010 तक था। इंपैनलमेंट नहीं हुआ, तो निचले पद पर मिलती है तैनाती
ओम प्रकाश सिंह कहते हैं- किसी भी अफसर का अगर इंपैनलमेंट नहीं होता, तो उसे उस रैंक में काम करने का मौका नहीं मिलता। अगर कोई एडीजी रैंक का अफसर है और उसका केंद्र सरकार में इंपैनलमेंट नहीं हुआ है, तो वह जूनियर पोस्ट पर तैनात रहेगा। मसलन यूपी कॉडर के 1989 बैच के आईपीएस अदित्य मिश्रा का केंद्र में इंपैनलमेंट नहीं है। वह एडीजी की पोस्ट पर वहां काम देख रहे हैं। उनसे जूनियर 1990 बैच के दलजीत चौधरी और 1991 बैच के पीयूष आनंद के पास अलग-अलग फोर्स की कमान है। ओम प्रकाश सिंह के मुताबिक, केंद्र में आमतौर पर 50-60 आईपीएस की तैनाती पहले रही है। हाल के दिनों में यह संख्या कम होती चली गई है। यह हाल तब है, जब कई अफसर 10-10 साल से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। अगर वे वापस आते हैं, तो स्थिति और दयनीय हो जाएगी। ————————- ये भी पढ़ें… योगी सरकार का प्रमोटी अफसरों पर भरोसा नहीं, प्रदेश में सिर्फ 13 प्रमोटी IPS कप्तान, 23 प्रमोटी IAS जिलाधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार को प्रमोटी आईपीएस अफसरों पर भरोसा नहीं है। प्रमोट होकर आईपीएस बने अफसरों को जिला संभालने का मौका कम ही मिल रहा है। इस समय सिर्फ 13 जिले के कप्तान प्रमोटी आईपीएस अफसर हैं। यह आंकड़ा दूसरी सरकारों से कम है। हालांकि प्रमोट होकर आईएएस अफसर बनने वालों की स्थिति ज्यादा बेहतर है। इस समय 23 प्रमोटी आईएएस अफसर डीएम हैं। यूपी में कॉडर स्ट्रेंथ के हिसाब से कुल आईपीएस के पदों में 33 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरे जाते हैं, जबकि बाकी के पद डायरेक्ट भरे जाते हैं। पढ़ें पूरी खबर….
नितेश राणे बोले, ‘सुप्रिया ताई को सैफ अली खान की चिंता, सुशांत सिंह राजपूत की नहीं थी क्योंकि…’
नितेश राणे बोले, ‘सुप्रिया ताई को सैफ अली खान की चिंता, सुशांत सिंह राजपूत की नहीं थी क्योंकि…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Nitesh Rane On Supriya Sule:</strong> महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी विधायक नितेश राणे ने सैफ अली खान पर हुए हमले को लेकर सुप्रिया सुले के बयान के बाद प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि एनसीपी (SP) सांसद सुप्रिया सुले को अभिनेता सैफ अली खान की चिंता है लेकिन सुशांत सिंह राजपूत को लेकर उनकी कोई चिंता नहीं थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’…क्योकि सुशांत सिंह राजपूत हिंदू थे'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री नितेश राणे ने कहा, ”महाविकास अघाड़ी के शासन के समय तो सुशांत सिंह राजपूत जैसे लोगों को मार दिया गया, उसमें मुख्यमंत्री के बेटे का नाम आया था और अघाड़ी सरकार के मंत्रियों का नाम भी सामने आया था. हमारी सुप्रिया ताई को आर्यन खान की चिंता है, सैफ अली खान की चिंता है लेकिन सुशांत सिंह राजपूत की चिंता नहीं थी क्योंकि वह हिन्दू थे.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले पर शरद पवार गुट से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, ”सैफ अली खान पर हुए हमले और अभिनेता सलमान खान को मिल रही धमकी का कोई लिंक है या नहीं यह तो जांच में पता चलेगा, लेकिन अभी हमारे लिए अभिनेता सैफ अली खान की फैमिली की सुरक्षा हमारे लिए जरुरी है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>15 जनवरी की देर रात सैफ अली खान पर हुआ हमला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि मुंबई के बांद्रा इलाके में बुधवार (15 जनवरी) को देर रात अभिनेता सैफ अली खान के घर में घुसकर एक हमलावर ने उन पर कई बार चाकू से वार किया, जिसमें वो जख्मी हो गए थे. इस घटना के बाद फिल्मी हस्तियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. लीलावती अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि सैफ की सर्जरी के बाद स्थिति खतरे से बाहर है. यह हमला बीती रात करीब 2.30 बजे सतगुरु शरण इमारत की 12वीं मंजिल पर स्थित उनके अपार्टमेंट में हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने हत्या या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ सशस्त्र डकैती का मामला दर्ज किया है. एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमलावर इमारत की सीढ़ियों के जरिये भाग गया था. उसे पकड़ने के लिए पुलिस की 10 टीमें गठित की गई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: </strong><strong><a title=”सैफ अली खान मामले में FIR की कॉपी आई सामने, ‘तुम्हें कितने चाहिए, एक करोड़…'” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/saif-ali-khan-knife-attack-fir-copy-by-mumbai-police-2864351″ target=”_self”>सैफ अली खान मामले में FIR की कॉपी आई सामने, ‘तुम्हें कितने चाहिए, एक करोड़…'</a></strong></p>