डीजीपी प्रशांत कुमार ने बारावफात और विश्वकर्मा जयंती को लेकर फील्ड के अफसरों को सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता बंदाेबस्त करने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रमों के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने सभी जोन के एडीजी, पुलिस कमिश्नर, रेंज के आईजी व डीआईजी, जिलों के एसएसपी व एसपी को भेजे पत्र में कहा है कि पिछले वर्षों में जिन-जिन स्थानों पर किसी तरह का विवाद सामने आया हो, वहाँ पुलिस व राजस्व विभाग के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा स्थिति का अध्ययन कर विवाद को सुलझाने एवं संवेदनशीलता को दूर करने की कार्रवाई की जाये।किसी भी नई परंपरा की अनुमति न दी जाए। असामाजिक तत्वों की सूची को अपडेट करते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जाए। ड्रोन कैमरों से रखी जाएगी हर एक्टिविटी पर नजर डीजीपी ने निर्देश दिए हैं कि शोभायात्रा के दौरान समुचित वीडियोग्राफी कराई जाये, सीसीटीवी कैमरो को सक्रिय करा लिया जाये तथा आवश्यकतानुसार ड्रोन कैमरो से निगरानी रखी जाये। जुलूसों में सुरक्षा के लिये योजनाबद्ध रूप से पुलिस प्रबन्ध किया जाये। जुलूस में बाक्स फार्मेट में चारो तरफ आगे पीछे व दोनो तरफ पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाए। जुलूस के आगे-पीछे राजपत्रित अधिकारियों की ड्यूटी जरूर लगाई जाए। थानाध्यक्ष व क्षेत्राधिकारियों द्वारा प्रत्येक छोटी से छोटी घटना को गम्भीरता से लेते हुए तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण कर विवाद को हल करने के लिए कड़े एवं प्रभावी उपाय किए जाएं। सोशल मीडिया पर रहेगी निगरानी सोशल मीडिया की राउण्ड द क्लॉक मॉनिटरिंग करने के लिए कहा गया है। सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों जैसे-फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर एवं व्हाट्सएप आदि पर सतर्क दृष्टि रखते हुए भ्रामक/आपत्तिजनक पोस्ट प्रसारित होने पर तत्काल संज्ञान लेकर सम्बन्धित के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए और ऐसी सूचनाओं का खंडन किया जाए। डीजीपी प्रशांत कुमार ने बारावफात और विश्वकर्मा जयंती को लेकर फील्ड के अफसरों को सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता बंदाेबस्त करने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रमों के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने सभी जोन के एडीजी, पुलिस कमिश्नर, रेंज के आईजी व डीआईजी, जिलों के एसएसपी व एसपी को भेजे पत्र में कहा है कि पिछले वर्षों में जिन-जिन स्थानों पर किसी तरह का विवाद सामने आया हो, वहाँ पुलिस व राजस्व विभाग के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा स्थिति का अध्ययन कर विवाद को सुलझाने एवं संवेदनशीलता को दूर करने की कार्रवाई की जाये।किसी भी नई परंपरा की अनुमति न दी जाए। असामाजिक तत्वों की सूची को अपडेट करते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जाए। ड्रोन कैमरों से रखी जाएगी हर एक्टिविटी पर नजर डीजीपी ने निर्देश दिए हैं कि शोभायात्रा के दौरान समुचित वीडियोग्राफी कराई जाये, सीसीटीवी कैमरो को सक्रिय करा लिया जाये तथा आवश्यकतानुसार ड्रोन कैमरो से निगरानी रखी जाये। जुलूसों में सुरक्षा के लिये योजनाबद्ध रूप से पुलिस प्रबन्ध किया जाये। जुलूस में बाक्स फार्मेट में चारो तरफ आगे पीछे व दोनो तरफ पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाए। जुलूस के आगे-पीछे राजपत्रित अधिकारियों की ड्यूटी जरूर लगाई जाए। थानाध्यक्ष व क्षेत्राधिकारियों द्वारा प्रत्येक छोटी से छोटी घटना को गम्भीरता से लेते हुए तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण कर विवाद को हल करने के लिए कड़े एवं प्रभावी उपाय किए जाएं। सोशल मीडिया पर रहेगी निगरानी सोशल मीडिया की राउण्ड द क्लॉक मॉनिटरिंग करने के लिए कहा गया है। सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों जैसे-फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर एवं व्हाट्सएप आदि पर सतर्क दृष्टि रखते हुए भ्रामक/आपत्तिजनक पोस्ट प्रसारित होने पर तत्काल संज्ञान लेकर सम्बन्धित के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए और ऐसी सूचनाओं का खंडन किया जाए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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WFI अध्यक्ष संजय सिंह बोले-विनेश कैसे 100 ग्राम से चूकीं?:सरकार जांच कराए; 3 घंटे में अमन ने 4.7 KG वजन घटाया
WFI अध्यक्ष संजय सिंह बोले-विनेश कैसे 100 ग्राम से चूकीं?:सरकार जांच कराए; 3 घंटे में अमन ने 4.7 KG वजन घटाया स्टार रेसलर विनेश फोगाट ओलिंपिक में 100 ग्राम वजन बढ़ने से मेडल पाने से चूक गईं। विनेश को सिल्वर मेडल देने की याचिका को कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) यानी खेल कोर्ट ने खारिज कर दिया। लोगों के जेहन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब अमन सेहरावत 3 घंटे में अपना वजन 4.7 किलोग्राम घटा सकते हैं, तो विनेश 100 ग्राम वजन कम क्यों नहीं कर पाईं। ये कहना है रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह का। पेरिस ओलिंपिक से वाराणसी लौटे संजय सिंह ‘बबलू’ ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। उन्होंने विनेश फोगाट को लेकर क्या कुछ कहा, विस्तार से पढ़िए इंटरव्यू… सवाल : क्या विनेश फोगाट गोल्ड जीत सकती थीं?
जवाब : तैयारी अच्छी थी। गोल्ड जीत सकती थी। अगर फाइनल खेलती तो भारत का गोल्ड मेडल हो सकता था। 100 ग्राम वजन बढ़ने के बाद बातचीत का लंबा दौर चला। लेकिन, मसला हल नहीं हो सका। सवाल : अमन सेहरावत का 4.7 KG वजन घटा लिया गया, तो विनेश कैसे चूक गईं?
जवाब : विनेश फोगाट का 100 ग्राम वजन क्यों कम नहीं हुआ, बड़ा सवाल है। जबकि विनेश के अपने पर्सनल डाइटीशियन थे। खुद के डॉक्टर, फिजियो और पूरा स्टाफ ही उनका था। ऐसे में WFI वजन कम कराने का जिम्मेदार नहीं था। वजन घटाना कोई बड़ा रॉकेट साइंस का काम नहीं था। कम हो सकता था। अमन सहरावत का 4.7 किलोग्राम वजन कैसे कम हुआ? विनेश का वजन क्यों नहीं कम हुआ? उनका सपोर्टिंग स्टाफ ही बता सकता है। सवाल : अमन सेहरावत का वजन कैसे कम हुआ?
जवाब : दिन में साढ़े 12 बजे अमन के वेट लॉस पर काम शुरू हुआ और साढ़े 3 बजे तक वजन 61 KG से घटकर 57 KG आ गया था। हमारे कोच, फिजियो, डाइटीशियन, मेडिकल टीम ने मिलकर काम किया। जबकि, विनेश के केस में ऐसा नहीं था। उनके साथ उनकी पूरी पर्सनल टीम थी। सवाल : विनेश का वजन कम क्यों नहीं हुआ, क्या इसकी जांच कराएंगे?
जवाब : नहीं, अब WFI इसमें कोई जांच नहीं करा सकती। ओलिंपिक संघ (IOA) या फिर भारत सरकार चाहे तो जांच करा सकती है। हमारा काम केवल अप्रूवल देने तक का है। सवाल : क्या अब खेल पंचाट के नियमों में कोई बदलाव होने वाला है?
जवाब : नहीं, जैसा हर ओलिंपिक में रहता है, वैसा ही आगे भी रहेगा। जो जिस गेम का नियम है, वैसा ही होता है। सवाल : खेल पंचाट के नियमों का हर देश में इतनी ही कड़ाई से पालन होता है?
जवाब : खेल पंचाट का नियम है कि 10 ग्राम भी वजन ज्यादा है तो उसको अप्रूवल नहीं दे सकते। यहां लोग नियम पर बात करने लगे कि वजन कम हो जाएगा या बढ़ा लिया जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है। 15 ऐसे खिलाड़ी थे, जिनका वजह 100-50 ग्राम या उससे भी कम था और वो बाहर हो गए। सवाल : अमन सेहरावत से मेडल की उम्मीदें थीं?
जवाब : अमन सेहरावत से तो गोल्ड मेडल की उम्मीद थी। उन्होंने लगातार पूरे साल अच्छा परफॉर्मेंस दिया। वह आगे गोल्ड भी दिलाएंगे। सवाल : रेसलिंग में यूपी का रोल, क्यों यहां के लोग नहीं जाते?
जवाब : यूपी से नेशनल में 3 मेडल्स आए हैं। आगे और प्रयास होगा। लेकिन, यूपी और हरियाणा-पंजाब के पहलवानों में एक बड़ा फर्क है। यहां पर लोग पहलवानी करने के बाद नौकरी लेकर फिर आगे अपना टाइम गुजर बसर में लगा देते हैं। जबकि, हरियाणा पंजाब के खिलाड़ी ओलिंपिक तक जाने का सपना रखते हैं। उसी गेम में कोच बनकर अपने शिष्यों को पहलवान बनाते हैं। सवाल : जितने मेडल आए हैं, उससे संतुष्ट हैं?
जवाब : मेडल जरूर कम आया, लेकिन परफॉर्मेंस वाइज हमारे खिलाड़ी बेहतर किए। एक मेडल विनेश का कम हो गया, जो खला। बाकी आगे और बेहतर होगा। सवाल : कुश्ती संघ के विवाद से पेरिस ओलिंपिक में कोई प्रभाव पड़ा?
जवाब : हां, जरूर पड़ा। कुश्ती संघ का विवाद क्यों चला। संघ की गलती थी या WFI का दोष था मैं इसके पीछे नहीं जाना चाहता। यदि ये विवाद नहीं बढ़ा होता तो मेडल की संख्या भी बढ़ी होती। सवाल : 5 महीने के कार्यकाल में आपने क्या बेहतर किया?
जवाब : मेरे 5 महीने के कार्यकाल में बेहतर काम हुआ है। एशियन चैंपियनशिप में 9 बच्चियां गईं थीं, उनमें से 8 गोल्ड और 1 सिल्वर लेकर आईं हैं। अब जूनियर बच्चे अंडर-23 के जॉर्डन चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। आगे की तैयारी बहुत अच्छी है। अभी रोहतक में अंडर- 23 का नेशनल होने जा रहा है। इसके बाद हम लोग सरकार से मांग करेंगे कैंप लगाया जाए। इससे बच्चों को एक्सपोजर मिलेगा और वो आगे बढ़ेंगे। ये भी पढ़ें: रक्षा बंधन से पहले कान्हा को 10 हजार चिटि्ठयां: बहन बोली- दिसंबर में शादी है, एक सप्ताह पहले आ जाना; पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी है भैया मेरे प्यारे लड्डू गोपाल, मेरे प्यारे कान्हा। पहले ही कह देती हूं 6 दिसंबर को आपकी बहन की शादी है। 1 दिसंबर को ही आ जाना, साथ में प्यारी राधा रानी जी को भी ले आना। हल्दी-मेहंदी और सभी रस्में पूरी करनी हैं। मेरे प्यारे लड्डू गोपाल…कोई बहाना नहीं चलेगा। आपको भाई वाला काम संभालना है। अभी से तैयारी शुरू कर दो। पढ़ें मथुरा कान्हा के लिए आए 5 खत
बरेली हिंसा, 5 महीने बाद भी महिला-बच्चे भटक रहे:कूड़े से सड़ी सब्जियां बीनकर बच्चे पाल रही मां; 14 घरों पर चला था बुलडोजर
बरेली हिंसा, 5 महीने बाद भी महिला-बच्चे भटक रहे:कूड़े से सड़ी सब्जियां बीनकर बच्चे पाल रही मां; 14 घरों पर चला था बुलडोजर करीब 36 साल की महिला मंडी में सब्जी बीन रही है। ये वो सब्जियां हैं, जिन्हें आढ़ती खराब होने पर बाहर फेंक देते हैं। ये महिला इन सब्जियों को इकट्ठा करती है। कुछ अच्छी सब्जियों को 50-100 रुपए में बेच देती है। बची हुई खराब सब्जियां घर ले जाती है और उन्हें बनाकर बच्चों का पेट भरती है। इस महिला का नाम है शहरबानो। बरेली में 22 जुलाई 2024 को इनका मकान बुलडोजर से ढहा दिया गया। दो समुदायों की हिंसा में पति जेल चला गया। तभी से शहरबानो और उनके बच्चे सड़क पर हैं। ससुराल के गांव की एक महिला ने अपने घर का एक कमरा तो रहने के लिए दे दिया, पर खाने के लिए पैसे कहां से आएं? इसलिए शहरबानो हर रोज सब्जी मंडी जाकर ये काम करती हैं। शहरबानो की तरह कुल 14 घर अवैध बताकर तोड़े गए थे। हिंसा के आरोपी पुरुष जेल में बंद हैं। उनके घर की महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। बुलडोजर एक्शन के शिकार हुए परिवार पिछले दिनों बरेली जोन के ADG से भी मिले, गांव वापस जाने की इच्छा जताई। स्थानीय सपाइयों ने भी इस प्रकरण में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखी है। इस हिंसा के ठीक 5 महीने बाद दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। ऐसे परिवारों की हालत जानी। केस का स्टेटस पता किया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले पूरा मामला समझिए मोहर्रम जुलूस के 2 दिन बाद हिंसा, एक की हुई थी मौत : बरेली जिले के गौसगंज गांव में 17 जुलाई, 2024 को मोहर्रम जुलूस निकाला जा रहा था। इस दौरान मंदिर के सामने ढोल बजाने पर झगड़ा हुआ। हिंदू पक्ष ने इसे नई परंपरा बताया। उस वक्त मामला शांत हो गया। 2 दिन बाद 19 जुलाई की रात दोनों संप्रदाय के लोग भिड़ गए। जमकर मारपीट हुई। इस खूनी संघर्ष में एक शख्स तेजपाल की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। इस विवाद में पुलिस ने 2 FIR दर्ज कीं, जिनमें 50 लोग नामजद किए गए। मुख्य आरोपी बख्तावर को बनाया गया। फिलहाल सभी आरोपी जेल में बंद हैं। अभी तक किसी को जमानत नहीं मिल सकी है। 6 नवंबर, 2024 को बरेली पुलिस-प्रशासन ने बख्तावर पर NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) लगा दिया। इस मामले के बाद जिला प्रशासन ने आरोपियों के मकानों का सर्वे कराया। प्रशासन के मुताबिक, 14 मकान ग्राम समाज की सरकारी जमीन पर बने थे। 22 जुलाई, 2024 को ऐसे 14 मकानों को बुलडोजर चलाकर ढहा दिया गया। इसके बाद ये सभी परिवार सड़क पर आ गए। 50 से ज्यादा परिवार दहशत के चलते गांव छोड़कर चले गए। अब इन परिवारों का दर्द पढ़िए- पति ने जुर्म किया तो पुलिस उन्हें सजा दे, हम क्यों भुगतें?
हम सबसे पहले बरेली जिले के मुंडिया अहमद गांव पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात शहरबानो नाम की महिला से हुई। शहरबानो के पति हनीफ इसी हिंसा में जेल में बंद हैं। शहरबानो ने बताया- 5 साल पहले 90 गज का वो मकान हमने एक लाख रुपए में खरीदा था। उसमें एक कमरा था। उसके आगे छप्पर पड़ा था। हमारा पूरा परिवार ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करता था। उस रात पति को पुलिस उठाकर ले गई। इसके बाद हम डर के मारे भाग गए। हमसे कहा गया कि अगर मरना नहीं है, तो यहां से भाग जाओ। मैं अपने बच्चों को लेकर घर से निकल गई। सारा सामान घर में पड़ा रह गया। बाद में पता चला कि हमारा घर बुलडोजर से ढहा दिया गया है। शहरबानो बताती हैं- मैं वहां से भागकर अपनी ससुराल मुंडिया अहमद गांव आ गई। यहां एक महिला ने मुझ पर रहम खाते हुए अपने घर का एक कमरा दे दिया। वो मुझसे किराया भी नहीं लेती। अब मेरे पास कमाई का कोई जरिया नहीं है। घर में 17 साल की बेटी हिना, 14 साल मुस्कान और 10 साल का बेटा फरमान रहते हैं। बच्चों का पेट भरने के लिए मैं रोजाना सुबह 4 बजे उठती हूं। 8 किलोमीटर पैदल चल कर डेला पीर की सब्जी मंडी पहुंचती हूं। वहां से सड़ी हुई सब्जियां इकट्ठा करती हूं। फिर उन्हें लाकर बच्चों का पेट भरती हूं। बेटा जेल में बंद, मां को अपनी जान की फिक्र
यहां से हम सीधे हाफिजगंज थाना क्षेत्र के लवेड़ा गांव आए। यहां अपनी बहन के घर में पनाह ले रही रुखसाना का बेटा यासीन भी इसी हिंसा में जेल में बंद है। रुखसाना बताती हैं- 200 गज के मकान में 4 कमरे थे। हम पापड़ और कुरकुरे बेचने का काम घर से ही करते थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था। गांव में हिंसा के बाद पुलिस मेरे बेटे को पकड़कर ले गई। पुलिस उस वक्त घरों में घुसकर महिलाओं को भी पकड़कर ले जा रही थी। इसलिए डर के मारे मैं अपने बच्चों को लेकर गांव से निकल गई। मैं सबसे पहले रहपुरा गांव में 15 दिन तक भाई के पास रही। फिर कुछ दिन शादीशुदा बेटी की ससुराल में रही। अब एक महीने से अपनी बहन अफसाना के घर में रह रही हूं। पापड़ का काम बंद हो गया है। इसलिए बेटे सिलाई मशीन चलाने का काम सीख रहे हैं। पता नहीं, हमारा घर किस हालत में है। हमारे घर का सामान कहां गया? हालात इतने बुरे हैं कि हम उस घर को देखने भी नहीं जा सकते। हमें अपनी जान जाने का भी डर है। हम पर कोई मुकदमा नहीं, फिर भी घर छोड़ना पड़ा
बरेली के जोगी नवादा इलाके में किराए के मकान में रह रहीं फरजाना बताती हैं- हमारे ऊपर कोई मुकदमा भी दर्ज नहीं था। लेकिन, गांव में उस वक्त ऐसा माहौल बन गया कि हमें अपना घर छोड़ना पड़ा। हमें ये भी नहीं पता कि उस वक्त हमारा भी मकान तोड़ा गया था या नहीं? अब वो मकान कैसी हालत में है? हमने एक-दो बार गौसगंज गांव जाकर अपना मकान देखने की हिम्मत जुटाई, तो पता चला कि वहां दूसरे पक्ष के लोग डरा-धमका रहे हैं। जेल भिजवाने की धमकी दे रहे हैं। इसलिए हम दोबारा अपना घर देखने नहीं गए। फरजाना बताती हैं- गांव में हिंसा के बाद पुलिस एक तरफ से मुस्लिमों के घरों में घुसकर सबको उठा रही थी। इसलिए हम भाग निकले थे। अब हम एक किराए के घर में रह रहे हैं। पति रहमत अली मजदूरी करते हैं। रोजाना 300-400 रुपए कमा लेते हैं। उसी से हम गुजारा कर रहे हैं। भाई मोहम्मद बकत अली ने बर्तन, बिस्तर दे दिए हैं। हिंसा के मुख्य आरोपी पर लगा NSA
इस हिंसा का मुख्य आरोपी बख्तावर, उसके दोनों बेटे इशरफ और आसिफ अभी जेल में बंद हैं। 6 नवंबर को ही पुलिस ने बख्तावर पर NSA लगाया है। बख्तावर की पत्नी शाहजहां फिलहाल अपनी शादीशुदा बेटी नूरबी की ससुराल में रह रही हैं। इससे पहले वो कुछ दिन तक अपने भाई के पास रहीं। शाहजहां इसी तरह 15 से 20 दिन के लिए अपनी रिश्तेदारियों में जाकर पनाह लेती हैं। फिर एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाती हैं। बख्तावर के भाई का कहना है कि बख्तावर के जेल जाने के बाद उनका परिवार बुरे हाल में रह रहा है। कभी कुछ दिन कहीं, कभी कहीं रहता है। क्योंकि गांव में मुस्लिमों को रहने नहीं दिया गया। इसके बाद वो परिवार वहां से पलायन करके इधर-उधर रह रहे हैं। घर छोड़कर दूसरी जगहों पर रह रहे तमाम परिवार
इस कार्रवाई में 14 घर तोड़े गए, जबकि 50 लोगों पर FIR हुई। लोग बताते हैं कि 50 में से ज्यादातर परिवारों को गौसगंज गांव छोड़ना पड़ गया। वहां के हालात ऐसे हो गए कि गांव में रहने नहीं दिया गया। ये परिवार आज बरेली जिले के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं। इन परिवारों में बुलडोजर एक्शन को लेकर गुस्सा है। इनका कहना है कि हमें उन घरों में रहते हुए पूरी जिंदगी बीत गई। बुलडोजर चलाने से पहले कोई नोटिस तक नहीं दिया गया। एडीजी से मिले परिवार, बोले- हम गांव जाना चाहते हैं
बरेली हिंसा में जिन लोगों के घर बुलडोजर से ढहाए गए, ऐसे कई परिवार 21 नवंबर, 2024 को एडीजी जोन रमित शर्मा से मिले। इन परिवारों ने कहा कि हम उस वक्त डर के चलते गांव छोड़कर भाग गए थे। अब हम वापस गांव जाना चाहते हैं। हमारे घरों का सामान भी लूटा जा चुका है। इस पर एडीजी रमित शर्मा ने कहा, ‘मैं पहले इस मामले में एसएसपी बरेली से रिपोर्ट लूंगा, उसके बाद ही आगे कोई कदम बढ़ाया जाएगा।’ पीड़ित परिवार सपा कार्यकर्ताओं के साथ डीएम से भी मिल चुके हैं। 8 दिसंबर 2024 को बरेली के सपा महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी ने अखिलेश यादव को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने पूरा प्रकरण बताया। साथ ही मांग की है कि घटना की निष्पक्ष जांच के लिए सपा का एक डेलिगेशन बरेली भेजा जाए। ताकि उन 50 परिवारों को न्याय मिल सके। सूत्रों ने बताया कि अखिलेश यादव ने पूरे मामले में पुलिस के उच्च अफसरों से बातचीत की है और बेघर परिवारों की घर वापसी कराने के लिए कहा है। फिलहाल इस गांव में PAC तैनात है। दोनों पक्षों में शांति बहाली के प्रयास पुलिस की तरफ से किए जा रहे हैं। SP बोले– लोग आकर रहें, पुलिस सुरक्षा देगी
बरेली के SP ग्रामीण मुकेश चंद्र मिश्रा ने बताया- इस हिंसा में करीब 50 लोगों पर FIR हुई थी। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उस वक्त पुलिस लगातार दबिश दे रही थी। इस वजह से आरोपियों के परिवारवाले खुद ही अपने घर छोड़कर चले गए थे। अब लगभग सभी आरोपी पकड़े जा चुके हैं और जेल में हैं। उनके परिजन अपनी इच्छानुसार गांव में आकर रह सकते हैं। पुलिस उन्हें सुरक्षा देगी। इसके लिए गांव में पुलिस चौकी बना दी गई है। CCTV भी लगवा दिए हैं। जो आरोपी अभी फरार हैं, उनकी तलाश में दबिश दी जाती रहेगी। ————— ये खबर भी पढ़ें… संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद, 88 साल में 16 दंगे, योगी ने कहा-कल्कि का अवतार होगा; सियासत और 2027 का कनेक्शन? संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई। तब से संभल राजनीति के केंद्र में है। ऐसा पहली बार नहीं है। संभल में दंगों का लंबा इतिहास रहा है। मस्जिद और मंदिर की यह लड़ाई कई शताब्दियों से चली आ रही है। संभल जामा मस्जिद के मंदिर होने को लेकर मुरादाबाद कोर्ट में पहला दावा 1878 में छेदा सिंह नाम के व्यक्ति ने किया था। तब इस केस को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब मामला फिर सामने है। संभल में दंगों का इतिहास रखकर क्या विधानसभा-2027 की तैयारी है? क्या कल्कि अवतार में भाजपा को भविष्य दिख रहा है? पढ़ें पूरी खबर
600 कैडेट्स ने ली सैन्य ट्रेनिंग, कैंप में सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों का हुआ सम्मान
600 कैडेट्स ने ली सैन्य ट्रेनिंग, कैंप में सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों का हुआ सम्मान भास्कर न्यूज | जालंधर 2-पंजाब एनसीसी बटालियन के तत्वाधान में दस दिवसीय गणतंत्र दिवस दिल्ली का तीसरा कैंप डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेकनोलॉजी में शनिवार को संपन्न हो गया। इसमें 600 एनसीसी कैडेट्स ने सैन्य ट्रेनिंग और एनसीसी पाठ्यक्रम को सीखा। ट्रेनिंग के नौवें दिन इंटर कंपनी ड्रिल प्रतियोगिता में कैडेट्स ने विभिन्न वर्गों में भाग लिया। कैडेटों को क्वार्टर गार्ड निरीक्षण और उसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। वहीं आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुधीर शर्मा, (प्रिसिंपल, डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेकनोलॉजी) और कर्नल एमएस सचदेव (कमान अधिकारी, 2-पंजाब एनसीसी गर्ल्स बटालियन) रहे। उन्होंने कैंप के दौरान सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया। कैंप कमांडेंट कर्नल विनोद जोशी ने कैडेट्स को हमेशा ईमानदार और जिम्मेदार नागरिक बने की सलाह दी। व्यक्तित्व विकास, खेलकूद, सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। कैंप में शामिल एनसीसी कैडेट्स (दाएं) विजेताओं को सम्मानित करते हुए एनसीसी अधिकारी और मेहमान।