बिलासपुर जिले में श्री नयना देवी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रणधीर शर्मा ने सरकार पर शहरी निकाय संस्थाओं के गठन में तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नगर पंचायतों, नगर परिषदों और नगर निगमों के गठन के लिए अधिसूचनाएं जारी करनी शुरू कर दी हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में जनता की राय को पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया है। बिलासपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में रणधीर शर्मा ने कहा कि शहरी निकायों के गठन की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। पहले जनता की मांग और राय ली जाती है, फिर इन संस्थाओं का गठन होता है। लेकिन सरकार ने बिना किसी जनसुनवाई या सहमति के सीधा अधिसूचना जारी कर दी, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम तुगलकी फरमान जैसा है, जिसे प्रदेशभर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। शर्मा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस तरह की तानाशाही नीतियों को जारी रखा तो जनता इसका करारा जवाब देगी। रणधीर शर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा बिलासपुर में मनाए जा रहे जश्न पर कड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि सरकार किस बात का जश्न मना रही है। उन्होंने कहा जनहित में कोई कार्य हुए ही नही बिलासपुर के लिए भी ऐसा कौन सा कार्य क़िया है कि बिलासपुर में यह जश्न मनाया जा रहा है। उन्होनें कहा भाजपा इस सरकार की दो साल की नाकामियों को उजागर कर नाकामियों को जनता की बीच ले जाया जाएगा। जिसके लिए 7 दिसंबर से 10 दिसंबर तक भाजपा के सभी मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। बिलासपुर में 9 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें सांसद अनुराग ठाकुर मौजूद रहेंगे। बिलासपुर जिले में श्री नयना देवी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रणधीर शर्मा ने सरकार पर शहरी निकाय संस्थाओं के गठन में तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नगर पंचायतों, नगर परिषदों और नगर निगमों के गठन के लिए अधिसूचनाएं जारी करनी शुरू कर दी हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में जनता की राय को पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया है। बिलासपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में रणधीर शर्मा ने कहा कि शहरी निकायों के गठन की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। पहले जनता की मांग और राय ली जाती है, फिर इन संस्थाओं का गठन होता है। लेकिन सरकार ने बिना किसी जनसुनवाई या सहमति के सीधा अधिसूचना जारी कर दी, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम तुगलकी फरमान जैसा है, जिसे प्रदेशभर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। शर्मा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस तरह की तानाशाही नीतियों को जारी रखा तो जनता इसका करारा जवाब देगी। रणधीर शर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा बिलासपुर में मनाए जा रहे जश्न पर कड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि सरकार किस बात का जश्न मना रही है। उन्होंने कहा जनहित में कोई कार्य हुए ही नही बिलासपुर के लिए भी ऐसा कौन सा कार्य क़िया है कि बिलासपुर में यह जश्न मनाया जा रहा है। उन्होनें कहा भाजपा इस सरकार की दो साल की नाकामियों को उजागर कर नाकामियों को जनता की बीच ले जाया जाएगा। जिसके लिए 7 दिसंबर से 10 दिसंबर तक भाजपा के सभी मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। बिलासपुर में 9 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें सांसद अनुराग ठाकुर मौजूद रहेंगे। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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सोलन में पिकअप से लटक रहा युवक नीचे गिरा, मौत:पीछे के टायर से कुचलता गया चालक; CCTV से आरोपी तक पहुंची पुलिस सोलन जिले में तेज रफ्तार पिकअप की खिड़की से लटक रहा युवक नीचे गिर गया। जिसके बाद उसी पिकअप का पिछला टायर कुचलता हुआ निकल गया। जिससे उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी पिकअप चालक को गिरफ्तार करते हुए उसके वाहन को भी जब्त कर लिया है। मृतक की पहचान हैप्पी निवासी पुरला गांव के रूप में हुई है। एसपी गौरव सिंह के मुताबिक 11 अगस्त को परवाणू के एक उद्योग के सुरक्षाकर्मी अमर सिंह ने पुलिस थाना परवाणू में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि सायं साढ़े पांच बजे वह अपनी ड्यूटी पर मौजूद था। उसी समय एक सफेद रंग की पिकअप सेब मण्डी की तरफ से बहुत तेज रफ्तार में आई व मुख्य मार्ग सेक्टर-6 की तरफ चली गई । सुरक्षाकर्मी ने पहुंचाया अस्पताल इसी दौरान उसने देखा कि पिकअप की खिड़की से एक व्यक्ति लटका हुआ था। जो देखते ही देखते सड़क पर गिर गया व पिकअप के पिछले टायर के नीचे आ गया। उसका कहना था कि इसके बावजूद पिकअप चालक रुका नहीं उसने वाहन को उसी रफ्तार में चलाना जारी रखा और कुछ ही देरी में आखों से ओझल हो गया। इसके बाद उसने घायल व्यक्ति को लोगों की सहायता से ESI अस्पताल परवाणु पहुंचाया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। CCTV फुटेज की मदद से आरोपी तक पहुंची पुलिस जांच के के दौरान पुलिस थाना परवाणू की टीम ने 14 अगस्त को CCTV फुटेज के आधार पर इस वारदात में संलिप्त आरोपी कांगड़़ा जिले के ज्वाली तहसील के डेहरी गांव निवासी राकेश कुमार(29) को शिमला के फागू से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने अपराध में प्रयुक्त पिकअप नंबर TO724HP-2695G को भी जब्त कर लिया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि हैप्पी उसके वाहन की खिड़की से क्यों लटका था।
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ऊना में कृष्णपाल शर्मा ने पद से दिया इस्तीफा:जिला परिषद के वाइस चेयरमैन थे, 20 सालों से राजनीति में हैं सक्रिय हिमाचल प्रदेश के ऊना में जिला परिषद के वाइस चेयरमैन कृष्णपाल शर्मा ने अपने पद से अचानक त्यागपत्र देकर सब को चौंका दिया है। उन्होंने पंचायती राज विभाग के डायरेक्टर को अपना त्यागपत्र भेज दिया है। अपने त्यागपत्र की कॉपी उन्होंने डीसी जतिन लाल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला परिषद सचिव को भेजी है। कृष्णपाल शर्मा ने कहा कि मैंने सामाजिक कार्यों और व्यक्तिगत कारणों के चलते वाइस चेयरमैन के पद से त्यागपत्र दिया है। उन्होंने कहा कि मेरी मोमन्यार वार्ड से जिला परिषद सदस्य के तौर पर सेवाएं निरंतर जारी रहेंगी। उन्होंने पंचायती राज विभाग के डायरेक्टर से आग्रह किया है कि मेरा वाइस चेयरमैन पद से त्यागपत्र स्वीकार किया जाए। बता दें कि जनवरी, 2021 में कृष्णपाल शर्मा ने जिला परिषद चुनाव में मोमन्यार वार्ड से 4932 मतों से जीत हासिल की थी। कृष्णपाल कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र से तालुल्क रखते हैं और थाना खास गांव के रहने वाले हैं। वह पिछले लगभग 20 सालों से पंचायत स्तर की राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी गिनती कुटलैहड़ भाजपा के नेताओं में होती है। वह मोमन्यार वार्ड से पहले भी जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं। मौजूदा समय में कृष्णपाल जिला परिषद एसोसिएशन के राज्य प्रधान भी हैं। कृष्णपाल का अचानक जिला परिषद वाइस चेयरमैन का पद छोड़ना उनके समर्थकों के गले नहीं उतर रहा है। उनके वाइस चेयरमैन का पद छोड़ने के पीछे के राजनीतिक कारण आने वाले दिनों में क्लियर हो जाएंगे। बहरहाल उनके अचानक वाइस चेयरमैन का पद छोड़ने को लेकर राजनैतिक गलियारों में भी खासी चर्चा है।
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हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी-पेंशनर की सैलरी व पेंशन पर संकट आ गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों व पेंशनरों को 1 तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिली। इससे राज्य के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और लगभग 1.50 लाख पेंशनरों की चिंताएं बढ़ गई है। कर्मचारी-पेंशनर बीते कल को दिनभर सैलरी-पेंशन के मैसेज का इंतजार करते रहे। मगर देर रात तक मैसेज नहीं आया। हालांकि बीते कल रविवार था। मगर पहले भी रविवार को कर्मचारी-पेंशनर को सैलरी-पेंशन मिलती रही है। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा हो तो उस सूरत में सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर आर्थिक संकट के बीच इस बार ऐसा नहीं हुआ। अगस्त महीने की सैलरी-पेंशन के लिए कर्मचारी-पेंशनर इंतजार में है। यह गंभीर आर्थिक संकट का इशारा है। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल दिनभर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की है। आर्थिक संकट के बीच सैलरी डैफर कर चुके CM-मंत्री-CPS आर्थिक संकट के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री व मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) ने 2 महीने का वेतन डैफर कर चुके हैं। यानी अगस्त और सितंबर की सैलरी अक्टूबर महीने में लेंगे। CM सुक्खू का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। सीएम आर्थिक संकट जैसी स्थिति से साफ इनकार कर चुके हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था हिमाचल की अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज और रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) के निरंतर कम होने से डगमगा रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG में हिमाचल को केंद्र से 10249 करोड़ मिले। जो कि अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। GTS प्रतिपूर्ति राशि और NPS मैचिंग ग्रांट भी बंद GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में GST लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। केंद्र ने हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया था। यानी 2022 तक हिमाचल को लगभग 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। 94 हजार करोड़ पहुंचा कर्च छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। इसलिए आय का ज्यादातर हिस्सा पुराना कर्ज चुकाने, ब्याज देने, कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी पर पर खर्च हो रहा है। विकास कार्य के लिए बहुत कम पैसा बच पा रहा है। इससे आमदन्नी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। चिंता इस बात की है कि कर्मचारियों-पेंशनर का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का एरियर सरकार के पास बकाया है। प्रदेश की पूर्व सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुक्खू सरकार ने 75 साल या इससे अधिक आयु के पेंशनर को जरूर एरियर देने की नोटिफिकेशन की है। ऐसे बढ़ रहा कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान लाए गए व्हाइट पेपर के अनुसार, पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल तक प्रदेश पर लगभग 47 हजार करोड़ का कर्ज था। जब प्रदेश की सत्ता से पूर्व बीजेपी सरकार बाहर हुई तो राज्य पर लगभग 76 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका था। 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदानी बकाया था। अब यह कर्ज लगभग 94 हजार करोड़ हो गया है।