बुलंदशहर रेप पीड़िता का अब अबॉर्शन मुश्किल:12 घंटे बाद पुलिस ने लिखी FIR; भाजपा विधायक के करीबी परिवार से है आरोपी सेवादार

बुलंदशहर रेप पीड़िता का अब अबॉर्शन मुश्किल:12 घंटे बाद पुलिस ने लिखी FIR; भाजपा विधायक के करीबी परिवार से है आरोपी सेवादार

बुलंदशहर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में दो छात्राओं से रेप के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पता चला है कि दोनों छात्राओं का परिवार FIR दर्ज कराने के लिए 12 घंटे तक पुलिस स्टेशन में बैठा रहा। इसके पीछे आरोपी सेवादार मोहनलाल राजपूत का रसूख बड़ी वजह रहा। वो BJP विधायक के रिश्तेदार के कुनबे से है। जब पीड़ित परिवारों को थाने में बैठे-बैठे सुबह से शाम हो गई, तब उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर लखनऊ फोन किया। वहां से एक घंटे में कार्रवाई का भरोसा मिला। इसके बाद FIR दर्ज हो पाई। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर लगातार दूसरे दिन रहकर समझा कि FIR में 12 घंटे की देरी क्यों हुई? आरोपी सेवादार का रसूख क्या है? इस पूरी घटना के पीछे आश्रम के केयरटेकर क्या कहते हैं? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… रेप पीड़ित परिवार से कहा- पैसा मिलेगा और शादी भी करवा देंगे
सबसे पहले हम उस लड़की के घर पहुंचे, जो मेडिकल जांच में प्रेग्नेंट मिली है। यहां हमें लड़की के चाचा मिले। उन्होंने बताया- 22 अक्टूबर की सुबह पत्नी ने मुझे फोन करके घर बुलाया और बताया कि भतीजी का पेट कुछ फूला हुआ है। हम उसको तुरंत अस्पताल में ले गए। वहां अल्ट्रासाउंड कराया। इसमें वो चार महीने की प्रेग्नेंट मिली। हम उसको लेकर घर आ गए। ये बात पता चलते ही गांव में पंचायतों का दौर शुरू हो गया। ग्राम प्रधान ममता देवी और विधायक प्रतिनिधि देवेंद्र प्रधान की तरफ से हम पर समझौता करने का दबाव आया। ये तक कहा गया कि समझौता करने पर पैसा मिलेगा और बेटी की शादी भी करवा देंगे। चाचा ने बताया- 23 अक्टूबर की सुबह 10 बजे हम स्याना पुलिस स्टेशन पर पहुंच गए थे। हमने पुलिस को अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दिखाई। रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया। पुलिस पूरे दिन टाल-मटोल करती रही। हम थाने पर ही बैठे रहे। जब दिन ढल गया तो हमें किसी ने बताया कि तुम मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर लखनऊ कंट्रोल रूम को फोन करो। हमने वहां फोन किया। पूरी घटना बताई। उसके एक घंटे बाद रिपोर्ट दर्ज हो पाई। रिपोर्ट दर्ज होने में करीब 12 घंटे की देरी हुई, यह बात परिवार के थाने में पहुंचने की टाइमिंग और दोनों दर्ज FIR की कॉपी देखने से पता चला। क्योंकि परिवार के मुताबिक, वह 10 बजे पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। मगर, पहली FIR 23 अक्टूबर की रात 9 बजकर 29 मिनट पर और दूसरी FIR रात 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज हुई है। विधायक के दामाद पर दबाव बनाने का आरोप
FIR में 12 घंटे देरी क्यों हुई? जब हमने इसकी पड़ताल की तो आरोपी सेवादार मोहनलाल राजपूत के रसूखदार होने की बात सामने आई। पता चला कि वो मौजूदा प्रधान के कुनबे से है। मौजूदा प्रधान ममता देवी हैं। इनके पारिवारिक सदस्य देवेंद्र प्रधान क्षेत्रीय भाजपा विधायक के प्रतिनिधि हैं और उनके दामाद भी हैं। विधायक प्रतिनिधि पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने शुरुआत में पीड़ित परिवार पर समझौता करने का दबाव बनाया, फिर पुलिस पर प्रेशर बनाकर घंटों तक FIR नहीं होने दी। दामाद बोले- मैंने कोई दबाव नहीं बनाया, मैं पीड़ित लड़कियों के साथ
विधायक प्रतिनिधि देवेंद्र प्रधान का पक्ष जानने के लिए हम उनकी दुकान पर पहुंचे। उन्होंने बताया- जिस दिन अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आई, उसी दिन दोनों लड़कियों के परिजन मेरे पास इकट्ठा होकर आए। उन्होंने मुझे पूरा घटनाक्रम बताया और आरोपी सेवादार को बुलाने के लिए कहा। मैंने सेवादार को बुलाया, लेकिन वो नहीं आए। फिर मैंने पीड़ित परिवारों से कहा कि FIR करा दो। इसके बाद से पीड़ित परिवारों ने मुझसे कोई संपर्क नहीं किया। मैंने किसी पर समझौते का दबाव नहीं बनाया। ये सब झूठी बातें हैं। न ही मैंने पुलिस का कोई फोन किया। अगर ऐसा है तो कोई एक व्यक्ति सामने आकर मेरे मुंह पर ये बात कह दे। मैंने तो इन लोगों से ये तक कहा कि जहां मेरी आवश्यकता पड़े, मैं आपके साथ हूं। इस केस में पुलिस भी मेरे पास आई। मैंने पुलिस से कहा कि जो आरोपी है, उसे उठाइए और कार्रवाई करिए। केयरटेकर बोले- पहले पता चलता तो बाबा को आश्रम से बाहर कर देते
जिस राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में दोनों बच्चियों से रेप हुआ है, हमने उसके केयरटेकर जयेंद्र का भी पक्ष जाना। जयेंद्र ने बताया- आरोपी मोहनलाल यहां पर चौकीदार है। इस पूरे आश्रम में करीब 30-32 सेवादार हैं, जिनकी रोस्टर से रात में ड्यूटी लगती है। जबकि मोहनलाल यहां पर 24 घंटे रहता है। यहां पर किसी को ट्रस्ट की तरफ से कोई पैसा नहीं मिलता। मोहनलाल की उम्र 60 साल से ज्यादा है, इसलिए राधा-स्वामी ब्यास ने उन्हें बैच नंबर भी अलॉट नहीं किया था। जबकि यहां सेवा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बैच नंबर मिलता है। दरअसल, यहां भी 60 की उम्र के बाद सेवादार को रिटायरमेंट देने का प्रावधान है। जयेंद्र ने आगे बताया- हमें आज तक इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली। वरना हम पहले ही मोहनलाल को आश्रम से बाहर कर देते। इस पूरे प्रकरण में हम पीड़ित लड़कियों के साथ खड़े हैं। आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सपा नेताओं से पड़ोसी बोले- पीड़ित परिवार को डराया-धमकाया गया
समाजवादी पार्टी का एक डेलिगेशन 25 अक्टूबर को गांव में पहुंचा। लड़कियों के परिजनों, पड़ोसियों से बातचीत की। इसमें भी यही बात सामने आई कि समझौता करने और FIR दर्ज न होने देने की खूब कोशिशें की गईं। सपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष ताहिर अली सैफी ने बताया- जब हमारा डेलिगेशन गांव में पहुंचा तो पता चला कि उस पीड़ित परिवार को बहुत डराया-धमकाया गया है। घटना पहले से चली आ रही है। पीड़ित परिवार द्वारा पुलिस को सूचना देने और मुकदमा दर्ज होने में समय काफी लिया गया है। सपा के जिला सचिव रमाशंकर लोधी ने बताया- मौजूदा सरकार में जो व्यक्ति बैठे हैं, उनके दबाव में पीड़ित परिवार आवाज नहीं उठा पा रहे। गांव के लोगों ने दबी जुबान में बताया कि आश्रम में ऐसी घटनाएं पहली भी हुई हैं। अब मौजूदा पीड़ित परिवार भी दबाव बनाया जा रहा है। लड़की चार नहीं, छह महीने की प्रेग्नेंट निकली
इस पूरे केस में दोनों लड़कियों की मेडिकल जांच 24 अक्टूबर को बुलंदशहर के सरकारी अस्पताल में हुई। वहां से आई रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात पता चली है। वो ये है कि एक पीड़िता 6 महीने की प्रेग्नेंट निकली है। 7 दिन बाद उसकी प्रेग्नेंसी के 6 महीने पूरे हो जाएंगे। इससे पहले अल्ट्रासाउंड में चार महीने की प्रेग्नेंट होने की बात सामने आई थी। सूत्रों ने बताया- डॉक्टरों ने पीड़ित परिवार को जानकारी दी है कि पीड़िता का अबॉर्शन नहीं हो सकता। क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे का साइज अब बड़ा हो चुका है। किसी भी हालत में उसकी डिलीवरी करनी ही होगी। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि 13 साल की बच्ची की डिलीवरी कैसे होगी? इसके लिए पुलिस और पीड़ित परिवार अब कानूनी राय भी ले रहे हैं। SHO ने कहा- आरोपी 75 साल का था, जांच में टाइम लगा
FIR इतनी देर से क्यों लिखी गई, ये जानने के लिए हमने स्याना कोतवाली के SHO प्रेमचंद शर्मा से बात की। उन्होंने बताया- शिकायत प्राप्त होने के तुरंत बाद ही हमने इस केस की जांच शुरू कर दी। तुरंत गांव में एक पुलिस टीम भेजी गई। आरोपी सेवादार मोहनलाल फरार मिला। पुलिस ने उसके पौत्र को हिरासत में ले लिया और थाने पर ले आई। आरोपी सेवादार भी कुछ देर बाद पकड़ा गया। SHO ने बताया- मामला राधा स्वामी सत्संग ब्यास से जुड़ा हुआ था। इसलिए प्रारंभिक जांच करनी जरूरी थी। जिस बुजुर्ग पर आरोप लगे, उसकी उम्र 75 साल थी। जबकि पीड़ित लड़कियों की उम्र सिर्फ 13 साल है। यानी पीड़िता और आरोपी के बीच उम्र का डिफरेंस भी ज्यादा था। इसलिए हर बात पर आसानी से भरोसा भी नहीं हो पा रहा था। पुलिस ने प्रारंभिक जांच की। उसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद तत्काल FIR और फिर आरोपी की गिरफ्तारी की गई। इस केस में हमने कोई डिले नहीं किया, लेकिन हम ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि कार्रवाई एकदम सही और मजबूत हो। पीड़िता का अबॉर्शन अब मुश्किल क्यों, जानिए क्या कहता है नियम मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है। 24 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंसी होने पर मेडिकल बोर्ड की सलाह पर कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत लेनी पड़ती है। MTP एक्ट में बदलाव साल 2020 में किया गया था। उससे पहले 1971 में बना कानून लागू होता था। बुलंदशहर की रेप पीड़िता 6 महीने यानी करीब 42 हफ्ते की प्रेग्नेंट निकली है। ऐसे में उसका अबॉर्शन मुश्किल है। रिपोर्ट सहयोगी : अमन त्यागी
————- यह खबर भी पढ़ें:- बुलंदशहर आश्रम में नाबालिगों से रेप, आरोपी 75 साल का:पीड़ित के पिता बोले- सेवादार की उम्र का लिहाज, वरना आश्रम में ही मार देता ‘जिस सेवादार ने ये गंदा काम किया। वो 70 साल का बुजुर्ग है। सही से चल-फिर भी नहीं पाता है। हमें उस पर इतना विश्वास था कि उसके बारे में गलत सोच भी नहीं सकते थे, लेकिन उसने विश्वास का कत्ल किया। बेटी की जिंदगी तबाह कर दी। मैं सिर्फ आरोपी की उम्र का लिहाज कर गया। वरना उसको आश्रम के अंदर ही मार देता।’ यह दर्द है उस 13 साल की बच्ची के पिता का, जिसके साथ बुलंदशहर के राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम के अंदर रेप हुआ। पढ़ें पूरी खबर… बुलंदशहर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में दो छात्राओं से रेप के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पता चला है कि दोनों छात्राओं का परिवार FIR दर्ज कराने के लिए 12 घंटे तक पुलिस स्टेशन में बैठा रहा। इसके पीछे आरोपी सेवादार मोहनलाल राजपूत का रसूख बड़ी वजह रहा। वो BJP विधायक के रिश्तेदार के कुनबे से है। जब पीड़ित परिवारों को थाने में बैठे-बैठे सुबह से शाम हो गई, तब उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर लखनऊ फोन किया। वहां से एक घंटे में कार्रवाई का भरोसा मिला। इसके बाद FIR दर्ज हो पाई। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर लगातार दूसरे दिन रहकर समझा कि FIR में 12 घंटे की देरी क्यों हुई? आरोपी सेवादार का रसूख क्या है? इस पूरी घटना के पीछे आश्रम के केयरटेकर क्या कहते हैं? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… रेप पीड़ित परिवार से कहा- पैसा मिलेगा और शादी भी करवा देंगे
सबसे पहले हम उस लड़की के घर पहुंचे, जो मेडिकल जांच में प्रेग्नेंट मिली है। यहां हमें लड़की के चाचा मिले। उन्होंने बताया- 22 अक्टूबर की सुबह पत्नी ने मुझे फोन करके घर बुलाया और बताया कि भतीजी का पेट कुछ फूला हुआ है। हम उसको तुरंत अस्पताल में ले गए। वहां अल्ट्रासाउंड कराया। इसमें वो चार महीने की प्रेग्नेंट मिली। हम उसको लेकर घर आ गए। ये बात पता चलते ही गांव में पंचायतों का दौर शुरू हो गया। ग्राम प्रधान ममता देवी और विधायक प्रतिनिधि देवेंद्र प्रधान की तरफ से हम पर समझौता करने का दबाव आया। ये तक कहा गया कि समझौता करने पर पैसा मिलेगा और बेटी की शादी भी करवा देंगे। चाचा ने बताया- 23 अक्टूबर की सुबह 10 बजे हम स्याना पुलिस स्टेशन पर पहुंच गए थे। हमने पुलिस को अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दिखाई। रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया। पुलिस पूरे दिन टाल-मटोल करती रही। हम थाने पर ही बैठे रहे। जब दिन ढल गया तो हमें किसी ने बताया कि तुम मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर लखनऊ कंट्रोल रूम को फोन करो। हमने वहां फोन किया। पूरी घटना बताई। उसके एक घंटे बाद रिपोर्ट दर्ज हो पाई। रिपोर्ट दर्ज होने में करीब 12 घंटे की देरी हुई, यह बात परिवार के थाने में पहुंचने की टाइमिंग और दोनों दर्ज FIR की कॉपी देखने से पता चला। क्योंकि परिवार के मुताबिक, वह 10 बजे पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। मगर, पहली FIR 23 अक्टूबर की रात 9 बजकर 29 मिनट पर और दूसरी FIR रात 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज हुई है। विधायक के दामाद पर दबाव बनाने का आरोप
FIR में 12 घंटे देरी क्यों हुई? जब हमने इसकी पड़ताल की तो आरोपी सेवादार मोहनलाल राजपूत के रसूखदार होने की बात सामने आई। पता चला कि वो मौजूदा प्रधान के कुनबे से है। मौजूदा प्रधान ममता देवी हैं। इनके पारिवारिक सदस्य देवेंद्र प्रधान क्षेत्रीय भाजपा विधायक के प्रतिनिधि हैं और उनके दामाद भी हैं। विधायक प्रतिनिधि पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने शुरुआत में पीड़ित परिवार पर समझौता करने का दबाव बनाया, फिर पुलिस पर प्रेशर बनाकर घंटों तक FIR नहीं होने दी। दामाद बोले- मैंने कोई दबाव नहीं बनाया, मैं पीड़ित लड़कियों के साथ
विधायक प्रतिनिधि देवेंद्र प्रधान का पक्ष जानने के लिए हम उनकी दुकान पर पहुंचे। उन्होंने बताया- जिस दिन अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आई, उसी दिन दोनों लड़कियों के परिजन मेरे पास इकट्ठा होकर आए। उन्होंने मुझे पूरा घटनाक्रम बताया और आरोपी सेवादार को बुलाने के लिए कहा। मैंने सेवादार को बुलाया, लेकिन वो नहीं आए। फिर मैंने पीड़ित परिवारों से कहा कि FIR करा दो। इसके बाद से पीड़ित परिवारों ने मुझसे कोई संपर्क नहीं किया। मैंने किसी पर समझौते का दबाव नहीं बनाया। ये सब झूठी बातें हैं। न ही मैंने पुलिस का कोई फोन किया। अगर ऐसा है तो कोई एक व्यक्ति सामने आकर मेरे मुंह पर ये बात कह दे। मैंने तो इन लोगों से ये तक कहा कि जहां मेरी आवश्यकता पड़े, मैं आपके साथ हूं। इस केस में पुलिस भी मेरे पास आई। मैंने पुलिस से कहा कि जो आरोपी है, उसे उठाइए और कार्रवाई करिए। केयरटेकर बोले- पहले पता चलता तो बाबा को आश्रम से बाहर कर देते
जिस राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम में दोनों बच्चियों से रेप हुआ है, हमने उसके केयरटेकर जयेंद्र का भी पक्ष जाना। जयेंद्र ने बताया- आरोपी मोहनलाल यहां पर चौकीदार है। इस पूरे आश्रम में करीब 30-32 सेवादार हैं, जिनकी रोस्टर से रात में ड्यूटी लगती है। जबकि मोहनलाल यहां पर 24 घंटे रहता है। यहां पर किसी को ट्रस्ट की तरफ से कोई पैसा नहीं मिलता। मोहनलाल की उम्र 60 साल से ज्यादा है, इसलिए राधा-स्वामी ब्यास ने उन्हें बैच नंबर भी अलॉट नहीं किया था। जबकि यहां सेवा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बैच नंबर मिलता है। दरअसल, यहां भी 60 की उम्र के बाद सेवादार को रिटायरमेंट देने का प्रावधान है। जयेंद्र ने आगे बताया- हमें आज तक इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली। वरना हम पहले ही मोहनलाल को आश्रम से बाहर कर देते। इस पूरे प्रकरण में हम पीड़ित लड़कियों के साथ खड़े हैं। आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सपा नेताओं से पड़ोसी बोले- पीड़ित परिवार को डराया-धमकाया गया
समाजवादी पार्टी का एक डेलिगेशन 25 अक्टूबर को गांव में पहुंचा। लड़कियों के परिजनों, पड़ोसियों से बातचीत की। इसमें भी यही बात सामने आई कि समझौता करने और FIR दर्ज न होने देने की खूब कोशिशें की गईं। सपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष ताहिर अली सैफी ने बताया- जब हमारा डेलिगेशन गांव में पहुंचा तो पता चला कि उस पीड़ित परिवार को बहुत डराया-धमकाया गया है। घटना पहले से चली आ रही है। पीड़ित परिवार द्वारा पुलिस को सूचना देने और मुकदमा दर्ज होने में समय काफी लिया गया है। सपा के जिला सचिव रमाशंकर लोधी ने बताया- मौजूदा सरकार में जो व्यक्ति बैठे हैं, उनके दबाव में पीड़ित परिवार आवाज नहीं उठा पा रहे। गांव के लोगों ने दबी जुबान में बताया कि आश्रम में ऐसी घटनाएं पहली भी हुई हैं। अब मौजूदा पीड़ित परिवार भी दबाव बनाया जा रहा है। लड़की चार नहीं, छह महीने की प्रेग्नेंट निकली
इस पूरे केस में दोनों लड़कियों की मेडिकल जांच 24 अक्टूबर को बुलंदशहर के सरकारी अस्पताल में हुई। वहां से आई रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात पता चली है। वो ये है कि एक पीड़िता 6 महीने की प्रेग्नेंट निकली है। 7 दिन बाद उसकी प्रेग्नेंसी के 6 महीने पूरे हो जाएंगे। इससे पहले अल्ट्रासाउंड में चार महीने की प्रेग्नेंट होने की बात सामने आई थी। सूत्रों ने बताया- डॉक्टरों ने पीड़ित परिवार को जानकारी दी है कि पीड़िता का अबॉर्शन नहीं हो सकता। क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे का साइज अब बड़ा हो चुका है। किसी भी हालत में उसकी डिलीवरी करनी ही होगी। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि 13 साल की बच्ची की डिलीवरी कैसे होगी? इसके लिए पुलिस और पीड़ित परिवार अब कानूनी राय भी ले रहे हैं। SHO ने कहा- आरोपी 75 साल का था, जांच में टाइम लगा
FIR इतनी देर से क्यों लिखी गई, ये जानने के लिए हमने स्याना कोतवाली के SHO प्रेमचंद शर्मा से बात की। उन्होंने बताया- शिकायत प्राप्त होने के तुरंत बाद ही हमने इस केस की जांच शुरू कर दी। तुरंत गांव में एक पुलिस टीम भेजी गई। आरोपी सेवादार मोहनलाल फरार मिला। पुलिस ने उसके पौत्र को हिरासत में ले लिया और थाने पर ले आई। आरोपी सेवादार भी कुछ देर बाद पकड़ा गया। SHO ने बताया- मामला राधा स्वामी सत्संग ब्यास से जुड़ा हुआ था। इसलिए प्रारंभिक जांच करनी जरूरी थी। जिस बुजुर्ग पर आरोप लगे, उसकी उम्र 75 साल थी। जबकि पीड़ित लड़कियों की उम्र सिर्फ 13 साल है। यानी पीड़िता और आरोपी के बीच उम्र का डिफरेंस भी ज्यादा था। इसलिए हर बात पर आसानी से भरोसा भी नहीं हो पा रहा था। पुलिस ने प्रारंभिक जांच की। उसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद तत्काल FIR और फिर आरोपी की गिरफ्तारी की गई। इस केस में हमने कोई डिले नहीं किया, लेकिन हम ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि कार्रवाई एकदम सही और मजबूत हो। पीड़िता का अबॉर्शन अब मुश्किल क्यों, जानिए क्या कहता है नियम मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है। 24 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंसी होने पर मेडिकल बोर्ड की सलाह पर कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत लेनी पड़ती है। MTP एक्ट में बदलाव साल 2020 में किया गया था। उससे पहले 1971 में बना कानून लागू होता था। बुलंदशहर की रेप पीड़िता 6 महीने यानी करीब 42 हफ्ते की प्रेग्नेंट निकली है। ऐसे में उसका अबॉर्शन मुश्किल है। रिपोर्ट सहयोगी : अमन त्यागी
————- यह खबर भी पढ़ें:- बुलंदशहर आश्रम में नाबालिगों से रेप, आरोपी 75 साल का:पीड़ित के पिता बोले- सेवादार की उम्र का लिहाज, वरना आश्रम में ही मार देता ‘जिस सेवादार ने ये गंदा काम किया। वो 70 साल का बुजुर्ग है। सही से चल-फिर भी नहीं पाता है। हमें उस पर इतना विश्वास था कि उसके बारे में गलत सोच भी नहीं सकते थे, लेकिन उसने विश्वास का कत्ल किया। बेटी की जिंदगी तबाह कर दी। मैं सिर्फ आरोपी की उम्र का लिहाज कर गया। वरना उसको आश्रम के अंदर ही मार देता।’ यह दर्द है उस 13 साल की बच्ची के पिता का, जिसके साथ बुलंदशहर के राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम के अंदर रेप हुआ। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर