बहू हमारा घर छोड़कर जा चुकी है। उसने अपना एड्रेस भी चेंज करा लिया। कीर्ति चक्र मिलने की कोई निशानी भी हमारे पास नहीं। बेटे की फोटो पर कीर्ति चक्र लगा सकूं, हम इस लायक भी नहीं। सब कुछ बहू को दे दिया गया। अब इस सम्मान के नियमों में बदलाव होना चाहिए। बहुएं घर छोड़कर भाग जाती हैं। ऐसे में माता-पिता को कुछ नहीं मिलता। यह कहना है कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद अंशुमान सिंह के माता-पिता का। उन्होंने मंगलवार को रायबरेली जाकर सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर इस बात को रखा था। उनका कहना है- हम इस मुद्दे को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने भी उठा चुके हैं। पिता बोले- हमारे पास कीर्ति चक्र पाने का कोई सबूत नहीं
शहीद अंशुमान के पिता रवि प्रताप सिंह JCO के पद से सेना से रिटायर्ड हैं। वह कहते हैं- बहू स्मृति यहां से सब कुछ लेकर चली गई। उसने अपना एड्रेस भी चेंज करवा लिया। हमारे पास कीर्ति चक्र की कोई रिसीविंग भी नहीं है। वह भी बहू ले गई। मां मंजू सिंह ने बताया- बहुएं भाग जाती हैं। माता-पिता का भी सम्मान होना चाहिए। हमने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी से आग्रह किया कि सेना में शहीद होने वाले युवाओं के परिवार में बहू के अलावा माता-पिता का भी ख्याल रखना चाहिए। पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा- मेरा बेटा शादी के 3 महीने बाद शहीद हो गया। उसके कुछ दिन बाद ही बहू स्मृति घर छोड़कर चली गई। जब सम्मान दिया गया, तो स्मृति के साथ मेरी पत्नी को भी बुलाया गया। लेकिन, सम्मान सिर्फ बहू स्मृति को दिया गया। बहू तो अलग रहती है। इसलिए हमारे पास कुछ भी नहीं आया। मेरे पास बेटे की फोटो के अलावा कुछ भी नहीं। यहां तक कि कीर्ति चक्र का बैज भी हमें उसकी (अंशुमान) फोटो पर लगाने के लिए नहीं मिला। स्मृति बोलीं- जिसकी जैसी सोच, वो वैसा ही कहेगा
दैनिक भास्कर ने स्मृति का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल किया। कैप्टन अंशुमान के माता-पिता के आरोपों पर स्मृति ने कहा- मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है। जिसकी जैसी सोच है, वो वैसा ही कहेगा। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। अभी मैं बाहर आई हूं। पहले वीडियो भेज दीजिए। फिर कॉल करेंगे। पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। स्मृति के पिता ने कुछ भी बोलने से किया इनकार
हमारी टीम जब पंजाब के दीनानगर स्थित स्मृति के घर पहुंची तो वहां उनके पिता राजेश सैनी मिले। स्मृति के सास-ससुर के आरोपों पर राजेश सैनी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी स्मृति कहीं बाहर गई हुई है और वह देर शाम तक घर लौटेंगी। स्मृति को इस पूरे मामले में कुछ कहना होगा तो वही अपना पक्ष देगी। हमारे परिवार के बाकी किसी मेंबर को स्मृति के सास-ससुर के आरोपों पर कुछ भी नहीं कहना। राजेश सैनी ने यह भी कहा कि स्मृति के सास-ससुर ने जो आरोप लगाए हैं, हमारे परिवार को मीडिया से ही उसके बारे में पता चला है। जानते हैं कीर्ति चक्र से नवाजे गए शहीद के बारे में
देवरिया के लार विकास खंड के बरडीहा दलपत गांव के रहने वाले कैप्टन अंशुमान सिंह 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हो गए थे। वहां भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी। कई जवान आग में फंस गए। अपनों को आग से घिरा देख रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह खुद को नहीं रोक सके। साथियों को बचाने की कोशिश में कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए। 5 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शहीदों के अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद की पत्नी स्मृति सिंह और मां मंजू सिंह को कीर्ति चक्र सौंपा। कैप्टन अंशुमान का लखनऊ में मोहान रोड स्थित पारा कॉलोनी में घर है। यहां कैप्टन का परिवार 2022 में शिफ्ट हुआ था। इसी घर में उनकी और स्मृति की शादी हुई थी। परिवार में पिता रवि, मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। बहन-भाई दोनों ही नोएडा में डॉक्टर हैं। सम्मान मिलने के बाद लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शहीद परिवार का नंबर लिया और मिलने की इच्छा जताई थी। 8 जुलाई को शहीद के मां और पिता राहुल गांधी से रायबरेली में मिले, जहां उन्होंने परिवार में बिखराव की बात बताई। सीएम ने 50 लाख रुपए आर्थिक सहयोग की घोषणा की थी
CM योगी आदित्यनाथ ने शहीद अंशुमान सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की थी। उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, जिले की एक सड़क का नामकरण शहीद अंशुमान सिंह के नाम पर करने की भी घोषणा की थी। ये भी पढ़ें… शादी के 5 महीने बाद कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद; ग्लेशियर में टेंट में आग लगने से गई थी जान सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। पूरी खबर पढ़ें… बहू हमारा घर छोड़कर जा चुकी है। उसने अपना एड्रेस भी चेंज करा लिया। कीर्ति चक्र मिलने की कोई निशानी भी हमारे पास नहीं। बेटे की फोटो पर कीर्ति चक्र लगा सकूं, हम इस लायक भी नहीं। सब कुछ बहू को दे दिया गया। अब इस सम्मान के नियमों में बदलाव होना चाहिए। बहुएं घर छोड़कर भाग जाती हैं। ऐसे में माता-पिता को कुछ नहीं मिलता। यह कहना है कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद अंशुमान सिंह के माता-पिता का। उन्होंने मंगलवार को रायबरेली जाकर सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर इस बात को रखा था। उनका कहना है- हम इस मुद्दे को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने भी उठा चुके हैं। पिता बोले- हमारे पास कीर्ति चक्र पाने का कोई सबूत नहीं
शहीद अंशुमान के पिता रवि प्रताप सिंह JCO के पद से सेना से रिटायर्ड हैं। वह कहते हैं- बहू स्मृति यहां से सब कुछ लेकर चली गई। उसने अपना एड्रेस भी चेंज करवा लिया। हमारे पास कीर्ति चक्र की कोई रिसीविंग भी नहीं है। वह भी बहू ले गई। मां मंजू सिंह ने बताया- बहुएं भाग जाती हैं। माता-पिता का भी सम्मान होना चाहिए। हमने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी से आग्रह किया कि सेना में शहीद होने वाले युवाओं के परिवार में बहू के अलावा माता-पिता का भी ख्याल रखना चाहिए। पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा- मेरा बेटा शादी के 3 महीने बाद शहीद हो गया। उसके कुछ दिन बाद ही बहू स्मृति घर छोड़कर चली गई। जब सम्मान दिया गया, तो स्मृति के साथ मेरी पत्नी को भी बुलाया गया। लेकिन, सम्मान सिर्फ बहू स्मृति को दिया गया। बहू तो अलग रहती है। इसलिए हमारे पास कुछ भी नहीं आया। मेरे पास बेटे की फोटो के अलावा कुछ भी नहीं। यहां तक कि कीर्ति चक्र का बैज भी हमें उसकी (अंशुमान) फोटो पर लगाने के लिए नहीं मिला। स्मृति बोलीं- जिसकी जैसी सोच, वो वैसा ही कहेगा
दैनिक भास्कर ने स्मृति का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल किया। कैप्टन अंशुमान के माता-पिता के आरोपों पर स्मृति ने कहा- मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है। जिसकी जैसी सोच है, वो वैसा ही कहेगा। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। अभी मैं बाहर आई हूं। पहले वीडियो भेज दीजिए। फिर कॉल करेंगे। पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। स्मृति के पिता ने कुछ भी बोलने से किया इनकार
हमारी टीम जब पंजाब के दीनानगर स्थित स्मृति के घर पहुंची तो वहां उनके पिता राजेश सैनी मिले। स्मृति के सास-ससुर के आरोपों पर राजेश सैनी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी स्मृति कहीं बाहर गई हुई है और वह देर शाम तक घर लौटेंगी। स्मृति को इस पूरे मामले में कुछ कहना होगा तो वही अपना पक्ष देगी। हमारे परिवार के बाकी किसी मेंबर को स्मृति के सास-ससुर के आरोपों पर कुछ भी नहीं कहना। राजेश सैनी ने यह भी कहा कि स्मृति के सास-ससुर ने जो आरोप लगाए हैं, हमारे परिवार को मीडिया से ही उसके बारे में पता चला है। जानते हैं कीर्ति चक्र से नवाजे गए शहीद के बारे में
देवरिया के लार विकास खंड के बरडीहा दलपत गांव के रहने वाले कैप्टन अंशुमान सिंह 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हो गए थे। वहां भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी। कई जवान आग में फंस गए। अपनों को आग से घिरा देख रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह खुद को नहीं रोक सके। साथियों को बचाने की कोशिश में कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए। 5 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शहीदों के अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद की पत्नी स्मृति सिंह और मां मंजू सिंह को कीर्ति चक्र सौंपा। कैप्टन अंशुमान का लखनऊ में मोहान रोड स्थित पारा कॉलोनी में घर है। यहां कैप्टन का परिवार 2022 में शिफ्ट हुआ था। इसी घर में उनकी और स्मृति की शादी हुई थी। परिवार में पिता रवि, मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। बहन-भाई दोनों ही नोएडा में डॉक्टर हैं। सम्मान मिलने के बाद लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शहीद परिवार का नंबर लिया और मिलने की इच्छा जताई थी। 8 जुलाई को शहीद के मां और पिता राहुल गांधी से रायबरेली में मिले, जहां उन्होंने परिवार में बिखराव की बात बताई। सीएम ने 50 लाख रुपए आर्थिक सहयोग की घोषणा की थी
CM योगी आदित्यनाथ ने शहीद अंशुमान सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की थी। उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, जिले की एक सड़क का नामकरण शहीद अंशुमान सिंह के नाम पर करने की भी घोषणा की थी। ये भी पढ़ें… शादी के 5 महीने बाद कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद; ग्लेशियर में टेंट में आग लगने से गई थी जान सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर