ब्लड कैंसर को मात दी, REEL बनाने में गंवाई जान:वाराणसी में मां बोली- बात मान लेता तो जिंदा होता; 3 दोस्तों के घर की कहानी

ब्लड कैंसर को मात दी, REEL बनाने में गंवाई जान:वाराणसी में मां बोली- बात मान लेता तो जिंदा होता; 3 दोस्तों के घर की कहानी

तारीख 11 जुलाई…जगह वाराणसी में रोहनिया। 3 लड़के KTM बाइक लहराते हुए REEL बना रहे थे। तभी सामने से बस आ गई। बाइक चला रहा युवक कंट्रोल खो बैठा और बस से भिड़ंत हो गई। हादसे में तीनों की जान चली गई। क्या तीनों लड़के वाकई रील बना रहे थे या ये महज हादसा था? ये जानने हम वाराणसी मुख्यालय से 15 किमी दूर अखरी गांव पहुंचे। तीनों दोस्त शिवम, साहिल और चंद्रशेखर इसी गांव के रहने वाले थे। गांव की पगडंडी पर आगे बढ़ते हुए सन्नाटे के बीच रोने की आवाजें आ रही थीं। इसलिए, तीनों के घर ढूंढने नहीं पड़े, कुछ घरों के सामने भीड़ दिखी। हम वहां पहुंचे, तो 3 परिवारों की कहानियां खुलकर सामने आईं… पढ़िए रिपोर्ट… मामा के घर शादी में जाना था, अब खुशियों की जगह मातम पसरा
सबसे पहले हम जिसके घर पहुंचे, वो शिवम का था। मालूम हुआ कि हादसे से पहले पूरा परिवार मामा के घर शादी में शामिल होने जाना चाहता था। मगर, अब यहां मातम पसरा हुआ था। शिवम की मां घर के बाहर बैठी थीं। लगातार रोए जा रही थीं। हम उनसे कुछ पूछ पाते, उनके मुंह से निकला- हमारा लल्ला तो रील नहीं बनाता था। ये सब जाने क्या कह रहे हैं। 3 साल के लंबे इलाज के बाद कैंसर से उबरा था शिवम
गांव के लोगों ने रो रहे एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए बताया कि ये विकास है, शिवम का बड़ा भाई। विकास ने बताया- उसे घर पर सब चंचल कहते थे। जब वह 8 साल का था, उस समय उसके पैर में बहुत दर्द रहने लगा। दर्द से परेशान चंचल को हम डॉक्टर के पास ले गए। मगर आराम नहीं मिला। फिर उसको हैरिटेज हॉस्पिटल में दिखाया। डॉक्टर ने बताया कि उसको ब्लड कैंसर है। BHU में ही सही इलाज मिलेगा। फिर BHU में शिवम का इलाज शुरू हुआ और 3 साल चला। हमने लाखों रुपए खर्च किए। वो ठीक हो गया था। मगर, होनी को कुछ और ही मंजूर था। शिवम ने कहा था- शादी तो कल है, अभी आता हूं
शिवम के पिता रूपचंद राजभर ने कहा- वो सुबह उठा तो कुछ दोस्त सड़क पर उसे आवाज देकर बुला रहे थे। हमने पूछा कि कहां जा रहे हो? वह बोला कि पापा बस कुछ देर में आते हैं। हमने कहा कि कल मामा के यहां शादी है, सबको चलना है। जवाब मिला कि शादी तो कल है न, मैं कुछ देर में वापस आता हूं। लेकिन लौटा तो उसमें जान नहीं थी। मां बोली- मेरे बेटे ने चाय भी नहीं पी थी
शिवम की मां सीता ने रोते हुए बताया- सुबह उठा तो हमने कहा- चाय पी लो। मगर, उसने मना कर दिया। परिवार के अन्य लोग मीठा खा रहे थे तो उसने उनके साथ मीठा खाया। फिर वो अपने दोस्तों के साथ चला गया। बड़ी बहन चंदा देवी ने बताया- भाई को हमने रोकने की कोशिश की। मगर, वो नहीं रुका और आज भाई हमारे बीच नहीं है। भाई बोले- रील नहीं बनाता था शिवम
शिवम के भाई विनय ने कहा- लोग कह रहे हैं कि वो लोग रील बना रहे थे, उसी दौरान हादसा हुआ। ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने शिवम का मोबाइल दिखाते हुए कहा कि यह मोबाइल शिवम के जेब में था, जो टूट गया है। पोस्टमॉर्टम हाउस में यह मोबाइल हमें डॉक्टर ने उसकी जेब से निकाल कर दिया है। अगर रील बना रहा होता तो मोबाइल जेब में कैसे होता। चंद्रशेखर के पिता बोले- वो हमारी जान थी, समझिए चली गई
शिवम के परिवार से बातचीत करने के बाद हम चंद्रशेखर के घर पहुंचे। गांव के सबसे आखिर में चंद्रशेखर का घर था। उनके पिता राजकुमार राजभर किसान हैं। घर के अंदर गांव की औरतें मौजूद थीं। वह चंद्रशेखर की मां सावित्री को दिलासा दे रही थीं। हमें देखकर एक लड़के ने चंद्रशेखर के पिता राजकुमार राजभर को आवाज दी। कहा- कोई मिलने आया है। जैसे ही हमने चंद्रशेखर का नाम लिया, वो रो पड़े। कहा- मेरा सब कुछ चला गया। सबसे बड़ा लड़का था चंद्रशेखर, जो कभी घर से भी नहीं निकलता था। वो उस दिन क्यों दोस्तों के साथ चला गया, ये हमें समझ नहीं आता। शाम में घर के सामने ही बैठकर थोड़ी देर मोबाइल चलाता था। मुझे पेट में ट्यूमर है। उसका इलाज चल रहा है। हमने अपने लड़कों से कहा था- बेटा पढ़ाई छोड़ दो, अब नौकरी करो। तुम लोग घर संभालो। अब हमसे काम नहीं होता। मगर ये नहीं पता था कि हमारा सहारा ही चला जाएगा। अब कैसे क्या करेंगे। चंद्रशेखर हमारी जान थी। समझिए कि हमारी जान खत्म हो गई। हमने पूछा- 3 दोस्त अपने किसी साथी को छोड़ने के लिए गए थे, वो कौन था? जवाब मिला…
राजकुमार ने बताया- बेटावर का एक लड़का रूपचंद के यहां रात भर रुका था। उसी को छोड़ने बछांव गए थे। चंद्रशेखर घर से भी नहीं निकलता था ज्यादा। 2 महीना पहले ही बड़ी लड़की की शादी की है। हम काम में लग गए और वो कब निकला पता ही नहीं चला
चंद्रशेखर की मां के आंसू नहीं रुक रहे हैं। सावित्री ने कहा- सुबह उठकर वो कब निकल गया पता ही नहीं चला। हम काम में व्यस्त थे, देख नहीं पाए। अब घर में चंद्रशेखर की बड़ी बहन चंदा और छोटा भाई चंदन हैं। साहिल के पिता कुछ बोल ही नहीं सके
अखरी प्राइमरी स्कूल के बगल से खड़ंजा का रास्ता जाता है। उससे होते हुए हम साहिल के घर पहुंचे। घर के बाहर लोगों का जमावड़ा था और अंदर से महिलाओं के रोने की आवाज आ रही थी। घर के बाहर पिता राजकुमार राजभर खड़े थे और कुछ लोग उन्हें सांत्वना दे रहे थे। इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि जिन साहिल और चंद्रशेखर की मौत हुई, दोनों के पिता का नाम राजकुमार राजभर है। जब हमने पिता से बात करने की कोशिश की तो उनके आंसू निकल आए। उन्होंने अपने भाई चन्द्रबली को बुलाया और हमसे बात करने को कहा। चंद्रबली ने बताया कि साहिल के बड़े पिता शिवमूरत ने ही सुबह उसे जाते हुए देखा था। साहिल जाना नहीं चाहता था, मना किया
शिवमूरत राजभर, साहिल का नाम सुनते ही रोने लगे। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। हमने कुछ देर रुक कर उनसे पूछा- क्या हुआ था। उन्होंने कहा- सुबह 6 बजे हम घर के बाहर कुर्सी पर बैठे थे। मेरे भाई राजकुमार के घर का दरवाजा अलग है। मैंने देखा तीन लड़के आए और दरवाजा खटखटाकर साहिल को उठाने लगे। पहले साहिल ने कहा- हम नहीं जाएंगे। थोड़ा सोएंगे। मां का रो-रोकर बुरा हाल, बोलीं- कहां गया मेरा लाल
घर के अंदर से साहिल की मां संतारा देवी और बड़ी मां धनशीला की रोने की आवाज आ रही थी। बहन आंचल भी रो रही थी। कुछ महिलाएं साहिल की मां को बाहर ले आईं। वो बस साहिल को याद करके रो रहीं थीं। किसी तरह शांत हुईं। उन्होंने बताया- ये गाड़ी 2 महीने पहले आई थी। मगर, साहिल को नहीं दी जाती थी। 2 दिन पहले ही चाबी बड़े लड़के को दी थी। उसने उसे दे दिया। हम सब कहीं के नहीं रहे। पिता बोले- मैं तो मुजफ्फरपुर में था, सब बर्बाद हुआ
पिता राजकुमार राजभर बिहार में गाड़ी चलाकर परिवार की जिम्मेदारी उठाते हैं। बेटे की मौत के बाद राजकुमार ने कहा- 2 दिन पहले गाड़ी लेकर मुजफ्फरपुर गए थे। हमें सुबह 10 बजे घर से फोन आया। हम वापस निकले और शाम 3 बजे पहुंचे। सीधे शिवपुर पोस्टमॉर्टम हाउस गए। बस मत पूछिए कि मेरा क्या चला गया। सब बर्बाद हो गया। यह भी पढ़ें वाराणसी में REEL बनाने में 3 दोस्तों की मौत:100 की स्पीड में बाइक लहरा रहे थे, तभी सामने से बस आ गई वाराणसी में REEL बनाने के चक्कर में 3 लड़कों की मौत हो गई। युवक 100 की स्पीड में KTM बाइक लहराते हुए रील बना रहे थे, तभी सामने से बस आ गई। लड़कों से बाइक कंट्रोल नहीं हुई और बस में जाकर भिड़ गई। हादसे के बाद पुलिस ने मोबाइल चेक किया। मोबाइल का कैमरा ऑन था, लेकिन रील सेव नहीं हो पाई थी। हादसा गुरुवार सुबह रोहनिया क्षेत्र के खनवा में हुआ। (यहां क्लिक करके पूरी खबर पढ़िए) तारीख 11 जुलाई…जगह वाराणसी में रोहनिया। 3 लड़के KTM बाइक लहराते हुए REEL बना रहे थे। तभी सामने से बस आ गई। बाइक चला रहा युवक कंट्रोल खो बैठा और बस से भिड़ंत हो गई। हादसे में तीनों की जान चली गई। क्या तीनों लड़के वाकई रील बना रहे थे या ये महज हादसा था? ये जानने हम वाराणसी मुख्यालय से 15 किमी दूर अखरी गांव पहुंचे। तीनों दोस्त शिवम, साहिल और चंद्रशेखर इसी गांव के रहने वाले थे। गांव की पगडंडी पर आगे बढ़ते हुए सन्नाटे के बीच रोने की आवाजें आ रही थीं। इसलिए, तीनों के घर ढूंढने नहीं पड़े, कुछ घरों के सामने भीड़ दिखी। हम वहां पहुंचे, तो 3 परिवारों की कहानियां खुलकर सामने आईं… पढ़िए रिपोर्ट… मामा के घर शादी में जाना था, अब खुशियों की जगह मातम पसरा
सबसे पहले हम जिसके घर पहुंचे, वो शिवम का था। मालूम हुआ कि हादसे से पहले पूरा परिवार मामा के घर शादी में शामिल होने जाना चाहता था। मगर, अब यहां मातम पसरा हुआ था। शिवम की मां घर के बाहर बैठी थीं। लगातार रोए जा रही थीं। हम उनसे कुछ पूछ पाते, उनके मुंह से निकला- हमारा लल्ला तो रील नहीं बनाता था। ये सब जाने क्या कह रहे हैं। 3 साल के लंबे इलाज के बाद कैंसर से उबरा था शिवम
गांव के लोगों ने रो रहे एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए बताया कि ये विकास है, शिवम का बड़ा भाई। विकास ने बताया- उसे घर पर सब चंचल कहते थे। जब वह 8 साल का था, उस समय उसके पैर में बहुत दर्द रहने लगा। दर्द से परेशान चंचल को हम डॉक्टर के पास ले गए। मगर आराम नहीं मिला। फिर उसको हैरिटेज हॉस्पिटल में दिखाया। डॉक्टर ने बताया कि उसको ब्लड कैंसर है। BHU में ही सही इलाज मिलेगा। फिर BHU में शिवम का इलाज शुरू हुआ और 3 साल चला। हमने लाखों रुपए खर्च किए। वो ठीक हो गया था। मगर, होनी को कुछ और ही मंजूर था। शिवम ने कहा था- शादी तो कल है, अभी आता हूं
शिवम के पिता रूपचंद राजभर ने कहा- वो सुबह उठा तो कुछ दोस्त सड़क पर उसे आवाज देकर बुला रहे थे। हमने पूछा कि कहां जा रहे हो? वह बोला कि पापा बस कुछ देर में आते हैं। हमने कहा कि कल मामा के यहां शादी है, सबको चलना है। जवाब मिला कि शादी तो कल है न, मैं कुछ देर में वापस आता हूं। लेकिन लौटा तो उसमें जान नहीं थी। मां बोली- मेरे बेटे ने चाय भी नहीं पी थी
शिवम की मां सीता ने रोते हुए बताया- सुबह उठा तो हमने कहा- चाय पी लो। मगर, उसने मना कर दिया। परिवार के अन्य लोग मीठा खा रहे थे तो उसने उनके साथ मीठा खाया। फिर वो अपने दोस्तों के साथ चला गया। बड़ी बहन चंदा देवी ने बताया- भाई को हमने रोकने की कोशिश की। मगर, वो नहीं रुका और आज भाई हमारे बीच नहीं है। भाई बोले- रील नहीं बनाता था शिवम
शिवम के भाई विनय ने कहा- लोग कह रहे हैं कि वो लोग रील बना रहे थे, उसी दौरान हादसा हुआ। ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने शिवम का मोबाइल दिखाते हुए कहा कि यह मोबाइल शिवम के जेब में था, जो टूट गया है। पोस्टमॉर्टम हाउस में यह मोबाइल हमें डॉक्टर ने उसकी जेब से निकाल कर दिया है। अगर रील बना रहा होता तो मोबाइल जेब में कैसे होता। चंद्रशेखर के पिता बोले- वो हमारी जान थी, समझिए चली गई
शिवम के परिवार से बातचीत करने के बाद हम चंद्रशेखर के घर पहुंचे। गांव के सबसे आखिर में चंद्रशेखर का घर था। उनके पिता राजकुमार राजभर किसान हैं। घर के अंदर गांव की औरतें मौजूद थीं। वह चंद्रशेखर की मां सावित्री को दिलासा दे रही थीं। हमें देखकर एक लड़के ने चंद्रशेखर के पिता राजकुमार राजभर को आवाज दी। कहा- कोई मिलने आया है। जैसे ही हमने चंद्रशेखर का नाम लिया, वो रो पड़े। कहा- मेरा सब कुछ चला गया। सबसे बड़ा लड़का था चंद्रशेखर, जो कभी घर से भी नहीं निकलता था। वो उस दिन क्यों दोस्तों के साथ चला गया, ये हमें समझ नहीं आता। शाम में घर के सामने ही बैठकर थोड़ी देर मोबाइल चलाता था। मुझे पेट में ट्यूमर है। उसका इलाज चल रहा है। हमने अपने लड़कों से कहा था- बेटा पढ़ाई छोड़ दो, अब नौकरी करो। तुम लोग घर संभालो। अब हमसे काम नहीं होता। मगर ये नहीं पता था कि हमारा सहारा ही चला जाएगा। अब कैसे क्या करेंगे। चंद्रशेखर हमारी जान थी। समझिए कि हमारी जान खत्म हो गई। हमने पूछा- 3 दोस्त अपने किसी साथी को छोड़ने के लिए गए थे, वो कौन था? जवाब मिला…
राजकुमार ने बताया- बेटावर का एक लड़का रूपचंद के यहां रात भर रुका था। उसी को छोड़ने बछांव गए थे। चंद्रशेखर घर से भी नहीं निकलता था ज्यादा। 2 महीना पहले ही बड़ी लड़की की शादी की है। हम काम में लग गए और वो कब निकला पता ही नहीं चला
चंद्रशेखर की मां के आंसू नहीं रुक रहे हैं। सावित्री ने कहा- सुबह उठकर वो कब निकल गया पता ही नहीं चला। हम काम में व्यस्त थे, देख नहीं पाए। अब घर में चंद्रशेखर की बड़ी बहन चंदा और छोटा भाई चंदन हैं। साहिल के पिता कुछ बोल ही नहीं सके
अखरी प्राइमरी स्कूल के बगल से खड़ंजा का रास्ता जाता है। उससे होते हुए हम साहिल के घर पहुंचे। घर के बाहर लोगों का जमावड़ा था और अंदर से महिलाओं के रोने की आवाज आ रही थी। घर के बाहर पिता राजकुमार राजभर खड़े थे और कुछ लोग उन्हें सांत्वना दे रहे थे। इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि जिन साहिल और चंद्रशेखर की मौत हुई, दोनों के पिता का नाम राजकुमार राजभर है। जब हमने पिता से बात करने की कोशिश की तो उनके आंसू निकल आए। उन्होंने अपने भाई चन्द्रबली को बुलाया और हमसे बात करने को कहा। चंद्रबली ने बताया कि साहिल के बड़े पिता शिवमूरत ने ही सुबह उसे जाते हुए देखा था। साहिल जाना नहीं चाहता था, मना किया
शिवमूरत राजभर, साहिल का नाम सुनते ही रोने लगे। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। हमने कुछ देर रुक कर उनसे पूछा- क्या हुआ था। उन्होंने कहा- सुबह 6 बजे हम घर के बाहर कुर्सी पर बैठे थे। मेरे भाई राजकुमार के घर का दरवाजा अलग है। मैंने देखा तीन लड़के आए और दरवाजा खटखटाकर साहिल को उठाने लगे। पहले साहिल ने कहा- हम नहीं जाएंगे। थोड़ा सोएंगे। मां का रो-रोकर बुरा हाल, बोलीं- कहां गया मेरा लाल
घर के अंदर से साहिल की मां संतारा देवी और बड़ी मां धनशीला की रोने की आवाज आ रही थी। बहन आंचल भी रो रही थी। कुछ महिलाएं साहिल की मां को बाहर ले आईं। वो बस साहिल को याद करके रो रहीं थीं। किसी तरह शांत हुईं। उन्होंने बताया- ये गाड़ी 2 महीने पहले आई थी। मगर, साहिल को नहीं दी जाती थी। 2 दिन पहले ही चाबी बड़े लड़के को दी थी। उसने उसे दे दिया। हम सब कहीं के नहीं रहे। पिता बोले- मैं तो मुजफ्फरपुर में था, सब बर्बाद हुआ
पिता राजकुमार राजभर बिहार में गाड़ी चलाकर परिवार की जिम्मेदारी उठाते हैं। बेटे की मौत के बाद राजकुमार ने कहा- 2 दिन पहले गाड़ी लेकर मुजफ्फरपुर गए थे। हमें सुबह 10 बजे घर से फोन आया। हम वापस निकले और शाम 3 बजे पहुंचे। सीधे शिवपुर पोस्टमॉर्टम हाउस गए। बस मत पूछिए कि मेरा क्या चला गया। सब बर्बाद हो गया। यह भी पढ़ें वाराणसी में REEL बनाने में 3 दोस्तों की मौत:100 की स्पीड में बाइक लहरा रहे थे, तभी सामने से बस आ गई वाराणसी में REEL बनाने के चक्कर में 3 लड़कों की मौत हो गई। युवक 100 की स्पीड में KTM बाइक लहराते हुए रील बना रहे थे, तभी सामने से बस आ गई। लड़कों से बाइक कंट्रोल नहीं हुई और बस में जाकर भिड़ गई। हादसे के बाद पुलिस ने मोबाइल चेक किया। मोबाइल का कैमरा ऑन था, लेकिन रील सेव नहीं हो पाई थी। हादसा गुरुवार सुबह रोहनिया क्षेत्र के खनवा में हुआ। (यहां क्लिक करके पूरी खबर पढ़िए)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर