समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) कार्ड को तोड़ने के लिए भाजपा ने मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में पिछड़ों पर दांव चला है। पार्टी ने पहले चरण में घोषित करीब 750 मंडल अध्यक्षों में 45% से ज्यादा पिछड़े वर्ग से हैं। अगर जाति वार बात करें तो सबसे ज्यादा ब्राह्मण (117) मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं। दूसरे नंबर पर ठाकुर (91) हैं। पिछड़ी जाति में सबसे ज्यादा कुर्मी (29) हैं। 11 मंडल अध्यक्ष यादव जाति से बनाए गए हैं। पूरी लिस्ट में एक भी मुस्लिम नहीं है। महिलाओं को 33% आरक्षण दिलाने का वादा करने के बाद भी महिलाओं की संख्या कम है। दलितों की संख्या भी कम है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… भाजपा के 98 संगठनात्मक जिलों में कुल 1 हजार 819 मंडल हैं। पार्टी ने पहले चरण में करीब 750 मंडल अध्यक्ष घोषित किए हैं। दैनिक भास्कर ने 33 संगठनात्मक जिलों में घोषित मंडल अध्यक्षों की सूची के आधार पर जातीय समीकरण की पड़ताल की। इसमें सामने आया है कि पार्टी ने अपने परंपरागत ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और भूमिहार वोट बैंक का ध्यान रखा है, लेकिन पिछड़े वर्ग को साधने के लिए गाजीपुर से सहारनपुर तक हर जिले में इस वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया है। पिछड़े वर्ग की सभी जातियों को नेतृत्व, सबसे ज्यादा कुर्मी
भाजपा ने पिछड़े वर्ग में यादव, कुर्मी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी, शाक्य, गुर्जर, जाट, लोधी, राजभर, निषाद, मल्लाह, कश्यप, बिंद, नाई, नोनिया चौहान, सुनार और गुप्ता समाज को प्रतिनिधित्व दिया है। 750 में से करीब 340 मंडल अध्यक्ष पिछड़े समाज से बनाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा मंडल अध्यक्ष कुर्मी समाज से बनाए गए हैं। उसके बाद मौर्य, सैनी, शाक्य, कुशवाहा समाज से हैं। शहरी क्षेत्रों में वैश्य और ब्राह्मण
भाजपा ने शहरी इलाकों के मंडलों में वैश्य और ब्राह्मण समाज के नेताओं को मंडल अध्यक्ष बनाया है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि शहरी इलाकों में इन दोनों जातियों का वर्चस्व होने के साथ दबदबा भी रहता है। आधी आबादी की भागीदारी भी काफी कम
संगठनात्मक चुनाव के लिए भाजपा ने दो बार कार्यशाला की। पहली कार्यशाला लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान और दूसरी PWD के विश्वेश्वरैया सभागार में हुई। दोनों में दलित और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। लेकिन, 33 संगठनात्मक जिलों में मंडल अध्यक्ष पद पर महिलाओं की भागीदारी न के बराबर है। 17 जिलों में एक भी महिला मंडल अध्यक्ष नहीं है। वहीं सुल्तानपुर में 2, रामपुर में 2, सीतापुर में 2, प्रतापगढ़, अमेठी, देवरिया, कन्नौज, जौनपुर, भदोही, सोनभद्र, गाजीपुर, पीलीभीत, अमरोहा, संतकबीर नगर और गोंडा में 1-1 महिला मंडल अध्यक्ष हैं। चंदौली, आजमगढ़, मऊ, सिद्धार्थनगर, इटावा, बस्ती, मेरठ, बलरामपुर, बलिया, मछलीशहर, कुशीनगर, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर, सहारनपुर महानगर, शाहजहांपुर और हरदोई में एक भी महिला मंडल अध्यक्ष नहीं है। 39 दलित मंडल अध्यक्ष बने, 10 जिलों में एक भी नहीं
गाजीपुर में 5, बलिया में 4, कुशीनगर में 3, प्रतापगढ़ में 3, हरदोई में 3, सीतापुर में 3, रामपुर में 2, देवरिया में 2 और सोनभद्र में दलित वर्ग से 2 मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं सहारनपुर महानगर, पीलीभीत, सुत्लानपुर, अमेठी, मऊ, कन्नौज, भदोही, इटावा, बलरामपुर, गोंडा, संतबकबीरनगर और गौतमबुद्ध नगर में 1-1 दलित मंडल अध्यक्ष नियुक्त बने हैं। नोएडा, शाहजहांपुर जिला, अमरोहा, चंदौली, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, बस्ती, मेरठ जिला और मछलीशहर में एक भी दलित मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया। यादव समाज में नई लीडरशिप की तैयारी
भाजपा ने सपा के वोट बैंक (यादव समाज) में सेंध लगाने के लिए इनके बीच अपनी नई लीडरशिप तैयार करने की योजना बनाई है। आमतौर पर यह धारणा रहती है कि यादव और मुस्लिम समुदाय भाजपा को वोट नहीं देता। इसके बाद भी पार्टी ने यादव समाज में सेंध लगाने के लिए 10 से ज्यादा मंडल अध्यक्ष यादव समाज से बनाए हैं। इटावा के सैफई में असनीत यादव, जौनपुर के गमिरन में अजय यादव, देवरिया के सलेमपुर में पुनीत यादव, बरियापुर में दिवाकर यादव, आजमगढ़ के मेहनगर में अनिल यादव, सुल्तानपुर के धम्मौर में रामजतन यादव, संतकबीर नगर के खलीलाबाद देहात में भगवानदास यादव, सेमरियावां में कन्हैया यादव, सीतापुर के महमूदाबाद देहात में अरविंद यादव, नोएडा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंडल में रामकिशन यादव, जसवंतनगर द्वितीय में अजय यादव बिंदु और गाजीपुर के सैदपुर पूर्वी मंडल में विजय यादव को मंडल अध्यक्ष बनाया गया है। एक भी मुस्लिम मंडल अध्यक्ष नहीं
भाजपा ने अब तक मुस्लिम समुदाय से एक भी मंडल अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया। सूत्रों का कहना है, पार्टी नेतृत्व का साफ मानना है कि मुस्लिम समुदाय के लिए पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष पद लगातार कई बार से मुस्लिम को दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक आयोग में भी मुस्लिम को ही अध्यक्ष बनाया जाता है। मूल संगठन में मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को मंडल अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष या प्रदेश पदाधिकारी बनाने से वोट बैंक में कोई फायदा नजर नहीं आता। नई टीम में OBC फॉर्मूला अपनाया गया
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय का कहना है- भाजपा विधानसभा चुनाव 2027 के लिए सपा के PDA का जवाब खोज रही है। 2015 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने सर्वे किया था कि पार्टी में 67% पदों पर अगड़ी जातियों के नेता हैं। बाकी 33 फीसदी में पिछड़े और दलित हैं। उन्होंने 2016 में भाजपा की नई टीम में OBC का फॉर्मूला अपनाया। संगठन में दलित और पिछड़े चेहरों को जगह दी। भाजपा को उसका फायदा 2017 के विधानसभा चुनाव में मिला। उनका कहना है कि 2022 के बाद समाजवादी पार्टी का PDA का नारा काम कर गया। भाजपा को इसी महीने मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति इस महीने कभी भी हो सकती है। भाजपा के नए अध्यक्ष ही संगठन के मोर्चे पर विधानसभा चुनाव- 2027 की कमान संभालेंगे। इसीलिए नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस वाले नेताओं की दौड़ लखनऊ से दिल्ली ही नहीं नागपुर तक चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार लखनऊ में समीकरण बैठाने के साथ दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय से लेकर नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय तक संपर्क साधने में जुटे हैं। सपा के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) कार्ड को तोड़ने के लिए भाजपा पिछड़े या दलित वर्ग के नेता को संगठन की कमान सौंप सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस पर सैद्धांतिक सहमति भी बन गई है। ————————————– यह खबर भी पढ़ें पल्लवी पटेल ने मंत्री जीजा आशीष को चोर-उचक्का कहा, बोलीं- मेरे पिता की फोटो लगाकर दलाली कर रहे सपा विधायक पल्लवी पटेल अपने जीजा और योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। तकनीकी शिक्षा विभाग में लेक्चरर्स के प्रमोशन में किए गए घोटाले के लिए आशीष पटेल को जिम्मेदार बता रही हैं। दैनिक भास्कर ने पल्लवी पटेल से विशेष बातचीत की। उन्होंने सभी सवालों के पल्लवी पटेल ने बेबाकी से जवाब दिए। पढ़ें पूरा इंटरव्यू समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) कार्ड को तोड़ने के लिए भाजपा ने मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में पिछड़ों पर दांव चला है। पार्टी ने पहले चरण में घोषित करीब 750 मंडल अध्यक्षों में 45% से ज्यादा पिछड़े वर्ग से हैं। अगर जाति वार बात करें तो सबसे ज्यादा ब्राह्मण (117) मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं। दूसरे नंबर पर ठाकुर (91) हैं। पिछड़ी जाति में सबसे ज्यादा कुर्मी (29) हैं। 11 मंडल अध्यक्ष यादव जाति से बनाए गए हैं। पूरी लिस्ट में एक भी मुस्लिम नहीं है। महिलाओं को 33% आरक्षण दिलाने का वादा करने के बाद भी महिलाओं की संख्या कम है। दलितों की संख्या भी कम है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… भाजपा के 98 संगठनात्मक जिलों में कुल 1 हजार 819 मंडल हैं। पार्टी ने पहले चरण में करीब 750 मंडल अध्यक्ष घोषित किए हैं। दैनिक भास्कर ने 33 संगठनात्मक जिलों में घोषित मंडल अध्यक्षों की सूची के आधार पर जातीय समीकरण की पड़ताल की। इसमें सामने आया है कि पार्टी ने अपने परंपरागत ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और भूमिहार वोट बैंक का ध्यान रखा है, लेकिन पिछड़े वर्ग को साधने के लिए गाजीपुर से सहारनपुर तक हर जिले में इस वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया है। पिछड़े वर्ग की सभी जातियों को नेतृत्व, सबसे ज्यादा कुर्मी
भाजपा ने पिछड़े वर्ग में यादव, कुर्मी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी, शाक्य, गुर्जर, जाट, लोधी, राजभर, निषाद, मल्लाह, कश्यप, बिंद, नाई, नोनिया चौहान, सुनार और गुप्ता समाज को प्रतिनिधित्व दिया है। 750 में से करीब 340 मंडल अध्यक्ष पिछड़े समाज से बनाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा मंडल अध्यक्ष कुर्मी समाज से बनाए गए हैं। उसके बाद मौर्य, सैनी, शाक्य, कुशवाहा समाज से हैं। शहरी क्षेत्रों में वैश्य और ब्राह्मण
भाजपा ने शहरी इलाकों के मंडलों में वैश्य और ब्राह्मण समाज के नेताओं को मंडल अध्यक्ष बनाया है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि शहरी इलाकों में इन दोनों जातियों का वर्चस्व होने के साथ दबदबा भी रहता है। आधी आबादी की भागीदारी भी काफी कम
संगठनात्मक चुनाव के लिए भाजपा ने दो बार कार्यशाला की। पहली कार्यशाला लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान और दूसरी PWD के विश्वेश्वरैया सभागार में हुई। दोनों में दलित और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। लेकिन, 33 संगठनात्मक जिलों में मंडल अध्यक्ष पद पर महिलाओं की भागीदारी न के बराबर है। 17 जिलों में एक भी महिला मंडल अध्यक्ष नहीं है। वहीं सुल्तानपुर में 2, रामपुर में 2, सीतापुर में 2, प्रतापगढ़, अमेठी, देवरिया, कन्नौज, जौनपुर, भदोही, सोनभद्र, गाजीपुर, पीलीभीत, अमरोहा, संतकबीर नगर और गोंडा में 1-1 महिला मंडल अध्यक्ष हैं। चंदौली, आजमगढ़, मऊ, सिद्धार्थनगर, इटावा, बस्ती, मेरठ, बलरामपुर, बलिया, मछलीशहर, कुशीनगर, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर, सहारनपुर महानगर, शाहजहांपुर और हरदोई में एक भी महिला मंडल अध्यक्ष नहीं है। 39 दलित मंडल अध्यक्ष बने, 10 जिलों में एक भी नहीं
गाजीपुर में 5, बलिया में 4, कुशीनगर में 3, प्रतापगढ़ में 3, हरदोई में 3, सीतापुर में 3, रामपुर में 2, देवरिया में 2 और सोनभद्र में दलित वर्ग से 2 मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं सहारनपुर महानगर, पीलीभीत, सुत्लानपुर, अमेठी, मऊ, कन्नौज, भदोही, इटावा, बलरामपुर, गोंडा, संतबकबीरनगर और गौतमबुद्ध नगर में 1-1 दलित मंडल अध्यक्ष नियुक्त बने हैं। नोएडा, शाहजहांपुर जिला, अमरोहा, चंदौली, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, बस्ती, मेरठ जिला और मछलीशहर में एक भी दलित मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया। यादव समाज में नई लीडरशिप की तैयारी
भाजपा ने सपा के वोट बैंक (यादव समाज) में सेंध लगाने के लिए इनके बीच अपनी नई लीडरशिप तैयार करने की योजना बनाई है। आमतौर पर यह धारणा रहती है कि यादव और मुस्लिम समुदाय भाजपा को वोट नहीं देता। इसके बाद भी पार्टी ने यादव समाज में सेंध लगाने के लिए 10 से ज्यादा मंडल अध्यक्ष यादव समाज से बनाए हैं। इटावा के सैफई में असनीत यादव, जौनपुर के गमिरन में अजय यादव, देवरिया के सलेमपुर में पुनीत यादव, बरियापुर में दिवाकर यादव, आजमगढ़ के मेहनगर में अनिल यादव, सुल्तानपुर के धम्मौर में रामजतन यादव, संतकबीर नगर के खलीलाबाद देहात में भगवानदास यादव, सेमरियावां में कन्हैया यादव, सीतापुर के महमूदाबाद देहात में अरविंद यादव, नोएडा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंडल में रामकिशन यादव, जसवंतनगर द्वितीय में अजय यादव बिंदु और गाजीपुर के सैदपुर पूर्वी मंडल में विजय यादव को मंडल अध्यक्ष बनाया गया है। एक भी मुस्लिम मंडल अध्यक्ष नहीं
भाजपा ने अब तक मुस्लिम समुदाय से एक भी मंडल अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया। सूत्रों का कहना है, पार्टी नेतृत्व का साफ मानना है कि मुस्लिम समुदाय के लिए पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष पद लगातार कई बार से मुस्लिम को दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक आयोग में भी मुस्लिम को ही अध्यक्ष बनाया जाता है। मूल संगठन में मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को मंडल अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष या प्रदेश पदाधिकारी बनाने से वोट बैंक में कोई फायदा नजर नहीं आता। नई टीम में OBC फॉर्मूला अपनाया गया
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय का कहना है- भाजपा विधानसभा चुनाव 2027 के लिए सपा के PDA का जवाब खोज रही है। 2015 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने सर्वे किया था कि पार्टी में 67% पदों पर अगड़ी जातियों के नेता हैं। बाकी 33 फीसदी में पिछड़े और दलित हैं। उन्होंने 2016 में भाजपा की नई टीम में OBC का फॉर्मूला अपनाया। संगठन में दलित और पिछड़े चेहरों को जगह दी। भाजपा को उसका फायदा 2017 के विधानसभा चुनाव में मिला। उनका कहना है कि 2022 के बाद समाजवादी पार्टी का PDA का नारा काम कर गया। भाजपा को इसी महीने मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति इस महीने कभी भी हो सकती है। भाजपा के नए अध्यक्ष ही संगठन के मोर्चे पर विधानसभा चुनाव- 2027 की कमान संभालेंगे। इसीलिए नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस वाले नेताओं की दौड़ लखनऊ से दिल्ली ही नहीं नागपुर तक चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार लखनऊ में समीकरण बैठाने के साथ दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय से लेकर नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय तक संपर्क साधने में जुटे हैं। सपा के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) कार्ड को तोड़ने के लिए भाजपा पिछड़े या दलित वर्ग के नेता को संगठन की कमान सौंप सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस पर सैद्धांतिक सहमति भी बन गई है। ————————————– यह खबर भी पढ़ें पल्लवी पटेल ने मंत्री जीजा आशीष को चोर-उचक्का कहा, बोलीं- मेरे पिता की फोटो लगाकर दलाली कर रहे सपा विधायक पल्लवी पटेल अपने जीजा और योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। तकनीकी शिक्षा विभाग में लेक्चरर्स के प्रमोशन में किए गए घोटाले के लिए आशीष पटेल को जिम्मेदार बता रही हैं। दैनिक भास्कर ने पल्लवी पटेल से विशेष बातचीत की। उन्होंने सभी सवालों के पल्लवी पटेल ने बेबाकी से जवाब दिए। पढ़ें पूरा इंटरव्यू उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर