बीते दिन अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में अमृतसर के सलेमपुर गांव के दलेर सिंह भी शामिल थे। अमृतसर पहुंचने के बाद दलेर सिंह ने अपने खतरनाक और दर्दनाक सफर की कहानी साझा की, जो अवैध प्रवास (डंकी रूट) के जरिए अमेरिका पहुंचने की कोशिश में बिताए गए महीनों की असलियत को उजागर करती है। दलेर सिंह ने बताया कि उनका सफर 15 अगस्त 2024 को शुरू हुआ था, जब वे घर से निकले थे। एक एजेंट ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह एक नंबर में उन्हें अमेरिका पहुंचा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले उन्हें दुबई ले जाया गया और फिर ब्राजील पहुंचाया गया। ब्राजील में फंसे 2 महीने फंसे रहे ब्राजील में उन्हें 2 महीने तक रोका गया। एजेंटों ने पहले वीजा लगवाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में कहा कि वीजा संभव नहीं है और अब “डंकी रूट” अपनाना पड़ेगा। अंत में हमें कहा गया कि पनामा के जंगलों से होकर जाना होगा। इस रूट को निचला डंकी रूट कहा जाता है। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। हमें हां करनी पड़ी और हम पनामा के जंगलों से अमेरिका के लिए निकल पड़े। 120 किलोमीटर का है पनामा के जंगलों का खतरनाक सफर दलेर सिंह ने पनामा के जंगलों को दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक बताया। 120 किलोमीटर लंबे जंगल को पार करने में साढ़े तीन दिन लगते हैं। हमें अपना खाना-पीना खुद लेकर चलना पड़ता था। जो फिल्में इस सफर पर बनी हैं, वे पूरी तरह सच्ची हैं। उन्होंने बताया कि उनके ग्रुप में 8-10 लोग थे, जिनमें नेपाल के नागरिक और महिलाएं भी शामिल थीं। हमारे साथ एक गाइड (डोंकर) था, जो रास्ता दिखाता था। लेकिन यह सफर इतना खतरनाक था कि हर कदम पर जान का खतरा बना रहता था। मैक्सिको बॉर्डर पर गिरफ्तारी पनामा के जंगल को पार करने के बाद वे मैक्सिको पहुंचे और वहां से अमेरिका के तेजवाना बॉर्डर की ओर बढ़े। लेकिन 15 जनवरी 2025 को उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे सारे सपने यहीं खत्म हो गए। हमें उम्मीद थी कि हम सही तरीके से अमेरिका पहुंचेंगे, लेकिन हमें ठगा गया। दलेर सिंह ने बताया कि इस पूरे सफर में लाखों रुपए खर्च हो गए, जिनमें से अधिकांश पैसे एजेंटों ने ठगे। हमें दो एजेंटों ने धोखा दिया, एक दुबई का और एक भारत का। हमें कहा गया था कि सब कुछ सही तरीके से होगा, लेकिन हमें खतरनाक रास्ते पर धकेल दिया गया। अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद हालात
अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद दलेर सिंह और अन्य लोगों को कैंप में रखा गया। अमेरिका में जो भी हुआ, वे नियमों के अनुसार हुआ। हम शुक्रगुजार हैं कि हम घर वापस आ गए। लेकिन जब हमें प्लेन में बैठाया गया तो हमें नहीं पता था कि हम भारत आ रहे हैं। हमारे हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेडियां थी। महिलाओं के साथ भी ऐसा ही किया गया। खाना खोने के लिए भी बेड़ियों को नहीं खोला गया। लेकिन बच्चों व माइनर के साथ ऐसा नहीं किया गया। डिपोर्टेशन के दौरान बंधन और व्यवहार अमेरिका से डिपोर्ट करते समय 104 लोगों के ग्रुप में दलेर सिंह भी थे। उन्होंने बताया कि हमें यह भी पता नहीं था कि हमें कहां ले जाया जा रहा है। लेकिन, अमेरिकी अधिकारी कानून के मुताबिक व्यवहार करते थे और किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया गया। वे नियमों के अनुसार चलते थे और किसी के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया। बीते दिन अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में अमृतसर के सलेमपुर गांव के दलेर सिंह भी शामिल थे। अमृतसर पहुंचने के बाद दलेर सिंह ने अपने खतरनाक और दर्दनाक सफर की कहानी साझा की, जो अवैध प्रवास (डंकी रूट) के जरिए अमेरिका पहुंचने की कोशिश में बिताए गए महीनों की असलियत को उजागर करती है। दलेर सिंह ने बताया कि उनका सफर 15 अगस्त 2024 को शुरू हुआ था, जब वे घर से निकले थे। एक एजेंट ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह एक नंबर में उन्हें अमेरिका पहुंचा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले उन्हें दुबई ले जाया गया और फिर ब्राजील पहुंचाया गया। ब्राजील में फंसे 2 महीने फंसे रहे ब्राजील में उन्हें 2 महीने तक रोका गया। एजेंटों ने पहले वीजा लगवाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में कहा कि वीजा संभव नहीं है और अब “डंकी रूट” अपनाना पड़ेगा। अंत में हमें कहा गया कि पनामा के जंगलों से होकर जाना होगा। इस रूट को निचला डंकी रूट कहा जाता है। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। हमें हां करनी पड़ी और हम पनामा के जंगलों से अमेरिका के लिए निकल पड़े। 120 किलोमीटर का है पनामा के जंगलों का खतरनाक सफर दलेर सिंह ने पनामा के जंगलों को दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक बताया। 120 किलोमीटर लंबे जंगल को पार करने में साढ़े तीन दिन लगते हैं। हमें अपना खाना-पीना खुद लेकर चलना पड़ता था। जो फिल्में इस सफर पर बनी हैं, वे पूरी तरह सच्ची हैं। उन्होंने बताया कि उनके ग्रुप में 8-10 लोग थे, जिनमें नेपाल के नागरिक और महिलाएं भी शामिल थीं। हमारे साथ एक गाइड (डोंकर) था, जो रास्ता दिखाता था। लेकिन यह सफर इतना खतरनाक था कि हर कदम पर जान का खतरा बना रहता था। मैक्सिको बॉर्डर पर गिरफ्तारी पनामा के जंगल को पार करने के बाद वे मैक्सिको पहुंचे और वहां से अमेरिका के तेजवाना बॉर्डर की ओर बढ़े। लेकिन 15 जनवरी 2025 को उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे सारे सपने यहीं खत्म हो गए। हमें उम्मीद थी कि हम सही तरीके से अमेरिका पहुंचेंगे, लेकिन हमें ठगा गया। दलेर सिंह ने बताया कि इस पूरे सफर में लाखों रुपए खर्च हो गए, जिनमें से अधिकांश पैसे एजेंटों ने ठगे। हमें दो एजेंटों ने धोखा दिया, एक दुबई का और एक भारत का। हमें कहा गया था कि सब कुछ सही तरीके से होगा, लेकिन हमें खतरनाक रास्ते पर धकेल दिया गया। अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद हालात
अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद दलेर सिंह और अन्य लोगों को कैंप में रखा गया। अमेरिका में जो भी हुआ, वे नियमों के अनुसार हुआ। हम शुक्रगुजार हैं कि हम घर वापस आ गए। लेकिन जब हमें प्लेन में बैठाया गया तो हमें नहीं पता था कि हम भारत आ रहे हैं। हमारे हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेडियां थी। महिलाओं के साथ भी ऐसा ही किया गया। खाना खोने के लिए भी बेड़ियों को नहीं खोला गया। लेकिन बच्चों व माइनर के साथ ऐसा नहीं किया गया। डिपोर्टेशन के दौरान बंधन और व्यवहार अमेरिका से डिपोर्ट करते समय 104 लोगों के ग्रुप में दलेर सिंह भी थे। उन्होंने बताया कि हमें यह भी पता नहीं था कि हमें कहां ले जाया जा रहा है। लेकिन, अमेरिकी अधिकारी कानून के मुताबिक व्यवहार करते थे और किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया गया। वे नियमों के अनुसार चलते थे और किसी के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
![भारत से अमेरिका जाने तक की दर्दनाक कहानी:दलेर बोले- पनामा का रूट खतरों भरा, 120 किलोमीटर पैदल चले, मेरे पास रास्ता नहीं था](https://images.bhaskarassets.com/thumb/1000x1000/web2images/521/2025/02/06/gif5_1738841759.gif)