भिवानी जिला परिषद अध्यक्ष कुर्सी को लेकर चल रही राजनीति में एक बार फिर से जिला परिषद चेयरपर्सन अनीता मलिक ने विरोधियों को मात दी है। आज मंगलवार को डीसी महावीर प्रसाद की अध्यक्षता में जिला परिषद की हाउस मीटिंग बुलाई गई। जिसमें विरोधियों ने अनीता मलिक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिसमें 22 पार्षदों में से 16 पहुंचे। जिनमें से 13 जिला पार्षद अनीता मलिक के विरोध में वोटिंग की, तो तीन पार्षद उनके पक्ष में रहे। विरोधी खेमे को 15 पार्षद चाहिए थे, जिस कारण अनीता मलिक की कुर्सी सुरक्षित रही। मीटिंग में 6 पार्षद मीटिंग में नहीं पहुंचे। 27 दिसंबर को लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव जिला परिषद चेयरपर्सन अनीता मलिक के खिलाफ 27 दिसंबर 2024 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उस मीटिंग में भी केवल 4 ही पार्षद पहुंच पाए थे। इसके बाद यह मीटिंग जिला प्रशासन द्वारा सामान्य चर्चा के बाद रद्द कर दी गई थी। जिला प्रशासन ने 7 जनवरी 2025 को अविश्वास प्रस्ताव के लिए मीटिंग तय की थी। आज भी हाउस मीटिंग में 22 जिला पार्षद में से कुल 16 ही पहुंच पाए हैं। कुर्सी से हटाने के लिए 15 पार्षद चाहिए अनीता मलिक को कुर्सी से हटाने के लिए उनके खिलाफ 15 चाहिए, जबकि उनके खिलाफ 13 पार्षद ही जुट पाए। केवल तीन पार्षदों के साथ से ही अनीता मलिक की कुर्सी सुरक्षित बच गई है। अनीता मलिक ने एक बार फिर से तीसरी बार विरोधियों को मात दी है। आधिकारिक तौर पर जिला उपायुक्त महावीर प्रसाद ने कहा कि आज की मीटिंग में 16 पार्षद पहुंचे। किरण चौधरी से 36 का आंकड़ा समय पर गुप्त वोटिंग हुई, इनमें 13 वोट अनीता मलिक के खिलाफ पड़े। अविश्वास प्रस्ताव साबित करने के लिए उनके खिलाफ 15 की जरूरत थी, लेकिन उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव साबित नहीं हो पाया।भिवानी के राज्यसभा सांसद किरण चौधरी के गृह क्षेत्र तोशाम में राजनीतिक सरगर्मी हमेशा चर्चाओं में रहती है। भिवानी जिला परिषद की चेयरपर्सन अनीता मलिक और किरण चौधरी के बीच 36 का आंकड़ा है। अनीता मलिक ने राज्यसभा सांसद पर उंगली उठाते हुए कहा कि अब भाजपा को भी उनसे इस्तीफा ले लेना चाहिए। भिवानी जिला परिषद अध्यक्ष कुर्सी को लेकर चल रही राजनीति में एक बार फिर से जिला परिषद चेयरपर्सन अनीता मलिक ने विरोधियों को मात दी है। आज मंगलवार को डीसी महावीर प्रसाद की अध्यक्षता में जिला परिषद की हाउस मीटिंग बुलाई गई। जिसमें विरोधियों ने अनीता मलिक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिसमें 22 पार्षदों में से 16 पहुंचे। जिनमें से 13 जिला पार्षद अनीता मलिक के विरोध में वोटिंग की, तो तीन पार्षद उनके पक्ष में रहे। विरोधी खेमे को 15 पार्षद चाहिए थे, जिस कारण अनीता मलिक की कुर्सी सुरक्षित रही। मीटिंग में 6 पार्षद मीटिंग में नहीं पहुंचे। 27 दिसंबर को लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव जिला परिषद चेयरपर्सन अनीता मलिक के खिलाफ 27 दिसंबर 2024 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उस मीटिंग में भी केवल 4 ही पार्षद पहुंच पाए थे। इसके बाद यह मीटिंग जिला प्रशासन द्वारा सामान्य चर्चा के बाद रद्द कर दी गई थी। जिला प्रशासन ने 7 जनवरी 2025 को अविश्वास प्रस्ताव के लिए मीटिंग तय की थी। आज भी हाउस मीटिंग में 22 जिला पार्षद में से कुल 16 ही पहुंच पाए हैं। कुर्सी से हटाने के लिए 15 पार्षद चाहिए अनीता मलिक को कुर्सी से हटाने के लिए उनके खिलाफ 15 चाहिए, जबकि उनके खिलाफ 13 पार्षद ही जुट पाए। केवल तीन पार्षदों के साथ से ही अनीता मलिक की कुर्सी सुरक्षित बच गई है। अनीता मलिक ने एक बार फिर से तीसरी बार विरोधियों को मात दी है। आधिकारिक तौर पर जिला उपायुक्त महावीर प्रसाद ने कहा कि आज की मीटिंग में 16 पार्षद पहुंचे। किरण चौधरी से 36 का आंकड़ा समय पर गुप्त वोटिंग हुई, इनमें 13 वोट अनीता मलिक के खिलाफ पड़े। अविश्वास प्रस्ताव साबित करने के लिए उनके खिलाफ 15 की जरूरत थी, लेकिन उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव साबित नहीं हो पाया।भिवानी के राज्यसभा सांसद किरण चौधरी के गृह क्षेत्र तोशाम में राजनीतिक सरगर्मी हमेशा चर्चाओं में रहती है। भिवानी जिला परिषद की चेयरपर्सन अनीता मलिक और किरण चौधरी के बीच 36 का आंकड़ा है। अनीता मलिक ने राज्यसभा सांसद पर उंगली उठाते हुए कहा कि अब भाजपा को भी उनसे इस्तीफा ले लेना चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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