भिवानी के गांव रतेरा में दो भाइयों पर मारपीट का मामला सामने आया है। जिसमें चचेरे भाई के साथ झगड़ा कर रहे युवकों को रोकने गए भाई पर धारदार हथियार से हमला कर दिया गया। युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। भिवानी के गांव रतेरा निवासी बलजीत ने बवानीखेड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उसने बताया कि उसके तीन बच्चे (2 लड़के और एक लड़की) हैं। तीनों बच्चे अविवाहित हैं और वह किसान है। उसका बेटा राहुल 1 फरवरी की रात करीब साढ़े आठ बजे घरेलू सामान खरीदने के लिए पड़ोस में स्थित किराना स्टोर पर गया था। वहां पर गांव के ही कुछ युवक उसके बड़े भाई के बेटे जसबीर के साथ मारपीट कर रहे थे। धारदार हथियार से किया हमला उन्होंने बताया कि जब राहुल जसबीर को बचाने गया तो आरोपियों ने मिलकर उन दोनों (जसबीर और राहुल) के साथ मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान हमलावरों में से एक ने राहुल के पेट पर धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिससे राहुल घायल होकर गिर पड़ा। मारपीट की आवाज सुनकर जब बलजीत भी मौके पर पहुंचा तो पांचों आरोपी उसे जान से मारने की धमकी देते हुए मौके से फरार हो गए। पैसों के लेन-देन को लेकर हुआ झगड़ा आरोपियों ने पैसों के लेन-देन को लेकर पुरानी रंजिश को लेकर झगड़ा किया। घायल को तोशाम के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां से राहुल को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। भिवानी के गांव रतेरा में दो भाइयों पर मारपीट का मामला सामने आया है। जिसमें चचेरे भाई के साथ झगड़ा कर रहे युवकों को रोकने गए भाई पर धारदार हथियार से हमला कर दिया गया। युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। भिवानी के गांव रतेरा निवासी बलजीत ने बवानीखेड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उसने बताया कि उसके तीन बच्चे (2 लड़के और एक लड़की) हैं। तीनों बच्चे अविवाहित हैं और वह किसान है। उसका बेटा राहुल 1 फरवरी की रात करीब साढ़े आठ बजे घरेलू सामान खरीदने के लिए पड़ोस में स्थित किराना स्टोर पर गया था। वहां पर गांव के ही कुछ युवक उसके बड़े भाई के बेटे जसबीर के साथ मारपीट कर रहे थे। धारदार हथियार से किया हमला उन्होंने बताया कि जब राहुल जसबीर को बचाने गया तो आरोपियों ने मिलकर उन दोनों (जसबीर और राहुल) के साथ मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान हमलावरों में से एक ने राहुल के पेट पर धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिससे राहुल घायल होकर गिर पड़ा। मारपीट की आवाज सुनकर जब बलजीत भी मौके पर पहुंचा तो पांचों आरोपी उसे जान से मारने की धमकी देते हुए मौके से फरार हो गए। पैसों के लेन-देन को लेकर हुआ झगड़ा आरोपियों ने पैसों के लेन-देन को लेकर पुरानी रंजिश को लेकर झगड़ा किया। घायल को तोशाम के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां से राहुल को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में शहरी एरिया में पकड़ बढ़ा रही BJP:निकाय चुनाव में नए चेहरों पर दांव लगाएगी, कांग्रेस की मदद करने वालों के टिकट कटेंगे
हरियाणा में शहरी एरिया में पकड़ बढ़ा रही BJP:निकाय चुनाव में नए चेहरों पर दांव लगाएगी, कांग्रेस की मदद करने वालों के टिकट कटेंगे हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा अब सभी निगमों में भी बहुमत हासिल करने की कवायद में जुट गई है। वहीं, हार से बैकफुट पर चल रही कांग्रेस तो इस बार भी निर्दलियों को ही समर्थन देने के पक्ष में नजर आ रही है, क्योंकि पार्टी की तरफ से अब तक चुनाव को लेकर कोई तैयारी नहीं दिख रही। इधर, भाजपा पूरे हरियाणा में सदस्यता अभियान चला रही है, जिससे बूथ स्तर पर पार्टी से बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ा जा सके। भाजपा का अभियान शहरों में ही ज्यादा एक्टिव नजर आ रहा है। इससे माना जा रहा है कि भाजपा आगामी निगम चुनावों के लिए ही तैयारी कर रही है। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की मदद करने वाले चेहरों के टिकट कटेंगे
शहरों में सरकार बनाने के लिए BJP विधानसभा चुनाव की तरह ही नए चेहरों पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद करने वाले पार्षदों की लिस्ट तैयार की जा रही है। इसे लेकर केंद्रीय नेतृत्व से भी मंजूरी मिल चुकी है। 10 नगर निगमों के चुनाव लंबित
विधानसभा चुनाव में अंबाला मेयर शक्ति रानी शर्मा और सोनीपत के मेयर निखिल मदान भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। अब इनके समेत हरियाणा की 10 नगर निगमों के चुनाव लंबित हो गए हैं। सिर्फ पंचकूला नगर निगम ही है, जहां अभी मेयर है, जिसका कार्यकाल जनवरी 2026 तक बाकी है। इनके अलावा यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी कार्यकाल पूरा हो चुका है। अभी वहां की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी संभाल रहे हैं। कई निगमों के चुनाव तो दो-दो साल से लंबित हैं। मानेसर नगर निगम गठित होने के बाद वहां अभी तक चुनाव ही नहीं हुए। 6 महीने में करवाने होते हैं चुनाव
किसी भी इकाई का कार्यकाल खत्म होने के बाद 6 महीने के भीतर उसका गठन करवाना होता है। फिर वह चाहे स्थानीय निकाय हो या फिर विधानसभा, लेकिन यहां कई महीने गुजर जाने पर भी स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं, जोकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन है। बागियों को सबक सिखाने के लिए नए चेहरों पर दांव लगाएगी भाजपा
इधर, भाजपा ने निकाय चुनावों में विधानसभा चुनाव के दौरान पाला बदलने वाले पार्षदों को सबक सिखाने की योजना बनाई है। उन्हें टिकट नहीं दिए जाएंगे। पार्टी नए चेहरों पर दांव लगाएगी। इसके लिए पार्टी जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई। उन्हें सक्रिय कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार करने के लिए भी कहा गया है। हो सकता है कि इनमें से ही पार्षद उम्मीदवार चुने जाएं। शहरी वोटरों पर भाजपा का फोकस
चुनाव की चर्चा के बीच भाजपा ने शहरी वोटरों पर फोकस किया है। CM नायब सैनी ने दिल्ली दौरे से आते ही सबसे पहले निकाय विभाग की मीटिंग बुलाई थी। इसके साथ ही सभी जिलों में समाधान शिविर शुरू करने के आदेश जारी कर दिए थे। वहीं, इस समय पार्टी की तरफ से बड़े स्तर पर सभी शहरों में सदस्यता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, जोकि चुनावी अभियान का ही हिस्सा बताया जा रहा है। भाजपा सरकार की ओर से अब चुनाव करवाने के 3 कारण… 1. विधानसभा चुनाव की जीत का मिलेगा फायदा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत का फायदा होगा। 2019 में 40 सीटों के मुकाबले इस बार बीजेपी ने रिकॉर्ड 48 सीटों पर जीत पर दर्ज की है। यह दूसरा मौका है, जब BJP ने 2014 के बाद पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई है। यदि अब निकाय चुनाव होते हैं और उनमें पार्टी को लाभ मिल सकता है। 2. चेहरे बदलने का विधानसभा चुनाव में दिखा फायदा
भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कई सीटों पर चेहरे बदले थे। इनमें से अधिकतर प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इसी फॉर्मूले को भाजपा निकाय चुनाव में भी अपनाना चाहती है। इससे अधिकतर सीटें जीतने में मदद मिल सकती है। 3. शहरी वोटरों पर BJP की अच्छी पकड़
एक वजह यह भी है कि हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में BJP की कांग्रेस के मुकाबले अच्छी पकड़ है। लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर मिली हार के बाद भी भाजपा को शहरी सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में भी BJP का शहरी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा। दोनों चुनाव के आंकड़ों को देखते हुए निकाय चुनाव में BJP इसे फायदे के रूप में देख रही है। कांग्रेस अभी कुछ भी तय नहीं कर पा रही
इधर, कांग्रेस की स्थिति नाजुक बनी हुई है। पिछली बार के निगम चुनाव से भी कांग्रेस दूर रही थी। इस बार भी ऐसा लग रहा है कि पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देकर निगम चुनाव की औपचारिकता निभाने की तैयारी में है। अभी कांग्रेस की जो स्थिति है, इसमें पार्टी किसी भी तरह के चुनाव के लिए तैयार नजर नहीं आ रही है।
हरियाणा में NHM कर्मचारियों के बेनिफिट फ्रीज का आदेश वापस:24 घंटे में सरकार ने बदला फैसला, सुबह कर्मियों ने किया था प्रदर्शन
हरियाणा में NHM कर्मचारियों के बेनिफिट फ्रीज का आदेश वापस:24 घंटे में सरकार ने बदला फैसला, सुबह कर्मियों ने किया था प्रदर्शन हरियाणा में कार्यरत नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के कर्मचारियों के सेवा नियम लाभ निरस्त नहीं होंगे। सरकार को 24 घंटे में ही अपने फैसले को बदलना पड़ा है। जिससे प्रदेश के करीब 17 हजार एनएचएम कर्मचारियों को राहत मिली है। बुधवार को एनएचएम कर्मचारी सरकार के आदेश की प्रतियां जला ही रहे थे कि इस बीच एक नया लेटर आ गया। जो कर्मी पहले प्रतियां जला रहे थे, कुछ देर बाद वे मिठाई बांटते दिखे। सरकार ने मंगलवार को सेवा नियम लाभों को फ्रीज करने का आदेश दिया था। एनएचएम कर्मचारियों के बेनिफिट फ्रीज करने का आदेश वापस… जाने क्या है पूरा मामला…
स्वास्थ्य विभाग में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कार्यरत कर्मचारियों के सेवा नियम को लेकर एनएचएम निदेशक ने सभी सीएमओ को पत्र लिखा था। इसमें इन कर्मियों के सेवा नियमों को फ्रीज करने की जानकारी दी। इस आदेश के बाद कर्मचारियों को ग्रेड पे की बजाय फिक्स वेतन दिया जाना था। आदेश जारी होने के बाद से एनएचएम कर्मी यूनियन ने बुधवार को सरकार के आदेशों की प्रतियां जलाने का ऐलान कर दिया। हम खबर को अपडेट कर रहे हैं…
चौटाला-हुड्डा के गढ़ से कोई मंत्रिमंडल में नहीं:13 विधानसभाओं में एक भी सीट नहीं जीती BJP; सिर्फ एक निर्दलीय विधायक का समर्थन
चौटाला-हुड्डा के गढ़ से कोई मंत्रिमंडल में नहीं:13 विधानसभाओं में एक भी सीट नहीं जीती BJP; सिर्फ एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हरियाणा में अधिकतर समय सत्ता में रहे सिरसा और रोहतक जिला इस बार बिना पावर के रहेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ कहे जाने वाले दोनों क्षेत्रों से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में कोई शामिल नहीं हुआ, क्योंकि यहां से किसी भाजपा विधायक ने जीत दर्ज नहीं की। इसके अलावा, रोहतक के साथ लगते झज्जर जिले में भी भाजपा के किसी विधायक ने जीत दर्ज नहीं की। हालांकि, इसी जिले के अंतर्गत आने वाली बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राजेश जून ने भाजपा को समर्थन दे रखा है। तीनों जिलों में 13 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें कांग्रेस ने 10, इनेलो ने 2 और एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की है। अब जानिए भाजपा को दोनों जिलों में क्यों हुआ नुकसान… सिरसा : किसान आंदोलन का असर सिरसा जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर दिखा। यहां सभी सीट कांग्रेस के खाते में आईं। यहां नशाखोरी का मुद्दा भी चुनाव में छाया रहा। नशाखोरी रोकने के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी नजर आए। इन सीटों पर जाटों के साथ-साथ जाट सिख मतदाताओं की नाराजगी भी देखने को मिली। दोनों जिलों की पंजाबी बेल्ट में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। रोहतक : रोहतक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का फैक्टर इस बार भी चला। इस चुनाव में सभी 4 सीट कांग्रेस जीतने में कामयाब रही। यहां भाजपा दूसरे या तीसरे स्थान पर रही। इसकी वजह यह रही कि लोगों में यह संदेश गया कि कांग्रेस की सरकार आ रही है और हुड्डा सीएम बन रहे हैं। इसी वजह से इस बार भी भाजपा का खाता नहीं खुल पाया। 2019 में भी सिरसा में BJP साफ, निर्दलीय चौटाला मंत्री बने साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो तब भी रोहतक और सिरसा जिले में किसी भाजपा विधायक ने जीत दर्ज नहीं की थी। रोहतक जिले की 4 सीटों में 3 कांग्रेस और एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की। सिरसा जिले में 2 कांग्रेस, एक इनेलो, एक हलोपा और एक निर्दलीय विधायक ने जीत दर्ज की। तब सिरसा से हलोपा के विधायक बने गोपाल कांडा और रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला ने भाजपा को समर्थन दिया था। उस दौरान रणजीत चौटाला को जेल और बिजली मंत्री बनाया गया था। 2014 में रोहतक की सीट जीती BJP, ग्रोवर मंत्री बने 2014 विधानसभा चुनाव में रोहतक विधानसभा सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की थी। बाकी तीनों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे। तब रोहतक से विधायक बने मनीष ग्रोवर को सहकारिता मंत्री बनाया गया था। इससे पहले 2009 और 2004 में हुए विधानसभा चुनाव में रोहतक सीएम सिटी रहा।