भिवानी में बीजेपी नेता ने दहेज प्रथा को रोकने के लिए अनूठी पहल की है। भिवानी बीजेपी SC मोर्चा मंडल अध्यक्ष विक्रम दुग्गल बजीनिया ने अपने बेटे के टिके की रस्म में मिली 1 लाख 11 हजार रुपए लौटा दिया। उन्होंने महज 1 रुपया और एक नारियल का शगुन लेकर अपने बेटे का टिका की रस्म पूरी की। उन्होंने यह रकम लौटा कर बिना दहेज के शादी किए जाने का संकल्प लिया है। भिवानी के गांव बजीना निवासी भारतीय जनता पार्टी के SC मोर्चा अध्यक्ष विक्रम दुग्गल बजीनिया के बेटे मनीष दुग्गल की सगाई राजकुमार महावर की बेटी के साथ हुई। मनीष दुग्गल बजीनिया दुग्गल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर हैं और गांव बालावास जाट जिला रेवाड़ी प्रेरणा वकील के तौर पर कार्यरत हैं। दोनों परिवारों के बीच रिश्ता तय होने के बाद शुक्रवार को टिका लग्न की रस्म पूरी की गई। रेवाड़ी से भिवानी के गांव बजीना पहुंचे लड़की पक्ष द्वारा टिके की रस्म में 1 लाख 11 हजार रुपए कैश शगुन दिया गया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के SC मोर्चा अध्यक्ष विक्रम दुग्गल बजीनिया ने केवल एक रुपया व एक नारियल लेकर बाकी रकम लड़की पक्ष को लौटा दी और बिना दहेज के शादी किए जाने का संकल्प लिया। यह समाज में दहेज प्रथा को रोकने के लिए एक अच्छी पहल है। 1 रुपया ओर नारियल लेकर दूल्हे मनीष ने खुशी- खुशी से यह रस्म पूरी की। दूल्हे ने एक लाख 11 हजार रुपए की राशि को लौटा दिया। लड़का पक्ष ने टिका रस्म की अनूठी मिसाल पेश की है। जिसकी आसपास के गांव में भी सराहना की जा रही है। भिवानी में बीजेपी नेता ने दहेज प्रथा को रोकने के लिए अनूठी पहल की है। भिवानी बीजेपी SC मोर्चा मंडल अध्यक्ष विक्रम दुग्गल बजीनिया ने अपने बेटे के टिके की रस्म में मिली 1 लाख 11 हजार रुपए लौटा दिया। उन्होंने महज 1 रुपया और एक नारियल का शगुन लेकर अपने बेटे का टिका की रस्म पूरी की। उन्होंने यह रकम लौटा कर बिना दहेज के शादी किए जाने का संकल्प लिया है। भिवानी के गांव बजीना निवासी भारतीय जनता पार्टी के SC मोर्चा अध्यक्ष विक्रम दुग्गल बजीनिया के बेटे मनीष दुग्गल की सगाई राजकुमार महावर की बेटी के साथ हुई। मनीष दुग्गल बजीनिया दुग्गल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर हैं और गांव बालावास जाट जिला रेवाड़ी प्रेरणा वकील के तौर पर कार्यरत हैं। दोनों परिवारों के बीच रिश्ता तय होने के बाद शुक्रवार को टिका लग्न की रस्म पूरी की गई। रेवाड़ी से भिवानी के गांव बजीना पहुंचे लड़की पक्ष द्वारा टिके की रस्म में 1 लाख 11 हजार रुपए कैश शगुन दिया गया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के SC मोर्चा अध्यक्ष विक्रम दुग्गल बजीनिया ने केवल एक रुपया व एक नारियल लेकर बाकी रकम लड़की पक्ष को लौटा दी और बिना दहेज के शादी किए जाने का संकल्प लिया। यह समाज में दहेज प्रथा को रोकने के लिए एक अच्छी पहल है। 1 रुपया ओर नारियल लेकर दूल्हे मनीष ने खुशी- खुशी से यह रस्म पूरी की। दूल्हे ने एक लाख 11 हजार रुपए की राशि को लौटा दिया। लड़का पक्ष ने टिका रस्म की अनूठी मिसाल पेश की है। जिसकी आसपास के गांव में भी सराहना की जा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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गोपाल कांडा के दांव से BJP नेता टेंशन में:2 सीटें तय, 3 पर हलोपा नेता की मर्जी चलेगी; मंत्री-विधायकों की कुर्सी खतरे में
गोपाल कांडा के दांव से BJP नेता टेंशन में:2 सीटें तय, 3 पर हलोपा नेता की मर्जी चलेगी; मंत्री-विधायकों की कुर्सी खतरे में हरियाणा में गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) BJP के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ सकती है। मुख्यमंत्री नायब सैनी बुधवार को सिरसा दौरे के दौरान सिरसा के विधायक हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा से मिले थे, और उनके घर नाश्ता किया था। इसके बाद CM ने बयान दिया था कि भाजपा हलोपा के साथ है और आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे। अब माना जा रहा है कि भाजपा 5 विधानसभा सीटों पर हलोपा की जिम्मेदारी लगा सकती है। गोपाल कांडा और गोविंद कांडा पर ही 5 विधानसभाओं में कमल खिलाने की जिम्मेदारी होगी। 2 सीटों के उम्मीदवारों के चयन पर हलोपा और BJP दोनों की सहमति बनाई जाएगी, लेकिन 3 सीटें ऐसी हैं जिन पर दोनों पार्टियों में पेंच फंस सकता है। इसमें सिरसा, रानियां और फतेहाबाद विधानसभा सीट शामिल हैं। इससे कैबिनेट मंत्री समेत विधायकों की कुर्सी खतरे में है। ये है 3 सीटों का गणित… 1. रानिया विधानसभा से लड़ना चाहते हैं गोविंद कांडा
बताया जा रहा है कि हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा रानिया विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। रानिया से रणजीत चौटाला निर्दलीय विधायक चुने गए थे, लेकिन वह लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लोकसभा चुनाव भी हार गए। रणजीत चौटाला को हिसार से चुनाव लड़वाने के पीछे का मकसद रानिया विधानसभा सीट पर गोविंद कांडा की दावेदारी को और मजबूत करना था, लेकिन चौटाला हारकर दोबारा रानिया विधानसभा से तैयारी में लग गए हैं। भाजपा लोकसभा में चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों से किनारा कर सकती है। 2. फतेहाबाद सीट भी ऑफर हो सकती है
अगर रानिया में रणजीत चौटाला अड़ जाते हैं तो फतेहाबाद सीट भी गोबिंद कांडा को ऑफर की जा सकती है। हालांकि, यहां से कुलदीप बिश्नोई के भाई दुड़ाराम मौजूदा विधायक हैं। ऐसे में दुड़ाराम की नाराजगी भी भाजपा मोल नहीं लेना चाहेगी। इधर, मुख्यमंत्री की हाल ही में हुई फतेहाबाद रैली में दुड़ाराम उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटा पाए। मुख्यमंत्री को रिपोर्ट मिल चुकी है कि स्थानीय विधायक के कामकाज को लेकर लोगों में रोष है। वहीं, लोकसभा चुनाव में भी दुड़ाराम शहरी क्षेत्र के होने के बावजूद सिरसा लोकसभा से उम्मीदवार रहे अशोक तंवर को फतेहाबाद हलके से जितवा नहीं पाए थे। इस कारण उनके रिपोर्ट कार्ड को देखते हुए इस बार उनका टिकट काटकर किसी नए चेहरे को फतेहाबाद में मौका दिया जा सकता है। 3. सिरसा सीट पर BJP नेताओं को लगेगा झटका
उधर, सिरसा सीट पर तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं को गोपाल कांडा के कारण दावेदारी छोड़नी पड़ सकती है। यहां से पूर्व चेयरमैन जगदीश चोपड़ा के बेटे अमन चोपड़ा, पूर्व में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके प्रदीप रातुसरिया और पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल के बेटे मनीष गोयल दावेदार हैं। ऐसे में गोपाल कांडा के मैदान में आने से उनकी उम्मीदवारी कमजोर पड़ सकती है। बता दें कि भाजपा के गणेशी लाल सिरसा सीट से चौधरी बंसीलाल के समय विधायक बने थे। इसके बाद से सिरसा सीट भाजपा ने कभी नहीं जीती। रानिया में रणजीत की राह मुश्किल
दरअसल, रानियां विधानसभा में रणजीत चौटाला की राह मुश्किल है। रणजीत के रानिया को छोड़कर हिसार से चुनाव लड़ने से क्षेत्र में नाराजगी है। हिसार लोकसभा में रणजीत चौटाला कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए थे। लोगों में नाराजगी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब मुख्यमंत्री सैनी सिरसा के दौरे पर थे तो रानिया के लोगों ने बाजार बंद कर विरोध जताया था। रानिया तहसील के लोग क्षेत्र को उपमंडल का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, यहां के किसान नेताओं का कहना है कि किसान आंदोलन के समय रणजीत चौटाला कैबिनेट मंत्री थे, मगर किसानों के लिए कोई आवाज नहीं उठाई। इसलिए, वह चौटाला का साथ चुनाव में नहीं देंगे। 2019 में सिरसा की 5 विधानसभा सीटें हारी थी भाजपा
भाजपा प्रदेश में अबकी बार हारी हुई विधानसभा सीटों पर फोकस कर रही है। हार के कारणों से सबक लेते हुए लगातार मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री उन विधानसभाओं में जा रहे हैं। सिरसा जिले की पांचों सीट भाजपा 2019 में हार गई थी। इसके अलावा ऐलनाबाद में हुए उपचुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। सिरसा जिले में सिरसा, रानिया, डबवाली, कालांवाली और ऐलानाबाद विधानसभाएं आती हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी एक महीने में तीसरी बार 31 जुलाई को सिरसा पहुंचे थे। लोकसभा चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री लगातार सिरसा का दौरा कर रहे हैं।
पलवल में खेल मंत्री गौरव गौतम से मिले खिलाड़ी:बोले-मूक-बधिर खिलाड़ियों के साथ भेदभाव, जीतने पर मिल रही कम राशि
पलवल में खेल मंत्री गौरव गौतम से मिले खिलाड़ी:बोले-मूक-बधिर खिलाड़ियों के साथ भेदभाव, जीतने पर मिल रही कम राशि हरियाणा में मूक-बधिर खिलाड़ियों को सामान्य और पैरा एथलीट की तुलना में कम पुरस्कार राशि और नौकरी के अवसर ना मिलने का आरोप लगाते हए अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने खेल मंत्री गौरव गौतम से उनके आवास पलवल में मुलाकात की और अपनी समस्या से उन्हें अवगत कराया। खिलाड़ियों ने भेदभाव को दूर करने की मांग की। दोनों खिलाड़ी कर चुके भारत का प्रतिनिधित्व फरीदाबाद के दो प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मूक-बधिर खिलाड़ी शुभम वशिष्ठ और अमन शर्मा ने हरियाणा के खेल मंत्री गौरव गौतम से उनके पलवल स्थित आवास पर मुलाकात की। बल्लबगढ़ निवासी शुभम एक प्रतिभाशाली निशानेबाज हैं, जबकि एसजीएम नगर, फरीदाबाद के अमन शर्मा एक कुशल तैराक हैं। दोनों खिलाड़ियों ने 2022 में ब्राजील में आयोजित डेफलिम्पिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। रजत और कांस्य पदक जीते जहां दोनों ने फाइनल में छठा स्थान हासिल किया। इसके अतिरिक्त, शुभम वशिष्ठ ने हाल ही में जर्मनी में आयोजित द्वितीय विश्व बधिर शूटिंग चैम्पियनशिप में भारत के लिए रजत और कांस्य पदक जीते। खिलाड़ियों ने खेल मंत्री से मिलकर कहा कि हरियाणा की वर्तमान खेल नीति में मूक-बधिर खिलाड़ियों के साथ गंभीर भेदभाव किया जा रहा है। कोई नकद पुरस्कार नहीं डेफलिम्पिक्स में पदक जीतने पर भी उन्हें सामान्य और पैरा एथलीट्स की तुलना में बहुत कम पुरस्कार राशि दी जाती है। विश्व चैम्पियनशिप, विश्व कप और राष्ट्रीय खेलों जैसी प्रतियोगिताओं में पदक जीतने पर मूक-बधिर खिलाड़ियों को कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया जाता, जबकि सामान्य और पैरा एथलीट को इन प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कार मिलता है। अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा पीछे खिलाड़ियों ने खेल मंत्री को बताया कि केंद्र सरकार और कई अन्य राज्य जैसे उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश मूक-बधिर खिलाड़ियों को सामान्य और पैरा एथलीट के बराबर सुविधाएं प्रदान करते हैं। इनमें समान पुरस्कार राशि और समान श्रेणी की सरकारी नौकरियां शामिल हैं, लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं है। खेल मंत्री गौरव गौतम ने खिलाड़ियों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और जल्द ही अधिकारियों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष बोले- किरण चौधरी ने विश्वासघात किया:बंसीलाल के बेटे को हरवाया, पहले ही BJP से मिली थीं, माकन को भी हराया
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष बोले- किरण चौधरी ने विश्वासघात किया:बंसीलाल के बेटे को हरवाया, पहले ही BJP से मिली थीं, माकन को भी हराया हरियाणा में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली पूर्व मंत्री किरण चौधरी पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान ने तीखा हमला बोला है। उदयभान ने कहा है कि उनके जाने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता। वह कह रही थीं कि कांग्रेस का हरियाणा में कोई भविष्य नहीं है। उन्हें जहां अपना भविष्य सुरक्षित लगा वहां चली गईं। उदयभान ने सवाल किया कि उनकी बेटी को टिकट नहीं मिली, इसलिए छोड़कर चली गईं। उन्हें (किरण) हर बार टिकट मिली। उन्हें कांग्रेस ने विधायक दल का नेता बनाया। उनकी बेटी (श्रुति) को कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाया, टिकट देकर सांसद बनाया। इस बार दूसरे आदमी को टिकट दे दी तो उन्हें कांग्रेस में भविष्य सुरक्षित नहीं लगा। नैना को सपोर्ट कर बंसीलाल के बेटे को हरवाया
उदयभान ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह वही किरण चौधरी हैं, जिन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला और चौधरी धर्मबीर के साथ मिलकर नैना चौटाला को सपोर्ट किया और बंसीलाल के बड़े पुत्र चौधरी महेंद्रा को हरवाने का काम किया था। उनसे मिलकर एक आदमी को टिकट दिलाया, जो रिजर्व कैटेगरी का था। उदयभान बोले कि यह वहीं किरण चौधरी हैं, जिन्होंने अजय माकन को राज्यसभा चुनाव हरवाने का काम किया था। वह इस तरह से कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के साथ विश्वासघात करने में लगी हुई थीं।वह पहले से BJP से मिली हुई थीं। जहां उनका तालमेल चल रहा था, वह वहीं पर गई हैं। यह सबको पहले से पता था। राव दानसिंह बोले- किरण का मन पहले से था
भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव हारे कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह ने कहा है कि लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं। उन्होंने (किरण चौधरी) राज्यसभा चुनाव में भी BJP को सपोर्ट किया। 2014, 2019 और 2024 में तीनों चुनाव में कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया। यह बहुत पहले हो जाना था, लेकिन आज हुआ ठीक हुआ। वह 3 चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों को हराने का काम करती रहीं और सिर्फ अपनी सीट बचाती रहीं। भाजपा से मिलीभगत कर पार्टी विरोधी काम किया। इस चुनाव में भी जो भी वह कर सकती थीं, किया। उन्होंने भितरघात किया, यह जगजाहिर हो चुका है। किरण चौधरी का मन पहले से ही बीजेपी से मिला हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खुद माना कि उनका मन पहले से BJP में था। किसान नेता रवि आजाद ने भी किरण पर निशाना साधा
किसान नेता रवि आजाद ने भी किरण चौधरी के BJP में शामिल होने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चौधरी बंसीलाल भले ही शरीर से हमारे बीच में नहीं थे, लेकिन उनके विचार जिंदा थे। पूर्व मंत्री किरण चौधरी और श्रुति चौधरी ने BJP में शामिल होकर उनके विचारों की हत्या की है, और उनकी आत्मा का सौदा किया। इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। वीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत, अशोक तंवर, कुलदीप बिश्नाई, जो CM बनने के लिए BJP में गए, आज वे कहां हैं। दूसरी पार्टियों से नेता BJP में आते तो दिखते हैं, लेकिन उसके बाद किसी को दिखाई नहीं देते। किरण का BJP में शामिल होना आत्मघाती कदम है। उन्होंने तोशाम हलके की उम्मीदों पर पानी फेरा है। जनता वोट की चोट से जवाब देगी। भले ही दुष्यंत चौटाला हों या जयंत चौधरी ने पद और पैसा पा लिया हो, लेकिन किसान कौम में उनका कोई सम्मान नहीं है। भले ही किरण चौधरी घर बैठ जातीं, लेकिन वह किसानों के हत्यारों के साथ खड़ी हैं।