हिमाचल प्रदेश में बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए 34 सेंसरों की निगरानी धर्मशाला और शिमला इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) द्वारा की जा रही है, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सके। धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड (डीएससीएल) से मिली जानकारी के अनुसार यह केंद्र पूरी तरह कार्यात्मक है और किसी भी आपदा न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दो आईसीसीसी शिमला और धर्मशाला में स्थापित किए गए हैं। बाढ़ और भूस्खलन से निपटने में मदद के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर प्रदेशभर में लैंडस्लाइड और अचानक बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इनमें से जिला कांगड़ा के धर्मशाला और शाहपुर में चार अत्याधुनिक यंत्र स्थापित हैं। जिनसे लैंडस्लाइड होने से पहले ही सूचना मिल जाएगी। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों की ओर से बनाए गए इन यंत्रों ने कार्य करना शुरू कर दिया है। जिनकी मॉनिटरिंग स्मार्ट सिटी धर्मशाला द्वारा स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से की जा रही है। कांगड़ा जिला में चार लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्रों में स्थापित कांगड़ा जिला में बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए चार लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्रों में समय से पहले ही लैंडस्लाइड का पता लगाने और चेतावनी देने वाली प्रणाली स्थापित की गई है। ये पूर्व चेतावनी यंत्र धर्मशाला के मैक्लोडगंज रोड, बनगोटू और चोला इंद्रूनाग तथा शाहपुर के डिब्बा और रूलेहड में स्थापित किए गए हैं। इस प्रणाली ने कार्य करना शुरू कर दिया है। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों द्वारा विकसित यह प्रणाली लैंडस्लाइड की पूर्व चेतावनी देने में बेहद कारगर है। टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से मिलेगी जानकारी
लैंडस्लाइड निगरानी प्रणाली सड़क पर लगे हूटर और ब्लिंकर के जरिए दूर से ही टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से मिट्टी में होने वाली हलचल के बारे में अलर्ट देती है। इसके अतिरिक्त, यदि 5 मिमी. से अधिक बारिश का अनुमान है तो सिस्टम पहले ही बारिश की चेतावनी भेज देता है। मिट्टी की हलचल में परिवर्तन की निगरानी करके लैंडस्लाइड के वास्तव में होने से 10 मिनट पहले उसका अनुमान लगा लिया जाता है। यह प्रणाली ह्यूमिनिटी, तापमान और वर्षा की सूचना भी भेजती है। लैंडस्लाइड तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा
लैंडस्लाइड दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें भारत सबसे ज़्यादा प्रभावित है। भारत का 15% हिस्सा लैंडस्लाइड से ग्रस्त है। हर साल दुनियाभर में 5000 से ज़्यादा लोग लैंडस्लाइड के कारण जिंदा दफ़न हो जाते हैं, जिससे 26,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का आर्थिक नुकसान होता है। स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत धर्मशाला और शिमला में स्थापित एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) 34 सेंसरों के माध्यम से बाढ़ और लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं से निपटने में मदद करेगा। धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कम सीईओ जफर इकबाल ने बताया कि इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के तहत लगाए गए लैंडस्लाइड मॉनिटरिंग सेंसर रियल टाइम इनफार्मेशन दे रहे हैं। जिसका उपयोग किसी भी आपदा की स्थिति में पूर्व सूचना संबंधित लोगों को दी जा सकती है। लैंडस्लाइड की निगरानी किसी भी दुर्घटना और दुर्घटना को रोकने में मदद करती है। यह प्रणाली वायरलेस नोड्स से जुड़े उक्त जियो सेंसर का उपयोग करके वास्तविक समय के लैंडस्लाइड मापदंडों को मापती है। हिमाचल प्रदेश में बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए 34 सेंसरों की निगरानी धर्मशाला और शिमला इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) द्वारा की जा रही है, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सके। धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड (डीएससीएल) से मिली जानकारी के अनुसार यह केंद्र पूरी तरह कार्यात्मक है और किसी भी आपदा न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दो आईसीसीसी शिमला और धर्मशाला में स्थापित किए गए हैं। बाढ़ और भूस्खलन से निपटने में मदद के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर प्रदेशभर में लैंडस्लाइड और अचानक बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इनमें से जिला कांगड़ा के धर्मशाला और शाहपुर में चार अत्याधुनिक यंत्र स्थापित हैं। जिनसे लैंडस्लाइड होने से पहले ही सूचना मिल जाएगी। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों की ओर से बनाए गए इन यंत्रों ने कार्य करना शुरू कर दिया है। जिनकी मॉनिटरिंग स्मार्ट सिटी धर्मशाला द्वारा स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से की जा रही है। कांगड़ा जिला में चार लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्रों में स्थापित कांगड़ा जिला में बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए चार लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्रों में समय से पहले ही लैंडस्लाइड का पता लगाने और चेतावनी देने वाली प्रणाली स्थापित की गई है। ये पूर्व चेतावनी यंत्र धर्मशाला के मैक्लोडगंज रोड, बनगोटू और चोला इंद्रूनाग तथा शाहपुर के डिब्बा और रूलेहड में स्थापित किए गए हैं। इस प्रणाली ने कार्य करना शुरू कर दिया है। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों द्वारा विकसित यह प्रणाली लैंडस्लाइड की पूर्व चेतावनी देने में बेहद कारगर है। टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से मिलेगी जानकारी
लैंडस्लाइड निगरानी प्रणाली सड़क पर लगे हूटर और ब्लिंकर के जरिए दूर से ही टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से मिट्टी में होने वाली हलचल के बारे में अलर्ट देती है। इसके अतिरिक्त, यदि 5 मिमी. से अधिक बारिश का अनुमान है तो सिस्टम पहले ही बारिश की चेतावनी भेज देता है। मिट्टी की हलचल में परिवर्तन की निगरानी करके लैंडस्लाइड के वास्तव में होने से 10 मिनट पहले उसका अनुमान लगा लिया जाता है। यह प्रणाली ह्यूमिनिटी, तापमान और वर्षा की सूचना भी भेजती है। लैंडस्लाइड तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा
लैंडस्लाइड दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें भारत सबसे ज़्यादा प्रभावित है। भारत का 15% हिस्सा लैंडस्लाइड से ग्रस्त है। हर साल दुनियाभर में 5000 से ज़्यादा लोग लैंडस्लाइड के कारण जिंदा दफ़न हो जाते हैं, जिससे 26,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का आर्थिक नुकसान होता है। स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत धर्मशाला और शिमला में स्थापित एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) 34 सेंसरों के माध्यम से बाढ़ और लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं से निपटने में मदद करेगा। धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कम सीईओ जफर इकबाल ने बताया कि इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के तहत लगाए गए लैंडस्लाइड मॉनिटरिंग सेंसर रियल टाइम इनफार्मेशन दे रहे हैं। जिसका उपयोग किसी भी आपदा की स्थिति में पूर्व सूचना संबंधित लोगों को दी जा सकती है। लैंडस्लाइड की निगरानी किसी भी दुर्घटना और दुर्घटना को रोकने में मदद करती है। यह प्रणाली वायरलेस नोड्स से जुड़े उक्त जियो सेंसर का उपयोग करके वास्तविक समय के लैंडस्लाइड मापदंडों को मापती है। हिमाचल | दैनिक भास्कर