<p style=”text-align: justify;”><strong>MP News</strong>: प्यार अगर सच्चा हो, तो ना रस्मों की दीवारें उसे रोक सकती हैं, ना हालात की बेड़ियां. कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला मध्य प्रदेश के राजगढ़ ज़िले के ब्यावरा शहर के पंजाबी अस्पताल में. यहां एक दूल्हे ने अपने प्यार को निभाने के लिए परंपराओं की सारी सीमाएं लांघते हुए अपनी प्रेमिका के साथ शादी के बंधन में बंध गया. इस शादी की शहर भर में चर्चा हो रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>राजगढ़ के ब्यावरा निवासी आदित्य की शादी तय हो गई थी, लेकिन शादी से पहले दुल्हन को टाइफाइड हो गया, जिससे वह बीमार पड़ गई. इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. ज़्यादातर लोग शायद शादी टालने की बात करते, लेकिन आदित्य ने जो किया वो हरेक की जुबान पर छा गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आदित्य का कहना था कि ”जहां मेरी दुल्हन, वहीं मेरा मंडप”– ये कहते हुए ब्यावरा निवासी आदित्य सिंह बारात लेकर सीधे अस्पताल पहुंचा. डीजे, बैंड-बाजा, ढोल-नगाड़े, सब वहीं थे, पर शादी किसी घर या पंडाल में नहीं – अस्पताल के उसी कमरे में हुई, जहां उसकी दुल्हन टायफाइड की वजह से भर्ती थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दूल्हे ने दुल्हन को गोद में उठाया और सीमित रिश्तेदारों की मौजूदगी में सात फेरे लिए. बिना शोर-शराबे के, बिना दिखावे के. अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और मरीज दो दिलों की सच्ची मोहब्बत के गवाह बने. अस्पताल प्रबंधन ने भी इस अनोखी शादी को मानवीयता के आधार पर अनुमति दी, लेकिन पूरी प्रक्रिया के दौरान शांति बनाए रखी गई और मरीजों की सुविधा का ध्यान रखा गया. शादी सिर्फ एक रस्म नहीं थी, यह एक संदेश थी कि सच्चा प्यार हालातों का मोहताज नहीं होता. जहां दिल जुड़े हों, वहां मण्डप नहीं मोहब्बत ही सबसे बड़ा धर्म है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(रिपोर्ट- मनीष सोनी)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/rajasthan-police-starts-verification-people-coming-from-west-bengal-and-other-states-in-jalore-ann-2935861″>जालौर के भीनमाल में अलर्ट मोड पर पुलिस, विशेषकर पश्चिम बंगाल से आए लोगों का वेरिफिकेशन</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>MP News</strong>: प्यार अगर सच्चा हो, तो ना रस्मों की दीवारें उसे रोक सकती हैं, ना हालात की बेड़ियां. कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला मध्य प्रदेश के राजगढ़ ज़िले के ब्यावरा शहर के पंजाबी अस्पताल में. यहां एक दूल्हे ने अपने प्यार को निभाने के लिए परंपराओं की सारी सीमाएं लांघते हुए अपनी प्रेमिका के साथ शादी के बंधन में बंध गया. इस शादी की शहर भर में चर्चा हो रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>राजगढ़ के ब्यावरा निवासी आदित्य की शादी तय हो गई थी, लेकिन शादी से पहले दुल्हन को टाइफाइड हो गया, जिससे वह बीमार पड़ गई. इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. ज़्यादातर लोग शायद शादी टालने की बात करते, लेकिन आदित्य ने जो किया वो हरेक की जुबान पर छा गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आदित्य का कहना था कि ”जहां मेरी दुल्हन, वहीं मेरा मंडप”– ये कहते हुए ब्यावरा निवासी आदित्य सिंह बारात लेकर सीधे अस्पताल पहुंचा. डीजे, बैंड-बाजा, ढोल-नगाड़े, सब वहीं थे, पर शादी किसी घर या पंडाल में नहीं – अस्पताल के उसी कमरे में हुई, जहां उसकी दुल्हन टायफाइड की वजह से भर्ती थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दूल्हे ने दुल्हन को गोद में उठाया और सीमित रिश्तेदारों की मौजूदगी में सात फेरे लिए. बिना शोर-शराबे के, बिना दिखावे के. अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और मरीज दो दिलों की सच्ची मोहब्बत के गवाह बने. अस्पताल प्रबंधन ने भी इस अनोखी शादी को मानवीयता के आधार पर अनुमति दी, लेकिन पूरी प्रक्रिया के दौरान शांति बनाए रखी गई और मरीजों की सुविधा का ध्यान रखा गया. शादी सिर्फ एक रस्म नहीं थी, यह एक संदेश थी कि सच्चा प्यार हालातों का मोहताज नहीं होता. जहां दिल जुड़े हों, वहां मण्डप नहीं मोहब्बत ही सबसे बड़ा धर्म है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(रिपोर्ट- मनीष सोनी)</strong></p>
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