2003 के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी और उम्रकैद की सजा काट रहे शूटर प्रकाश पांडे की मौत हो गई। कैंसर से जूझ रहे पांडे का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था, जहां गुरुवार सुबह उसने अंतिम सांस ली। गोरखपुर के राजघाट पर गुरुवार रात उसका अंतिम संस्कार किया गया। प्रकाश पांडे को इस हत्याकांड में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधु त्रिपाठी के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। प्रकाश पांडे ने हत्या के लिए पिस्टल मुहैया कराई थी और हत्या में संतोष राय के साथ था। शूटर प्रकाश पांडे 2003 में गिरफ्तार हुआ था, इसके बाद 5 साल जेल में रहा। सेशन कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था। फिर हाईकोर्ट ने दोषी ठहरा दिया। इसके बाद 2012 से 2013 तक जेल में रहा। केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो जज ने सेशन कोर्ट के जजमेंट के आधार पर जमानत दे दी। तब से प्रकाश पांडे बाहर था। कैंसर की वजह से अभी वह जमानत पर रिहा होकर, अपना इलाज करा रहा था। मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी
9 मई 2003… लखीमपुर खीरी की उभरती कवयित्री मधुमिता शुक्ला की लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी स्थित उनके घर में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय मधुमिता 7 महीने की गर्भवती थीं। इस तथ्य ने मामले को और भी संगीन बना दिया। जांच में यह खुलासा हुआ कि हत्या के पीछे की वजह मधुमिता और अमरमणि त्रिपाठी के बीच का रिश्ता था। उस समय उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और अमरमणि कैबिनेट मंत्री थे। उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा के चलते यह मामला तुरंत सुर्खियों में आ गया। अमरमणि त्रिपाठी और मधु त्रिपाठी का षड्यंत्र
जांच में पता चला कि अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता के बीच लंबे समय से संबंध थे। जब मधुमिता ने अमरमणि से शादी की मांग की, तब हालात बिगड़ गए। शादी से इनकार करने के बाद, मधुमिता की हत्या की साजिश रची गई। इस साजिश में अमरमणि की पत्नी मधु त्रिपाठी भी शामिल थीं, जिन्हें बाद में अदालत ने दोषी करार दिया। हत्या को अंजाम देने के लिए प्रकाश पांडे को शूटर के रूप में नियुक्त किया गया। लखनऊ के पॉश इलाके में दिनदहाड़े हुई इस निर्मम हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। जांच के दौरान अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की भूमिका सामने आने के बाद, इस हत्याकांड को राजनीतिक और आपराधिक दायरे में और गहराई मिली। वह अदालत जिसने बदल दिया अंजाम
यह मामला एक साधारण आपराधिक घटना से बढ़कर एक बड़े राजनीतिक घोटाले के रूप में उभरकर सामने आया। 2007 में सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में अमरमणि त्रिपाठी, मधु त्रिपाठी और शूटर प्रकाश पांडे समेत अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले ने उन दिनों देशभर में सनसनी फैला दी थी, क्योंकि यह मामला शक्ति, प्रेम, और विश्वासघात का संगम था। प्रकाश पांडे: एक आम शख्स से कुख्यात अपराधी तक का सफर
प्रकाश पांडे का जीवन भी इस हत्याकांड के साथ हमेशा के लिए बदल गया। गोरखपुर के शाहपुर इलाके में रहने वाला प्रकाश, जो एक सामान्य व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, अचानक इस हत्या के बाद देशभर में कुख्यात हो गया। 21 साल की जेल की सजा काटते हुए, पांडे का स्वास्थ्य लगातार गिरता गया। लिवर कैंसर के चलते उसको कुछ महीने पहले ही लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। गोरखपुर में अंतिम संस्कार, कहानी का एक अध्याय समाप्त
गुरुवार रात को गोरखपुर के राजघाट पर प्रकाश पांडे का अंतिम संस्कार किया गया। इस अंतिम यात्रा में परिवार के कुछ करीबी लोग ही शामिल थे। उसकी मौत के साथ, मधुमिता हत्याकांड का एक और अध्याय समाप्त हो गया। हालांकि, इस घटना की गूंज और इसके पीछे छिपी साजिश की कहानियां आज भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये भी पढ़ें:- योगी का हाथ 30 सेकेंड में ठीक कर दिया: खर्च के नाम पर सिर्फ सेल्फी ली; लखनऊ में CM ने डॉक्टरों को सुनाई कहानी सीएम योगी ने कहा- पिछले हफ्ते गोरखपुर गया था। एक परिचित डॉक्टर मुझसे मिलने आए। मेरे हाथ में एक पट्टी बंधी देखकर उन्होंने मुझसे पूछा- क्या हो गया? मैंने कहा कि बड़े-बड़े डॉक्टरों को इसे दिखाया है, लेकिन आराम नहीं मिला। उन्होंने कहा- मैं इसे ठीक कर दूंगा। हमने खर्च पूछा तो बोले सही होने के बदले एक सेल्फी लूंगा। वो जेब में इंजेक्शन भी लेकर आए थे। मैंने कहा- इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगा। फिर उन्होंने बिना इंजेक्शन लगाए आधे मिनट में मेरा हाथ ठीक कर दिया। उन्होंने कहा- बेवजह ऑपरेशन के चक्कर में पड़ते तो 6 महीने बाद फिर समस्या हो जाती। वो एलोपैथी के डॉक्टर थे, लेकिन उन्होंने अपने अनुभव से हाथ को दबाकर ठीक कर दिया। पढ़ें पूरी खबर… 2003 के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी और उम्रकैद की सजा काट रहे शूटर प्रकाश पांडे की मौत हो गई। कैंसर से जूझ रहे पांडे का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था, जहां गुरुवार सुबह उसने अंतिम सांस ली। गोरखपुर के राजघाट पर गुरुवार रात उसका अंतिम संस्कार किया गया। प्रकाश पांडे को इस हत्याकांड में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधु त्रिपाठी के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। प्रकाश पांडे ने हत्या के लिए पिस्टल मुहैया कराई थी और हत्या में संतोष राय के साथ था। शूटर प्रकाश पांडे 2003 में गिरफ्तार हुआ था, इसके बाद 5 साल जेल में रहा। सेशन कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था। फिर हाईकोर्ट ने दोषी ठहरा दिया। इसके बाद 2012 से 2013 तक जेल में रहा। केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो जज ने सेशन कोर्ट के जजमेंट के आधार पर जमानत दे दी। तब से प्रकाश पांडे बाहर था। कैंसर की वजह से अभी वह जमानत पर रिहा होकर, अपना इलाज करा रहा था। मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की कहानी
9 मई 2003… लखीमपुर खीरी की उभरती कवयित्री मधुमिता शुक्ला की लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी स्थित उनके घर में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय मधुमिता 7 महीने की गर्भवती थीं। इस तथ्य ने मामले को और भी संगीन बना दिया। जांच में यह खुलासा हुआ कि हत्या के पीछे की वजह मधुमिता और अमरमणि त्रिपाठी के बीच का रिश्ता था। उस समय उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और अमरमणि कैबिनेट मंत्री थे। उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा के चलते यह मामला तुरंत सुर्खियों में आ गया। अमरमणि त्रिपाठी और मधु त्रिपाठी का षड्यंत्र
जांच में पता चला कि अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता के बीच लंबे समय से संबंध थे। जब मधुमिता ने अमरमणि से शादी की मांग की, तब हालात बिगड़ गए। शादी से इनकार करने के बाद, मधुमिता की हत्या की साजिश रची गई। इस साजिश में अमरमणि की पत्नी मधु त्रिपाठी भी शामिल थीं, जिन्हें बाद में अदालत ने दोषी करार दिया। हत्या को अंजाम देने के लिए प्रकाश पांडे को शूटर के रूप में नियुक्त किया गया। लखनऊ के पॉश इलाके में दिनदहाड़े हुई इस निर्मम हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। जांच के दौरान अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की भूमिका सामने आने के बाद, इस हत्याकांड को राजनीतिक और आपराधिक दायरे में और गहराई मिली। वह अदालत जिसने बदल दिया अंजाम
यह मामला एक साधारण आपराधिक घटना से बढ़कर एक बड़े राजनीतिक घोटाले के रूप में उभरकर सामने आया। 2007 में सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में अमरमणि त्रिपाठी, मधु त्रिपाठी और शूटर प्रकाश पांडे समेत अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले ने उन दिनों देशभर में सनसनी फैला दी थी, क्योंकि यह मामला शक्ति, प्रेम, और विश्वासघात का संगम था। प्रकाश पांडे: एक आम शख्स से कुख्यात अपराधी तक का सफर
प्रकाश पांडे का जीवन भी इस हत्याकांड के साथ हमेशा के लिए बदल गया। गोरखपुर के शाहपुर इलाके में रहने वाला प्रकाश, जो एक सामान्य व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, अचानक इस हत्या के बाद देशभर में कुख्यात हो गया। 21 साल की जेल की सजा काटते हुए, पांडे का स्वास्थ्य लगातार गिरता गया। लिवर कैंसर के चलते उसको कुछ महीने पहले ही लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। गोरखपुर में अंतिम संस्कार, कहानी का एक अध्याय समाप्त
गुरुवार रात को गोरखपुर के राजघाट पर प्रकाश पांडे का अंतिम संस्कार किया गया। इस अंतिम यात्रा में परिवार के कुछ करीबी लोग ही शामिल थे। उसकी मौत के साथ, मधुमिता हत्याकांड का एक और अध्याय समाप्त हो गया। हालांकि, इस घटना की गूंज और इसके पीछे छिपी साजिश की कहानियां आज भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये भी पढ़ें:- योगी का हाथ 30 सेकेंड में ठीक कर दिया: खर्च के नाम पर सिर्फ सेल्फी ली; लखनऊ में CM ने डॉक्टरों को सुनाई कहानी सीएम योगी ने कहा- पिछले हफ्ते गोरखपुर गया था। एक परिचित डॉक्टर मुझसे मिलने आए। मेरे हाथ में एक पट्टी बंधी देखकर उन्होंने मुझसे पूछा- क्या हो गया? मैंने कहा कि बड़े-बड़े डॉक्टरों को इसे दिखाया है, लेकिन आराम नहीं मिला। उन्होंने कहा- मैं इसे ठीक कर दूंगा। हमने खर्च पूछा तो बोले सही होने के बदले एक सेल्फी लूंगा। वो जेब में इंजेक्शन भी लेकर आए थे। मैंने कहा- इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगा। फिर उन्होंने बिना इंजेक्शन लगाए आधे मिनट में मेरा हाथ ठीक कर दिया। उन्होंने कहा- बेवजह ऑपरेशन के चक्कर में पड़ते तो 6 महीने बाद फिर समस्या हो जाती। वो एलोपैथी के डॉक्टर थे, लेकिन उन्होंने अपने अनुभव से हाथ को दबाकर ठीक कर दिया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर