मरीजों के लिए सहारा बना कबीरचौरा ब्लड बैंक:2023-24 में 7 हजार यूनिट खून मरीजों को दिया; थैलेसीमिया के पेशेंट्स के लिए वरदान

मरीजों के लिए सहारा बना कबीरचौरा ब्लड बैंक:2023-24 में 7 हजार यूनिट खून मरीजों को दिया; थैलेसीमिया के पेशेंट्स के लिए वरदान

‘अस्पतालों में खून के लिए अक्सर मरीजों के परिजनों को परेशान होना पड़ता है। मरीज के तीमारदार खून के दलालों के चक्कर में पड़ जाते हैं। वहीं साल1997 से कबीरचौरा अस्पताल में संचालित ब्लड बैंक मरीजों के तीमारदारों की मदद में जुटा है। साल 2023-24 में अब तक 7,220 यूनिट ब्लड उपलब्ध करा चुका है। साल 2011 में कंपोनेंट ब्लड जोन बने इस ब्लड बैंक से रोजाना 35 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में इस कबीरचौरा अस्पताल के ब्लड बैंक में क्या व्यवस्थाएं हैं और कैसे यह काम कर रहा है। साथ ही वाराणसी में सर्वाधिक किस ब्लड ग्रुप के ब्लड की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है; दैनिक भास्कर ने कबीरचौरा अस्पताल के ब्लड बैंक के सीनियर फार्मासिस्ट जितेंद्र पटेल से बात की… 1997 में डाली गई थी होल ब्लड बैंक की नींव
कबीरचौरा अस्पताल के अंदर साल 1997 में होल ब्लड बैंक यूनिट शुरू की गई थी। इसके बारे में बताते हुए ब्लड बैंक के सीनियर फार्मासिस्ट जितेंद्र पटेल ने बताया- साल 1997 में इसकी स्थापना हुई तब सिर्फ होल ब्लड ही यह ब्लड बैंक मुहैया करवाता था। साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की पहल पर इसे कंपोनेंट यूनिट में तब्दील कर दिया गया। 2024 में मिली दो एसडीपी मशीन
जितेंद्र ने बताया- वाराणसी का जिला मंडलीय चिकित्सालय में विधायक निधि और शासन की तरफ से ब्लड बैंक में दो एसडीपी मशीनें मिली हैं। जो इस समय कार्य कर रही हैं और अब डेंगू के प्रकोप के समय यहां मरीजों को एसडीपी भी मिलेगी। हमें लाइसेंस मिल गया है और अब हम एसडीपी भी मरीजों को उपलब्ध करवाएंगे। 35 मशीनें, 27 कर्मचारी कार्यरत
कबीरचौरा ब्लड बैंक पर सरकारी, संविदा और आउटसोर्सिंग से मिलकर करीब 27 कर्मी काम कर रहे हैं। जो ब्लड बैंक के अलग-अलग सेगमेंट में काम करते हैं। इसके आलावा इस पूरे बैंक में 35 मशीनीं हैं जिसमें कई मशीनें ब्लड को प्रिजर्व रखने के लिए है। इसके अलावा एसडीपी मशीन और कई साड़ी अलग अलग टेस्टिंग मशीन है। अब जानिए कितनी है ब्लड बैंक की क्षमता और कितना है ब्लड का दाम 600 यूनिट ब्लड कर सकते हैं प्रिजर्व
ब्लड बैंक के फार्मासिस्ट जितेंद्र पटेल ने बताया- वाराणसी के कबीरचौरा सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में 600 यूनिट ब्लड, 600 यूनिट प्लाज्मा और 60 यूनिट प्लेटलेट्स प्रिजर्व किया जा सकता है। इसके लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में फ्रीजर हैं। सरकारी अस्पताल के मरीजों के लिए फ्री है ब्लड
इस ब्लड बैंक से यदि किसी भी सरकारी अस्पताल में एडमिट मरीज यहां ब्लड फ्री में पा सकते हैं। बाकी लोगों सरकार से निर्गत शुल्क 1050 रुपए देना होता है। इसी तरह सरकारी अस्पताल में एडमिट मरीज को पैक्ड रेड सेल्स (PRBC), फर्श फ्रोजन प्लाज्मा (FFP), प्लेटलेट्स और पीडियाट्रिक बैग फ्री मिलते हैं। प्राइवेट अस्पतालों के मरीजों को देना होता है शुल्क
कबीरचौरा ब्लड बैंक से ब्लड लेने आने वाले अन्य अस्पतालों के मरीजों को होल ब्लड के लिए 1050 रुपए, पैक्ड रेड सेल्स (PRBC) के 1050 रुपए, फर्श फ्रोजन प्लाज्मा (FFP) 300 रुपए, प्लेटलेट्स के लिए 300 रुपए और पीडियाट्रिक बैग के लिए 100 रुपए देने होते हैं। अब जानिए साल हर में कितने यूनिट ब्लड बैंक ने किए इकठ्ठा और कितनों की जरूरत की पूरी… 2023-24 में कलेक्शन टारगेट से ज्यादा हुआ ब्लड कलेक्ट
ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. मुकुंद श्रीवास्तव ने बताया कि यह ब्लड बैंक लगातार नए आयाम गढ़ रहा है। यहां 24 घंटे मरीजों को ब्लड उपलब्ध करवाया जा रहा है। फार्मासिस्ट जितेंद्र ने बताया – हमारे ब्लड बैंक को साल 2023-24 यानी 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक 6729 यूनिट रक्त यूनिट इकट्ठा करने का लक्ष्य दिया गया था। हमारी यूनिट ने इसके सापेक्ष 7397 यूनिट ब्लड संचय किया। 7220 यूनिट ब्लड और 2066 यूनिट प्लेटलेट्स दिया
ब्लड बैंक ने एक साल में 7220 यूनिट ब्लड मरीजों को दिए और 2066 बैग प्लेटलेट्स भी मरीजों को देकर उनका अमूल्य जीवन बचाया। जितेंद्र पटेल ने कहा – इसके अलावा हमारे यहां जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत साल भर 1916 यूनिट ब्लड डिलीवरी के दौरान महिला चिकित्सालय को भी दिए गए। थैलेसीमिया पेशेंट्स को दिया 303 यूनिट ब्लड
इसके अलावा अस्पताल एक रजिस्टर्ड 49 थैलेसीमिया पेशेंट्स को साल भर में 303 यूनिट ब्लड दिया गया है। जितेंद्र ने बताया- वाराणसी में सर्वाधिक 60 से 70 प्रतिशत ओ पॉजिटिव ब्लड ही डिमांड में होता है। इसके अलावा अन्य ब्लड ग्रुप के मरीज आते हैं। हमने साल भर में 63 ब्लड कैंप भी आयोजित किए हैं। ये खबर भी पढ़ें… वाराणसी में एमआर ने किया सुसाइड…लिखा-मां मैं लायक बेटा नहीं वाराणसी में कर्ज से परेशान एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) ने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। लाश के पास 6 पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें लिखा है- मां मैं लायक बेटा नहीं बन सका। बेटी के लिए लिखा- अब मैं जा रहा हूं, मम्मी को परेशान मत करना। अच्छे से पढ़ाई करना और अफसर बनना। पढ़ें पूरी खबर ‘अस्पतालों में खून के लिए अक्सर मरीजों के परिजनों को परेशान होना पड़ता है। मरीज के तीमारदार खून के दलालों के चक्कर में पड़ जाते हैं। वहीं साल1997 से कबीरचौरा अस्पताल में संचालित ब्लड बैंक मरीजों के तीमारदारों की मदद में जुटा है। साल 2023-24 में अब तक 7,220 यूनिट ब्लड उपलब्ध करा चुका है। साल 2011 में कंपोनेंट ब्लड जोन बने इस ब्लड बैंक से रोजाना 35 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में इस कबीरचौरा अस्पताल के ब्लड बैंक में क्या व्यवस्थाएं हैं और कैसे यह काम कर रहा है। साथ ही वाराणसी में सर्वाधिक किस ब्लड ग्रुप के ब्लड की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है; दैनिक भास्कर ने कबीरचौरा अस्पताल के ब्लड बैंक के सीनियर फार्मासिस्ट जितेंद्र पटेल से बात की… 1997 में डाली गई थी होल ब्लड बैंक की नींव
कबीरचौरा अस्पताल के अंदर साल 1997 में होल ब्लड बैंक यूनिट शुरू की गई थी। इसके बारे में बताते हुए ब्लड बैंक के सीनियर फार्मासिस्ट जितेंद्र पटेल ने बताया- साल 1997 में इसकी स्थापना हुई तब सिर्फ होल ब्लड ही यह ब्लड बैंक मुहैया करवाता था। साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की पहल पर इसे कंपोनेंट यूनिट में तब्दील कर दिया गया। 2024 में मिली दो एसडीपी मशीन
जितेंद्र ने बताया- वाराणसी का जिला मंडलीय चिकित्सालय में विधायक निधि और शासन की तरफ से ब्लड बैंक में दो एसडीपी मशीनें मिली हैं। जो इस समय कार्य कर रही हैं और अब डेंगू के प्रकोप के समय यहां मरीजों को एसडीपी भी मिलेगी। हमें लाइसेंस मिल गया है और अब हम एसडीपी भी मरीजों को उपलब्ध करवाएंगे। 35 मशीनें, 27 कर्मचारी कार्यरत
कबीरचौरा ब्लड बैंक पर सरकारी, संविदा और आउटसोर्सिंग से मिलकर करीब 27 कर्मी काम कर रहे हैं। जो ब्लड बैंक के अलग-अलग सेगमेंट में काम करते हैं। इसके आलावा इस पूरे बैंक में 35 मशीनीं हैं जिसमें कई मशीनें ब्लड को प्रिजर्व रखने के लिए है। इसके अलावा एसडीपी मशीन और कई साड़ी अलग अलग टेस्टिंग मशीन है। अब जानिए कितनी है ब्लड बैंक की क्षमता और कितना है ब्लड का दाम 600 यूनिट ब्लड कर सकते हैं प्रिजर्व
ब्लड बैंक के फार्मासिस्ट जितेंद्र पटेल ने बताया- वाराणसी के कबीरचौरा सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में 600 यूनिट ब्लड, 600 यूनिट प्लाज्मा और 60 यूनिट प्लेटलेट्स प्रिजर्व किया जा सकता है। इसके लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में फ्रीजर हैं। सरकारी अस्पताल के मरीजों के लिए फ्री है ब्लड
इस ब्लड बैंक से यदि किसी भी सरकारी अस्पताल में एडमिट मरीज यहां ब्लड फ्री में पा सकते हैं। बाकी लोगों सरकार से निर्गत शुल्क 1050 रुपए देना होता है। इसी तरह सरकारी अस्पताल में एडमिट मरीज को पैक्ड रेड सेल्स (PRBC), फर्श फ्रोजन प्लाज्मा (FFP), प्लेटलेट्स और पीडियाट्रिक बैग फ्री मिलते हैं। प्राइवेट अस्पतालों के मरीजों को देना होता है शुल्क
कबीरचौरा ब्लड बैंक से ब्लड लेने आने वाले अन्य अस्पतालों के मरीजों को होल ब्लड के लिए 1050 रुपए, पैक्ड रेड सेल्स (PRBC) के 1050 रुपए, फर्श फ्रोजन प्लाज्मा (FFP) 300 रुपए, प्लेटलेट्स के लिए 300 रुपए और पीडियाट्रिक बैग के लिए 100 रुपए देने होते हैं। अब जानिए साल हर में कितने यूनिट ब्लड बैंक ने किए इकठ्ठा और कितनों की जरूरत की पूरी… 2023-24 में कलेक्शन टारगेट से ज्यादा हुआ ब्लड कलेक्ट
ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. मुकुंद श्रीवास्तव ने बताया कि यह ब्लड बैंक लगातार नए आयाम गढ़ रहा है। यहां 24 घंटे मरीजों को ब्लड उपलब्ध करवाया जा रहा है। फार्मासिस्ट जितेंद्र ने बताया – हमारे ब्लड बैंक को साल 2023-24 यानी 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक 6729 यूनिट रक्त यूनिट इकट्ठा करने का लक्ष्य दिया गया था। हमारी यूनिट ने इसके सापेक्ष 7397 यूनिट ब्लड संचय किया। 7220 यूनिट ब्लड और 2066 यूनिट प्लेटलेट्स दिया
ब्लड बैंक ने एक साल में 7220 यूनिट ब्लड मरीजों को दिए और 2066 बैग प्लेटलेट्स भी मरीजों को देकर उनका अमूल्य जीवन बचाया। जितेंद्र पटेल ने कहा – इसके अलावा हमारे यहां जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत साल भर 1916 यूनिट ब्लड डिलीवरी के दौरान महिला चिकित्सालय को भी दिए गए। थैलेसीमिया पेशेंट्स को दिया 303 यूनिट ब्लड
इसके अलावा अस्पताल एक रजिस्टर्ड 49 थैलेसीमिया पेशेंट्स को साल भर में 303 यूनिट ब्लड दिया गया है। जितेंद्र ने बताया- वाराणसी में सर्वाधिक 60 से 70 प्रतिशत ओ पॉजिटिव ब्लड ही डिमांड में होता है। इसके अलावा अन्य ब्लड ग्रुप के मरीज आते हैं। हमने साल भर में 63 ब्लड कैंप भी आयोजित किए हैं। ये खबर भी पढ़ें… वाराणसी में एमआर ने किया सुसाइड…लिखा-मां मैं लायक बेटा नहीं वाराणसी में कर्ज से परेशान एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) ने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। लाश के पास 6 पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें लिखा है- मां मैं लायक बेटा नहीं बन सका। बेटी के लिए लिखा- अब मैं जा रहा हूं, मम्मी को परेशान मत करना। अच्छे से पढ़ाई करना और अफसर बनना। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर