महाकुंभ के बाद IIT बाबा काशी में:मणिकर्णिका घाट पर संतों के साथ बैठे, चिता की भस्म लगाई; विदेशी टूरिस्ट को समझाया अध्यात्म

महाकुंभ के बाद IIT बाबा काशी में:मणिकर्णिका घाट पर संतों के साथ बैठे, चिता की भस्म लगाई; विदेशी टूरिस्ट को समझाया अध्यात्म

आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह ने महाकुंभ छोड़ा। वह काशी के मणिकर्णिका घाट पर दिखे। अब वह एक बार फिर कुंभ में पहुंच चुके हैं। काशी में गंगा घाट पर उनके 2 वीडियो सामने आए हैं। पहले वीडियो में आईआईटी वाले बाबा गंगा नदी के मणिकर्णिका घाट पर कुछ नागा साधुओं के साथ बैठे हैं। उन्होंने चिताओं की भस्म लगाई है। दूसरे वीडियो में वह विदेशी टूरिस्ट को अध्यात्म के बारे में बताते दिख रहे हैं। महिला टूरिस्ट के सवालों के जवाब दे रहे हैं। यह दोनों वीडियो 4 दिन पुराने बताए जा रहे हैं। इसमें अस्सी और तुलसी घाट दिख रहे हैं। इंस्टाग्राम पर 19 जनवरी को वॉट्स योर राशि नाम की यूजर ID से पोस्ट की गई है। IIT वाले बाबा एक बार फिर महाकुंभ में पहुंच चुके हैं। वही पर लोगों के बीच मौजूद हैं। बाबा बोले- हर रोज 20 Km चलता हूं, भजन सुनता हूं
अभय एक वीडियो में कह रहे हैं- मेरा जन्म स्थान हरियाणा है। लेकिन अगर मैं कहीं से होता तो यहां नहीं बैठा होता। उन्होंने बताया कि इससे पहले मैंने चारो धाम की पदयात्रा कर चुका हूं। अब वाराणसी आ गया। हर रोज 20 किलोमीटर चलता हूं। मैं कानों में इयरफोन लगाकर भजन सुनता हूं, ताकि ध्यान न भटके। भगवान तो सभी के अंदर है
एक इंटरव्यू में IIT वाले बाबा से पूछा गया कि क्‍या अब वह खुद को शिव और श्रीकृष्‍ण के रूप में दिखाना चाहते हैं? इस पर उन्‍होंने कहा कि भगवान तो सभी के अंदर हैं तो सभी को पता क्‍यों नहीं हैं। अगर सभी भगवान हैं, तो हमें क्‍यों नहीं पता हम भगवान हैं। मैं उस सच्‍चाई को बोल रहा हूं। अहम ब्रह्मास्मि तो बोल ही रहा हूं। यही बात तो शंकराचार्य ने भी बोला था। तब किसी ने उनसे क्‍यों नहीं पूछा कि वह खुद को भगवान बता रहे हैं। कोई जब शिवोहम बोलता है तो उसका मतलब यही है न कि मैं शिव हूं। लोग बोले- काशी से IIT वाले बाबा की अध्यात्म यात्रा शुरू दरअसल, IIT वाले बाबा की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत वाराणसी से हुई। यहां उन्होंने खुद को भगवान शिव और कृष्ण का अवतार बताया, जिसने उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया। लेकिन उनका जीवन तब बदला जब उनकी मुलाकात संत सोमेश्वर पुरी से हुई। संत सोमेश्वर ने अभय सिंह में आध्यात्मिक क्षमता को पहचाना और उन्हें जूना अखाड़ा में शामिल कराया। यहीं से अभय सिंह का जीवन एक साधारण युवा से IIT बाबा बनने की ओर बढ़ा। …. ये भी पढ़ें : जूना अखाड़ा बोला- आईआईटियन बाबा पढ़ा-लिखा पागल है:उसने अपने गुरु को गाली दी; महाकुंभ छावनी से किया बाहर सोशल मीडिया पर आईआईटियन बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह बड़ा एक्शन हुआ है। उन्हें प्रयागराज महाकुंभ में जूना अखाड़े के शिविर से प्रतिबंधित कर दिया गया। अखाड़े के प्रवक्ता ने उन्हें ‘पढ़ा-लिखा पागल’ बताया है। अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा- अभय सिंह का कृत्य गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के खिलाफ है। उसने अपने गुरु को अपशब्द कहे हैं। पढ़िए पूरी खबर… आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह ने महाकुंभ छोड़ा। वह काशी के मणिकर्णिका घाट पर दिखे। अब वह एक बार फिर कुंभ में पहुंच चुके हैं। काशी में गंगा घाट पर उनके 2 वीडियो सामने आए हैं। पहले वीडियो में आईआईटी वाले बाबा गंगा नदी के मणिकर्णिका घाट पर कुछ नागा साधुओं के साथ बैठे हैं। उन्होंने चिताओं की भस्म लगाई है। दूसरे वीडियो में वह विदेशी टूरिस्ट को अध्यात्म के बारे में बताते दिख रहे हैं। महिला टूरिस्ट के सवालों के जवाब दे रहे हैं। यह दोनों वीडियो 4 दिन पुराने बताए जा रहे हैं। इसमें अस्सी और तुलसी घाट दिख रहे हैं। इंस्टाग्राम पर 19 जनवरी को वॉट्स योर राशि नाम की यूजर ID से पोस्ट की गई है। IIT वाले बाबा एक बार फिर महाकुंभ में पहुंच चुके हैं। वही पर लोगों के बीच मौजूद हैं। बाबा बोले- हर रोज 20 Km चलता हूं, भजन सुनता हूं
अभय एक वीडियो में कह रहे हैं- मेरा जन्म स्थान हरियाणा है। लेकिन अगर मैं कहीं से होता तो यहां नहीं बैठा होता। उन्होंने बताया कि इससे पहले मैंने चारो धाम की पदयात्रा कर चुका हूं। अब वाराणसी आ गया। हर रोज 20 किलोमीटर चलता हूं। मैं कानों में इयरफोन लगाकर भजन सुनता हूं, ताकि ध्यान न भटके। भगवान तो सभी के अंदर है
एक इंटरव्यू में IIT वाले बाबा से पूछा गया कि क्‍या अब वह खुद को शिव और श्रीकृष्‍ण के रूप में दिखाना चाहते हैं? इस पर उन्‍होंने कहा कि भगवान तो सभी के अंदर हैं तो सभी को पता क्‍यों नहीं हैं। अगर सभी भगवान हैं, तो हमें क्‍यों नहीं पता हम भगवान हैं। मैं उस सच्‍चाई को बोल रहा हूं। अहम ब्रह्मास्मि तो बोल ही रहा हूं। यही बात तो शंकराचार्य ने भी बोला था। तब किसी ने उनसे क्‍यों नहीं पूछा कि वह खुद को भगवान बता रहे हैं। कोई जब शिवोहम बोलता है तो उसका मतलब यही है न कि मैं शिव हूं। लोग बोले- काशी से IIT वाले बाबा की अध्यात्म यात्रा शुरू दरअसल, IIT वाले बाबा की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत वाराणसी से हुई। यहां उन्होंने खुद को भगवान शिव और कृष्ण का अवतार बताया, जिसने उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया। लेकिन उनका जीवन तब बदला जब उनकी मुलाकात संत सोमेश्वर पुरी से हुई। संत सोमेश्वर ने अभय सिंह में आध्यात्मिक क्षमता को पहचाना और उन्हें जूना अखाड़ा में शामिल कराया। यहीं से अभय सिंह का जीवन एक साधारण युवा से IIT बाबा बनने की ओर बढ़ा। …. ये भी पढ़ें : जूना अखाड़ा बोला- आईआईटियन बाबा पढ़ा-लिखा पागल है:उसने अपने गुरु को गाली दी; महाकुंभ छावनी से किया बाहर सोशल मीडिया पर आईआईटियन बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह बड़ा एक्शन हुआ है। उन्हें प्रयागराज महाकुंभ में जूना अखाड़े के शिविर से प्रतिबंधित कर दिया गया। अखाड़े के प्रवक्ता ने उन्हें ‘पढ़ा-लिखा पागल’ बताया है। अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा- अभय सिंह का कृत्य गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के खिलाफ है। उसने अपने गुरु को अपशब्द कहे हैं। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर