महाकुंभ भगदड़ में मुस्लिमों ने मदद के लिए खोलीं मस्जिदें:25000 श्रद्धालुओं को बिस्तर-रजाई दीं, भोजन कराया; बोले- श्रद्धालु हमारे मेहमान, कुंभ से हमारी पहचान

महाकुंभ भगदड़ में मुस्लिमों ने मदद के लिए खोलीं मस्जिदें:25000 श्रद्धालुओं को बिस्तर-रजाई दीं, भोजन कराया; बोले- श्रद्धालु हमारे मेहमान, कुंभ से हमारी पहचान

महाकुंभ में 28 जनवरी की देर रात श्रद्धालु मौनी अमावस्या के अमृत स्ना के लिए पहुंचने लगे। संगम नोज से पहले बैरिकेडिंग लगी थी। रास्ता ब्लाक था। भीड़ पीछे से आती चली गई। करीब आधा किलोमीटर का रास्ता चोक हो गया। तभी अफवाह उड़ी कि नागा साधु स्नान के लिए आने वाले हैं। ये सुनते ही भीड़ बेकाबू हो गई। बैरिकेडिंग तोड़कर लोग आगे भागने लगे। इसमें जो गिरा उठ नहीं पाया। भीड़ उसे कुचलती चली गई। हादसे में 35 से 40 लोगों ने जान गवां दी। 60 लोग घायल हुए। भगदड़ के बाद का मंजर भयावह था। कुछ लोग रोते-बिलखते अपनों की तलाश करते रहे, तो कुछ अपनों के शव का हाथ थामे रहे कि कहीं बॉडी न खो जाए। केंद्रीय अस्पताल में हर तरफ खून से लथपथ लोग और लाशें ही लाशें थीं। ये वो वक्त था जब श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। श्रद्धालुओं की एंट्री रोक दी गई। जो जहां तक पहुंचा था, उसे वहीं रोका गया। ऐसे में 29 जनवरी को जनसेनगंज रोड समेत 10 से ज्यादा इलाकों के मुस्लिमों ने बड़ा दिल दिखाया। 25 से 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए मस्जिद, मजार, दरगाह, इमामबाड़े और अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। लोगों के रुकने की व्यवस्था की। उन तक भोजन और चाय-पानी पहुंचाया। जिन्हें दवा की जरूरत थी, उनकी तीमारदारी की। दैनिक भास्कर एप की टीम ने सौहार्द की इस बानगी पर मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 10 से ज्यादा एरिया में श्रद्धालुओं के लिए चलाया भंडारा
28 जनवरी की रात महाकुंभ क्षेत्र के 10 किलोमीटर एरिया में 8 करोड़ लोग थे। हादसा के बाद हाईवे जाम हो गए। बसों की रफ्तार थम गई। बड़ी संख्या में लोगों को सड़कों पर ही रात गुजारनी पड़ी। श्रद्धालुओं को 29 जनवरी की रात भी सड़क पर ही काटनी थी। ऐसे में प्रयागराज के मुस्लिमों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल दी। मेल क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर खुलदाबाद सब्जी मंडी मस्जिद, बड़ा ताजिया इमामबाड़ा, हिम्मतगंज दरगाह और चौक मस्जिद में लोगों को ठहराया। इसकी कुछ तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए। मुस्लिम समुदाय के मोहल्ले नखास कोहना, रोशनबाग, हिम्मतगंज, खुलदाबाद, रानीमंडी, शाहगंज के लोगों ने अपने घरों में श्रद्धालुओं को ठहराया। उन्हें चाय-नाश्ता कराया। खाना खिलाया। इन मोहल्ले में रात में भंडारा चलाया गया। श्रद्धालुओं को हलवा-पूड़ी और खाने के सामान बांटे गए। श्रद्धालुओं के मदद की 2 तस्वीरें देखिए… इरशाद बोले- वो हमारे मेहमान, हमने पूरी देखभाल की
बहादुर गंज (दायरा) के मो. इरशाद कहते हैं- उस रात भगदड़ के बाद हम लोगों को महसूस हुआ कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। सर्द रात में वह कहां जाएंगे? इसके बाद मस्जिद, दरगाहे खोल दी गईं। बहुत से लोगों को मुस्लिम लोगों ने घरों में पनाह दी। उनके रहने खाने की व्यवस्थाएं की गईं। बाद में भंडारे किए गए। वो प्रयागराज के मेहमान थे, हमने उनकी पूरी देखभाल करने का प्रयास किया। मसूद कहते हैं- मुस्लिम अपना धर्म कर रहे थे, हिंदू अपना
चौक एरिया के शिक्षक मसूद अहमद कहते हैं- प्रयागराज में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है, उस रात जब मदद करने की बारी आई, तब हम सब लोगों ने मिलकर काम किया। भंडारे खोल दिए गए। हिंदू भाई अपना धर्म-कर्म कर रहे थे, मुस्लिम भाई मानवता के नाते मदद को आगे आए थे। हमारा ध्येय था, जो लोग यहां आए हैं, उन्हें रहने की दिक्कत न हो। खाने-पीने की दिक्कत न हो। ये हमारी जिम्मेदारी है। पैदल जा रहे बुजुर्गों की मदद की गई, उन्हें स्टेशन तक पहुंचाया गया। हम बस यही चाहते थे कि जो भी यहां से वापस जाए, वो मानवता का संदेश लेकर जाए। महमूद बोले- मेला खुद मुस्लिम बस्तियों में आया
खुल्लाबाद के अफसर महमूद कहते हैं- महाकुंभ में आने वाले लोगों की मदद को मुस्लिम समुदाय आगे आया। जबकि पहले यह ऐलान किया गया था कि महाकुंभ में मुस्लिम प्रवेश नहीं करेंगे। मगर यह कुदरती हुआ कि मेला खुद मुस्लिम बस्तियों तक चलकर आया। मुस्लिमों ने घरों के दरवाजे खोले
चौक के मोइनुद्दीन ने कहा- प्रयागराज के मुस्लिम सिर्फ यही चाहते थे कि जो यहां आ रहा है, वह खुले आसमान के नीचे रात न बिताए, इसलिए सबने अपने घर के दरवाजे खोल दिए। यह एक सौहार्द की मिसाल की तरह है। मो. आजम बोले- रात में ही खाने का इंतजाम किया
हरि मस्जिद के सामने, सिविल लाइन के मो. आजम ने कहा- उस रात लोग ठंड से परेशान थे। जितना हो सका, उतने कंबल और रजाई उपलब्ध करवाई गई। हम यही चाहते थे कि उन्हें कोई परेशानी न हो। रात में उनके खाने का भी इंतजाम किया गया। अब पढ़िए भगदड़ हादसे की पूरी घटना… महाकुंभ भगदड़-12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी, लाशों के बीच अपनों की तला महाकुंभ कवरेज के लिए दैनिक भास्कर के 12 रिपोर्टर प्रयागराज में तैनात हैं। कुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान मौनी अमावस्या है। हमारी टीम कवरेज के लिए अलर्ट थी। रात के करीब 2 बजे थे। अचानक एक के बाद एक एम्बुलेंस की आवाजें आने लगीं। संगम तट पर मची भगदड़ के बाद मेले में बनाए गए केंद्रीय अस्पताल की स्थिति भयावह थी। दैनिक भास्कर के 12 से अधिक रिपोर्टर महाकुंभ का महाकवरेज कर रहे हैं। भगदड़ की सूचना के बाद सभी घटनास्थल, गंगा घाट, अखाड़े, केंद्रीय अस्पताल और स्वरूपरानी अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले भास्कर रिपोर्टर सचिन गुप्ता, विकास श्रीवास्तव और सृष्टि अस्पताल पहुंचे। भगदड़ में घायल और मृतक के परिजन से बात की। (पढ़ें पूरी खबर) ……………… यह भी पढ़ें : महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर जानिए अपने सभी सवालों के जवाब:संगम से 10 से 15KM दूर खड़े होंगे वाहन, 4KM पैदल चलना पड़ेगा महाकुंभ में मंगलवार देर रात हुई भगदड़ में मौतों के बाद सख्ती बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने कड़े कदम उठाते हुए 5 बड़े बदलाव लागू किए हैं। अब पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। इससे किसी भी तरह के वाहनों को अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। पूरे प्रयागराज शहर में चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। सिर्फ बाइक चल सकती हैं। पढ़िए पूरी खबर.. महाकुंभ में 28 जनवरी की देर रात श्रद्धालु मौनी अमावस्या के अमृत स्ना के लिए पहुंचने लगे। संगम नोज से पहले बैरिकेडिंग लगी थी। रास्ता ब्लाक था। भीड़ पीछे से आती चली गई। करीब आधा किलोमीटर का रास्ता चोक हो गया। तभी अफवाह उड़ी कि नागा साधु स्नान के लिए आने वाले हैं। ये सुनते ही भीड़ बेकाबू हो गई। बैरिकेडिंग तोड़कर लोग आगे भागने लगे। इसमें जो गिरा उठ नहीं पाया। भीड़ उसे कुचलती चली गई। हादसे में 35 से 40 लोगों ने जान गवां दी। 60 लोग घायल हुए। भगदड़ के बाद का मंजर भयावह था। कुछ लोग रोते-बिलखते अपनों की तलाश करते रहे, तो कुछ अपनों के शव का हाथ थामे रहे कि कहीं बॉडी न खो जाए। केंद्रीय अस्पताल में हर तरफ खून से लथपथ लोग और लाशें ही लाशें थीं। ये वो वक्त था जब श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। श्रद्धालुओं की एंट्री रोक दी गई। जो जहां तक पहुंचा था, उसे वहीं रोका गया। ऐसे में 29 जनवरी को जनसेनगंज रोड समेत 10 से ज्यादा इलाकों के मुस्लिमों ने बड़ा दिल दिखाया। 25 से 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए मस्जिद, मजार, दरगाह, इमामबाड़े और अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। लोगों के रुकने की व्यवस्था की। उन तक भोजन और चाय-पानी पहुंचाया। जिन्हें दवा की जरूरत थी, उनकी तीमारदारी की। दैनिक भास्कर एप की टीम ने सौहार्द की इस बानगी पर मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 10 से ज्यादा एरिया में श्रद्धालुओं के लिए चलाया भंडारा
28 जनवरी की रात महाकुंभ क्षेत्र के 10 किलोमीटर एरिया में 8 करोड़ लोग थे। हादसा के बाद हाईवे जाम हो गए। बसों की रफ्तार थम गई। बड़ी संख्या में लोगों को सड़कों पर ही रात गुजारनी पड़ी। श्रद्धालुओं को 29 जनवरी की रात भी सड़क पर ही काटनी थी। ऐसे में प्रयागराज के मुस्लिमों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल दी। मेल क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर खुलदाबाद सब्जी मंडी मस्जिद, बड़ा ताजिया इमामबाड़ा, हिम्मतगंज दरगाह और चौक मस्जिद में लोगों को ठहराया। इसकी कुछ तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए। मुस्लिम समुदाय के मोहल्ले नखास कोहना, रोशनबाग, हिम्मतगंज, खुलदाबाद, रानीमंडी, शाहगंज के लोगों ने अपने घरों में श्रद्धालुओं को ठहराया। उन्हें चाय-नाश्ता कराया। खाना खिलाया। इन मोहल्ले में रात में भंडारा चलाया गया। श्रद्धालुओं को हलवा-पूड़ी और खाने के सामान बांटे गए। श्रद्धालुओं के मदद की 2 तस्वीरें देखिए… इरशाद बोले- वो हमारे मेहमान, हमने पूरी देखभाल की
बहादुर गंज (दायरा) के मो. इरशाद कहते हैं- उस रात भगदड़ के बाद हम लोगों को महसूस हुआ कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। सर्द रात में वह कहां जाएंगे? इसके बाद मस्जिद, दरगाहे खोल दी गईं। बहुत से लोगों को मुस्लिम लोगों ने घरों में पनाह दी। उनके रहने खाने की व्यवस्थाएं की गईं। बाद में भंडारे किए गए। वो प्रयागराज के मेहमान थे, हमने उनकी पूरी देखभाल करने का प्रयास किया। मसूद कहते हैं- मुस्लिम अपना धर्म कर रहे थे, हिंदू अपना
चौक एरिया के शिक्षक मसूद अहमद कहते हैं- प्रयागराज में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है, उस रात जब मदद करने की बारी आई, तब हम सब लोगों ने मिलकर काम किया। भंडारे खोल दिए गए। हिंदू भाई अपना धर्म-कर्म कर रहे थे, मुस्लिम भाई मानवता के नाते मदद को आगे आए थे। हमारा ध्येय था, जो लोग यहां आए हैं, उन्हें रहने की दिक्कत न हो। खाने-पीने की दिक्कत न हो। ये हमारी जिम्मेदारी है। पैदल जा रहे बुजुर्गों की मदद की गई, उन्हें स्टेशन तक पहुंचाया गया। हम बस यही चाहते थे कि जो भी यहां से वापस जाए, वो मानवता का संदेश लेकर जाए। महमूद बोले- मेला खुद मुस्लिम बस्तियों में आया
खुल्लाबाद के अफसर महमूद कहते हैं- महाकुंभ में आने वाले लोगों की मदद को मुस्लिम समुदाय आगे आया। जबकि पहले यह ऐलान किया गया था कि महाकुंभ में मुस्लिम प्रवेश नहीं करेंगे। मगर यह कुदरती हुआ कि मेला खुद मुस्लिम बस्तियों तक चलकर आया। मुस्लिमों ने घरों के दरवाजे खोले
चौक के मोइनुद्दीन ने कहा- प्रयागराज के मुस्लिम सिर्फ यही चाहते थे कि जो यहां आ रहा है, वह खुले आसमान के नीचे रात न बिताए, इसलिए सबने अपने घर के दरवाजे खोल दिए। यह एक सौहार्द की मिसाल की तरह है। मो. आजम बोले- रात में ही खाने का इंतजाम किया
हरि मस्जिद के सामने, सिविल लाइन के मो. आजम ने कहा- उस रात लोग ठंड से परेशान थे। जितना हो सका, उतने कंबल और रजाई उपलब्ध करवाई गई। हम यही चाहते थे कि उन्हें कोई परेशानी न हो। रात में उनके खाने का भी इंतजाम किया गया। अब पढ़िए भगदड़ हादसे की पूरी घटना… महाकुंभ भगदड़-12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी, लाशों के बीच अपनों की तला महाकुंभ कवरेज के लिए दैनिक भास्कर के 12 रिपोर्टर प्रयागराज में तैनात हैं। कुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान मौनी अमावस्या है। हमारी टीम कवरेज के लिए अलर्ट थी। रात के करीब 2 बजे थे। अचानक एक के बाद एक एम्बुलेंस की आवाजें आने लगीं। संगम तट पर मची भगदड़ के बाद मेले में बनाए गए केंद्रीय अस्पताल की स्थिति भयावह थी। दैनिक भास्कर के 12 से अधिक रिपोर्टर महाकुंभ का महाकवरेज कर रहे हैं। भगदड़ की सूचना के बाद सभी घटनास्थल, गंगा घाट, अखाड़े, केंद्रीय अस्पताल और स्वरूपरानी अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले भास्कर रिपोर्टर सचिन गुप्ता, विकास श्रीवास्तव और सृष्टि अस्पताल पहुंचे। भगदड़ में घायल और मृतक के परिजन से बात की। (पढ़ें पूरी खबर) ……………… यह भी पढ़ें : महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर जानिए अपने सभी सवालों के जवाब:संगम से 10 से 15KM दूर खड़े होंगे वाहन, 4KM पैदल चलना पड़ेगा महाकुंभ में मंगलवार देर रात हुई भगदड़ में मौतों के बाद सख्ती बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने कड़े कदम उठाते हुए 5 बड़े बदलाव लागू किए हैं। अब पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। इससे किसी भी तरह के वाहनों को अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। पूरे प्रयागराज शहर में चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। सिर्फ बाइक चल सकती हैं। पढ़िए पूरी खबर..   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर