महाकुंभ में दुनिया का सबसे बड़ा सफाई अभियान:1.50 लाख टॉयलेट, 4 लाख से ज्यादा डस्टबिन, रात भर होती है सफाई

महाकुंभ में दुनिया का सबसे बड़ा सफाई अभियान:1.50 लाख टॉयलेट, 4 लाख से ज्यादा डस्टबिन, रात भर होती है सफाई

महाकुंभ सिर्फ उत्सव नहीं, बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। संगम किनारे एक अस्थाई शहर बसाना और उसको नियमित तौर पर साफ रखना आसान नहीं। ऐसे में, यह सबसे जरूरी हो जाता है कि जो लोग इस मेले में आते हैं, उनको साफ-सुथरा वातावरण और रहने की जगह दी जाए। दूसरी तरफ यह चुनौती भी है कि लगातार लाखों-करोड़ों लोगों के आने-जाने और रहने के बीच स्वच्छता बनाए रखना। महाकुंभ में इस चुनौती से कैसे निपटा जा रहा है? 4000 हेक्टेयर में फैले दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में रोज 600 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है। इस रिपोर्ट में पढ़िए- स्वच्छता के लिए क्या उपाय किए गए हैं? साफ-सफाई के क्या मापदंड अपनाए जा रहे? स्वच्छता को लेकर की गई तैयारियों पर नजर
महाकुंभ में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। जाहिर है जहां लोगों की इतनी बड़ी हलचल होगी, वहां गंदगी भी फैलेगी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला क्षेत्र में 1.50 लाख टॉयलेट, 4 लाख से ज्यादा डस्टबिन हैं। जिनकी साफ-सफाई के लिए सफाईकर्मियों की 800 टीमें बनाई गई हैं। यह सबसे बड़ा सफाई अभियान है। एक टीम में 12 लोग हैं। एक मेट होता है, जो ग्रुप के लीडर की तरह काम करता है। उसके साथ एक महिला मेट होती है। बाकी 10 सफाईकर्मी होते हैं। एक तिहाई कर्मचारियों की ड्यूटी रात में लगाई गई है। यह शिफ्ट रात 8 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक की रहती है। संगम, ऐरावत, नाग वासुकी और अरैल जैसे क्षेत्रों में एक चुनौती यह भी है कि इतने ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने के समय सफाई और मुश्किल हो जाती है। ऐसे में, प्रशासन ने इन क्षेत्रों में रात में सफाईकर्मियों की ड्यूटी बढ़ा दी है, क्योंकि उस समय भीड़ थोड़ी कम होती है। इससे सड़कों की सफाई करना आसान हो जाता है। साफ-सफाई के लिए नगर निगम से 100-150 सफाईकर्मी जोड़े गए हैं। साथ ही नगर विकास विभाग से 6 एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (ईओ) की ड्यूटी संगम नोज पर लगाई गई है। स्ट्रीट स्वीपिंग और लाइनर बैग्स चेंज करने का काम ज्यादातर रात में ही किया जाता है। पूरे मेले को 25 सेक्टर में बांटा गया है। हर सेक्टर में कुछ सर्कल होते हैं, जिनको सर्कल इंचार्ज संभालते हैं। ऐसे की जा रही संगम नोज की सफाई
संगम नोज श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। यह सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाला इलाका है। जब लोग वहां स्नान के लिए जाते हैं, तो अपने कपड़े और बाकी सामान वहीं घाट पर ‘दान’ के रूप में छोड़ कर चले जाते हैं। ऐसे में नगर विकास विभाग के 6 ईओ सुपरवाइजर की तरह काम करते हैं। वह सफाईकर्मियों के काम को मॉनिटर करते हैं। घाट पर सफाई के लिए क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) बनाई गई हैं। ट्राई स्किमर भी चलाए जा रहे हैं। नाव और चलनी के माध्यम से भी साफ-सफाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। कचरा साफ करने में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल
महाकुंभ में हर रोज करीब 600 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। इसे हटाने और साफ करने के लिए कई मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें कॉम्पैक्टर्स, टिप्पर्स, डीसीएम, ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे वाहनों का इस्तेमाल हो रहा है। 120 टिप्पर और 40 कॉम्पैक्टर इस काम में लगाए गए हैं। सफाईकर्मी कूड़े को लाइनर बैग्स से निकाल कर टिप्पर में डालते हैं। वहां से यह कॉम्पैक्टर में शिफ्ट किया जाता है। फिर इसको नैनी के बसवार में सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट पर भेज दिया जाता है। लाइनर बैग्स पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल यानी वातावरण में घुल-मिल जाने वाले हैं। सफाईकर्मियों का बीमा, रहने की व्यवस्था
सफाईकर्मियों के रहने की व्यवस्था के साथ अलग-अलग तरह के बीमा भी दिए गए हैं। उनके बच्चों के लिए आंगनबाड़ी स्कूलों की सुविधा दी गई है। साथ ही चिकित्सा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। इन कर्मचारियों को एक किट भी दी गई है। जिसमें कपड़े, जूते, टोपी, सफाई के उपकरण हैं। एक सफाईकर्मी के जिम्मे 10 बाथरूम की सफाई
मेले में सभी वॉशरूम से जितना भी अपशिष्ट (गंदगी) निकलता है, उसे मशीन (सक्शन मशीन) के जरिए बाहर निकाल कर एसटीपी प्लांट में डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस बार इसमें एटॉमिक भाभा सेंटर प्रशासन ने 65 सक्शन वाहन हायर किए हैं या रेंट पर लिए हैं। जो भी वेंडर्स बाथरूम लगा रहे हैं, उनके ऊपर हर 10 बाथरूम पर 1 सफाईकर्मी लगाने की जिम्मेदारी है। 1500 गंगा दूत कर रहे मॉनिटरिंग
टॉयलेट्स की आईसीटी बेस्ड मॉनिटरिंग की जा रही है। इसमें एक ऐप है, जिसके जरिए गंगा सेवा दूत सुबह और शाम जाते हैं और मोबाइल से मॉनिटर करते हैं कि टॉयलेट साफ है या नहीं। 1500 गंगा सेवा दूत लगाए गए हैं जो इस मेले में वॉलंटियर हैं। ———————- ये खबर भी पढ़ें… सबसे बड़ा पंडाल अवधेशानंद गिरि जी का, बंगाल के 1 हजार कारीगरों ने तैयार किया; महाकुंभ मेले के 8 भव्य आश्रम महाकुंभ में 13 अखाड़ों, चारों शंकराचार्य, महामंडलेश्वर और कथावाचक से लेकर संत-महात्मा मौजूद हैं। 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पूरे मेले के दौरान संगम में डुबकी लगाएंगे और बाबाओं से आशीर्वाद लेंगे। मेले में संत-महात्माओं के बड़े-बड़े शिविर लगे हैं। इनकी सजावट राम मंदिर, केदारनाथ से लेकर फाइटर जेट तेजस के तर्ज पर की गई है। पढ़ें पूरी खबर… महाकुंभ सिर्फ उत्सव नहीं, बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। संगम किनारे एक अस्थाई शहर बसाना और उसको नियमित तौर पर साफ रखना आसान नहीं। ऐसे में, यह सबसे जरूरी हो जाता है कि जो लोग इस मेले में आते हैं, उनको साफ-सुथरा वातावरण और रहने की जगह दी जाए। दूसरी तरफ यह चुनौती भी है कि लगातार लाखों-करोड़ों लोगों के आने-जाने और रहने के बीच स्वच्छता बनाए रखना। महाकुंभ में इस चुनौती से कैसे निपटा जा रहा है? 4000 हेक्टेयर में फैले दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में रोज 600 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है। इस रिपोर्ट में पढ़िए- स्वच्छता के लिए क्या उपाय किए गए हैं? साफ-सफाई के क्या मापदंड अपनाए जा रहे? स्वच्छता को लेकर की गई तैयारियों पर नजर
महाकुंभ में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। जाहिर है जहां लोगों की इतनी बड़ी हलचल होगी, वहां गंदगी भी फैलेगी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला क्षेत्र में 1.50 लाख टॉयलेट, 4 लाख से ज्यादा डस्टबिन हैं। जिनकी साफ-सफाई के लिए सफाईकर्मियों की 800 टीमें बनाई गई हैं। यह सबसे बड़ा सफाई अभियान है। एक टीम में 12 लोग हैं। एक मेट होता है, जो ग्रुप के लीडर की तरह काम करता है। उसके साथ एक महिला मेट होती है। बाकी 10 सफाईकर्मी होते हैं। एक तिहाई कर्मचारियों की ड्यूटी रात में लगाई गई है। यह शिफ्ट रात 8 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक की रहती है। संगम, ऐरावत, नाग वासुकी और अरैल जैसे क्षेत्रों में एक चुनौती यह भी है कि इतने ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने के समय सफाई और मुश्किल हो जाती है। ऐसे में, प्रशासन ने इन क्षेत्रों में रात में सफाईकर्मियों की ड्यूटी बढ़ा दी है, क्योंकि उस समय भीड़ थोड़ी कम होती है। इससे सड़कों की सफाई करना आसान हो जाता है। साफ-सफाई के लिए नगर निगम से 100-150 सफाईकर्मी जोड़े गए हैं। साथ ही नगर विकास विभाग से 6 एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (ईओ) की ड्यूटी संगम नोज पर लगाई गई है। स्ट्रीट स्वीपिंग और लाइनर बैग्स चेंज करने का काम ज्यादातर रात में ही किया जाता है। पूरे मेले को 25 सेक्टर में बांटा गया है। हर सेक्टर में कुछ सर्कल होते हैं, जिनको सर्कल इंचार्ज संभालते हैं। ऐसे की जा रही संगम नोज की सफाई
संगम नोज श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। यह सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाला इलाका है। जब लोग वहां स्नान के लिए जाते हैं, तो अपने कपड़े और बाकी सामान वहीं घाट पर ‘दान’ के रूप में छोड़ कर चले जाते हैं। ऐसे में नगर विकास विभाग के 6 ईओ सुपरवाइजर की तरह काम करते हैं। वह सफाईकर्मियों के काम को मॉनिटर करते हैं। घाट पर सफाई के लिए क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) बनाई गई हैं। ट्राई स्किमर भी चलाए जा रहे हैं। नाव और चलनी के माध्यम से भी साफ-सफाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। कचरा साफ करने में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल
महाकुंभ में हर रोज करीब 600 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। इसे हटाने और साफ करने के लिए कई मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें कॉम्पैक्टर्स, टिप्पर्स, डीसीएम, ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे वाहनों का इस्तेमाल हो रहा है। 120 टिप्पर और 40 कॉम्पैक्टर इस काम में लगाए गए हैं। सफाईकर्मी कूड़े को लाइनर बैग्स से निकाल कर टिप्पर में डालते हैं। वहां से यह कॉम्पैक्टर में शिफ्ट किया जाता है। फिर इसको नैनी के बसवार में सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट पर भेज दिया जाता है। लाइनर बैग्स पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल यानी वातावरण में घुल-मिल जाने वाले हैं। सफाईकर्मियों का बीमा, रहने की व्यवस्था
सफाईकर्मियों के रहने की व्यवस्था के साथ अलग-अलग तरह के बीमा भी दिए गए हैं। उनके बच्चों के लिए आंगनबाड़ी स्कूलों की सुविधा दी गई है। साथ ही चिकित्सा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। इन कर्मचारियों को एक किट भी दी गई है। जिसमें कपड़े, जूते, टोपी, सफाई के उपकरण हैं। एक सफाईकर्मी के जिम्मे 10 बाथरूम की सफाई
मेले में सभी वॉशरूम से जितना भी अपशिष्ट (गंदगी) निकलता है, उसे मशीन (सक्शन मशीन) के जरिए बाहर निकाल कर एसटीपी प्लांट में डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस बार इसमें एटॉमिक भाभा सेंटर प्रशासन ने 65 सक्शन वाहन हायर किए हैं या रेंट पर लिए हैं। जो भी वेंडर्स बाथरूम लगा रहे हैं, उनके ऊपर हर 10 बाथरूम पर 1 सफाईकर्मी लगाने की जिम्मेदारी है। 1500 गंगा दूत कर रहे मॉनिटरिंग
टॉयलेट्स की आईसीटी बेस्ड मॉनिटरिंग की जा रही है। इसमें एक ऐप है, जिसके जरिए गंगा सेवा दूत सुबह और शाम जाते हैं और मोबाइल से मॉनिटर करते हैं कि टॉयलेट साफ है या नहीं। 1500 गंगा सेवा दूत लगाए गए हैं जो इस मेले में वॉलंटियर हैं। ———————- ये खबर भी पढ़ें… सबसे बड़ा पंडाल अवधेशानंद गिरि जी का, बंगाल के 1 हजार कारीगरों ने तैयार किया; महाकुंभ मेले के 8 भव्य आश्रम महाकुंभ में 13 अखाड़ों, चारों शंकराचार्य, महामंडलेश्वर और कथावाचक से लेकर संत-महात्मा मौजूद हैं। 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पूरे मेले के दौरान संगम में डुबकी लगाएंगे और बाबाओं से आशीर्वाद लेंगे। मेले में संत-महात्माओं के बड़े-बड़े शिविर लगे हैं। इनकी सजावट राम मंदिर, केदारनाथ से लेकर फाइटर जेट तेजस के तर्ज पर की गई है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर