प्रयागराज महाकुंभ में संगम घाट पर मची भगदड़ में हरियाणा के 3 लोगों की मौत हो गई है। इनमें रोहतक व जींद की 2 महिलाएं और फरीदाबाद का युवक शामिल है। तीनों स्नान के लिए घाट के पास पहुंच थे, लेकिन स्नान करने से पहले ही उन्हें बेकाबू हुई भीड़ ने कुचल डाला। जींद की मृतका रामपति (60) के पोते के अनुसार घाट पर लोगों की भीड़ देखकर उसने दादी को वापस लौटने को कहा था। दादी मान भी गई थी लेकिन तभी कुछ मीटर चलने पर लोगों के बीच धक्का मुक्की शुरू हो गई और फिर देखते ही देखते लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। भगदड़ में वो भी गिर गए और फिर करीब 40 मिनट तक लोग उनके ऊपर से गुजरते रहे। उधर मृतका के भतीजे की मानें तो परिवार करीब 3 घंटे तक लोगों के नीचे दबा हुआ था। प्रशासन ने किसी तरह उन्हें बाहर निकाला है। रामपति के कहने पर ही परिवार गया था महाकुंभ
राजपुरा भैण गांव निवासी नरेंद्र ने बताया कि 26 जनवरी को गांव के ही 8 लोग कुंभ स्नान के लिए निकले थे। 28 जनवरी को ये लोग कुंभ में पंहुचे और फिर 29 जनवरी को आगे चल दिए। इसी दिन रात को डेढ़ बजे के करीब ये सभी लोग संगम घाट पर पहुंचे। नरेंद्र आगे बताते हैं कि उनकी दादी की इच्छा थी कुंभ में स्नान करने की और उनके कहने पर ही पूरा परिवार कुंभ में गया था। हालांकि घाट पर लगी भीड़ देखकर सभी ने स्नान ना करने का मन बना लिया था। अचानक भीड़ बढ़ते ही टूटी बेरिकेडिंग
मृतका के भतीजे जयवीर के अनुसार जब परिवार लौटने लगा तो करीब 200 मीटर बाद ही भगदड़ शुरू हो गई। जयवीर बताते हैं कि VIP लोगों को स्नान कराने के लिए पुलिस कहीं पर नाके लगा रही थी, तो कहीं पर बेरिकेडिंग खोल रही थी। घाट किनारे सो रहे लोगों को भी पुलिस उठा रही थी। तभी बेरिकेडिंग के पीछे लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई की बेरिकेडिंग टूट गई, और लोग घाट की तरफ तेजी से बढ़ने लगे। नरेंद्र बोले- आंख खुली तो चारों तरफ चीख पुकार थी
नरेंद्र बताते हैं कि जब वो अपनी दादी के साथ नीचे गिरे तो उसके बाद वो वापस उठ नहीं पाए। करीब 40 मिनट तक लोग उनके ऊपर से गुजरते रहे, जिससे वह बेहोश हो गए। जब होश आया तो चारों तरफ चीख-पुकार और एम्बुलेंस के सायरन बज रहे थे। नरेंद्र ने कहा- दादी रामपति की सांसें थम चुकी थी और बाकी लोगों को हल्की फुल्की चोटें आई थी। हमारे चारों तरफ 70 से ज्यादा लोग बेसुध पड़े हुए थे। जिंदगी में पहली बार ऐसा हादसा देख बेचैनी बढ़ गई थी। एम्बुलेंस ने अस्पताल पहुंचाया, डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
इसके बाद एम्बुलेंस आई और रामपति के साथ उनके परिवार को नजदीक के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। यहां रामपति को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जबकि परिवार के बाकी लोगों की पट्टी कर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। रामपति के भतीजे जयपाल बताते हैं कि सुबह 5 बजे के करीब उनके पास फोन आया और भगदड़ की सूचना मिली। इसके बाद गांव से 4 लोग पहुंचे और उसकी चाची के शव को लेकर आए। उत्तर प्रदेश की एम्बुलेंस उन्हें गांव तक छोड़ के गई। गांव में किया अंतिम संस्कार
घटना का जैसे ही ग्रामीणों को पता चला तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। रामपति ने एक लड़का गोद लिया हुआ है और उनकी तीन लड़कियां हैं। जो शादीशुदा हैं। गांव के सरपंच जयवीर ने बताया कि रामपति गांव के ही नरेंद्र के परिवार के साथ महाकुंभ में गई थी। आज सुबह राजपुरा गांव में रामपति का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। रोहतक की महिला भी भगदड़ में दबी
इसके अलावा, रोहतक में सांपला के रहने के रहने वाले 2 परिवार भी मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ में डुबकी लगाने गए थे। लेकिन, मंगलवार को संगम तट के पास मची भगदड़ में ये सारे लोग फंस गए। इनमें सांपला के वार्ड 13 की रहने वाली कृष्णा (75) भी शामिल थीं। हालांकि, उनके परिवार के अन्य लोग सुरक्षित बच गए। आज सुबह परिवार ने सांपला गांव में ही कृष्णा का अंतिम संस्कार कर दिया है। परिवार के साथ स्नान करने गए युवक की मौत
फरीदाबाद के मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES) के 34 वर्षीय कर्मचारी अमित कुमार की कुंभ मेले में मची भगदड़ में मौत हो गई। वे 28 जनवरी की रात को अपने परिवार के साथ संगम घाट पर स्नान करने पहुंचे थे। अचानक मची भगदड़ में वे अपने परिवार से बिछड़ गए और नीचे गिर गए। दम घुटने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। उन्होंने एक दिन पहले ही संगम तट पर अपने एक वर्षीय बच्चे का जन्मदिन मनाया था। 4 बच्चों के पिता थे अमित
अमित की 2016 में शादी हुई थी। वह 2017 से दिल्ली कैंट में लिफ्ट मैकेनिक के रूप में कार्यरत थे। 2018 में उनके पिता का निधन हो गया था। वह अपने पीछे माता, पत्नी, बहन और 4 छोटे बच्चे छोड़ गए हैं। मृतक का शव उनके फरीदाबाद के सेक्टर 23 की संजय कॉलोनी में स्थित घर लाया गया। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। पलवल के लोग बोले- बेहद डरावना था
माघी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान मची भगदड़ में पलवल के भी श्रद्धालु शामिल थे। उन्होंने इस हादसे को एक भयानक याद बताते हुए उस समय के अनुभव को बताया। पलवल में हथीन के कौशल, बंता गांव की इंद्रा देवी और हथीन की ही ज्योति देवी ने बताया है कि वहां का दृश्य बेहद डरावना था। हम किसी तरह से सुरक्षित बच निकले। चारों ओर अफरातफरी का माहौल था। चीख-पुकार मची हुई थी। लोग भाग रहे थे, एक-दूसरे से टकरा रहे थे और गिर रहे थे। इसमें ही कई लोग कुचल गए। जो हमने देखा वह असहनीय था। झज्जर के 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे
इधर, झज्जर से भी 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। हादसे के बाद उनके परिजनों ने उनका हाल लिया तो पता चला कि सभी सुरक्षित हैं। संगम क्षेत्र में डेरा चला रहे आचार्य उपेंद्र कृष्ण ने बताया है कि उन्हें यहां जगह मिल गई थी। उनके यहां झज्जर से करीब 30 श्रद्धालु आए हैं जो सुरक्षित हैं। इनमें महंत परमानंद गिरि महाराज, महंत मृत्युंजय गिरि महाराज, गीतानंद महाराज, भोला गिरि आदि संत शामिल हैं। प्रयागराज महाकुंभ में संगम घाट पर मची भगदड़ में हरियाणा के 3 लोगों की मौत हो गई है। इनमें रोहतक व जींद की 2 महिलाएं और फरीदाबाद का युवक शामिल है। तीनों स्नान के लिए घाट के पास पहुंच थे, लेकिन स्नान करने से पहले ही उन्हें बेकाबू हुई भीड़ ने कुचल डाला। जींद की मृतका रामपति (60) के पोते के अनुसार घाट पर लोगों की भीड़ देखकर उसने दादी को वापस लौटने को कहा था। दादी मान भी गई थी लेकिन तभी कुछ मीटर चलने पर लोगों के बीच धक्का मुक्की शुरू हो गई और फिर देखते ही देखते लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। भगदड़ में वो भी गिर गए और फिर करीब 40 मिनट तक लोग उनके ऊपर से गुजरते रहे। उधर मृतका के भतीजे की मानें तो परिवार करीब 3 घंटे तक लोगों के नीचे दबा हुआ था। प्रशासन ने किसी तरह उन्हें बाहर निकाला है। रामपति के कहने पर ही परिवार गया था महाकुंभ
राजपुरा भैण गांव निवासी नरेंद्र ने बताया कि 26 जनवरी को गांव के ही 8 लोग कुंभ स्नान के लिए निकले थे। 28 जनवरी को ये लोग कुंभ में पंहुचे और फिर 29 जनवरी को आगे चल दिए। इसी दिन रात को डेढ़ बजे के करीब ये सभी लोग संगम घाट पर पहुंचे। नरेंद्र आगे बताते हैं कि उनकी दादी की इच्छा थी कुंभ में स्नान करने की और उनके कहने पर ही पूरा परिवार कुंभ में गया था। हालांकि घाट पर लगी भीड़ देखकर सभी ने स्नान ना करने का मन बना लिया था। अचानक भीड़ बढ़ते ही टूटी बेरिकेडिंग
मृतका के भतीजे जयवीर के अनुसार जब परिवार लौटने लगा तो करीब 200 मीटर बाद ही भगदड़ शुरू हो गई। जयवीर बताते हैं कि VIP लोगों को स्नान कराने के लिए पुलिस कहीं पर नाके लगा रही थी, तो कहीं पर बेरिकेडिंग खोल रही थी। घाट किनारे सो रहे लोगों को भी पुलिस उठा रही थी। तभी बेरिकेडिंग के पीछे लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई की बेरिकेडिंग टूट गई, और लोग घाट की तरफ तेजी से बढ़ने लगे। नरेंद्र बोले- आंख खुली तो चारों तरफ चीख पुकार थी
नरेंद्र बताते हैं कि जब वो अपनी दादी के साथ नीचे गिरे तो उसके बाद वो वापस उठ नहीं पाए। करीब 40 मिनट तक लोग उनके ऊपर से गुजरते रहे, जिससे वह बेहोश हो गए। जब होश आया तो चारों तरफ चीख-पुकार और एम्बुलेंस के सायरन बज रहे थे। नरेंद्र ने कहा- दादी रामपति की सांसें थम चुकी थी और बाकी लोगों को हल्की फुल्की चोटें आई थी। हमारे चारों तरफ 70 से ज्यादा लोग बेसुध पड़े हुए थे। जिंदगी में पहली बार ऐसा हादसा देख बेचैनी बढ़ गई थी। एम्बुलेंस ने अस्पताल पहुंचाया, डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
इसके बाद एम्बुलेंस आई और रामपति के साथ उनके परिवार को नजदीक के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। यहां रामपति को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जबकि परिवार के बाकी लोगों की पट्टी कर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। रामपति के भतीजे जयपाल बताते हैं कि सुबह 5 बजे के करीब उनके पास फोन आया और भगदड़ की सूचना मिली। इसके बाद गांव से 4 लोग पहुंचे और उसकी चाची के शव को लेकर आए। उत्तर प्रदेश की एम्बुलेंस उन्हें गांव तक छोड़ के गई। गांव में किया अंतिम संस्कार
घटना का जैसे ही ग्रामीणों को पता चला तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। रामपति ने एक लड़का गोद लिया हुआ है और उनकी तीन लड़कियां हैं। जो शादीशुदा हैं। गांव के सरपंच जयवीर ने बताया कि रामपति गांव के ही नरेंद्र के परिवार के साथ महाकुंभ में गई थी। आज सुबह राजपुरा गांव में रामपति का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। रोहतक की महिला भी भगदड़ में दबी
इसके अलावा, रोहतक में सांपला के रहने के रहने वाले 2 परिवार भी मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ में डुबकी लगाने गए थे। लेकिन, मंगलवार को संगम तट के पास मची भगदड़ में ये सारे लोग फंस गए। इनमें सांपला के वार्ड 13 की रहने वाली कृष्णा (75) भी शामिल थीं। हालांकि, उनके परिवार के अन्य लोग सुरक्षित बच गए। आज सुबह परिवार ने सांपला गांव में ही कृष्णा का अंतिम संस्कार कर दिया है। परिवार के साथ स्नान करने गए युवक की मौत
फरीदाबाद के मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES) के 34 वर्षीय कर्मचारी अमित कुमार की कुंभ मेले में मची भगदड़ में मौत हो गई। वे 28 जनवरी की रात को अपने परिवार के साथ संगम घाट पर स्नान करने पहुंचे थे। अचानक मची भगदड़ में वे अपने परिवार से बिछड़ गए और नीचे गिर गए। दम घुटने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। उन्होंने एक दिन पहले ही संगम तट पर अपने एक वर्षीय बच्चे का जन्मदिन मनाया था। 4 बच्चों के पिता थे अमित
अमित की 2016 में शादी हुई थी। वह 2017 से दिल्ली कैंट में लिफ्ट मैकेनिक के रूप में कार्यरत थे। 2018 में उनके पिता का निधन हो गया था। वह अपने पीछे माता, पत्नी, बहन और 4 छोटे बच्चे छोड़ गए हैं। मृतक का शव उनके फरीदाबाद के सेक्टर 23 की संजय कॉलोनी में स्थित घर लाया गया। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। पलवल के लोग बोले- बेहद डरावना था
माघी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान मची भगदड़ में पलवल के भी श्रद्धालु शामिल थे। उन्होंने इस हादसे को एक भयानक याद बताते हुए उस समय के अनुभव को बताया। पलवल में हथीन के कौशल, बंता गांव की इंद्रा देवी और हथीन की ही ज्योति देवी ने बताया है कि वहां का दृश्य बेहद डरावना था। हम किसी तरह से सुरक्षित बच निकले। चारों ओर अफरातफरी का माहौल था। चीख-पुकार मची हुई थी। लोग भाग रहे थे, एक-दूसरे से टकरा रहे थे और गिर रहे थे। इसमें ही कई लोग कुचल गए। जो हमने देखा वह असहनीय था। झज्जर के 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे
इधर, झज्जर से भी 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। हादसे के बाद उनके परिजनों ने उनका हाल लिया तो पता चला कि सभी सुरक्षित हैं। संगम क्षेत्र में डेरा चला रहे आचार्य उपेंद्र कृष्ण ने बताया है कि उन्हें यहां जगह मिल गई थी। उनके यहां झज्जर से करीब 30 श्रद्धालु आए हैं जो सुरक्षित हैं। इनमें महंत परमानंद गिरि महाराज, महंत मृत्युंजय गिरि महाराज, गीतानंद महाराज, भोला गिरि आदि संत शामिल हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर