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बिहार में किसी बड़े खेल की तैयारी! नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज NDA की बैठक, क्या है एजेंडा?
बिहार में किसी बड़े खेल की तैयारी! नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज NDA की बैठक, क्या है एजेंडा? <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar NDA Meeting Today:</strong> बिहार की चार विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव है. वहीं अगले साल विधानसभा चुनाव है. इस बीच राजनीतिक दलों की तैयारी भी दिखने लगी है. आज (सोमवार) सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अध्यक्षता में बिहार में एनडीए की बड़ी बैठक होने जा रही है. यह महत्वपूर्ण बैठक एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास में सुबह 11 बजे से होगी. इस बैठक में एनडीए के सभी सांसद, विधानमंडल दल के नेता, जिलाध्यक्ष और प्रदेश स्तर के वरीय नेता शामिल होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बैठक में कई लक्ष्य तय किए जाने हैं. एनडीए के घटक दलों ने 2025 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ने की सहमति तो दे दी है लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की मजबूत सरकार बिहार में कैसे बने इसको लेकर रणनीति बनाई जाएगी. इस बैठक में एजेंडा तय किया जाना है सरकार के कामकाज को कैसे जनता के बीच रखा जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जनता के बीच जाकर उनके मूड को टटोलेंगे नेता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कहा जा रहा है कि इस बैठक में शामिल होने वाले सभी जनप्रतिनिधियों को टास्क दिया जाना है. सभी नेताओं का काम होगा कि जनता के बीच जाकर सरकार के काम के बारे में बताएं और साथ ही उनके मूड का फीडबैक लें. आज की इस बैठक में बिहार में चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव पर भी चर्चा की जाएगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि पहली बार बिहार में त्रिकोणीय मुकाबले की बात की जा रही है. प्रशांत किशोर के फैक्टर पर भी आज की बैठक में रणनीति बनाई जाएगी. यह भी तय होगा कि कैसे विपक्ष के सवालों का जवाब दिया जाए. वो कौन से मुद्दे होंगे जिस पर विपक्षी दलों को घेरना है. आज की इस बैठक के साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अपने 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर मिशन के तौर पर अभियान की शुरुआत कर देगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-bandh-warning-against-nitish-kumar-government-smart-prepaid-meter-2812051″>Bihar Smart Meter: नीतीश सरकार के स्मार्ट मीटर के खिलाफ अब होगा बिहार बंद! सड़क पर उतरने जा रही ये पार्टी</a><br /></strong></p>
भाजपा चेयरमैन के खिलाफ पार्षद लामबंद, ADC गायब:पार्षद 2 घंटे करते रहे इंतजार, मिलाते रहे फोन, अधिकारी बोलीं मेरे घर में इमरजेंसी थी
भाजपा चेयरमैन के खिलाफ पार्षद लामबंद, ADC गायब:पार्षद 2 घंटे करते रहे इंतजार, मिलाते रहे फोन, अधिकारी बोलीं मेरे घर में इमरजेंसी थी हरियाणा के हिसार में भाजपा के जिला परिषद चेयरमैन सोनू सिहाग डाटा के खिलाफ पार्षद एकजुट हो गए हैं। 30 में से 23 पार्षद उनके खिलाफ हैं और उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग को लेकर पार्षद मंगलवार ( 3 दिसंबर) को अतिरिक्त उपायुक्त (ADC) सी. जयाश्रद्धा से समय लेकर मिलने पहुंचे। ADC ने दोपहर 2 बजे का समय दिया। तय समयनुसार पार्षद लघु सचिवालय स्थित ADC कार्यालय पहुंच गए। मगर ADC कार्यालय नहीं थी। पार्षदों ने कुछ देर इंतजार के बाद फोन मिलाया ADC ने फोन कर कहा मैं कुछ देर में आ रही हूं। ऐसे करते-करते 2 घंटे तक पार्षद इंतजार करते रहे। थक हारकर पार्षद चले गए मगर ADC कार्यालय नहीं पहुंची। पार्षदों के जाने के तुरंत बाद शाम करीब 4 बजे ADC कार्यालय पहुंच गई। अब इस पूरे प्रकरण पर विवाद हो रहा है। वहीं ADC का कहना है कि उनके घर में इमरजेंसी आ गई थी। वह वेटनरी अस्पताल गई हुई थी। पार्षद चाहे तो आज मुलाकात कर सकते हैं। चेयरमैन के खिलाफ 23 पार्षद एकजुट… पार्षद बोले- चेयरमैन कर सकता है हॉर्स ट्रेडिंग
वहीं इस मामले में चेयरमैन के डर से चोरी छिपे एकजुट हो रहे पार्षदों के चेहरे उजागर होने से उनको डर है कि चेयरमैन धनबल या ब्लैकमेलिंग के जरिये पार्षदों को तोड़ने की कोशिश कर सकता है। पार्षदों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस मुद्दे पर बैठक बुलाए, ताकि चेयरमैन विधायक या मंत्री के जरिये दवाब ना बनाए और हॉर्स ट्रेडिंग ना कर सकें। चेयरमैन को हटाने के लिए 21 पार्षदों की जरूरत
दरअसल, जिला परिषद चेयरमैन को हटाने के लिए 30 में से 21 पार्षदों की जरूरत है। जबकि चेयरमैन को अपने बचाव के लिए 11 पार्षद चाहिए। चेयरमैन शुरू से दावा करते रहे हैं कि उनके पास 14 पार्षदों का समर्थन है। मगर एकजुट पार्षदों की संख्या 23 है ऐसे में चेयरमैन का दावा झूठा पड़ता दिखाई दे रहा है। वहीं बताया जा रहा है कि चेयरमैन को कुछ कांग्रेस पार्षदों के अलावा 6 से 7 पार्षदों का समर्थन है। ऐसे में चेयरमैन को कुर्सी बचाने के लिए 11 पार्षद अरेंज करने हैं। पार्षदों को डर है कि चेयरमैन अब चेहरे उजागर होने के हॉर्स ट्रेडिंग या दबाब बनाकर अपने पाले में करने की कोशिश करेगा। तस्वीर 2 साल पुरानी है… भाजपा विधायकों के साथ जीत की खुशी मनाते चेयरमैन जिला परिषद चेयरमैन इसलिए पड़े कमजोर…
1. चेयरमैन के गांव में हारी BJP
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जिला परिषद चेयरमैन सोनू सिहाग के गांव डाटा से BJP प्रत्याशी कैप्टन अभिमन्यु की बुरी तरह हार हुई। डाटा नारनौंद विधानसभा क्षेत्र के बड़े गांवों में से एक हैं। यहां करीब 7 बूथ बनाए गए थे। इन बूथों में से 6 पर कांग्रेस और 1 बूथ पर ही भाजपा जीत पाई। कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ को गांव में 3,274 वोट मिले, जबकि कैप्टन अभिमन्यु को गांव से महज 2,156 वोट मिले थे। 2. कमीशनखोरी का आरोप
कुछ महीने पहले कई जिला पार्षदों ने मिलकर मुख्यमंत्री से चेयरमैन की शिकायत की थी। वहीं विकास कार्यों में किए जा रहे पक्षपातपूर्ण निर्णयों को लेकर परिषद कार्यालय में धरना भी लगाया था। मुख्यमंत्री के समक्ष पार्षदों ने चेयरमैन पर कमीशनखोरी के आरोप भी लगाए। यह भी कहा कि कमीशन के चक्कर में ही जिला परिषद की पहली ग्रांट भी नहीं लग पाई है। जब तक कमीशन नहीं दिया जाता तब तक काम भी शुरू नहीं होने देते। पिछले 2 साल से विकास कार्य पेंडिंग पड़े हैं। जिससे सरकार की छवि खराब हो रही है। 3. कांग्रेस नेताओं के साथ की गुप्त बैठकें
पार्षदों ने आरोप लगाया कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान चेयरमैन की कांग्रेस सांसद जेपी और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के साथ गुप्त मीटिंग हुई थी। चेयरमैन को लगा कि कांग्रेस सरकार आएगी। ऐसे में वह पहले से ही कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आ गए थे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इसकी भनक लग गई थी। रही सही कसर चेयरमैन के गांव में भाजपा प्रत्याशी की हार से पूरी हो गई। पार्षदों ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में चेयरमैन ने गुपचुप तरीके से कांग्रेस के नेताओं का समर्थन किया। 4. पार्षदों को ब्लैकमेल करने का आरोप
जिला पार्षदों ने आरोप लगाया कि चेयरमैन ने अपने होटल में अपने पार्षद साथियों की कुछ आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था। इसके बाद पार्षदों ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मिलकर चेयरमैन की इस हरकत से अवगत भी करवाया। जिससे पार्टी के स्थानीय नेता, विधायक, मंत्री और संगठन के लोग चेयरमैन से दूरी बना चुके हैं। जानिए हिसार जिला परिषद का गणित…
हिसार जिला परिषद में 30 जोन है। भाजपा, जजपा और कांग्रेस ने अपने चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे। जैसे-जैसे चेयरमैन का चुनाव नजदीक आता रहा, दोनों पार्टियों के साथ पार्षद जुटते रहे। चेयरमैन-वाइस चेयरमैन चुनाव के समय 12 पार्षद भाजपा, 14 जजपा और 4 कांग्रेस के साथ चले गए। ऐसे में जजपा बड़ी पार्टी जरूर बनी लेकिन कुर्सी की चाबी कांग्रेस के हाथ चली गई। कांग्रेस ने भाजपा संग मिलकर खेल किया जिसमें पूर्व बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने अंदरखाते पार्षद एकजुट किए थे और भाजपा का चेयरमैन बना। ऐसे मिली थी भाजपा चेयरमैन सोनू सिहाग को कुर्सी…
1. BJP ने मंत्री की ड्यूटी लगाई : BJP जानती थी कि हिसार जिला परिषद में चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की कुर्सी कांग्रेस के समर्थन के बिना मिलनी मुश्किल है। इसलिए पूर्व बिजली मंत्री रणजीत चौटाला की ड्यूटी लगाई गई थी। रणजीत की पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पुरानी दोस्ती थी। यहीं से पूरा सियासी चक्रव्यूह रचना शुरू कर दिया गया था।
2. हुड्डा भी जजपा की कुर्सी नहीं चाहते थे : भूपेंद्र हुड्डा भी नहीं चाहते थे कि हिसार में जजपा का दबदबा बढ़े। ऐसे में तय हो गया कि चेयरमैन BJP का बनेगा। वाइस चेयरमैन की कुर्सी कांग्रेस को मिलेगी। जिसके बाद वोटिंग हुई और BJP को चेयरमैन और कांग्रेस को वाइस चेयरमैन की कुर्सी मिल गई। कांग्रेस नेता ने कहा था- पैनल्टी कॉर्नर मिला, हमने गोल कर दिया
14 पार्षदों वाली जजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद दोनों कुर्सियों से दूर रह गई थी। इस पर तब कांग्रेसी नेता धर्मवीर गोयत ने कहा था – रणजीत चौटाला ने हमें पैनल्टी कॉर्नर दिया और हमने गोल कर दिया। हम पहले चुपचाप इसलिए रहे, ताकि ये दोनों पार्टियां इक्ट्ठी न हो जाए। हमारे पास कर्मकेश कुंडू, दिनेश श्योराण, सुदेश रानी और रीना बदावड़ पार्षद थी। जिसमें रीना अब वाइस चेयरपर्सन बन गई हैं।
अमेठी वाली गलती अब नहीं दोहराना चाहते राहुल गांधी! रायबरेली आकर दे गए बड़ा सियासी संदेश
अमेठी वाली गलती अब नहीं दोहराना चाहते राहुल गांधी! रायबरेली आकर दे गए बड़ा सियासी संदेश <div id=”:14e” class=”Am aiL Al editable LW-avf tS-tW tS-tY” tabindex=”1″ role=”textbox” spellcheck=”false” aria-label=”Message Body” aria-multiline=”true” aria-owns=”:1b8″ aria-controls=”:1b8″ aria-expanded=”false”>
<p style=”text-align: justify;”><strong>UP Politics:</strong> भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और यूपी स्थित रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र आकर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की है. राहुल, रायबरेली आए. न कोई जनसभा की. न कोई सियासी बयान दिया और न ही उपचुनाव पर कोई बैठक की. सिर्फ सरकारी कार्यक्रम के लिए आए. रायबरेली को PMGSY योजना के तहत सड़कों की सौगात दी और चले गए. राहुल के इस नए सियासी स्वरूप से हर कोई हैरान है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राहुल गांधी यहां दिशा बैठक में भी शामिल हुए.जहां योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी इसमें शामिल हुए जो राहुल के ठीक बगल में ही बैठे थे. बैठक में डीएम महिला सुरक्षा से जुड़ी हेल्पलाइन के बारे में बता रही थी तभी राहुल गांधी ने अपने मोबाइल से ही 181 नंबर डायल कर दिया,कॉल रिसीव न होने पर राहुल गांधी ने इस योजना को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी उनकी सियासी रणनीति का हिस्सा!</strong><br />राहुल गांधी जब अमेठी से सांसद रहे तो कई कार्यक्रमों में कम आया करते थे, लेकिन अब वो ये गलती दुबारा नहीं दोहराना चाहते. जबसे रायबरेली से उन्होंने जीत हासिल की है अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे है.राहुल इसके पहले रायबरेली एक युवक की हत्या होने पर पहुंचे थे तो मंगलवार को सिर्फ दिशा की बैठक में हिस्सा लेने आ गए. साथ ही उन्होंने उपचुनाव को लेकर अपने कार्यकर्ताओं के साथ कोई बैठक भी नहीं की.कहीं न कहीं यह भी उनकी सियासी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राहुल लगातार खुद को बदल रहे</strong><br /> बता दें कि देश में दो राज्यों महाराष्ट्र-झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है जिसको लेकर राहुल गांधी कई जगह जनसभाएं भी कर रहे है.वहीं वायनाड लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के बीच अचानक राहुल गांधी का यूपी आने के सियासी मायने निकाले जा रहे है.उन्होंने यह भी संदेश देने का प्रयास किया है कि वह जनता से जुड़े छोटे-छोटे कार्यक्रमों में आने के लिए तैयार हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें:<a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-madarsa-act-supreme-court-decision-mp-ziaur-rahman-barq-statement-constitution-alive-india-ann-2817543″><strong> सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क बोले- ‘सांप्रदायिक ताकतों के मुंह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तमाचा'</strong></a></p>
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