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<p><strong>Mahatma Gandhi Death Anniversary 2025:</strong> राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए कृतज्ञता से भरा भारत बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहा है. शिमला में भी रिज पर स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया. इस दौरान हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, विधायक हरीश जनारथा, मेयर सुरेंद्र चौहान और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह समेत अन्य नेता मौजूद रहे.</p>
<p>इस दौरान सभी नेताओं ने देश के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को याद किया. शिमला के साथ तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा ख़ास नाता रहा है. वे आजादी से पहले 10 बार शिमला आए और यहां अलग-अलग स्थानों पर रहे.</p>
<p><strong>जनसभा में बारिश के बावजूद जुटे थे 10 हजार लोग</strong><br />’गांधी इन शिमला’ नामक पुस्तक के लेखक विनोद भारद्वाज बताते हैं कि साल 1931 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शिमला के रिज मैदान पर एक जनसभा को संबोधित किया था. यह पहली बार था, जब किसी राष्ट्रवादी नेता ने रिज मैदान पर जनसभा को संबोधित किया हो. इससे पहले सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े हुए कार्यक्रम ही रिज पर हुआ करते थे.</p>
<p>उस समय के तत्कालीन कांग्रेस नेताओं ने अनुमति लेकर राष्ट्रपिता की जनसभा रिज मैदान पर आयोजित करवाई थी. भारी बारिश के बावजूद रिज मैदान पर 10 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ी थी. इस जनसभा ने शिमला के लोगों में भी स्वराज के लिए एक नई अलख जगाने का काम किया था. इससे पहले महात्मा गांधी ने जब शिमला में जनसभा की थी, तो वह जनसभा ईदगाह में हुई थी. इसमें 15 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.</p>
<p><strong>महात्मा गांधी का लेख- 500वीं मंजिल</strong><br />साल 1921 में जब महात्मा गांधी पहली बार शिमला आए, तो उन्होंने यहां से जाने के बाद एक लेख लिखा. ‘500वीं मंजिल’ नामक इस लेख में राष्ट्रपिता ने शिमला और पहाड़ों के दर्द को बयां किया था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शिमला में चलने वाले मानव रिक्शा से देख बेहद व्याकुल हो उठे थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि यहां इंसान ही इंसान को खींच रहा है और इंसानों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जा रहा है. महात्मा गांधी को जो मजबूरी में मानव रिक्शा में बैठना पड़ा, तो वे बहुत दुखी मन के साथ इसमें सवार हुए थे.</p>
<p><strong>राष्ट्रपिता का शिमला के साथ था गहरा नाता</strong><br />राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिमला से भी गहरा नाता रहा. वे आजादी से पहले 10 बार शिमला की यात्रा पर आए. यह जानना भी दिलचस्प है कि देश को आजादी मिलने के बाद बापू कभी शिमला नहीं आए. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मैनर विला में ठहरते थे. यह राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है. साल 1935 में महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. इसके बाद से मैनर विला महात्मा गांधी का नियमित ठहराव स्थल बन गया था. साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पहली बार शिमला आए, तो वे बालूगंज के शांति कुटीर में रुके. अब इस कुटीर को शांति कुटीर के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा महात्मा गांधी क्लीवलैंड और चैडविक बिल्डिंग में भी रुके. अपनी ज्यादातर यात्राओं के दौरान महात्मा गांधी समरहिल स्थित मैनर विला में ही रुका करते थे.</p>
<p><strong>कब-कब शिमला आये महात्मा गांधी?</strong><br />• 12 से 17 मई 1921- वायसराय लार्ड रीडिंग से खिलाफत आंदोलन, पंजाब में अशांति, सविनय अवज्ञा और स्वराज पर चर्चा की. आर्य समाज मंदिर लोअर बाजार में महिला सम्मेलन में गए. ईदगाह में जनसभा की.<br />• 13 से 17 मई 1931- गांधी-इरविन समझौते से उत्पन्न समस्याओं पर वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन, गृह सचिव एच. डब्ल्यू एमर्सन आदि से चर्चा.<br />• 15 से 22 जुलाई 1931- वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन से लंदन में प्रस्तावित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर चर्चा.<br />• 25 से 27 अगस्त 1931- वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन से भेंट, दूसरा समझौते पर हस्ताक्षर.<br />• 4 से 5 सितंबर 1939- अंग्रेजी हुकूमत की ओर से दूसरे विश्वयुद्ध में हिंदुस्तान को शामिल करने पर वायसराय लिनलिथगो से बातचीत.<br />• 26 से 27 सितंबर 1939- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा.<br />• 29 से 30 जून 1940- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति पर फिर चर्चा.<br />• 27 से 30 सितंबर 1940- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत की आजादी पर मंत्रणा.<br />• 24 जून से 16 जुलाई 1945- वायसराय लॉर्ड वेवल की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक शिमला कॉन्फ्रेंस में वायसराय के आग्रह पर गांधी की बतौर सलाहकार शिरकत.<br />• 2 मई से 14 मई 1946- कैबिनेट मिशन के आमंत्रण पर शिमला आगमन.</p>
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<div dir=”auto”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”मला के रिज पर लगे 100 फीट ऊंचे तिरंगे की बदलेगी जगह, अब यहां शिफ्ट करने पर हो रहा विचार” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-100-feet-high-tricolor-ridge-flag-to-be-replaced-ann-2873828″ target=”_self”>मला के रिज पर लगे 100 फीट ऊंचे तिरंगे की बदलेगी जगह, अब यहां शिफ्ट करने पर हो रहा विचार</a></strong></div> <div dir=”auto” style=”text-align: justify;”>
<p><strong>Mahatma Gandhi Death Anniversary 2025:</strong> राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए कृतज्ञता से भरा भारत बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहा है. शिमला में भी रिज पर स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया. इस दौरान हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, विधायक हरीश जनारथा, मेयर सुरेंद्र चौहान और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह समेत अन्य नेता मौजूद रहे.</p>
<p>इस दौरान सभी नेताओं ने देश के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को याद किया. शिमला के साथ तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा ख़ास नाता रहा है. वे आजादी से पहले 10 बार शिमला आए और यहां अलग-अलग स्थानों पर रहे.</p>
<p><strong>जनसभा में बारिश के बावजूद जुटे थे 10 हजार लोग</strong><br />’गांधी इन शिमला’ नामक पुस्तक के लेखक विनोद भारद्वाज बताते हैं कि साल 1931 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शिमला के रिज मैदान पर एक जनसभा को संबोधित किया था. यह पहली बार था, जब किसी राष्ट्रवादी नेता ने रिज मैदान पर जनसभा को संबोधित किया हो. इससे पहले सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े हुए कार्यक्रम ही रिज पर हुआ करते थे.</p>
<p>उस समय के तत्कालीन कांग्रेस नेताओं ने अनुमति लेकर राष्ट्रपिता की जनसभा रिज मैदान पर आयोजित करवाई थी. भारी बारिश के बावजूद रिज मैदान पर 10 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ी थी. इस जनसभा ने शिमला के लोगों में भी स्वराज के लिए एक नई अलख जगाने का काम किया था. इससे पहले महात्मा गांधी ने जब शिमला में जनसभा की थी, तो वह जनसभा ईदगाह में हुई थी. इसमें 15 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.</p>
<p><strong>महात्मा गांधी का लेख- 500वीं मंजिल</strong><br />साल 1921 में जब महात्मा गांधी पहली बार शिमला आए, तो उन्होंने यहां से जाने के बाद एक लेख लिखा. ‘500वीं मंजिल’ नामक इस लेख में राष्ट्रपिता ने शिमला और पहाड़ों के दर्द को बयां किया था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शिमला में चलने वाले मानव रिक्शा से देख बेहद व्याकुल हो उठे थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि यहां इंसान ही इंसान को खींच रहा है और इंसानों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जा रहा है. महात्मा गांधी को जो मजबूरी में मानव रिक्शा में बैठना पड़ा, तो वे बहुत दुखी मन के साथ इसमें सवार हुए थे.</p>
<p><strong>राष्ट्रपिता का शिमला के साथ था गहरा नाता</strong><br />राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिमला से भी गहरा नाता रहा. वे आजादी से पहले 10 बार शिमला की यात्रा पर आए. यह जानना भी दिलचस्प है कि देश को आजादी मिलने के बाद बापू कभी शिमला नहीं आए. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मैनर विला में ठहरते थे. यह राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है. साल 1935 में महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. इसके बाद से मैनर विला महात्मा गांधी का नियमित ठहराव स्थल बन गया था. साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पहली बार शिमला आए, तो वे बालूगंज के शांति कुटीर में रुके. अब इस कुटीर को शांति कुटीर के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा महात्मा गांधी क्लीवलैंड और चैडविक बिल्डिंग में भी रुके. अपनी ज्यादातर यात्राओं के दौरान महात्मा गांधी समरहिल स्थित मैनर विला में ही रुका करते थे.</p>
<p><strong>कब-कब शिमला आये महात्मा गांधी?</strong><br />• 12 से 17 मई 1921- वायसराय लार्ड रीडिंग से खिलाफत आंदोलन, पंजाब में अशांति, सविनय अवज्ञा और स्वराज पर चर्चा की. आर्य समाज मंदिर लोअर बाजार में महिला सम्मेलन में गए. ईदगाह में जनसभा की.<br />• 13 से 17 मई 1931- गांधी-इरविन समझौते से उत्पन्न समस्याओं पर वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन, गृह सचिव एच. डब्ल्यू एमर्सन आदि से चर्चा.<br />• 15 से 22 जुलाई 1931- वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन से लंदन में प्रस्तावित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर चर्चा.<br />• 25 से 27 अगस्त 1931- वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन से भेंट, दूसरा समझौते पर हस्ताक्षर.<br />• 4 से 5 सितंबर 1939- अंग्रेजी हुकूमत की ओर से दूसरे विश्वयुद्ध में हिंदुस्तान को शामिल करने पर वायसराय लिनलिथगो से बातचीत.<br />• 26 से 27 सितंबर 1939- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा.<br />• 29 से 30 जून 1940- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति पर फिर चर्चा.<br />• 27 से 30 सितंबर 1940- वायसराय लिनलिथगो के निमंत्रण पर द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत की आजादी पर मंत्रणा.<br />• 24 जून से 16 जुलाई 1945- वायसराय लॉर्ड वेवल की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक शिमला कॉन्फ्रेंस में वायसराय के आग्रह पर गांधी की बतौर सलाहकार शिरकत.<br />• 2 मई से 14 मई 1946- कैबिनेट मिशन के आमंत्रण पर शिमला आगमन.</p>
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