महाराजा सुहेलदेव के हिंदुत्व से भाजपा ने साधा पूर्वांचल:यूपी पंचायत चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला, जानिए राजभर समाज का कितना वोट बैंक

महाराजा सुहेलदेव के हिंदुत्व से भाजपा ने साधा पूर्वांचल:यूपी पंचायत चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला, जानिए राजभर समाज का कितना वोट बैंक

हाथ में भाला, कंधे पर धनुष… यह उस पराक्रमी और हिंदुत्ववादी योद्धा की तस्वीर है, जिन्हें राजभर समाज अपना नायक मानती है। सीएम योगी ने मंगलवार को बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का अनावरण किया। भाजपा ने पंचायत चुनाव से पहले हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की कोशिश की है। श्रावस्ती और बहराइच महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली रही, लेकिन एक हजार साल में वहां उनकी स्मृति में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया। अब योगी सरकार ने उनकी 40 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजभर वोट बैंक को बड़ा संदेश दिया है। राजभर समाज के वोटबैंक वाली कितनी सीटें हैं। कहां प्रभाव ज्यादा है? राजनीति के जानकार इस सबको किस नजरिए से देखते हैं, पढ़िए पूरी खबर… भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से प्रदेश में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’ के नाम पर हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने में जुटी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी का मकसद साफ है कि किसी भी तरह सपा के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट तलाश कर जाति आधारित राजनीति को एक बार फिर राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के नाम पर लाना है। बीते साल संभल मस्जिद के सर्वे से शुरू हुआ सिलसिला लगातार चल रहा है। बहराइच में महमूद गजनवी के भांजे सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह है। दरगाह पर मई महीने में हर साल मेला लगता था, लेकिन इस साल सरकार ने उसे विदेशी आक्रांता बताते हुए मेले की इजाजत नहीं दी थी। भाजपा का तर्क है कि जिन विदेशी आक्रांताओं ने महाराजा सुहेलदेव पर हमला किया, उनकी स्मृति में अब कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता है। विजयोत्सव से भी संदेश देने की तैयारी अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव के विजय दिवस के उपलक्ष्य में विजयोत्सव मनाने की घोषणा की। सीएम ने कहा, विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन बंद, अब राष्ट्र नायकों का सम्मान होना चाहिए। सीएम योगी ने बहराइच में अपने भाषण में भी सपा और कांग्रेस को निशाने पर रखा। सीएम ने कहा, सपा और कांग्रेस ने तुष्टीकरण के लिए विदेशी आक्रांता का गुणगान किया। विदेशी आक्रांता गाजी सालार मसूद की स्मृति में मेले लगाए जा रहे थे। लेकिन उनकी सरकार ने संभल से बहराइच तक मेले बंद करा दिए। सीएम ने राजभर समाज को संदेश दिया कि उनके आदर्श महाराजा सुहेलदेव को असली सम्मान भाजपा ने ही दिया है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने भी कहा, महाराजा सुहेलदेव केवल राजभर समाज के नहीं थे। क्षत्रिय समाज के लोग उन्हें क्षत्रिय मानते हैं। जैन समाज के लोग कहते हैं कि वह जैन थे। उन्होंने कहा कि महाराजा सुहेलदेव को किसी एक जाति समाज तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। वह तो प्रखर राष्ट्रवादी थे। राजनीति के जानकारों का मानना है कि हर साल विजयोत्सव मनाने की घोषणा कर सरकार ने राजभर समाज के साथ पूर्वांचल के हिंदू वोट बैंक को संदेश दिया है कि पिछली सरकारों ने मुस्लिम वोट के लिए किस तरह तुष्टीकरण किया। भाजपा ने उसे बंद कर दिया है। जानिए क्यों राजभर समाज को साध रही भाजपा? तीन-तीन मंत्री तैनात किए महाराजा सुहेलदेव के विजय दिवस के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने बहराइच में कार्यक्रम के लिए तीन-तीन बड़े मंत्री तैनात किए। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और सुभासपा के अध्यक्ष एवं पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर को सोमवार को ही बहराइच भेज दिया था। 30 विधानसभा सीटों पर समाज का असर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राजभर समाज अवध से लेकर पूर्वांचल में बिहार बॉर्डर से जुड़े जिलों में 10 लोकसभा और 30 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका अदा करता है। 2022 विधानसभा चुनाव में सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा के खिलाफ सपा से गठबंधन किया था। नतीजतन मऊ, गाजीपुर, अंबेडकर नगर सहित कई जिलों में राजभर वोट नहीं मिलने से भाजपा का सफाया हो गया था। अब भाजपा उसकी भरपाई करना चाह रही है। 4 फीसदी आबादी है राजभर समाज की पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर का भी दावा है कि प्रदेश में राजभर समाज की आबादी 4 फीसदी है। बस्ती, देवीपाटन, आजमगढ़, फैजाबाद, बनारस, मिर्जापुर समेत 128 विधानसभा क्षेत्रों में 10 से 22 फीसदी तक राजभर मतदाता थे। उनका दावा है कि इनमें भी 66 विधानसभा में 16 से 22 फीसदी राजभर मतदाता हैं। उधर, 2001 की जनगणना के अनुसार भर और राजभर समाज की आबादी ओबीसी की कुल आबादी का 2.44 फीसदी है। पीडीए में सेंध लगाने की रणनीति वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्‌ट मानते हैं कि सपा के पीडीए में सेंध लगाने के लिए भाजपा की यह मजबूत रणनीति है। सपा में भी राम अचल राजभर जैसे दिग्गज अन्य राजभर नेता हैं। महाराजा सुहेदलेव राजभर ही नहीं, हिंदू संगठनों की भी आस्था के प्रतीक हैं। भाजपा ने सुहेलदेव के नाम पर विश्वविद्यालय भी बनवाया है। साथ ही सुहेलदेव को हिंदुत्व का प्रतीक बनाकर भी कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। भाजपा के सामने चुनौती क्या? समाज के नेताओं को साधना होगा विजय दिवस के कार्यक्रम में राजभर वोट बैंक को लेकर राजभर नेताओं के बीच खींचतान भी साफ दिखी। महाराजा सुहेलदेव को राजभर समाज अपना आदर्श मानता है। समाज को उनका प्रमुख अनुयायी माना जाता है। बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में सुभासपा के अध्यक्ष एवं पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर मौजूद रहे। लेकिन भाजपा के राजभर चेहरे एवं श्रम मंत्री अनिल राजभर नजर नहीं आए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को राजभर समाज के नेताओं को साधकर रखना होगा। ऐसे कार्यक्रमों में इस तरह की नामौजूदगी से गलत संदेश जाएगा। भाजपा में नहीं कोई मजबूत राजभर नेता राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा भले ही राजभर समाज को साधने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। लेकिन पार्टी में कोई मजबूत राजभर नेता नहीं है। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर भी समाज में सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की जितनी ताकत नहीं रखते हैं, यह 2022 के चुनाव परिणाम ने बता दिया। वहीं, सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजने का प्रयोग भी फेल रहा था। —————– ये खबर भी पढ़ें… अखिलेश के करीबी महेंद्र राजभर पर हमले का VIDEO:जौनपुर में पहले माला पहनाई, फिर थप्पड़ मारे; दावा- ये मंत्री ओपी राजभर की साजिश अखिलेश यादव के करीबी महेंद्र राजभर पर मंगलवार को हमला हो गया। जौनपुर में महाराजा सुहेलदेव विजयोत्सव कार्यक्रम में एक नेता ने पहले महेंद्र राजभर की तारीफ में भाषण दिया। फिर माला पहनाई। इसके बाद उनके गाल पर कई तमाचे जड़ दिए। पढ़ें पूरी खबर हाथ में भाला, कंधे पर धनुष… यह उस पराक्रमी और हिंदुत्ववादी योद्धा की तस्वीर है, जिन्हें राजभर समाज अपना नायक मानती है। सीएम योगी ने मंगलवार को बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का अनावरण किया। भाजपा ने पंचायत चुनाव से पहले हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की कोशिश की है। श्रावस्ती और बहराइच महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली रही, लेकिन एक हजार साल में वहां उनकी स्मृति में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया। अब योगी सरकार ने उनकी 40 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजभर वोट बैंक को बड़ा संदेश दिया है। राजभर समाज के वोटबैंक वाली कितनी सीटें हैं। कहां प्रभाव ज्यादा है? राजनीति के जानकार इस सबको किस नजरिए से देखते हैं, पढ़िए पूरी खबर… भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से प्रदेश में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’ के नाम पर हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने में जुटी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी का मकसद साफ है कि किसी भी तरह सपा के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट तलाश कर जाति आधारित राजनीति को एक बार फिर राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के नाम पर लाना है। बीते साल संभल मस्जिद के सर्वे से शुरू हुआ सिलसिला लगातार चल रहा है। बहराइच में महमूद गजनवी के भांजे सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह है। दरगाह पर मई महीने में हर साल मेला लगता था, लेकिन इस साल सरकार ने उसे विदेशी आक्रांता बताते हुए मेले की इजाजत नहीं दी थी। भाजपा का तर्क है कि जिन विदेशी आक्रांताओं ने महाराजा सुहेलदेव पर हमला किया, उनकी स्मृति में अब कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता है। विजयोत्सव से भी संदेश देने की तैयारी अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव के विजय दिवस के उपलक्ष्य में विजयोत्सव मनाने की घोषणा की। सीएम ने कहा, विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन बंद, अब राष्ट्र नायकों का सम्मान होना चाहिए। सीएम योगी ने बहराइच में अपने भाषण में भी सपा और कांग्रेस को निशाने पर रखा। सीएम ने कहा, सपा और कांग्रेस ने तुष्टीकरण के लिए विदेशी आक्रांता का गुणगान किया। विदेशी आक्रांता गाजी सालार मसूद की स्मृति में मेले लगाए जा रहे थे। लेकिन उनकी सरकार ने संभल से बहराइच तक मेले बंद करा दिए। सीएम ने राजभर समाज को संदेश दिया कि उनके आदर्श महाराजा सुहेलदेव को असली सम्मान भाजपा ने ही दिया है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने भी कहा, महाराजा सुहेलदेव केवल राजभर समाज के नहीं थे। क्षत्रिय समाज के लोग उन्हें क्षत्रिय मानते हैं। जैन समाज के लोग कहते हैं कि वह जैन थे। उन्होंने कहा कि महाराजा सुहेलदेव को किसी एक जाति समाज तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। वह तो प्रखर राष्ट्रवादी थे। राजनीति के जानकारों का मानना है कि हर साल विजयोत्सव मनाने की घोषणा कर सरकार ने राजभर समाज के साथ पूर्वांचल के हिंदू वोट बैंक को संदेश दिया है कि पिछली सरकारों ने मुस्लिम वोट के लिए किस तरह तुष्टीकरण किया। भाजपा ने उसे बंद कर दिया है। जानिए क्यों राजभर समाज को साध रही भाजपा? तीन-तीन मंत्री तैनात किए महाराजा सुहेलदेव के विजय दिवस के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने बहराइच में कार्यक्रम के लिए तीन-तीन बड़े मंत्री तैनात किए। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और सुभासपा के अध्यक्ष एवं पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर को सोमवार को ही बहराइच भेज दिया था। 30 विधानसभा सीटों पर समाज का असर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राजभर समाज अवध से लेकर पूर्वांचल में बिहार बॉर्डर से जुड़े जिलों में 10 लोकसभा और 30 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका अदा करता है। 2022 विधानसभा चुनाव में सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा के खिलाफ सपा से गठबंधन किया था। नतीजतन मऊ, गाजीपुर, अंबेडकर नगर सहित कई जिलों में राजभर वोट नहीं मिलने से भाजपा का सफाया हो गया था। अब भाजपा उसकी भरपाई करना चाह रही है। 4 फीसदी आबादी है राजभर समाज की पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर का भी दावा है कि प्रदेश में राजभर समाज की आबादी 4 फीसदी है। बस्ती, देवीपाटन, आजमगढ़, फैजाबाद, बनारस, मिर्जापुर समेत 128 विधानसभा क्षेत्रों में 10 से 22 फीसदी तक राजभर मतदाता थे। उनका दावा है कि इनमें भी 66 विधानसभा में 16 से 22 फीसदी राजभर मतदाता हैं। उधर, 2001 की जनगणना के अनुसार भर और राजभर समाज की आबादी ओबीसी की कुल आबादी का 2.44 फीसदी है। पीडीए में सेंध लगाने की रणनीति वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्‌ट मानते हैं कि सपा के पीडीए में सेंध लगाने के लिए भाजपा की यह मजबूत रणनीति है। सपा में भी राम अचल राजभर जैसे दिग्गज अन्य राजभर नेता हैं। महाराजा सुहेदलेव राजभर ही नहीं, हिंदू संगठनों की भी आस्था के प्रतीक हैं। भाजपा ने सुहेलदेव के नाम पर विश्वविद्यालय भी बनवाया है। साथ ही सुहेलदेव को हिंदुत्व का प्रतीक बनाकर भी कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। भाजपा के सामने चुनौती क्या? समाज के नेताओं को साधना होगा विजय दिवस के कार्यक्रम में राजभर वोट बैंक को लेकर राजभर नेताओं के बीच खींचतान भी साफ दिखी। महाराजा सुहेलदेव को राजभर समाज अपना आदर्श मानता है। समाज को उनका प्रमुख अनुयायी माना जाता है। बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में सुभासपा के अध्यक्ष एवं पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर मौजूद रहे। लेकिन भाजपा के राजभर चेहरे एवं श्रम मंत्री अनिल राजभर नजर नहीं आए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को राजभर समाज के नेताओं को साधकर रखना होगा। ऐसे कार्यक्रमों में इस तरह की नामौजूदगी से गलत संदेश जाएगा। भाजपा में नहीं कोई मजबूत राजभर नेता राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा भले ही राजभर समाज को साधने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। लेकिन पार्टी में कोई मजबूत राजभर नेता नहीं है। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर भी समाज में सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की जितनी ताकत नहीं रखते हैं, यह 2022 के चुनाव परिणाम ने बता दिया। वहीं, सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजने का प्रयोग भी फेल रहा था। —————– ये खबर भी पढ़ें… अखिलेश के करीबी महेंद्र राजभर पर हमले का VIDEO:जौनपुर में पहले माला पहनाई, फिर थप्पड़ मारे; दावा- ये मंत्री ओपी राजभर की साजिश अखिलेश यादव के करीबी महेंद्र राजभर पर मंगलवार को हमला हो गया। जौनपुर में महाराजा सुहेलदेव विजयोत्सव कार्यक्रम में एक नेता ने पहले महेंद्र राजभर की तारीफ में भाषण दिया। फिर माला पहनाई। इसके बाद उनके गाल पर कई तमाचे जड़ दिए। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर