<p style=”text-align: justify;”><strong>Jalgaon News:</strong> महाराष्ट्र के जलगांव में तीन साल के बच्चे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की पुष्टि हुई है. बच्चे का सरकारी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के आईसीयू में इलाज जारी है. इस बच्चे को पिछले कुछ दिनों से पैर दर्द की शिकायत थी, जिसके बाद ब्लड टेस्ट कराने पर जीबीएस बीमारी होने की पुष्टि हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जलगांव में अब तक जीबीएस के तीन मरीज मिले हैं, जिनमें से एक महिला मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि एक युवक और यह बच्चे का इलाज जारी है. वहीं महाराष्ट्र में अब तक 181 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है. इसके अलावा 27 मामले संदिग्ध मिले हैं. वहीं, अब तक चार मरीजों की जीबीएस से मौत की पुष्टि हुई है और चार मरीजों की मौत का संदिग्ध कारण जीबीएस बताया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कहां कितने मरीज?</strong><br />स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पुणे में 42 मरीज, पुणे महानगर पालिका में नए जोड़े गए गांवों में 94, पिंपरी चिंचवाड़ में 30, पुणे ग्रामीण में 32 और अन्य जिलों के 10 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हुई. इनमें से 131 को अब तक छुट्टी दे दी गई है, जबकि 42 आईसीयू में हैं और 21 वेंटिलेटर पर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मामलों में आई कमी</strong><br />महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों को लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर काम कर रही है. बीते 12 फरवरी तक महाराष्ट्र में जीबीएस से पीड़ित मरीजों की संख्या 197 थी. बीते सप्ताह की तुलना में जीबीएस के मामलों में अब कमी दर्ज की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि जीबीएस के प्रकोप के बीच 29 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन से मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करने को कहा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>7 सदस्यीय टीम तैनात</strong><br />इससे पहले 27 जनवरी को पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए सात सदस्यीय टीम तैनात की थी. केंद्र की उच्च स्तरीय टीम में बहु-विषयक विशेषज्ञ शामिल थे. इसका उद्देश्य जीबीएस के संदिग्ध और पुष्ट मामलों में वृद्धि को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन स्थापित करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन करना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वास्थ्य विभाग ने दी ये सलाह</strong><br />राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी है कि सामान्य सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है, जैसे उबला हुआ या बोतल बंद पानी पीना, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना, चिकन और मांस को ठीक से पकाना, कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”> </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jalgaon News:</strong> महाराष्ट्र के जलगांव में तीन साल के बच्चे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की पुष्टि हुई है. बच्चे का सरकारी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के आईसीयू में इलाज जारी है. इस बच्चे को पिछले कुछ दिनों से पैर दर्द की शिकायत थी, जिसके बाद ब्लड टेस्ट कराने पर जीबीएस बीमारी होने की पुष्टि हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जलगांव में अब तक जीबीएस के तीन मरीज मिले हैं, जिनमें से एक महिला मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि एक युवक और यह बच्चे का इलाज जारी है. वहीं महाराष्ट्र में अब तक 181 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है. इसके अलावा 27 मामले संदिग्ध मिले हैं. वहीं, अब तक चार मरीजों की जीबीएस से मौत की पुष्टि हुई है और चार मरीजों की मौत का संदिग्ध कारण जीबीएस बताया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कहां कितने मरीज?</strong><br />स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पुणे में 42 मरीज, पुणे महानगर पालिका में नए जोड़े गए गांवों में 94, पिंपरी चिंचवाड़ में 30, पुणे ग्रामीण में 32 और अन्य जिलों के 10 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हुई. इनमें से 131 को अब तक छुट्टी दे दी गई है, जबकि 42 आईसीयू में हैं और 21 वेंटिलेटर पर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मामलों में आई कमी</strong><br />महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों को लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर काम कर रही है. बीते 12 फरवरी तक महाराष्ट्र में जीबीएस से पीड़ित मरीजों की संख्या 197 थी. बीते सप्ताह की तुलना में जीबीएस के मामलों में अब कमी दर्ज की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि जीबीएस के प्रकोप के बीच 29 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन से मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करने को कहा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>7 सदस्यीय टीम तैनात</strong><br />इससे पहले 27 जनवरी को पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए सात सदस्यीय टीम तैनात की थी. केंद्र की उच्च स्तरीय टीम में बहु-विषयक विशेषज्ञ शामिल थे. इसका उद्देश्य जीबीएस के संदिग्ध और पुष्ट मामलों में वृद्धि को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन स्थापित करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन करना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वास्थ्य विभाग ने दी ये सलाह</strong><br />राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी है कि सामान्य सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है, जैसे उबला हुआ या बोतल बंद पानी पीना, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना, चिकन और मांस को ठीक से पकाना, कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना.</p>
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