पुरुषों के अलावा अब महिलाओं में भी लंग्स कैंसर के मामलों में तेजी से इजाफा हो रही हैं। एक लाख में 7 पुरुषों को लंग्स कैंसर हो रहा हैं। वहीं 2 महिलाएं फेफड़े के कैंसर की चपेट में हैं। ये जानकारी KGMU के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने दी। वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे के एक दिन पहले लखनऊ में KGMU के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में कार्यक्रम हुआ। डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि महिलाओं में लंग्स कैंसर का कारण स्मोकिंग और वायु प्रदूषण हैं। अब महिलाएं शिक्षा और नौकरी के लिए घर से बाहर निकल रही हैं। इसकी वजह से महिलाओं में यह बीमारी देखने में आ रही है। इन कारणों से बढ़ रहा लंग्स कैंसर डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि हर साल लंग कैंसर के देश में करीब 67 हजार नए केस सामने आते हैं। कैंसर से होने वाली कुल मौतों में ये 9.3% है। 85% मामलों में फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान के कारण हो रहा है। 15% वायु प्रदूषण, अनुवंशिक और अन्य कारणों से होते हैं। इनमें खाना पकाने के ईधन से इनडोर वायु प्रदूषण, व्यावसायिक जोखिम और वायु प्रदूषण शामिल हैं। इस दौरान KGMU रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. विजय कुमार और डॉ.राजीव गुप्ता मौजूद रहे। पुरुषों के अलावा अब महिलाओं में भी लंग्स कैंसर के मामलों में तेजी से इजाफा हो रही हैं। एक लाख में 7 पुरुषों को लंग्स कैंसर हो रहा हैं। वहीं 2 महिलाएं फेफड़े के कैंसर की चपेट में हैं। ये जानकारी KGMU के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने दी। वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे के एक दिन पहले लखनऊ में KGMU के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में कार्यक्रम हुआ। डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि महिलाओं में लंग्स कैंसर का कारण स्मोकिंग और वायु प्रदूषण हैं। अब महिलाएं शिक्षा और नौकरी के लिए घर से बाहर निकल रही हैं। इसकी वजह से महिलाओं में यह बीमारी देखने में आ रही है। इन कारणों से बढ़ रहा लंग्स कैंसर डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि हर साल लंग कैंसर के देश में करीब 67 हजार नए केस सामने आते हैं। कैंसर से होने वाली कुल मौतों में ये 9.3% है। 85% मामलों में फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान के कारण हो रहा है। 15% वायु प्रदूषण, अनुवंशिक और अन्य कारणों से होते हैं। इनमें खाना पकाने के ईधन से इनडोर वायु प्रदूषण, व्यावसायिक जोखिम और वायु प्रदूषण शामिल हैं। इस दौरान KGMU रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. विजय कुमार और डॉ.राजीव गुप्ता मौजूद रहे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Bihar News: ’10 साल से मूर्ख बना रहे प्रधानमंत्री मोदी’, बिहार में एक शिक्षिका ने छात्रों को ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाया
Bihar News: ’10 साल से मूर्ख बना रहे प्रधानमंत्री मोदी’, बिहार में एक शिक्षिका ने छात्रों को ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाया <p><strong>Teacher Made Wrong Comment:</strong> गोपालगंज जिले के भोर प्रखंड के डीह जैतपूरा में स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के पदेन अध्यक्ष बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार है और उनके क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ छात्रों को ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाया गया है. एक महिला टीचर ने छात्रों को देश के प्रधानमंत्री के बारे में अभद्र भाषा ब्लैकबोर्ड लिखकर दिया. शिक्षिका ने छात्रों को हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद के लिए टास्क दिया. जिसमें कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी 10 वर्षों से देश के लोगों को “मूर्ख” बना रहे.</p>
<p><strong>शिकायत शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया मामला</strong></p>
<p>पूरा मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और उनकी शिकायत शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लेते हुए बीइओ भोरे ने शिक्षिका से जवाब-तलब किया. शिक्षिका की ओर से अब तक कोई जवाब विभाग को नहीं दिया गया है. विभाग को उसके जवाब का इंतजार है. मामले को लेकर लोगों ने शिक्षा विभाग से कार्रवाई की मांग की है. इलाके के लोगों में आक्रोश भी व्याप्त है. भोरे प्रखंड के डीह जैतपूरा में स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के परिजनों का आरोप है कि शिक्षिका सुल्ताना खातून अंग्रेजी का क्लास ले रही थी. 5 अक्तूबर को उन्होंने बच्चों को एक अनुवाद दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> 10 वर्षों से लोगों को बना रहे मूर्ख” इस पर इंग्लिश ट्रांसलेशन कर दिखाइए.</p>
<p>बच्चों ने यह बातें अपने-अपने अभिभावकों से कहीं. छात्रों ने परिजनों को बताया कि कुछ दिनों से शिक्षिका के खिलाफ राजनीतिक व आपत्तिजनक शिक्षा दी जा रही. इसपर अभिभावकों ने इसकी लिखित शिकायत लेकर बीइओ लखींद्र दास के पास दर्ज करायी है. हाइ स्कूल के हेडमास्टर रमेश सिंह से संपर्क करने पर उनके जरिए बताया गया कि महिला शिक्षिका अंग्रेजी पढ़ाती है. छात्रों ने उनसे शिकायत किया था. उनके पहले भी समझाया गया था.</p>
<p><strong>डीएम ने कहा जांच कर होगी कार्रवाई</strong></p>
<p>इस मामले में बीइओ लखींद्र दास ने कहा कि पढ़ाने के क्रम में प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करना एक लोक सेवक को शोभा नहीं देता. इसलिए उनसे स्पष्टीकरण की मांग की गई है. जवाब मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में डीएम प्रशांत कुमार सीएच से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में नहीं था. अगर ऐसा है तो यह मामला काफी गंभीर है. स्कूल में इस तरह बच्चों को गलत है, इसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी.</p>
यूपी के 23 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट:वाराणसी-मथुरा में देर रात बरसात, 10 जिलों में बाढ़; 3 दिन ऐसा ही रहेगा मौसम
यूपी के 23 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट:वाराणसी-मथुरा में देर रात बरसात, 10 जिलों में बाढ़; 3 दिन ऐसा ही रहेगा मौसम यूपी में बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने आज 23 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। 50 जिले में गरज-चमक के साथ बूंदाबांदी की संभावना है। गुरुवार को 54 जिलों में 6.1 मिमी बारिश हुई, जो नॉर्मल से 17 फीसदी कम है। वाराणसी में गुरुवार शाम से शुरू हुई बारिश देर रात तक होती रही। मथुरा में भी देर रात बरसात हुई। लखनऊ-गोरखपुर समेत पूर्वांचल और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सुबह से ही बादल छाए हैं। तेज हवाएं चल रही हैं। बाढ़-बारिश की 3 तस्वीरें… वाराणसी में अभी भी छत पर हो रही गंगा आरती
प्रदेश के 10 जिले के 80 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। बलिया में गंगा, बाराबंकी में घाघरा, सिद्धार्थनगर में राप्ती और गोंडा में क्वनो नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इधर, वाराणसी में गंगा अभी स्थिर है। जलस्तर 67 मीटर पर है, जो कि खतरे के निशान से 3 मीटर नीचे है। नमो घाट, अस्सी घाट गंगा में डूबे हैं। गंगा आरती अभी भी छत पर हो रही है। जल पुलिस और NDRF की निगरानी में लोग गंगा स्नान कर रहे हैं। 3 दिन ऐसा ही रहेगा मौसम
मौसम विभाग ने बताया- अगले 24 घंटे में तापमान में गिरावट दर्ज होगी। अगले 3 दिन तक ऐसा ही मौसम रहेगा। गुरुवार को मेरठ सबसे गर्म जिला रहा। यहां तापमान 36.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। अब तक 10% कम बारिश
प्रदेश में 22 अगस्त तक 53 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं, 22 जिलों में सामान्य और सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। 1 जुलाई से अब तक 477.8 MM बारिश हुई है। जो कि नॉर्मल 533 MM से 10 प्रतिशत कम है। यूपी में बदलता मानसून का पैटर्न; 5 साल में 2022 में सबसे कम बारिश
IMD के आंकड़े बताते हैं- 2001 से यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही। साल दर साल इसमें कमी आ रही। यूपी में सामान्य बारिश तब मानी जाती है, जब यह 823 से 860 मिलीमीटर के बीच हो। 5 साल के आंकड़ों को देखने पर साफ हो जाता है कि कैसे प्रदेश में मानसून की बारिश में कमी आई। इस कमी का सीधा असर यहां के ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ा है। इन 5 साल में सबसे कम बारिश 2022 में हुई। यह नॉर्मल से करीब 36% तक कम थी। IMD के मुताबिक, 2019 में जून से सितंबर के बीच प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी। अलीगढ़, हापुड़, इटावा, बागपत, संभल, अमरोहा, बदांयू जैसे जिलों में 60 से 80 फीसदी तक कम बारिश हुई थी। ये भी पढ़ें:
जातिवाद को मुद्दा नहीं बनने देगी भाजपा..अग्रेसिव हिंदुत्व पर चलेगी:सपा को मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद और अयोध्या रेप कांड से घेरेगी; संघ देगा साथ ‘जो बांग्लादेश में हो रहा है… वहां 90 फीसदी जो हिंदू बचा है, वह दलित समुदाय से है। इस मामले में जिनके मुंह सिले हुए हैं, इसलिए सिले हुए हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि बांग्लादेश का हिंदू उनके लिए वोटर नहीं होगा। उनकी रक्षा करना हम सभी का दायित्व है।’ सीएम योगी आदित्यनाथ ने 10 अगस्त को यह बात कही थी। उन्होंने जता दिया था, भाजपा अग्रेसिव हिंदुत्व पर ही चलेगी…(पढ़ें पूरी खबर)
हिमाचल की डल झील एक साल से सूखी:क्लाइमेट चेंज वजह; संवारने को फंड मिला, लेकिन काम नहीं हुआ
हिमाचल की डल झील एक साल से सूखी:क्लाइमेट चेंज वजह; संवारने को फंड मिला, लेकिन काम नहीं हुआ क्लाइमेट चेंज से तापमान बढ़ने के चलते हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के धर्मशाला में मैक्लोडगंज स्थित डल झील सूख चुकी है। कभी शीशे जैसे निर्मल पानी में भरी रहने वाली झील का अस्तित्व आज खतरे में है। हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों के लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक मैक्लोडगंज की डल झील अनदेखी के चलते पूरी तरह से सूख गयी है। राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता के चलते झील की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। विभिन्न विभागों द्वारा करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने के बावजूद भी इसका स्वरूप नहीं बदला गया। डल झील में 2011 से हो रहा रिसावडल झील से लगातार हो रहे पानी के रिसाव से कृत्रिम झील में पानी न के बराबर होने से गाद उभर आई है। पिछले कुछ वर्षों से सौंदर्यीकरण के लिए प्रशासन का मुंह ताक रही डल झील अंतिम सांसे ले रही है। सौंदर्यीकरण को लेकर ग्रामीण विकास विभाग भी विभागीय कार्यप्रणाली को कोस रहा है। मैक्लोडगंज आने वाले पर्यटकों के लिए भी ऐतिहासिक डल झील मात्र सफेद हाथी बनकर रह गई है। 2011 में निकाला गया था गाद
इससे पहले 2013, 2017, 2019, 2020, 2021 और नवंबर 2022 में भी झील में रिसाव हो चुका है। बता दें कि आसपास के पहाड़ों की गाद ने इसकी गहराई कम कर दी थी। झील का लगभग आधा क्षेत्र गाद से भरा हुआ है, जिसे घास के मैदान में बदल दिया गया है। झील से गाद निकालने के लिए 2011 में स्थानीय लोगों की मदद से एक बड़ा अभियान शुरू किया गया था। गाद का उपयोग मंदिर क्षेत्र के पास पार्किंग बनाने के लिए किया गया था। तब से झील तेजी से सूख रही है। क्लाइमेट चेंज झील के सूखने का मुख्य कारण
क्लाइमेट चेंज से तापमान बढ़ता है, जिससे वाष्पीकरण की दर बढ़ती है और झीलों का स्तर कम होता जाता है। ग्लोबल वार्मिंग से बारिश का मौसम छोटा हो गया है। अध्ययन में पाया गया कि क्लाइमेट चेंज झीलों के सूखने का मुख्य कारण है जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता है, वाष्पीकरण दर बढ़ती है, जिससे झीलों का स्तर कम होता जाता है। झीलों के सूखने से जैव विविधता का भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि पौधों और जानवरों की कई प्रजातियां जलीय वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित होती हैं। क्या कहते हैं स्थानीय पर्यावरण प्रेमी…
काल्डेन चोफेल का कहना है कि दुनिया भर में ग्लेशियर, झीलें, नदियां सूख रही हैं और इसके परिणाम अकल्पनीय हैं। बचपन के दिनों से हम झील को उफनते और जीवन से भरपूर देखते थे। यह कल्पना करना दर्दनाक है कि यह पर्यटन स्थल नहीं बल्कि इसके आसपास के सभी वन्य जीवन के लिए है। तेंजिन थिनले का कहना है कि यह डल लेक नहीं अब यह सूखी लेक है। सोनम त्सेरिंग ने कहा कि अधिकारियों की उपस्थिति में शाहपुर के विधायक ने 12 सितंबर को सार्वजनिक रूप से कहा था कि डल महोत्सव के बाद त्वरित जीर्णोद्धार परियोजना शुरू होगी। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ और पानी छोड़ने और मछलियों को उसमें स्थानांतरित करने के लिए दो तालाब बनाने के अलावा कुछ भी नहीं किया। एक तरह से, ऐसा लगता है कि सभी बदकिस्मत मछलियां अपने पिछले जन्म में संचित अपने पाप कर्मों को पूरा करने या दूर करने के लिए इस डल झील में पैदा हुई हैं। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि ऐतिहासिक डल लेक के सौंदर्यीकरण तथा पानी के रिसाव को रोकने के लिए डेढ़ महीने के भीतर डीपीआर तैयार की जाएगी। इस के लिए लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावाद ने निरीक्षण के दौरान डल लेक के पानी के रिसाव की समस्या गहनता से अध्ययन किया है तथा जिला प्रशासन, वन विभाग, आईपीएच विभाग के अधिकारियों को सुझाव भी दिए हैं। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डल लेक के सौंदर्यीकरण और संरक्षण के लिए कारगर कदम उठाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं जिसके चलते ही लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावाद को डल लेक के निरीक्षण के लिए सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया है।