महेंद्रगढ़ जिले के सतनाली निवासी एक महिला की ऑपरेशन के दो दिन बाद तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। परिजनों ने निजी अस्पताल के चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। गुस्साए परिजनों ने निजी अस्पताल के सामने रास्ते को जाम कर दिया और जमकर नारेबाजी की। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने जाम खुलवाया और आगामी कार्रवाई शुरू कर दी। मृतका के 2 छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। पेट का कराया था ऑपरेशन मृतका के पति मोहम्मद राशिक आलम ने बताया कि वह बिहार राज्य का रहने वाला है। पिछले 17 सालों से सतनाली में वह रंग पेंट का कार्य कर रहा है। उसकी 27 वर्षीय पत्नी रूकसाना के पेट में तकलीफ थी। जांच करने पर उसके पेट के अंदर पित की थैली में पथरी थी। उन्होंने शहर के एक निजी अस्पताल में 12 जुलाई को ऑपरेशन करवाया था। चिकित्सक ने अगले दिन सफल ऑपरेशन होने की पुष्टि कर दी थी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद उसकी पत्नी दर्द बता रही थी। इस संबंध में उन्होंने चिकित्सक को बताया था। चिकित्सक ने कहा था कि इसका माइनर ऑपरेशन होगा जो बाद में ठीक हो जाएगा। सिटी स्कैन में हुआ खुलासा उसके बाद उन्होंने इंजेक्शन लगाकर दो दिन यहां भर्ती रखा और उसके बाद छुट्टी दे दी। बाद में पत्नी को ज्यादा दिक्कत होने लगी और उसका पेट फूलने लगा। वो बाद में दूसरे निजी अस्पताल में चले गए। जहां पर चिकित्सकों ने उसको कुछ घंटों के लिए भर्ती कर दिया। उन्होंने पत्नी की सिटी स्कैन करवाया, तो उसमें आंत में कट लगने की रिपोर्ट आई। पीजीआई में हुई मौत इसके बाद वो वापस उसी अस्पताल में लेकर आए जहां पर चिकित्सकों ने इसका दोबारा ऑपरेशन किया। इसके बाद हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। वो उनको रोहतक पीजीआई लेकर गए जहां पर 3-4 घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। उन्होंने चिकित्सक पर इलाज के दौरान लापरवाही करने का आरोप लगाया है और पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है। महेंद्रगढ़ जिले के सतनाली निवासी एक महिला की ऑपरेशन के दो दिन बाद तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। परिजनों ने निजी अस्पताल के चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। गुस्साए परिजनों ने निजी अस्पताल के सामने रास्ते को जाम कर दिया और जमकर नारेबाजी की। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने जाम खुलवाया और आगामी कार्रवाई शुरू कर दी। मृतका के 2 छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। पेट का कराया था ऑपरेशन मृतका के पति मोहम्मद राशिक आलम ने बताया कि वह बिहार राज्य का रहने वाला है। पिछले 17 सालों से सतनाली में वह रंग पेंट का कार्य कर रहा है। उसकी 27 वर्षीय पत्नी रूकसाना के पेट में तकलीफ थी। जांच करने पर उसके पेट के अंदर पित की थैली में पथरी थी। उन्होंने शहर के एक निजी अस्पताल में 12 जुलाई को ऑपरेशन करवाया था। चिकित्सक ने अगले दिन सफल ऑपरेशन होने की पुष्टि कर दी थी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद उसकी पत्नी दर्द बता रही थी। इस संबंध में उन्होंने चिकित्सक को बताया था। चिकित्सक ने कहा था कि इसका माइनर ऑपरेशन होगा जो बाद में ठीक हो जाएगा। सिटी स्कैन में हुआ खुलासा उसके बाद उन्होंने इंजेक्शन लगाकर दो दिन यहां भर्ती रखा और उसके बाद छुट्टी दे दी। बाद में पत्नी को ज्यादा दिक्कत होने लगी और उसका पेट फूलने लगा। वो बाद में दूसरे निजी अस्पताल में चले गए। जहां पर चिकित्सकों ने उसको कुछ घंटों के लिए भर्ती कर दिया। उन्होंने पत्नी की सिटी स्कैन करवाया, तो उसमें आंत में कट लगने की रिपोर्ट आई। पीजीआई में हुई मौत इसके बाद वो वापस उसी अस्पताल में लेकर आए जहां पर चिकित्सकों ने इसका दोबारा ऑपरेशन किया। इसके बाद हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। वो उनको रोहतक पीजीआई लेकर गए जहां पर 3-4 घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। उन्होंने चिकित्सक पर इलाज के दौरान लापरवाही करने का आरोप लगाया है और पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रेवाड़ी में गलियों-मकानों के नंबर होंगे आवंटित:वित्त समिति की मीटिंग के बाद होगा सर्वे, सदन की बैठक में उठा था मुद्दा
रेवाड़ी में गलियों-मकानों के नंबर होंगे आवंटित:वित्त समिति की मीटिंग के बाद होगा सर्वे, सदन की बैठक में उठा था मुद्दा हरियाणा के रेवाड़ी शहर की कॉलोनियों में स्थित गलियों और मकानों को जल्द ही पहचान मिलेगी। नगर परिषद ने गलियों और मकानों को नंबर आवंटित करने की योजना बनाई है। इसके लिए जल्द ही वित्त समिति की बैठक होगी और उसके बाद सर्वे का काम होगा। 20 से ज्यादा ऐसी कॉलोनियां हैं, जिनमें गलियों और मकानों की पहचान नहीं हो पाई है। जिसके कारण पूरा पता निर्धारित नहीं हो पाया है। नगर परिषद ने अब इन्हें पहचान दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पिछले दिनों हुई हाउस मीटिंग में यह प्रस्ताव पास हो चुका है। अब वित्त समिति की बैठक का इंतजार है। नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि मीटिंग के बाद गायब गलियों और मकानों का सर्वे करवाया जाएगा। शहर की यह अहम जरूरत बड़ी समस्या बनी हुई है। गलियों और मकानों पर नंबर न होने के कारण कई बार पुलिस भी पता नहीं ढूंढ पाती है। कई कॉलोनियों की हालत तो ऐसी है कि लोगों के नौकरी से जुड़े कॉल लेटर जैसे जरूरी दस्तावेज भी समय पर नहीं पहुंच पाते या बड़ी मुश्किल से पहुंचते हैं। कई वर्षों बाद गंभीरता से हो रहा विचार वर्षों बाद नगर परिषद हाउस ने इस पर गंभीरता से विचार किया है। कभी भी पार्षदों द्वारा पूरे शहर के लिए यह प्रस्ताव भी नहीं लाया गया। हाल ही में हुई सदन की बैठक में पहली बार पूरे शहर की कॉलोनियों के इस मुद्दे को लेकर चर्चा हुई थी। शहर में 31 वार्ड हैं। इन वार्डों में दर्जन भर से अधिक ऐसी कॉलोनियां हैं जो 20 वर्ष या फिर इसे भी अधिक समय से वैध हो चुकी हैं। सरकार इनमें सुविधाएं मुहैया करा चुकी है। इनमें सीवरेज और पानी जैसी सहूलियत शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि इन पूरी तरह से विकसित हो चुकी कॉलोनियों में गलियों की भी कोई पहचान नहीं है। हाउस नंबर तो दूर की बात है। इन कॉलोनी में कुतुबपुर, उत्तम नगर, हंस नगर, विजय नगर, आजाद नगर, मधु विहार और शिव नगर जैसे बड़े एरिया भी शामिल हैं। पुलिस और डाकिये भी आसानी से नहीं ढूंढ पाते पते गलियों के नंबर नहीं होने से पुलिस और डाकियों को संबंधित व्यक्ति का घर तलाशने में परेशानी होती है। पुलिसकर्मी मोहल्ले में घुसकर घरों के दरवाजे खटखटा कर संबंधित व्यक्ति के नाम से ही मकान ढूंढते रहते हैं। बाहरी कॉलोनी में दस्तावेज आने पर डाकिये भी बहुत बार समय से तथा सही पते पर डाक नहीं पहुंच पाते। बहुत बार डाक को वापस भी भेज दिया जाता है। हाउस की बैठक में उठा था मुद्दा कुछ दिन पूर्व पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हुई नगर परिषद हाउस की बैठक में पहली बार पूरे शहर की कॉलोनी की गलियों के नंबर देने का मुद्दा उठा। वार्ड 5 के पार्षद एडवोकेट लोकेश यादव ने यह समस्या उठाते हुए कहा कि वर्षों से बसी हुई कॉलोनी में भी लोगों को मकान ढूंढ़ने में समस्या झेलनी पड़ती है। इसलिए नंबर दिए जाने चाहिए। विधायक लक्ष्मण यादव और चेयरपर्सन पूनम यादव की मौजूदगी में हाउस ने इसका समर्थन किया और प्रस्ताव पास किया। अंतिम रूपरेखा फाइनेंस कमेटी की बैठक में होगी: ईओ नगर परिषद के ईओ संदीप मलिक ने बताया कि शहर में कॉलोनियों की गलियों व घरों को नंबर देने को लेकर हाउस की बैठक में प्रस्ताव लाया गया था। पार्षदों की सहमति के बाद उसे पास भी किया जा चुका है। अब इसकी अंतिम रूपरेखा फाइनेंस कमेटी की बैठक में पास होगी। इसके बाद सर्वे कराकर इस दिशा में प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे।
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भाजपा से मिला धोखा, कांग्रेस से है सावित्री को आस:टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव, बेटे ने दी कांग्रेस में ना जाने की सलाह
भाजपा से मिला धोखा, कांग्रेस से है सावित्री को आस:टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव, बेटे ने दी कांग्रेस में ना जाने की सलाह हरियाणा में हिसार से भाजपा की टिकट ना मिलने पर नाराज चल रही भारत की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल अब कांग्रेस से टिकट की आस लगाकर बैठी हैं। अगर कांग्रेस भी उन्हें टिकट नहीं देती तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। जिंदल समर्थक रोजाना जिंदल हाउस फोन मिलाकर पूछ रहे हैं कि मैडम कब नामांकन भरेंगी? मगर जिंदल हाउस के अंदर अभी तक किसी के पास भी इस बात का जवाब नहीं है। सबकी निगाहें अब कांग्रेस पर आकर टिक गई हैं। चूंकी जिंदल परिवार पहले कांग्रेस में ही था इसलिए उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस उन्हें हिसार से टिकट जरूर देगी। सावित्री जिंदल 2 बार कांग्रेस की टिकट पर ही हिसार से विधायक बनी थी। इससे पहले इनके पति ओमप्रकाश जिंदल हिसार से ही विधायक रहे हैं। अपने पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से जिंदल परिवार को कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद सावित्री जिंदल आगे का फैसला करेंगी। हालांकि सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल लगातार अपनी मां को कांग्रेस में ना जाने की सलाह दे रहे हैं। जिंदल हाउस पर पसरा सन्नाटा
भाजपा से टिकट कटने के बाद ही सावित्री जिंदल हिसार से बाहर हैं और लगातार दिल्ली में सक्रिय हैं। वो चुनाव लड़ने का फैसला ले चुकी हैं और चुनावी रण में उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही हैं। हालांकि जिंदल हाउस पर सन्नाटा पसरा है, किसी को नहीं पता कि सावित्री जिंदल का अगला कदम क्या होगा। 6 दिन बाद भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जिंदल परिवार
बता दें कि भाजपा ने 4 सितंबर को 67 कैंडिडेट की लिस्ट जारी की थी। लिस्ट आते ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई थी। कई पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर ही इस्तीफा दे दिया था। वहीं, 5 सितंबर की सुबह सावित्री जिंदल ने भी बगावत कर दी है। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा था कि- मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं। मैं चुनाव न लड़ने के बारे में बोलने के लिए दिल्ली से वापस आई थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर मैं चुनाव लड़ूंगी। सावित्री मशहूर उद्योगपति और कुरूक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं। हिसार सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से होगा। चुनाव लड़ा तो कड़ी टक्कर दे सकती हैं सावित्री जिंदल
सावित्री जिंदल अगर हिसार विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो विरोधियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है। सबसे पहले स्व. ओपी जिंदल ने चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में जीत दर्ज की थी। जिंदल परिवार राजनीति के साथ ही समाजसेवा से भी जुड़ा हुआ है। हिसार में उन्होंने कई स्कूल और अस्पताल खोले हुए हैं। इसके अलावा हिसार में जिंदल इंडस्ट्रीज में कई स्थानीय लोगों को नौकरी भी दी है। जिंदल परिवार का कोर वोटर हिसार में हैं जो सिर्फ जिंदल हाउस के कहने पर ही चलता है। डॉ. कमल गुप्ता मंत्री पद जरूर रहे लेकिन हिसार में उनके प्रति नाराजगी लगातार सामने आती रही है और इसका फायदा भी सावित्री जिंदल को मिल सकता है। सावित्री जिंदल 2.77 लाख करोड़ की मालकिन
जिंदल परिवार की मुखिया और जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल फॉर्च्यून इंडिया की लिस्ट के मुताबिक, देश में चौथे नंबर पर सबसे अमीर हैं। इसके अलावा वह देश की सबसे अमीर महिला भी हैं। सावित्री जिंदल हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं और स्टील किंग स्व. ओपी जिंदल की पत्नी हैं। फॉर्च्यून इंडिया की सूची के मुताबिक, 74 वर्षीय सावित्री देवी जिंदल लगभग 2.77 लाख करोड़ रुपए की मालकिन हैं।