मानहानि मामले में मेधा पाटकर की 5 महीने जेल की सजा निलंबित, LG वीके सक्सेना को नोटिस

मानहानि मामले में मेधा पाटकर की 5 महीने जेल की सजा निलंबित, LG वीके सक्सेना को नोटिस

<p style=”text-align: justify;”><strong>Medha Patkar Defamation Case:</strong> दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के मामले में सोमवार (29 जुलाई) को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की 5 महीने की जेल की सजा को निलंबित कर दिया है. ये मामला करीब 23 साल पुराना है. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ 23 साल पहले दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामला दर्ज कराया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को 25,000 रुपये के बेल बांड और श्योरिटी पर जमानत दे दी है. इसके साथ ही अदालत ने एलजी वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>वीके सक्सेना के वकील गजिंदर कुमार ने कहा, ”मेधा पाटकर की ओर से दायर अपील पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने सजा को निलंबित कर दिया और विपरीत पक्ष (एलजी) को नोटिस भी जारी किया है. अदालत ने पाटकर को 25,000 रुपये के बांड पर जमानत भी दे दी.”&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस केस में नोटिस प्राप्त करने वाले एलजी वीके सक्सेना के वकील कुमार ने आगे कहा कि मामले में 4 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख से पहले जवाब दाखिल करना होगा. अदालत ने 1 जुलाई को पाटकर को जेल की सजा सुनाई थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>24 मई को अदालत ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराया गया, यह देखते हुए कि उनके बयान में सक्सेना को कायर कहना और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाना न केवल अपमानजनक था, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणाओं को भड़काने जैसा था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा था कि गुजरात और उनके संसाधनों का विदेशी हितों के लिए इस्तेमाल करना उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला था. इस मामले में सजा पर बहस 30 मई को पूरी हो गई थी, जिसके बाद सजा की मात्रा (Quantum of Sentence) पर फैसला 7 जून को सुरक्षित रख लिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मानहानि का यह मामला 2000 में शुरू हुआ था. उस समय, पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ उन विज्ञापनों को प्रकाशित करने के लिए मुकदमा किया था. समाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया था कि ये विज्ञापन उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए अपमानजनक थे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके जवाब में, सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ मानहानि के दो मामले दर्ज कराए थे. पहला, टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान उनके बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए और दूसरा, पाटकर की ओर से जारी एक प्रेस बयान से जुड़ा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”सूरत से निर्विरोध चुने जाने वाले सांसद मुकेश दलाल की बढ़ी मुश्किलें, गुजरात हाईकोर्ट ने भेजा समन” href=”https://www.abplive.com/states/gujarat/gujarat-high-court-summons-mukesh-dalal-who-was-elected-unopposed-as-bjp-mp-from-surat-congress-2747996″ target=”_self”>सूरत से निर्विरोध चुने जाने वाले सांसद मुकेश दलाल की बढ़ी मुश्किलें, गुजरात हाईकोर्ट ने भेजा समन</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Medha Patkar Defamation Case:</strong> दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के मामले में सोमवार (29 जुलाई) को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की 5 महीने की जेल की सजा को निलंबित कर दिया है. ये मामला करीब 23 साल पुराना है. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ 23 साल पहले दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामला दर्ज कराया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को 25,000 रुपये के बेल बांड और श्योरिटी पर जमानत दे दी है. इसके साथ ही अदालत ने एलजी वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>वीके सक्सेना के वकील गजिंदर कुमार ने कहा, ”मेधा पाटकर की ओर से दायर अपील पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने सजा को निलंबित कर दिया और विपरीत पक्ष (एलजी) को नोटिस भी जारी किया है. अदालत ने पाटकर को 25,000 रुपये के बांड पर जमानत भी दे दी.”&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस केस में नोटिस प्राप्त करने वाले एलजी वीके सक्सेना के वकील कुमार ने आगे कहा कि मामले में 4 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख से पहले जवाब दाखिल करना होगा. अदालत ने 1 जुलाई को पाटकर को जेल की सजा सुनाई थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>24 मई को अदालत ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराया गया, यह देखते हुए कि उनके बयान में सक्सेना को कायर कहना और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाना न केवल अपमानजनक था, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणाओं को भड़काने जैसा था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा था कि गुजरात और उनके संसाधनों का विदेशी हितों के लिए इस्तेमाल करना उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला था. इस मामले में सजा पर बहस 30 मई को पूरी हो गई थी, जिसके बाद सजा की मात्रा (Quantum of Sentence) पर फैसला 7 जून को सुरक्षित रख लिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मानहानि का यह मामला 2000 में शुरू हुआ था. उस समय, पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ उन विज्ञापनों को प्रकाशित करने के लिए मुकदमा किया था. समाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया था कि ये विज्ञापन उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए अपमानजनक थे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके जवाब में, सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ मानहानि के दो मामले दर्ज कराए थे. पहला, टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान उनके बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए और दूसरा, पाटकर की ओर से जारी एक प्रेस बयान से जुड़ा था.</p>
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