मीरापुर सीट की नवीन मंडी स्थल पर मतगणना चल रही है। 17वें राउंड की गिनती के बाद रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल सपा प्रत्याशी से 19785 वोट से आगे चल रही है। वहीं आजाद समाज पार्टी के जाहिद हुसैन सपा प्रत्याशी से आगे चल रहे हैं। मतगणना के लिए 8 टेबल लगाई गई हैं। कुल 24 राउंड में मतगणना होनी है। प्रत्येक टेबल पर चार कर्मचारी की तैनाती की गई है। 328 ईवीएम की मतगणना होगी। एडीजी जोन ध्रुव कांत ठाकुर मतगणना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जायजा लिया है। रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल ने कहा- 100 % जीत हमारी होगी। जीत जनता की होगी। मीरापुर सीट की नवीन मंडी स्थल पर मतगणना चल रही है। 17वें राउंड की गिनती के बाद रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल सपा प्रत्याशी से 19785 वोट से आगे चल रही है। वहीं आजाद समाज पार्टी के जाहिद हुसैन सपा प्रत्याशी से आगे चल रहे हैं। मतगणना के लिए 8 टेबल लगाई गई हैं। कुल 24 राउंड में मतगणना होनी है। प्रत्येक टेबल पर चार कर्मचारी की तैनाती की गई है। 328 ईवीएम की मतगणना होगी। एडीजी जोन ध्रुव कांत ठाकुर मतगणना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जायजा लिया है। रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल ने कहा- 100 % जीत हमारी होगी। जीत जनता की होगी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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PCS अफसरों के बीच वरिष्ठता विवाद गहराया, सीधी भर्ती बनाम प्रमोशन का मुद्दा गरमाया
PCS अफसरों के बीच वरिष्ठता विवाद गहराया, सीधी भर्ती बनाम प्रमोशन का मुद्दा गरमाया <div dir=”auto”>
<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड में प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वरिष्ठता विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है. सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों के बीच एडीएम पद पर तैनाती को लेकर उत्पन्न हुआ यह विवाद राज्य में प्रशासनिक तंत्र के भीतर दरार पैदा कर रहा है. मामला तब और गंभीर हो गया, जब दो अधिकारियों की तैनाती के आदेशों को रोक दिया गया. इसके बाद सीधी भर्ती से जुड़े पीसीएस अधिकारियों ने विरोध का रुख अपना लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीधी भर्ती से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रमोशन पाए गए अधिकारियों को उनके बराबर या उनसे वरिष्ठ मानना अनुचित है. इस संदर्भ में 19 अधिकारियों को पदोन्नति देकर एडीएम बनाए जाने के फैसले पर सीधी भर्ती के अधिकारी सवाल उठा रहे हैं. उनका दावा है कि ऐसा करना उनके अधिकारों और नियमों का उल्लंघन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2012 और 2014 बैच के पीसीएस अधिकारी को मिले मौका<br /></strong>उल्लेखनीय है कि 2012 और 2014 बैच के सीधी भर्ती पीसीएस अधिकारी लंबे समय से एडीएम पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे. हालांकि, प्रमोशन से आए अधिकारियों को इस पद पर प्राथमिकता दिए जाने से उनका असंतोष बढ़ गया. मामले के दोनों पक्ष मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से मिले. सीधी भर्ती अधिकारियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि प्रमोशन से आए अधिकारियों को गलत तरीके से वरिष्ठता दी जा रही है. दूसरी ओर, प्रमोशन से आए अधिकारियों ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय नियमों के अनुसार लिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीधी भर्ती अधिकारियों और प्रमोशन पाए अधिकारियों के बीच खींचातानी <br /></strong>सीधी भर्ती अधिकारियों का तर्क है कि राज्य सरकार ने वरिष्ठता निर्धारण में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है. उनका कहना है कि 2016 में वरिष्ठता सूची जारी होने के बाद इसे मान्य किया जाना चाहिए, जबकि प्रमोशन पाए अधिकारियों को जूनियर सूची में रखा गया था. दूसरी तरफ, प्रमोशन पाए अधिकारी अपनी वरिष्ठता को सही ठहराने के लिए सरकार के पिछले फैसलों और तदर्थ नियमों का हवाला दे रहे हैं. उनका कहना है कि 31 मई 2019 को जारी नियमावली के तहत उनका प्रमोशन और वरिष्ठता दोनों जायज हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रमुख सचिव ने मामले नियमानुसार हल का भरोसा दिया<br /></strong>मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने दोनों पक्षों को संतुलित समाधान का भरोसा दिया है. प्रमुख सचिव ने दोनों पक्षों की बात सुनी और कहा कि मामले को नियमानुसार हल किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. यह विवाद न केवल अधिकारियों के बीच तनाव को बढ़ा रहा है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज पर भी असर डाल रहा है. अधिकारियों का ध्यान अपने कर्तव्यों से हटकर वरिष्ठता विवाद पर केंद्रित हो गया है, जिससे निचले स्तर पर प्रशासनिक प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वरिष्ठा विवाद राज्यों के लिए भी जटिल<br /></strong>यह विवाद प्रशासनिक ढांचे में गहरे अंतर्विरोध को उजागर करता है. वरिष्ठता विवाद केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों में भी देखा गया है. हालांकि, इस मामले का समाधान न्यायिक निर्देशों और पारदर्शी प्रक्रिया के आधार पर किया जाना चाहिए. राज्य सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकाले ताकि प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके. सरकार और संबंधित विभाग से मामले में अंतिम निर्णय का इंतजार है. यदि विवाद का सही तरीके से समाधान नहीं होता, तो यह मामला और भी जटिल हो सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को कैसे हल करती है और दोनों पक्षों को संतुष्ट करने में कितनी सफल रहती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/allahabad-high-court-bans-the-notice-to-demolish-houses-to-widen-the-road-in-mahakumbh-ann-2846342″>इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार के इस आदेश पर लगाई रोक, घरों का होना था ध्वस्तीकरण</a></strong></p>
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नवजोत सिद्धू का पत्नी के इलाज पर यू-टर्न:कहा- डॉक्टर सर्वोपरि, मोटिवेशनल टॉक करूंगा, कैसे ठीक किया, उसके बारे में बताऊंगा
नवजोत सिद्धू का पत्नी के इलाज पर यू-टर्न:कहा- डॉक्टर सर्वोपरि, मोटिवेशनल टॉक करूंगा, कैसे ठीक किया, उसके बारे में बताऊंगा पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने पत्नी डॉ. नवजोत कौर के कैंसर का उपचार आयुर्वेदिक तरीके से करने के दावे पर यू-टर्न ले लिया है। अब उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों का इलाज सर्वोपरि है। रविवार (24 नवंबर) को नवजोत सिद्धू अपनी पत्नी को अमृतसर में आउटिंग कराने के लिए लेकर गए। इसे लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो पोस्ट की। सिद्धू ने पत्नी के लिए चांद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा… गाना भी गाया। इसके बाद दोनों ने मार्केट में चाय पी और लोगों से बातचीत की। यहीं सिद्धू ने कहा कि डॉक्टरों का इलाज सर्वोपरि है, लेकिन इलाज के साथ क्या करना है, सब बताऊंगा। इसके लिए किसी से एक पैसा नहीं लूंगा। मोटिवेशनल टॉक करूंगा। मोटिवेशनल टॉक के बहुत पैसे मिलते हैं, लेकिन मैं इस काम का कोई पैसा नहीं लूंगा। 21 नवंबर को नवजोत सिद्धू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि पत्नी की डाइट में बदलाव कर उन्होंने कैंसर स्टेज-4 से जंग जीती है। सिद्धू की वीडियो के बाद विवाद हो गया और टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने इसका खंडन किया। डॉक्टरों ने कहा था कि सिद्धू की बताई कुछ चीजों पर रिसर्च चल रही है, लेकिन इनसे ठीक हो जाने का दावा सही नहीं है। लोगों को कैंसर जैसे लक्षण होने पर तुरंत अस्पताल में जांच करानी चाहिए। सिद्धू के दावे के बाद टाटा मेमोरियल अस्पताल ने जारी की एडवाइजरी
नवजोत सिद्धू के दावे के बाद टाटा मेमोरियल अस्पताल को इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद एक एडवाइजरी जारी करनी पड़ी। उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के दावों को खारिज किया। इस एडवाइजरी को टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉयरेक्टर डॉ. प्रमेश सीएम ने खुद अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया। इस एडवाइजरी में लिखा- सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक पूर्व क्रिकेटर ने अपनी पत्नी के ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बारे में जानकारी दी है। इस वीडियो में कहा गया है कि डेयरी उत्पाद और चीनी छोड़ने, हल्दी और नीम का सेवन करने से उनकी पत्नी का कैंसर ठीक हो गया। इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। हल्दी, नीम, या अन्य घरेलू उपायों के उपयोग पर शोध जारी है, लेकिन वर्तमान में इनका कैंसर-रोधी उपचार के रूप में समर्थन करने के लिए कोई क्लिनिकल डेटा उपलब्ध नहीं है। हम जनता से अपील करते हैं कि इन असत्यापित घरेलू उपचारों का पालन करने से पहले सही चिकित्सा सलाह लें। किसी भी कैंसर के लक्षण दिखने पर, योग्य डॉक्टर या कैंसर विशेषज्ञ से संपर्क करें। कैंसर का इलाज प्रारंभिक अवस्था में पता लगने और प्रमाणित पद्धतियों (सर्जरी, कीमोथैरेपी, और रेडिएशन) के माध्यम से संभव है। यह सूचना सार्वजनिक हित में जारी की गई है। दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट ने भी खारिज किया दावा
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की मुखी डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने भी नवजोत सिंह सिद्धू के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर कई तरह का होता है और इसके इलाज भी अलग होते हैं। खानपान से 40 दिन में कैंसर क्योर करना, यह पॉसिबल नहीं है। खानपान की अहमियत इलाज के दौरान है, ताकि मरीज को कमजोरी न आए। हल्दी से शरीर में सूजन कम होती है, लेकिन कैंसर से इसका इलाज नहीं हो सकता। इसलिए जो यह भ्रम फैला रहे हैं, वे गलत हैं। सिद्धू ने पत्नी के इलाज के बारे में क्या कहा… जेल से लौटा तो पत्नी का ऑपरेशन हो चुका था
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मेरी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू (नोनी) अब कैंसर फ्री हो चुकी हैं। मुझ पर जब यह आपदा आई तब मैं जेल में था। जब में जेल से छूट कर आया तब नोनी का ऑपरेशन हो चुका था। नोनी की कीमोथैरपी हुई, लंबे अरसे तक इसका इलाज चला। पूरा परिवार साथ खड़ा रहा। एक वक्त आया कि नोनी को लगा कि शायद मैं न बचूं तो बेटे की शादी करवा दो। तब नोनी अस्पताल में थी। बेटे की शादी के दौरान नोनी ने कुछ हफ्तों के लिए अपना इलाज मिस कर दिया। कुछ दिन बाद पता चला, कैंसर फिर हो गया
नवजोत सिंह सिद्धू ने आगे कहा- इलाज मिस किया तो कुछ दिनों बाद पता चला कि कैंसर फिर से हो गया है। इसमें सबसे बड़ी ये बात थी कि ये सारा इलाज भारत में हुआ। 40 प्रतिशत इलाज पटियाला राजिंदरा अस्पताल में हुआ और बाकी का इलाज यमुनानगर में हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि सिर्फ 5 प्रतिशत चांस हैं। कैंसर स्किन में मिल गया है। मेरे एक दोस्त का बेटा अमेरिका से डॉक्टरी पढ़कर आया, उसने कहा कि कोई चांस नहीं है। मैंने घंटों पढ़कर बीमारी के बारे में रिसर्च की
सिद्धू बोले कि जब मुझे पता चला तो मैं घंटों पढ़ा, बीमारी के बारे में रिसर्च शुरू की। मैंने कुछ भी नहीं छोड़ा, फिर चाहे अमेरिकी डॉक्टर हों या आयुर्वेद हो। दिन में चार से पांच घंटे तक मैं रोज पढ़ता था कि कहीं कोई इलाज मिल सके। मैं जब डॉक्टरों से पूछा करूं तो डाइटिंग करवाने से सीधा मना कर देते। जब ये हुआ कि कोई चांस नहीं है तो फिर मैंने जो पढ़ा था, वही करना शुरू किया। मैंने अपनी बेटी के साथ मिलकर नोनी के लिए डाइट शुरू करवाई। सिद्धू बोले- जैसी डाइट से नोनी का इलाज हुआ, उसे हर कोई खा सकता सिद्धू ने आगे कहा- कई लोगों ने मुझे कहा कि आपके पास तो करोड़ों हैं, आप तो ठीक हो ही जाओगे। मगर एक आम इंसान कैसे ठीक होगा। मैंने कहा कि जैसी डाइट से नोनी का इलाज हुआ, इसे एक आम आदमी भी खा सकता है और अपने आपको बचा सकता है। सिद्धू ने आगे कहा- स्टेज-4 का कैंसर होने के बाद भी नोनी 40 दिनों के अंदर वापस आई है। लोग कहते हैं कि करोड़ों रुपए लगते हैं, मगर मैं कहना चाहता हूं कि नीम के पत्तों के क्या पैसे लगते हैं। कैंसर एक इंफ्लामेशन है, जोकि दूध, कार्बोहाइड्रेट्स (गेहूं), रिफाइंड शुगर (जैसे कि जलेबी) और मैदा जैसी चीजों से होता है। इसलिए इनको बंद कर दिया। सिद्धू ने कहा- फिर हमने नोनी की डाइट में वो चीजें एड की, जिसकी उसे जरूरत थी। नोनी को सुबह 10 बजे नींबू पानी दिया जाता था। जिसमें गर्म पानी, कच्ची हल्दी, एक लहसुन और सेब का सिरका होता था। इसके आधा घंटे बाद 10 से 12 नीम के पत्ते और तुलसी देते थे। चाय पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। सुबह चाय की जगह नोनी को दाल चीनी, लौंग और छोटी इलायची इसमें नाम मात्र गुड़ मिलकर काढ़ा दिया जाता था। सिद्धू बोले- नोनी को डाइट में बेरीज और ड्राय फ्रूट्स दिए
सिद्धू ने आगे बताया कि नोनी की डाइट में नट्स एड किए गए थे। साथ ही सफेद पेठे का जूस दिया जाता था। इसके एक डेढ़ घंटे बाद ब्लू बेरीज देते थे। अगर कोई ब्लू बेरी नहीं अफोर्ड कर सकता तो उसकी जगह पर अनार दिया जा सकता है। अगर कोई अनार भी नहीं इस्तेमाल कर सकता तो आंवला सबसे अच्छा। ब्लैक बेरी (शहतूत) खाने से कैंसर को मात देने में बहुत मदद मिलती है। बेरीज के साथ एक गिलास चुकंदर, गाजर और आंवला का जूस और ड्राई फ्रूट दिए जाते थे। इसके बाद नोनी को कुछ नहीं दिया जाता था। देर शाम करीब साढ़े सात बजे नोनी को आखिरी में उबला हुआ किनोवा (बथुआ) दिया जाता था। अगर किनोवा नहीं तो बादाम के आटे की रोटी, दो सब्जियां और सलाद दिया जाता था। इस रूटीन में करीब 40 दिन गुजारे गए। जिसके बाद मोहाली में टेस्ट करवाया गया। फिर मोहाली में ऑपरेशन करवाया गया। ऑपरेशन के करीब 50 दिनों बाद, कैंसर का एक भी अंश नहीं रह गया था। सिद्धू बोले- दूध की जगह पर नारियल का दूध दिया
सिद्धू ने कहा- मैं कहना चाहता हूं कि कैंसर को भी हराया जा सकता है। अगर आप अपने लाइफस्टाइल को चेंज करेंगे तो आप कैंसर को भी हरा सकते हैं। इसी डाइट से मैंने भी करीब 25 किलो भार कम किया। कैंसर का सबसे बड़ा कारण फैटी लिवर है। सिद्धू ने आगे कहा- नारियल एक ऐसी चीज है, जोकि इंसान की जिंदगी में चमत्कार कर सकती है। नारियल का तेल इस्तेमाल किया जाता था। दूध की जगह पर नारियल का दूध इस्तेमाल किया जाता था। बादाम मिल्क का इस्तेमाल किया जाता था। नोनी को आयुर्वेद के हिसाब से चार बीज भी दिए जाते थे। जिसमें तिल, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज दिए गए। इससे नोनी की सेहत में काफी फर्क आया। यमुनानगर जब नोनी को दिखाने के लिए गए तो डॉक्टर हैरान थे कि इतना सुधार कैसे आ गया। सिद्धू बोले- नोनी के इलाज में सिर्फ 10-12 लाख खर्च हुए
सिद्धू ने आगे कहा- आज नोनी की इस जंग को करीब डेढ़ साल हो गए हैं। जिससे पूरा परिवार आज खुश है। मेरे बच्चे 24 घंटे नोनी के साथ रहते थे। आज मैं गर्व से कहता हूं कि जिंदगी में चार से पांच चीजें व्यक्ति सुधार ले, हम कैंसर को हरा सकते हैं। आप सिर्फ अपनी विचार धारा को बदल लें, सब कुछ सही होगा। नोनी कभी भी इलाज के दौरान कमजोर नहीं पड़ी। पॉजिटिव ख्यालों ने हमारी मदद की। हमारे राजिंदरा अस्पताल में वह मशीनें हैं, जोकि अमेरिका के सबसे से बड़े अस्पतालों में पड़ी हैं। सारा इलाज हमने भारत से करवाया। 10 से 12 लाख रुपए से ज्यादा हमारा खर्च नहीं आया। सिद्धू ने कहा- नोनी का ऑपरेशन हुआ तो उसके जख्म भर नहीं रहे थे। मगर इस डाइट से नोनी ने 40 दिन में अपने आप को रिकवर कर लिया। जब कुछ नहीं था तो सिर्फ आयुर्वेद था। सिद्धू बोले- एल्कलाइन पानी कैंसर में रामबाण
सिद्धू ने कहा- पानी की क्वालिटी भी मैटर करती है कि आप कितना साफ पानी पी रहे हैं। पानी का पीएच लेवल 7 होना चाहिए, उसी पानी को पीना चाहिए। गंदा पानी पीने से भी कैंसर पनपता है। पानी में खीरा और नींबू डालकर ही पीना चाहिए। वर्जिश करना भी कैंसर से लड़ने का एक बड़ा हिस्सा है। जिसके शरीर में ऐसिड बनता है, उसके शरीर में कैंसर पनप रहा होता है। अगर आपको कोई दाल या फिर छोले बनाने हैं तो आप उसे एक रात पहले भिगो दो। इससे वह एसिडिक से एल्कलाइन हो जाता है। सिद्धू ने नोनी का एक किस्सा सुनाते हुए कहा- एक दिन नोनी मुझसे छिपाकर चिप्स का पैकेट ले आई। मुझे पता चला तो मैंने बैग चेक किया। बैग देखा तो तीन से चार पैकेट चिप्स के गिरे। मुझे नोनी ने कहा कि ये तो किनोवा के चिप्स हैं। जब मैंने उसकी कैलोरी चेक कि तो 800 लिखा हुआ था। मैंने तुरंत उसे निकलवा लिया। सिद्धू ने कहा- पेशेंट बाज नहीं आएगा, मगर आपको उसके खिलाफ थोड़ा कड़ा होना पड़ेगा। नोनी बोलीं- पिछले साल 25% बढ़े कैंसर के केस
वहीं, डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा- मैंने कई जगह पर छापा मारा था, जिसमें मैंने ऐसे केस देखे कि अंडे में प्लास्टिक मिलाया जा रहा था। मार्केट में मछली को कई-कई दिन रखते हैं। उस पर वो फ्लूड लगाते थे, जोकि मुर्दे पर लगाया जाता था। ऐसा खाना खाकर हम कैसे बच सकते हैं? पिछले साल कैंसर की बीमारी में करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
लुधियाना आई युवती को चाकू मारे:मां से परेशान होकर छोड़ा घर, यूपी की रहने वाली, फुटपाथ पर गुजारी रात; लोगों ने बनाए संबंध
लुधियाना आई युवती को चाकू मारे:मां से परेशान होकर छोड़ा घर, यूपी की रहने वाली, फुटपाथ पर गुजारी रात; लोगों ने बनाए संबंध उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के गांव दारावर से पंजाब के लुधियाना में काम की तलाश में आई एक युवती को बदमाश ने चाकू मारकर घायल कर दिया। युवती के चेहरे और पीठ पर गहरे घाव हैं। लोगों ने उसे सिविल अस्पताल पहुंचाया। थाना डिवीजन नंबर 2 की पुलिस ने युवती के बयानों पर 3 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया है। जानकारी देते हुए पीड़ित युवती ने बताया कि करीब 8 दिन पहले वह अपनी मां से झगड़ा कर अकेली ट्रेन में बैठकर लुधियाना में काम की तलाश में आई थी। उसकी पहचान का कोई शहर में नहीं था। वह गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब में 3 दिन तक रही। 3 दिन तक गुरुद्वारा साहिब के बाहर सोई। खाना और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए बनाए अवैध संबंध
खाना खाने और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। इस बात का फायदा उठाकर काफी लोगों ने उसके साथ अवैध संबंध बनाए। उसके पास कुछ पैसे थे, जिन्हें कुछ अज्ञात लोगों ने उसकी टी-शर्ट काट कर चुरा लिया। जबरदस्ती करने पर थप्पड़-चाकू मारे
पीड़िता ने कहा कि करीब 5 दिन पहले वह गुरुद्वारा साहिब की सीढ़ियां चढ़ रही थी। उसे वहां एक पगड़ीधारी व्यक्ति मिला, जिसने उसे अपने साथ ले जाने के लिए कहा। पीड़िता के मुताबिक उसने उस व्यक्ति के साथ जाने से मना कर दिया। तब वह व्यक्ति उसे कहने लगा कि वह उससे प्यार करता है। जब वह उससे जबरदस्ती करने लगा तो युवती ने उसके थप्पड़ जड़ दिया। गुस्से में आए उस व्यक्ति ने चाकुओं से उस पर हमला कर दिया। उसके चेहरे और पीठ पर उसने चाकू मारे। खून से लथपथ हालत में लोग उसे सिविल अस्पताल लेकर गए। थाना डिवीजन नंबर 2 की पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ IPC धारा- 354-D, 506, 341, 324, 148, 34 के तहत मामला दर्ज किया है। इन कारणों से आई लुधियाना
पीड़िता ने कहा कि वह तलाकशुदा है। उसके पिता इसी बात की टेंशन लेते हैं। इस कारण वह बहुत ज्यादा शराब पीने लगे। उनकी किडनी और लीवर, दोनों खराब हो गए। पिता के बीमार होने के कारण अक्सर मां उसे ताना मारने लगी। वह मां के तानों से परेशान होकर बुलंदशहर से लुधियाना आ गई, लेकिन उसे नहीं पता था कि लुधियाना की सड़कों पर किस तरह उसकी इज्जत दरिंदे लूट लेंगे। पीड़िता ने प्रशासन से मांग की है कि उसे सेफ जगह पहुंचाया जाए।