पंजाब के मोहाली में फिल्मी स्टाइल में दो शातिरों ने पहले सवारी बनकर इनड्राइव ऐप के माध्यम कार बुक की। इसके बाद रास्ते में पिस्टल के दम पर चंडीगढ़ निवासी व्यक्ति से कार छीनकर फरार हो गए। मोहाली पुलिस ने वारदात में शामिल दोनों आरोपियों को काबू कर लिया है। आरोपियों की पहचान रणजीत सिंह व सतिंदर सिंह के रूप में हुई। उनसे छीनी कार व फोन भी बरामद कर लिया है। वहीं, जिस पिस्टल के दम पर उन्होंने कार छीनी थी, वह भी बरामद कर ली है। पुलिस जांच में वह डमी पिस्टल निकली है। यह जानकारी पुलिस की तरफ से आज प्रेस कांफ्रेंस में दी गई। दोनों आरोपी करीब एक साल से बेरोजगार थे। दोनों 12वीं तक पढे़ हुए है। उनके खिलाफ पहले कोइ केस दर्ज नहीं है। चार तारीख को ही खरीदी थी नई कार सात अक्टूबर को इस बारे में चंडीगढ़ के सेक्टर-49 निवासी पुलिस को शिकायत दी थी। उसने अपनी शिकायत में बताया था कि उसने चार अक्टूबर को ही उसने नई कार खरीदी थी। जिसे की वह टैक्सी के रूप में चला रहा था। सात अक्टूबर की सुबह वह अपनी टैक्सी में सेक्टर-43 में खड़ा था । चार बजे इन ड्राइव ऐप के माध्यम से सेक्टर-43 से सेक्टर-109 मोहाली के लिए सवारी मिली। वह सवारी को पिक करने के बाद वहां से निकल गया। पेशाब के बहाने कार रुकवाकर वारदात को दिया अंजाम विशाल ने बताया कि इसके बाद वह उन्हें मोहाली शहर के अंदर से होते हुए सेक्टर 109 लेकर जा रहा था। जैसे ही उनकी कार सेक्टर-85/86 में सुनसान जगह पर पहुंची तो दोनों आरोपियों में से एक व्यक्ति ने कहा कि उसे पेशाब लगा हुआ है। उसने उसे कार रोकने को कहा, जैसे ही वह पेशाब जाकर आया, तो उसने उसे कार का शीशा नीचे करने को कहा। इसके बाद उसके सिर पर पिस्टल लगा दी। इसके बाद उससे मोबाइल व कार की चाबी मांगी। पिस्टल देखकर वह डर गया। उसने उसे चाबी व मोबाइल सौंप दिया। इसके बाद कार छीनकर फरार हो गए। पुलिस ने आरोपी गुरुग्राम से दबोचे इसके बाद जैसे ही यह मामला पुलिस के पास पहुंचा तो पुलिस ने आर्म्स एक्ट समेत कई धाराओं के तहत अज्ञात आरोपियों पर केस दर्ज किया । इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच के लिए कई टीमें बनाई। साथ ही पुलिस ने टेक्निकल व हयूमन इंटेलिजेंस के सहारे नौ अक्टूबर को एमजी रोड मेट्रो स्टेशन गुरुग्राम से आरोपियों को काबू किया है। वारदात के लिए चोरी किया था मोबाइल पुलिस ने आरोपियों को पूछताछ में बताया है कि वह एक साल से बेरोजगार थे। दोनों को एक दूसरे को जानते थे। इसके बाद दोनों ने मिलकर कार को लूटने का प्लान बनाया था। आरोपियों ने बताया कि कार को लूटने से पहले उन्होंने छह अक्टूबर फोन चोरी किया। फोन उन्होंने सेक्टर-44 पेट्रोल पंप के सामने उस व्यक्ति का चोरी किया, जो कि रात के समय अपनी कार का शीशा खोलकर सो रहा था। फर्जी अकाउंट बनाकर कार बुक की थी इसके बाद चोरी वाले मोबाइल से फर्जी नाम उपकार सिद्धू नाम से इनड्राइव एप डाउनलोड की है। इसके बाद उन्होंने उस ऐप से कार बुक की थी। पुलिस ने चोरी का फोन व अन्य सामान बरामद कर लिया है। पंजाब के मोहाली में फिल्मी स्टाइल में दो शातिरों ने पहले सवारी बनकर इनड्राइव ऐप के माध्यम कार बुक की। इसके बाद रास्ते में पिस्टल के दम पर चंडीगढ़ निवासी व्यक्ति से कार छीनकर फरार हो गए। मोहाली पुलिस ने वारदात में शामिल दोनों आरोपियों को काबू कर लिया है। आरोपियों की पहचान रणजीत सिंह व सतिंदर सिंह के रूप में हुई। उनसे छीनी कार व फोन भी बरामद कर लिया है। वहीं, जिस पिस्टल के दम पर उन्होंने कार छीनी थी, वह भी बरामद कर ली है। पुलिस जांच में वह डमी पिस्टल निकली है। यह जानकारी पुलिस की तरफ से आज प्रेस कांफ्रेंस में दी गई। दोनों आरोपी करीब एक साल से बेरोजगार थे। दोनों 12वीं तक पढे़ हुए है। उनके खिलाफ पहले कोइ केस दर्ज नहीं है। चार तारीख को ही खरीदी थी नई कार सात अक्टूबर को इस बारे में चंडीगढ़ के सेक्टर-49 निवासी पुलिस को शिकायत दी थी। उसने अपनी शिकायत में बताया था कि उसने चार अक्टूबर को ही उसने नई कार खरीदी थी। जिसे की वह टैक्सी के रूप में चला रहा था। सात अक्टूबर की सुबह वह अपनी टैक्सी में सेक्टर-43 में खड़ा था । चार बजे इन ड्राइव ऐप के माध्यम से सेक्टर-43 से सेक्टर-109 मोहाली के लिए सवारी मिली। वह सवारी को पिक करने के बाद वहां से निकल गया। पेशाब के बहाने कार रुकवाकर वारदात को दिया अंजाम विशाल ने बताया कि इसके बाद वह उन्हें मोहाली शहर के अंदर से होते हुए सेक्टर 109 लेकर जा रहा था। जैसे ही उनकी कार सेक्टर-85/86 में सुनसान जगह पर पहुंची तो दोनों आरोपियों में से एक व्यक्ति ने कहा कि उसे पेशाब लगा हुआ है। उसने उसे कार रोकने को कहा, जैसे ही वह पेशाब जाकर आया, तो उसने उसे कार का शीशा नीचे करने को कहा। इसके बाद उसके सिर पर पिस्टल लगा दी। इसके बाद उससे मोबाइल व कार की चाबी मांगी। पिस्टल देखकर वह डर गया। उसने उसे चाबी व मोबाइल सौंप दिया। इसके बाद कार छीनकर फरार हो गए। पुलिस ने आरोपी गुरुग्राम से दबोचे इसके बाद जैसे ही यह मामला पुलिस के पास पहुंचा तो पुलिस ने आर्म्स एक्ट समेत कई धाराओं के तहत अज्ञात आरोपियों पर केस दर्ज किया । इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच के लिए कई टीमें बनाई। साथ ही पुलिस ने टेक्निकल व हयूमन इंटेलिजेंस के सहारे नौ अक्टूबर को एमजी रोड मेट्रो स्टेशन गुरुग्राम से आरोपियों को काबू किया है। वारदात के लिए चोरी किया था मोबाइल पुलिस ने आरोपियों को पूछताछ में बताया है कि वह एक साल से बेरोजगार थे। दोनों को एक दूसरे को जानते थे। इसके बाद दोनों ने मिलकर कार को लूटने का प्लान बनाया था। आरोपियों ने बताया कि कार को लूटने से पहले उन्होंने छह अक्टूबर फोन चोरी किया। फोन उन्होंने सेक्टर-44 पेट्रोल पंप के सामने उस व्यक्ति का चोरी किया, जो कि रात के समय अपनी कार का शीशा खोलकर सो रहा था। फर्जी अकाउंट बनाकर कार बुक की थी इसके बाद चोरी वाले मोबाइल से फर्जी नाम उपकार सिद्धू नाम से इनड्राइव एप डाउनलोड की है। इसके बाद उन्होंने उस ऐप से कार बुक की थी। पुलिस ने चोरी का फोन व अन्य सामान बरामद कर लिया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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शहीद के पेरेंट्स-पत्नी को इंश्योरेंस फंड के 50-50 लाख मिले:आर्मी बोली- पेंशन पत्नी को मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था
शहीद के पेरेंट्स-पत्नी को इंश्योरेंस फंड के 50-50 लाख मिले:आर्मी बोली- पेंशन पत्नी को मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था सियाचिन में सेना के टेंट में आग लगने से 19 जुलाई 2023 को शहीद हुए देवरिया के कैप्टन अंशुमान के परिवार को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड से 1 करोड़ रुपए दिए गए। यह रकम अंशुमान के पेरेंट्स और उनकी पत्नी में आधी-आधी बांटी गई। शहीद के माता-पिता ने कहा था- बेटे को मिले मरणोपरांत कीर्ति चक्र को बहू ने छूने भी नहीं दिया। बेटे के जाने के बाद बहू सम्मान लेकर चली गई। हमारे पास कुछ नहीं बचा। आर्मी को शहीद के परिवार को मिलने वाली वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव करना चाहिए। इसे लेकर आर्मी के सूत्रों ने कहा है कि आर्मी की ओर से पेरेंट्स को 50 लाख और पत्नी को 50 लाख दिए जा चुके हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक शहीद की पेंशन उनकी पत्नी स्मृति को ही मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था। इसके अलावा UP सरकार ने भी परिवार को 50 लाख रुपए दिए थे। इसमें से 15 लाख माता-पिता और 35 लाख रुपए पत्नी स्मृति को दिए गए थे। इसके बावजूद शहीद के पेरेंट्स ने कहा था कि वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव होना चाहिए। आर्मी ने कहा- शहीद के पिता रिटायर्ड JCO, उन्हें पेंशन मिलती है
आर्मी के एक अधिकारी ने कहा- कैप्टन अंशुमान मार्च 2020 में आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में शामिल हुए थे। पत्नी स्मृति को आर्मी के ज्यादा बेनिफिट इसलिए मिल रहे हैं, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें अपना नॉमिनी बनाया था। साथ ही बताया कि अंशुमान के पिता आर्मी में रिटायर्ड JCO हैं। उन्हें पेंशन और आर्मी की अन्य सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे मुद्दे आर्मी के सामने पहले भी आए हैं, खासकर तब जब शहीद के माता-पिता उन पर आश्रित होते हैं, लेकिन आर्मी यूनिट ऐसे मुद्दों को निपटा लेती है। अंशुमान का मामला अलग है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि उनके पिता भी सेना में रह चुके हैं। आर्मी में PF और पेंशन के नियम पत्नी ने कहा था- एक कॉल ने 50 साल के सपने तोड़ दिए
सम्मान समारोह के बाद स्मृति ने कहा- अंशुमान के शहीद होने का कॉल आया था। इस कॉल ने 50 साल के सपने तोड़ दिए थे। कैप्टन अंशुमान बहुत सक्षम थे। वे अक्सर कहा करते थे, मैं अपने सीने पर गोली खाकर मरना चाहता हूं। मैं आम आदमी की तरह नहीं मरना चाहता, जिसे कोई जान ही न पाए। इंजीनियरिंग कॉलेज के पहले दिन हमारी मुलाकात हुई थी। यह पहली नजर का प्यार था। एक महीना ही बीता था कि उनका चयन AFMC में हो गया। वे सुपर इंटेलिजेंट शख्स थे। हम सिर्फ एक महीना ही रूबरू मिले। फिर आठ साल तक दूरी रही, लेकिन रिश्ता बना रहा। फरवरी, 2023 में हमने शादी कर ली। दुर्भाग्य से शादी के दो महीने बाद ही उनकी सियाचिन में पोस्टिंग हो गई। 18 जुलाई, 2023 को हमारी लंबी बातचीत हुई थी कि अगले 50 साल में हमारी जिंदगी कैसी होगी। अपना घर होगा। हमारे बच्चे होंगे …और भी बहुत कुछ। 19 जुलाई की सुबह मैं एक फोन कॉल से उठी। उधर से आवाज आई…कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। यह खबर भी पढ़ें… शादी के 5 महीने बाद कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद, ग्लेशियर में टेंट में आग लगने से गई थी जान सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। पूरी खबर पढ़ें…