यह सुखद…. पिछले चार दिन में एक भी जगह नहीं जली पराली

भास्कर न्यूज | जालंधर गहरी धुंध के बीच जालंधरवासियों के लिए सुखद खबर है। पिछले चार दिनों में शहर में एक भी जगह पराली जलाने का मामला सामने नहीं आया है। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला प्रशासन और खेतीबाड़ी विभाग की जागरूकता मुहिम और दूसरा राज्य सरकार द्वारा पराली जलाने पर दोगुना जुर्माना वसूला जाना। जालंधर में 15 अक्टूबर से 13 नवंबर तक पराली जलाने के 94 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 68 मामलों पर रेड एंट्री की गई। वहीं किसान मजदूर संघर्ष यूनियन ने बेवजह सरकार पर किसानों को परेशान करने के आरोप लगाए। यूनियन ने कहा है कि बेवजह किसानों पर एफआईआर दर्ज की जा रही हैं और उनकी जमीनों पर रेड एंट्री डाली जा रही है। इसके लिए यूनियन अपना संघर्ष जारी रखेगी। धक्केशाही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्मॉग का कारण पराली नहीं कृषि अधिकारी ने कहा कि मौसम मे काफी बदलाव हो रहा है। लोग बोल रहे हैं कि पराली के धुएं से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है। पराली तो इस बार 10 फीसदी भी नहीं जली है। जो स्मॉग है, वह पराली के कारण नहीं है। वहीं वातावरण प्रेमी पलविंदर सिंह ने कहा कि जब तक शहर व गांवों में कूड़े को आग लगाने पर रोक नहीं लगाई जाती, तब तक वातावरण प्रदूषित ही रहेगा। करीब 90 फीसदी कट चुकी है। अब मंडियों में धान की आवक कम होगी। साथ ही खेतों में पराली जलाने की घटनाएं आगे भी कम होने की संभावना जताई जा रही है। इससे धुएं से होने वाले प्रदूषण से राहत मिलने के आसार हैं। भास्कर न्यूज | जालंधर गहरी धुंध के बीच जालंधरवासियों के लिए सुखद खबर है। पिछले चार दिनों में शहर में एक भी जगह पराली जलाने का मामला सामने नहीं आया है। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला प्रशासन और खेतीबाड़ी विभाग की जागरूकता मुहिम और दूसरा राज्य सरकार द्वारा पराली जलाने पर दोगुना जुर्माना वसूला जाना। जालंधर में 15 अक्टूबर से 13 नवंबर तक पराली जलाने के 94 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 68 मामलों पर रेड एंट्री की गई। वहीं किसान मजदूर संघर्ष यूनियन ने बेवजह सरकार पर किसानों को परेशान करने के आरोप लगाए। यूनियन ने कहा है कि बेवजह किसानों पर एफआईआर दर्ज की जा रही हैं और उनकी जमीनों पर रेड एंट्री डाली जा रही है। इसके लिए यूनियन अपना संघर्ष जारी रखेगी। धक्केशाही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्मॉग का कारण पराली नहीं कृषि अधिकारी ने कहा कि मौसम मे काफी बदलाव हो रहा है। लोग बोल रहे हैं कि पराली के धुएं से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है। पराली तो इस बार 10 फीसदी भी नहीं जली है। जो स्मॉग है, वह पराली के कारण नहीं है। वहीं वातावरण प्रेमी पलविंदर सिंह ने कहा कि जब तक शहर व गांवों में कूड़े को आग लगाने पर रोक नहीं लगाई जाती, तब तक वातावरण प्रदूषित ही रहेगा। करीब 90 फीसदी कट चुकी है। अब मंडियों में धान की आवक कम होगी। साथ ही खेतों में पराली जलाने की घटनाएं आगे भी कम होने की संभावना जताई जा रही है। इससे धुएं से होने वाले प्रदूषण से राहत मिलने के आसार हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर