युवाओं को करानी पड़ रही हिप ट्रांसप्लांट सर्जरी:KGMU की OPD में बढ़े 30% ऐसे मरीज; एक्सपर्ट बोले- स्टेरॉयड लेने वाले हो रहे बीमार

युवाओं को करानी पड़ रही हिप ट्रांसप्लांट सर्जरी:KGMU की OPD में बढ़े 30% ऐसे मरीज; एक्सपर्ट बोले- स्टेरॉयड लेने वाले हो रहे बीमार

कोविड के दौरान गंभीर मरीजों के इलाज के लिए स्टेरॉयड की जरूरत पड़ी थी। ऐसे मरीजों में अब लॉन्ग टर्म कोविड इम्पैक्ट सामने आ रहा है। इन मरीजों को अब हिप ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ रही है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें बड़ी संख्या ऐसे मरीज हैं जिनकी ऐज बहुत कम है। इन मरीजों में सर्जरी के अलावा कोई अन्य विकल्प न होने के कारण ट्रांसप्लांट करना पड़ रहा है। ये कहना है KGMU के लिंब सेन्टर और फिजिकल रिहैबिलिटेशन विंग के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा का। उनका कहना है कि हर OPD में 30% तक मरीज ट्रांसप्लांट की कंडीशन में पहुंच रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 62वें एपिसोड में KGMU लिंब सेंटर के ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ.नरेंद्र सिंह से खास बातचीत… कम उम्र में ट्रांसप्लांट के केस बढ़े डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा- ज्यादातर ऐसे मरीजों सेकेंड वेव के दौरान कोविड से संक्रमित हुए थे। इनके इलाज में तब स्टेरॉयड का प्रयोग किया गया। पर आज एंड स्टेज की कंडीशन में KGMU पहुंच रहे हैं। सर्जरी के जरिए इनका इलाज करना पड़ रहा है। ऐसे ही कम उम्र के मरीजों में घुटनों के रिप्लेसमेंट सर्जरी भी करनी पड रही है। पहले आम तौर पर ये सर्जरी 60 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों में की जाती थी पर अब युवा अवस्था के मरीजों में भी इसकी जरूरत पड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मरीज बढ़े डॉ. नरेंद्र कहते है कि पहले ट्रांसप्लांट की जरूरत ज्यादातर शहरी क्षेत्र के मरीजों को पड़ती थी। पर अब ये समस्या ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों में भी देखी जा रही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण दोनों जगह की लाइफ स्टाइल और खान-पान लगभग एक जैसा होना भी है। इनमें पुरुष और महिलाओं के लगभग सामान्य अनुपात देखा जा रहा। कोविड के दौरान गंभीर मरीजों के इलाज के लिए स्टेरॉयड की जरूरत पड़ी थी। ऐसे मरीजों में अब लॉन्ग टर्म कोविड इम्पैक्ट सामने आ रहा है। इन मरीजों को अब हिप ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ रही है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें बड़ी संख्या ऐसे मरीज हैं जिनकी ऐज बहुत कम है। इन मरीजों में सर्जरी के अलावा कोई अन्य विकल्प न होने के कारण ट्रांसप्लांट करना पड़ रहा है। ये कहना है KGMU के लिंब सेन्टर और फिजिकल रिहैबिलिटेशन विंग के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा का। उनका कहना है कि हर OPD में 30% तक मरीज ट्रांसप्लांट की कंडीशन में पहुंच रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 62वें एपिसोड में KGMU लिंब सेंटर के ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ.नरेंद्र सिंह से खास बातचीत… कम उम्र में ट्रांसप्लांट के केस बढ़े डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा- ज्यादातर ऐसे मरीजों सेकेंड वेव के दौरान कोविड से संक्रमित हुए थे। इनके इलाज में तब स्टेरॉयड का प्रयोग किया गया। पर आज एंड स्टेज की कंडीशन में KGMU पहुंच रहे हैं। सर्जरी के जरिए इनका इलाज करना पड़ रहा है। ऐसे ही कम उम्र के मरीजों में घुटनों के रिप्लेसमेंट सर्जरी भी करनी पड रही है। पहले आम तौर पर ये सर्जरी 60 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों में की जाती थी पर अब युवा अवस्था के मरीजों में भी इसकी जरूरत पड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मरीज बढ़े डॉ. नरेंद्र कहते है कि पहले ट्रांसप्लांट की जरूरत ज्यादातर शहरी क्षेत्र के मरीजों को पड़ती थी। पर अब ये समस्या ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों में भी देखी जा रही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण दोनों जगह की लाइफ स्टाइल और खान-पान लगभग एक जैसा होना भी है। इनमें पुरुष और महिलाओं के लगभग सामान्य अनुपात देखा जा रहा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर