मेरे भाई ने हमेशा गांव के लोगों की मदद की। बेटियों की शादी कराई। बेरोजगारों को पैसे देकर रोजगार शुरू कराया। कई लोगों के घर तक बनवाए। हमेशा अपनों के काम आए। उन्होंने खुद बहुत गरीबी देखी, तभी बिना कहे गरीबों का दुख समझ लेते हैं। गांव वालों के लिए वो फरिश्ते से कम नहीं हैं। उनपर लगे सारे आरोप झूठे हैं। वो तो अहमदाबाद में झाड़ू का बिजनेस करते हैं। बांग्लादेशियों को घर देने वाली बात गलत है। ये कहना है एटा की नूर अख्तर का, जिसके भाई लल्ला बिहारी को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया है। लल्ला पर आरोप है कि वह 1 लाख में भारत की नागरिकता, 25 हजार में आधार कार्ड और 5 हजार रुपए में पैन कार्ड बनवाता था। उसने अहमदाबाद में हजारों बांग्लादेशियों को बसाया। झुग्गी झोपड़ी में जगह दी। गुजरात सरकार ने अहमदाबाद के चंदोला में उसकी 2000 झुग्गियों को ढहा दिया है। सरकार की कार्रवाई के बाद लल्ला फरार हो गया था। पुलिस ने उसे राजस्थान से पकड़ा है। दैनिक भास्कर की टीम कासगंज से 50 किलोमीटर दूर भरगैन नगर पंचायत पहुंची। आरोपों को लेकर लल्ला के परिजनों और रिश्तेदारों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… भास्कर की टीम से भरगैन के लोगों ने बताया- लल्ला बिहारी का असली नाम मोहम्मद अख्तर है। गरीबी से परेशान होकर लल्ला साल 1984 में मजदूरी करने गुजरात गया था। वहां धीरे-धीरे उसने चंदोला की जमीन पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया। कुछ ही सालों में अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया। स्थानीय बोले- लल्ला किसी फरिश्ते जैसा
भरगैन नगर पंचायत की कुल आबादी 60 हजार के आसपास है। यहां बस 1200-1300 लोग हिंदू हैं, बाकी सब मुस्लिम हैं। नगर पंचायत में करीब 1 हजार लोग लल्ला बिहारी उर्फ मोहम्मद के रिश्तेदार हैं। नगर पंचायत में जाने के बाद हमने जिससे भी लल्ला के बारे में पूछा, सबने अच्छा ही बोला। यहां के लोगों के लिए लल्ला किसी फरिश्ता से कम नहीं। वो लोग लल्ला पर लगे आरोपों को मानने के लिए तैयार ही नहीं थे। दो मंजिला घर, हरे रंग से पुताई
लोगों से बातचीत करते हुए हम लल्ला के घर पहुंचे। लल्ला का घर 2 मंजिला है। घर पर हरे रंग का पेंट लगा है। लल्ला अपने परिवार के साथ गुजरात में ही रहता था। मोहल्ले में रहने वाला उसका भांजा मोहम्मद काशिम उसके घर की देखरेख करता है। वो लल्ला के घर में ही रहता है। लल्ला की बदौलत गांव के युवा काम कर रहे
घर के बाहर हमें लल्ला बिहारी के भाई नत्थू मिले। हमने उसको बताया कि लल्ला पर देशद्रोह का आरोप लगा है। जिस पर उन्होंने कहा- हम तो उनके परिवार के हैं। 40 साल पहले वो यहां से गए थे। वहां जाकर झाड़ू का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उनका काम बढ़ता चला गया। अब तो वो यहां के लोगों की मदद करते हैं। नगर पंचायत में भी विकास करवाया है। गांव का कोई भी शख्स उनसे कुछ भी कह दे, तो वह पूरा कर देते हैं। उनकी वजह से आज हमारे गांव के सभी युवा कुछ न कुछ काम कर रहे हैं। हम लोग उन पर लगे आरोपों को सच कैसे मान लें? उनके पास गांव में घर के अलावा और भी जमीन-जायदाद है। लल्ला की भांजी बोली- मेरे घर का पूरा खर्च उठाते हैं
लल्ला के भांजे काशिम ने बताया- मेरे मामू बहुत मददगार हैं। उनकी कमाई हुई तो उन्होंने अपने लोगों को आगे बढ़ाया। सबकी मदद की। भांजी हरजाना ने कहा- मेरे घर का खर्चा मेरे मामू लल्ला ही चलाते हैं। मेरा घर उन्हीं ने बनवाया है। घर का खर्चा, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा सब वही देते हैं। ये झूठे आरोप उनके दुश्मनों ने लगाए हैं। यहां उनका सब कुछ है। हर महीने वो यहां पर आते रहते हैं। लल्ला की रिश्ते की बहू शबनम ने बताया कि मेरे ससुर अपने घर आते रहते हैं। यहां पर उनका बड़ा घर बना हुआ है। जब आते हैं तो सबसे मुलाकात करते हैं। झाड़ू का धंधा अहमदाबाद में करते हैं। जो आरोप उन पर लगे हैं, सब गलत हैं। मोहल्ले के 40% लोग लल्ला के साथ काम कर रहे
कुछ स्थानीय लोगों ने हमें बताया, इस मोहल्ले के करीब 40% लोग गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में काम करते हैं। ये सब लल्ला बिहारी के काम ही देखते हैं। उसके काले धंधे संभालते हैं। मोहल्ले के लोगों के लिए लल्ला हमेशा मदद के लिए खड़ा रहता है। इस वजह से ये लोग कभी कुछ गलत नहीं बोलेंगे। अब पढ़िए अहमदाबाद में लल्ला का कारोबार…
साल 1984 में अहमदाबाद पहुंचने के बाद लल्ला ने पहले कुछ दिन मजदूरी का काम किया। वहां के लोकल लोगों से अपनी जान पहचान बनाई। उसके बाद लल्ला चंदोला के जिस तालाब पर काम करता था, वहीं की आसपास की जमीन पर उसने कब्जा करना शुरू कर दिया। उस जगह झुग्गी झोपड़ी बना दी। ये झुग्गियां वो बांग्लादेश से भारत आए लोगों को 5000 रुपया किराया लेकर दे देता। बिना किसी रिकॉर्ड के वो उन लोगों को रहने की जगह दे देता था। लल्ला के पास 2 हजार भिखारियों की फौज
उसके अहमदाबाद में करीब 250 ई-रिक्शे चलते हैं। सभी से वो 500 रुपए रोज लेता है। इसके अलावा उसने 2 हजार भिखारियों की फौज बनाई है। उनसे भी रोज 500 रुपए लेता है। लल्ला ने ये सब करके करोड़ों की संपत्ति बना ली है। उसके कई फ्लैट और फॉर्म हाउस भी हैं। पांच घरों में चार पत्नियों के साथ रहता था
गुजरात क्राइम ब्रांच के अनुसार, लल्ला बिहारी के बेटे फतेह मोहम्मद से पूछताछ के दौरान पुलिस को लल्ला बिहारी से जुड़े 5 घरों के पते मिले हैं। लल्ला बिहारी इन पांच घरों में चार पत्नियों के साथ रहता था। सभी पांच घरों से कई बैंक खातों की जानकारी और बड़ी संख्या में बिल बुकें भी जब्त की गई हैं। दाणीलीमडा में नूर अहमदी सोसाइटी स्थित उसके एक घर से पैसे गिनने की मशीन और किराया रसीदों के सैकड़ों कट्टे भी बरामद किए गए हैं। —————————— यह खबर भी पढ़ें- मुस्कान-साहिल को नहीं मिली जमानत, फूट-फूटकर रोई:मेरठ कोर्ट ने कहा- दोनों ने जघन्य अपराध किया है, सरकारी वकील बोलीं- हम हाईकोर्ट जाएंगे पति सौरभ राजपूत की हत्या करने की आरोपी मुस्कान और उसके बॉयफ्रेंड साहिल शुक्ला को जमानत नहीं मिली है। इस पर मुस्कान रोने लगी। उनकी वकील रेखा जैन ने सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी। इसमें उन्होंने मुस्कान और साहिल को जमानत पर छोड़ने की अपील की थी। यहां पढ़ें पूरी खबर मेरे भाई ने हमेशा गांव के लोगों की मदद की। बेटियों की शादी कराई। बेरोजगारों को पैसे देकर रोजगार शुरू कराया। कई लोगों के घर तक बनवाए। हमेशा अपनों के काम आए। उन्होंने खुद बहुत गरीबी देखी, तभी बिना कहे गरीबों का दुख समझ लेते हैं। गांव वालों के लिए वो फरिश्ते से कम नहीं हैं। उनपर लगे सारे आरोप झूठे हैं। वो तो अहमदाबाद में झाड़ू का बिजनेस करते हैं। बांग्लादेशियों को घर देने वाली बात गलत है। ये कहना है एटा की नूर अख्तर का, जिसके भाई लल्ला बिहारी को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया है। लल्ला पर आरोप है कि वह 1 लाख में भारत की नागरिकता, 25 हजार में आधार कार्ड और 5 हजार रुपए में पैन कार्ड बनवाता था। उसने अहमदाबाद में हजारों बांग्लादेशियों को बसाया। झुग्गी झोपड़ी में जगह दी। गुजरात सरकार ने अहमदाबाद के चंदोला में उसकी 2000 झुग्गियों को ढहा दिया है। सरकार की कार्रवाई के बाद लल्ला फरार हो गया था। पुलिस ने उसे राजस्थान से पकड़ा है। दैनिक भास्कर की टीम कासगंज से 50 किलोमीटर दूर भरगैन नगर पंचायत पहुंची। आरोपों को लेकर लल्ला के परिजनों और रिश्तेदारों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… भास्कर की टीम से भरगैन के लोगों ने बताया- लल्ला बिहारी का असली नाम मोहम्मद अख्तर है। गरीबी से परेशान होकर लल्ला साल 1984 में मजदूरी करने गुजरात गया था। वहां धीरे-धीरे उसने चंदोला की जमीन पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया। कुछ ही सालों में अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया। स्थानीय बोले- लल्ला किसी फरिश्ते जैसा
भरगैन नगर पंचायत की कुल आबादी 60 हजार के आसपास है। यहां बस 1200-1300 लोग हिंदू हैं, बाकी सब मुस्लिम हैं। नगर पंचायत में करीब 1 हजार लोग लल्ला बिहारी उर्फ मोहम्मद के रिश्तेदार हैं। नगर पंचायत में जाने के बाद हमने जिससे भी लल्ला के बारे में पूछा, सबने अच्छा ही बोला। यहां के लोगों के लिए लल्ला किसी फरिश्ता से कम नहीं। वो लोग लल्ला पर लगे आरोपों को मानने के लिए तैयार ही नहीं थे। दो मंजिला घर, हरे रंग से पुताई
लोगों से बातचीत करते हुए हम लल्ला के घर पहुंचे। लल्ला का घर 2 मंजिला है। घर पर हरे रंग का पेंट लगा है। लल्ला अपने परिवार के साथ गुजरात में ही रहता था। मोहल्ले में रहने वाला उसका भांजा मोहम्मद काशिम उसके घर की देखरेख करता है। वो लल्ला के घर में ही रहता है। लल्ला की बदौलत गांव के युवा काम कर रहे
घर के बाहर हमें लल्ला बिहारी के भाई नत्थू मिले। हमने उसको बताया कि लल्ला पर देशद्रोह का आरोप लगा है। जिस पर उन्होंने कहा- हम तो उनके परिवार के हैं। 40 साल पहले वो यहां से गए थे। वहां जाकर झाड़ू का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उनका काम बढ़ता चला गया। अब तो वो यहां के लोगों की मदद करते हैं। नगर पंचायत में भी विकास करवाया है। गांव का कोई भी शख्स उनसे कुछ भी कह दे, तो वह पूरा कर देते हैं। उनकी वजह से आज हमारे गांव के सभी युवा कुछ न कुछ काम कर रहे हैं। हम लोग उन पर लगे आरोपों को सच कैसे मान लें? उनके पास गांव में घर के अलावा और भी जमीन-जायदाद है। लल्ला की भांजी बोली- मेरे घर का पूरा खर्च उठाते हैं
लल्ला के भांजे काशिम ने बताया- मेरे मामू बहुत मददगार हैं। उनकी कमाई हुई तो उन्होंने अपने लोगों को आगे बढ़ाया। सबकी मदद की। भांजी हरजाना ने कहा- मेरे घर का खर्चा मेरे मामू लल्ला ही चलाते हैं। मेरा घर उन्हीं ने बनवाया है। घर का खर्चा, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा सब वही देते हैं। ये झूठे आरोप उनके दुश्मनों ने लगाए हैं। यहां उनका सब कुछ है। हर महीने वो यहां पर आते रहते हैं। लल्ला की रिश्ते की बहू शबनम ने बताया कि मेरे ससुर अपने घर आते रहते हैं। यहां पर उनका बड़ा घर बना हुआ है। जब आते हैं तो सबसे मुलाकात करते हैं। झाड़ू का धंधा अहमदाबाद में करते हैं। जो आरोप उन पर लगे हैं, सब गलत हैं। मोहल्ले के 40% लोग लल्ला के साथ काम कर रहे
कुछ स्थानीय लोगों ने हमें बताया, इस मोहल्ले के करीब 40% लोग गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में काम करते हैं। ये सब लल्ला बिहारी के काम ही देखते हैं। उसके काले धंधे संभालते हैं। मोहल्ले के लोगों के लिए लल्ला हमेशा मदद के लिए खड़ा रहता है। इस वजह से ये लोग कभी कुछ गलत नहीं बोलेंगे। अब पढ़िए अहमदाबाद में लल्ला का कारोबार…
साल 1984 में अहमदाबाद पहुंचने के बाद लल्ला ने पहले कुछ दिन मजदूरी का काम किया। वहां के लोकल लोगों से अपनी जान पहचान बनाई। उसके बाद लल्ला चंदोला के जिस तालाब पर काम करता था, वहीं की आसपास की जमीन पर उसने कब्जा करना शुरू कर दिया। उस जगह झुग्गी झोपड़ी बना दी। ये झुग्गियां वो बांग्लादेश से भारत आए लोगों को 5000 रुपया किराया लेकर दे देता। बिना किसी रिकॉर्ड के वो उन लोगों को रहने की जगह दे देता था। लल्ला के पास 2 हजार भिखारियों की फौज
उसके अहमदाबाद में करीब 250 ई-रिक्शे चलते हैं। सभी से वो 500 रुपए रोज लेता है। इसके अलावा उसने 2 हजार भिखारियों की फौज बनाई है। उनसे भी रोज 500 रुपए लेता है। लल्ला ने ये सब करके करोड़ों की संपत्ति बना ली है। उसके कई फ्लैट और फॉर्म हाउस भी हैं। पांच घरों में चार पत्नियों के साथ रहता था
गुजरात क्राइम ब्रांच के अनुसार, लल्ला बिहारी के बेटे फतेह मोहम्मद से पूछताछ के दौरान पुलिस को लल्ला बिहारी से जुड़े 5 घरों के पते मिले हैं। लल्ला बिहारी इन पांच घरों में चार पत्नियों के साथ रहता था। सभी पांच घरों से कई बैंक खातों की जानकारी और बड़ी संख्या में बिल बुकें भी जब्त की गई हैं। दाणीलीमडा में नूर अहमदी सोसाइटी स्थित उसके एक घर से पैसे गिनने की मशीन और किराया रसीदों के सैकड़ों कट्टे भी बरामद किए गए हैं। —————————— यह खबर भी पढ़ें- मुस्कान-साहिल को नहीं मिली जमानत, फूट-फूटकर रोई:मेरठ कोर्ट ने कहा- दोनों ने जघन्य अपराध किया है, सरकारी वकील बोलीं- हम हाईकोर्ट जाएंगे पति सौरभ राजपूत की हत्या करने की आरोपी मुस्कान और उसके बॉयफ्रेंड साहिल शुक्ला को जमानत नहीं मिली है। इस पर मुस्कान रोने लगी। उनकी वकील रेखा जैन ने सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी। इसमें उन्होंने मुस्कान और साहिल को जमानत पर छोड़ने की अपील की थी। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी के लल्ला बिहारी ने गुजरात में बसाया मिनी बांग्लादेश:एक लाख में नागरिकता दिलवाता था; गांव वाले बोले- हमारे लिए वो फरिश्ता
