साइबर ठगों ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन के क्रेडिट कार्ड से 383 अमेरिकी डॉलर निकाल लिए। ट्रांजैक्शन मैसेज आने पर उन्हें धोखाधड़ी का पता चला। क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कराने के बाद आलोक रंजन ने गोमतीनगर थाने में केस दर्ज कराया है। क्रेडिट कार्ड के बिल को लेकर आया था कॉल
विवेकखंड में रहने वाले आलोक रंजन ने बताया- SBI के क्रेडिट कार्ड के बकाया बिल को लेकर 8 जुलाई की दोपहर करीब 12 बजे एक कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को SBI का कर्मचारी बताया। उसने कहा- आपके क्रेडिट कार्ड पर एक लाख नौ हजार रुपए बकाया है। साथ ही उसने कार्ड का नंबर बताया। बातों में उलझा कर 9 नंबर दबाने को कहा फोन करने वाले के नंबर गलत बताने पर मैंने टोक दिया। इस पर फोन करने वाले ने मोबाइल पर 9 नंबर दबाने के लिए कहा। उसकी बातों में आकर 9 नंबर दबा दिया। जिसके बाद कॉलर ने कहा कि आप बैंक में संपर्क कर लें और फोन कट गया। शाम 6.30 बजे मोबाइल पर ट्रांजैक्शन का मैसेज आया। खाते से 383 अमेरिकन डॉलर (लगभग 32 हजार रुपए) निकाले जाने की जानकारी थी। जिसके बाद SBI कस्टमर केयर पर फोन कर शिकायत की। वहीं मामले में पुलिस ने कहा कि साइबर ठगों ने पूर्व मुख्य सचिव के क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन खरीदारी की है। थाना पुलिस साइबर सेल की मदद से ठगों का पता लगा रही है। अब जानते हैं आलोक रंजन के बारे में… सपा ने राज्यसभा के लिए बनाया था प्रत्याशी मुख्य सचिव पद से रिटायर होने के बाद आलोक रंजन समाजवादी पार्टी से रणनीतिकार के तौर पर जुड़े हैं। उनकी गिनती अखिलेश यादव के खास लोगों में होती है। वे सरकार को घेरने की रणनीतियां, आंकड़ों का इकट्ठा करना, नीतियों के आधार पर सरकार को घेरने के लिए जानकारियां जुटाते हैं। 2022 के चुनाव में सपा का घोषणा पत्र भी आलोक रंजन ने ही तैयार किया था। जब अखिलेश ने इस घोषणापत्र को जारी किया था, तब वे उनके साथ मौजूद रहे थे। अखिलेश राज्यसभा चुनाव के लिए आलोक रंजन को प्रत्याशी भी बनाया था, लेकिन आलोक रंजन चुनाव हार गए। अब बताते हैं लखनऊ में हुई साइबर ठगी के मामले… दो दिन पहले कवि नरेश सक्सेना को किया था डिजिटल अरेस्ट लखनऊ में कवि नरेश सक्सेना को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया था। इस दौरान वो 1.30 घंटे तक घर के कमरे में बंद रहे। ठग उनसे कविता सुनते रहे और बैंक खातों की जानकारी लेते रहे। बहू को शक हुआ तो उसने पेपर पर फ्रॉड कॉल लिखकर ससुर को समझाने की कोशिश की। फिर कमरे में जाकर फोन छीन लिया। ठगों ने उसे भद्दी-भद्दी गालियां दीं। मामला लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के विवेकखंड का है। साइबर ठगी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान इस लिंक को भी पढ़ें… बीजेपी की सहयोगी पार्टी के विधायकों के खिलाफ वारंट:पेपर लीक मामले में बेदीराम और विपुल दुबे को 26 जुलाई तक कोर्ट में पेश होने का आदेश पेपर लीक और भर्ती घोटाला मामले में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक बेदी राम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। इस मामले में 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ भी मुकदमा चल रहा है। दोनों बीजेपी के सहयोगी दलों के विधायक हैं। पढ़ें पूरी खबर… साइबर ठगों ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन के क्रेडिट कार्ड से 383 अमेरिकी डॉलर निकाल लिए। ट्रांजैक्शन मैसेज आने पर उन्हें धोखाधड़ी का पता चला। क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कराने के बाद आलोक रंजन ने गोमतीनगर थाने में केस दर्ज कराया है। क्रेडिट कार्ड के बिल को लेकर आया था कॉल
विवेकखंड में रहने वाले आलोक रंजन ने बताया- SBI के क्रेडिट कार्ड के बकाया बिल को लेकर 8 जुलाई की दोपहर करीब 12 बजे एक कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को SBI का कर्मचारी बताया। उसने कहा- आपके क्रेडिट कार्ड पर एक लाख नौ हजार रुपए बकाया है। साथ ही उसने कार्ड का नंबर बताया। बातों में उलझा कर 9 नंबर दबाने को कहा फोन करने वाले के नंबर गलत बताने पर मैंने टोक दिया। इस पर फोन करने वाले ने मोबाइल पर 9 नंबर दबाने के लिए कहा। उसकी बातों में आकर 9 नंबर दबा दिया। जिसके बाद कॉलर ने कहा कि आप बैंक में संपर्क कर लें और फोन कट गया। शाम 6.30 बजे मोबाइल पर ट्रांजैक्शन का मैसेज आया। खाते से 383 अमेरिकन डॉलर (लगभग 32 हजार रुपए) निकाले जाने की जानकारी थी। जिसके बाद SBI कस्टमर केयर पर फोन कर शिकायत की। वहीं मामले में पुलिस ने कहा कि साइबर ठगों ने पूर्व मुख्य सचिव के क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन खरीदारी की है। थाना पुलिस साइबर सेल की मदद से ठगों का पता लगा रही है। अब जानते हैं आलोक रंजन के बारे में… सपा ने राज्यसभा के लिए बनाया था प्रत्याशी मुख्य सचिव पद से रिटायर होने के बाद आलोक रंजन समाजवादी पार्टी से रणनीतिकार के तौर पर जुड़े हैं। उनकी गिनती अखिलेश यादव के खास लोगों में होती है। वे सरकार को घेरने की रणनीतियां, आंकड़ों का इकट्ठा करना, नीतियों के आधार पर सरकार को घेरने के लिए जानकारियां जुटाते हैं। 2022 के चुनाव में सपा का घोषणा पत्र भी आलोक रंजन ने ही तैयार किया था। जब अखिलेश ने इस घोषणापत्र को जारी किया था, तब वे उनके साथ मौजूद रहे थे। अखिलेश राज्यसभा चुनाव के लिए आलोक रंजन को प्रत्याशी भी बनाया था, लेकिन आलोक रंजन चुनाव हार गए। अब बताते हैं लखनऊ में हुई साइबर ठगी के मामले… दो दिन पहले कवि नरेश सक्सेना को किया था डिजिटल अरेस्ट लखनऊ में कवि नरेश सक्सेना को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया था। इस दौरान वो 1.30 घंटे तक घर के कमरे में बंद रहे। ठग उनसे कविता सुनते रहे और बैंक खातों की जानकारी लेते रहे। बहू को शक हुआ तो उसने पेपर पर फ्रॉड कॉल लिखकर ससुर को समझाने की कोशिश की। फिर कमरे में जाकर फोन छीन लिया। ठगों ने उसे भद्दी-भद्दी गालियां दीं। मामला लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के विवेकखंड का है। साइबर ठगी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान इस लिंक को भी पढ़ें… बीजेपी की सहयोगी पार्टी के विधायकों के खिलाफ वारंट:पेपर लीक मामले में बेदीराम और विपुल दुबे को 26 जुलाई तक कोर्ट में पेश होने का आदेश पेपर लीक और भर्ती घोटाला मामले में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक बेदी राम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। इस मामले में 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ भी मुकदमा चल रहा है। दोनों बीजेपी के सहयोगी दलों के विधायक हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर