भाजपा पंचायत चुनाव- 2026 को विधानसभा चुनाव 2027 का सेमीफाइनल मानते हुए पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। हालांकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दलों ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर उसकी मुसीबत बढ़ा दी है। लेकिन, फिर भी भाजपा ने करीब 8 महीने पहले ही मास्टर प्लान बनाकर चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा विपक्षी दलों को कैसे मात देने की तैयारी कर रही है, विस्तार से पढ़िए… इन 4 रणनीति से लक्ष्य साधेगी भाजपा 1- राजनीतिक फायदे के हिसाब से होगा परिसीमन
भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि पार्टी जल्द पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू करने जा रही है। इसके लिए परिसीमन और मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्यक्रम अलग-अलग चलेगा। पार्टी मंडल और जिला स्तर पर इसके लिए टीम बनाएगी। यानी क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के वार्ड परिसीमन पर पार्टी की नजर है। पार्टी की रणनीति है कि परिसीमन इस तरह किया जाए, जो भाजपा प्रत्याशियों के लिए मुफीद हो। पार्टी ने परिसीमन के लिए जिला स्तर पर 4 और मंडल स्तर पर 3 सदस्यीय कमेटी बनाने का फैसला किया है। कमेटी के सदस्य पंचायत राज विभाग के अधिकारियों के साथ परिसीमन में सहयोग करेंगे। परिसीमन इस तरह किया जाएगा कि वार्ड में भाजपा समर्थित मतदाताओं की संख्या अधिक हो। जिससे भाजपा के अधिक से अधिक सदस्य चुनाव जीत सकें। 2- दस से 20 फीसदी मतदाता बढ़ाने का लक्ष्य
भाजपा ने पंचायत चुनाव में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की भी तैयारी शुरू की है। इसके लिए प्रदेश स्तर से नजर रखी जाएगी। मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए जिला और मंडल स्तर पर समिति बनाई जा रही है। वहीं, हर बूथ पर 10 से 20 फीसदी मतदाता बढ़ाने, फर्जी मतदाताओं के नाम हटवाने का लक्ष्य है। इसमें खासतौर पर भाजपा और आरएसएस समर्थित मतदाताओं के नाम ही सूची में शामिल कराने पर फोकस किया जाएगा। 3- ग्राम प्रधान तक का चुनाव लड़ाने की तैयारी
यूं तो ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव राजनीतिक सिंबल पर नहीं होता। लेकिन, भाजपा ने ग्राम प्रधान तक चुनाव में अपने कार्यकर्ताओं को उतारने की तैयारी की है। पार्टी किसी को सिंबल नहीं देगी। लेकिन जो भी कार्यकर्ता ग्राम प्रधान का चुनाव जीतेगा, उसे अपना संरक्षण अवश्य देगी। वह क्षेत्र में भाजपा के ग्राम प्रधान के रूप में पहचान रखेगा। पार्टी के नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव में मतदान कराने में ग्राम प्रधान की अहम भूमिका होती है। भाजपा के पास जितने अधिक ग्राम प्रधान होंगे, उतना ही आने वाले विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। 4- भाजपा तैयार करेगी नई लीडरशिप
भाजपा के एक नेता बताते हैं कि पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव पार्टी की नई लीडरशिप तैयार करने का सबसे अच्छा जरिया है। पार्टी क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर ऐसे युवाओं और महिलाओं को मौका देगी, जो आगे चलकर विधायक और सांसद उम्मीदवार बन सकें। अब जानिए भाजपा के रास्ते में रोड़ा क्या हैं? 1- सहयोगी दल बिगाड़ेंगे खेल
सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) ने पंचायत चुनाव अपने दम पर अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पूर्वांचल में एनडीए की ताकत अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा हैं। वहीं, पश्चिमी यूपी के ग्रामीण इलाकों में सहयोगी दल रालोद का प्रभाव है। ऐसे में पूर्वांचल और पश्चिम में सहयोगी दलों के प्रत्याशी खड़े होने से भाजपा की मुसीबत बढ़ेगी। खासतौर पर कुर्मी, राजभर, बिंद, निषाद, कश्यप, जाट समाज के वोट बैंक में नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं- भाजपा को 7-8 साल में मजबूती मिली है। उसकी वजह भाजपा का निचले स्तर पर संगठन मजबूत होना है। भाजपा हमेशा चुनावी मोड में रहती है। वह अपने नुकसान को रोकने के लिए क्षेत्रीय दलों को सीटें के बंटवारे के लिए तैयार कर सकती है। 2- पंचायत चुनाव सीधे हुआ तो होगा नुकसान
यूपी में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने की भी अटकलें चल रही हैं। पंचायत राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की बात कही है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य अमरपाल मौर्य ने भी राज्यसभा में इसकी मांग उठाई थी। मौर्य का कहना है कि केंद्र सरकार इस पर सहमत हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव सीधे कराया गया और एनडीए के घटक दल अपने दम पर चुनाव लड़े, तो भाजपा को नुकसान होगा। ऐसे में भाजपा सीटों का बंटवारा करने पर मजबूर होगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट का कहना है- भाजपा में 10 साल से चर्चा हो रही है कि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे कराया जाए। पंचायतों में अभी भी बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है। अगर भ्रष्टाचार को दूर करना और चुनाव को आसान बनाना है, तो सीधे चुनाव होना चाहिए। सदस्य चुनाव में हो गया था भाजपा को नुकसान
2021 में मार्च से मई के बीच कोविड-19 की दूसरी लहर उफान पर थी। उसी दौरान यूपी में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव हुए थे। सदस्यों के चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। जिला पंचायत सदस्य के 3050 वार्डों में से भाजपा के 543, सपा को 699, बसपा 357 और 1061 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी। क्षेत्र पंचायत सदस्यों में भी भाजपा 30 फीसदी वार्ड ही जीते थे। लेकिन उसके बाद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़ी संख्या में सपा, बसपा और निर्दलीय भाजपा के समर्थन में उतर गए थे। जनप्रतिनिधियों और नेताओं को भी पंचायत चुनाव का इंतजार
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा और सपा के जनप्रतिनिधियों और दोनों दलों के नेताओं को भी पंचायत चुनाव का इंतजार है। पंचायत चुनाव के जरिए जनप्रतिनिधि और नेता अपनी दूसरी पीढ़ी को राजनीति के मैदान में उतारना चाहते हैं। पिछले चुनाव में भी तत्कालीन ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मौजूदा पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह सहित कई विधायक, सांसद और मंत्रियों के परिजन ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। ———————– ये खबर भी पढ़ें… मधुमक्खी कांड- निरीक्षण करने या पिकनिक मनाने गए थे अफसर?, ललितपुर में कर्मचारियों ने कहा- जंगल में 150 छत्ते, मत जाइए; जानिए पूरी सच्चाई तारीख- 25 मई 2025, दिन- रविवार। 40-50 अफसर और कर्मचारियों की टीम ललितपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर देवगढ़ गांव पहुंची। अचानक मधुमक्खियों ने हमला बोल दिया। ADM नमामि गंगे राजेश श्रीवास्तव को 500 से ज्यादा डंक मारे। CDO कमलाकांत ने भागकर अपना मुंह मिट्टी में दबा लिया। अफसरों की चीख-पुकार सुनकर गांव वाले न पहुंचते, तो शायद जान भी चली जाती। ADM को आईसीयू में एडमिट कराना पड़ा। करीब 30 लोगों पर मधुमक्खियों ने हमला किया। पढ़ें पूरी खबर भाजपा पंचायत चुनाव- 2026 को विधानसभा चुनाव 2027 का सेमीफाइनल मानते हुए पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। हालांकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दलों ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर उसकी मुसीबत बढ़ा दी है। लेकिन, फिर भी भाजपा ने करीब 8 महीने पहले ही मास्टर प्लान बनाकर चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा विपक्षी दलों को कैसे मात देने की तैयारी कर रही है, विस्तार से पढ़िए… इन 4 रणनीति से लक्ष्य साधेगी भाजपा 1- राजनीतिक फायदे के हिसाब से होगा परिसीमन
भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि पार्टी जल्द पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू करने जा रही है। इसके लिए परिसीमन और मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्यक्रम अलग-अलग चलेगा। पार्टी मंडल और जिला स्तर पर इसके लिए टीम बनाएगी। यानी क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के वार्ड परिसीमन पर पार्टी की नजर है। पार्टी की रणनीति है कि परिसीमन इस तरह किया जाए, जो भाजपा प्रत्याशियों के लिए मुफीद हो। पार्टी ने परिसीमन के लिए जिला स्तर पर 4 और मंडल स्तर पर 3 सदस्यीय कमेटी बनाने का फैसला किया है। कमेटी के सदस्य पंचायत राज विभाग के अधिकारियों के साथ परिसीमन में सहयोग करेंगे। परिसीमन इस तरह किया जाएगा कि वार्ड में भाजपा समर्थित मतदाताओं की संख्या अधिक हो। जिससे भाजपा के अधिक से अधिक सदस्य चुनाव जीत सकें। 2- दस से 20 फीसदी मतदाता बढ़ाने का लक्ष्य
भाजपा ने पंचायत चुनाव में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की भी तैयारी शुरू की है। इसके लिए प्रदेश स्तर से नजर रखी जाएगी। मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए जिला और मंडल स्तर पर समिति बनाई जा रही है। वहीं, हर बूथ पर 10 से 20 फीसदी मतदाता बढ़ाने, फर्जी मतदाताओं के नाम हटवाने का लक्ष्य है। इसमें खासतौर पर भाजपा और आरएसएस समर्थित मतदाताओं के नाम ही सूची में शामिल कराने पर फोकस किया जाएगा। 3- ग्राम प्रधान तक का चुनाव लड़ाने की तैयारी
यूं तो ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव राजनीतिक सिंबल पर नहीं होता। लेकिन, भाजपा ने ग्राम प्रधान तक चुनाव में अपने कार्यकर्ताओं को उतारने की तैयारी की है। पार्टी किसी को सिंबल नहीं देगी। लेकिन जो भी कार्यकर्ता ग्राम प्रधान का चुनाव जीतेगा, उसे अपना संरक्षण अवश्य देगी। वह क्षेत्र में भाजपा के ग्राम प्रधान के रूप में पहचान रखेगा। पार्टी के नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव में मतदान कराने में ग्राम प्रधान की अहम भूमिका होती है। भाजपा के पास जितने अधिक ग्राम प्रधान होंगे, उतना ही आने वाले विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। 4- भाजपा तैयार करेगी नई लीडरशिप
भाजपा के एक नेता बताते हैं कि पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव पार्टी की नई लीडरशिप तैयार करने का सबसे अच्छा जरिया है। पार्टी क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर ऐसे युवाओं और महिलाओं को मौका देगी, जो आगे चलकर विधायक और सांसद उम्मीदवार बन सकें। अब जानिए भाजपा के रास्ते में रोड़ा क्या हैं? 1- सहयोगी दल बिगाड़ेंगे खेल
सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) ने पंचायत चुनाव अपने दम पर अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पूर्वांचल में एनडीए की ताकत अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा हैं। वहीं, पश्चिमी यूपी के ग्रामीण इलाकों में सहयोगी दल रालोद का प्रभाव है। ऐसे में पूर्वांचल और पश्चिम में सहयोगी दलों के प्रत्याशी खड़े होने से भाजपा की मुसीबत बढ़ेगी। खासतौर पर कुर्मी, राजभर, बिंद, निषाद, कश्यप, जाट समाज के वोट बैंक में नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं- भाजपा को 7-8 साल में मजबूती मिली है। उसकी वजह भाजपा का निचले स्तर पर संगठन मजबूत होना है। भाजपा हमेशा चुनावी मोड में रहती है। वह अपने नुकसान को रोकने के लिए क्षेत्रीय दलों को सीटें के बंटवारे के लिए तैयार कर सकती है। 2- पंचायत चुनाव सीधे हुआ तो होगा नुकसान
यूपी में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने की भी अटकलें चल रही हैं। पंचायत राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की बात कही है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य अमरपाल मौर्य ने भी राज्यसभा में इसकी मांग उठाई थी। मौर्य का कहना है कि केंद्र सरकार इस पर सहमत हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव सीधे कराया गया और एनडीए के घटक दल अपने दम पर चुनाव लड़े, तो भाजपा को नुकसान होगा। ऐसे में भाजपा सीटों का बंटवारा करने पर मजबूर होगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट का कहना है- भाजपा में 10 साल से चर्चा हो रही है कि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे कराया जाए। पंचायतों में अभी भी बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है। अगर भ्रष्टाचार को दूर करना और चुनाव को आसान बनाना है, तो सीधे चुनाव होना चाहिए। सदस्य चुनाव में हो गया था भाजपा को नुकसान
2021 में मार्च से मई के बीच कोविड-19 की दूसरी लहर उफान पर थी। उसी दौरान यूपी में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव हुए थे। सदस्यों के चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। जिला पंचायत सदस्य के 3050 वार्डों में से भाजपा के 543, सपा को 699, बसपा 357 और 1061 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी। क्षेत्र पंचायत सदस्यों में भी भाजपा 30 फीसदी वार्ड ही जीते थे। लेकिन उसके बाद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़ी संख्या में सपा, बसपा और निर्दलीय भाजपा के समर्थन में उतर गए थे। जनप्रतिनिधियों और नेताओं को भी पंचायत चुनाव का इंतजार
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा और सपा के जनप्रतिनिधियों और दोनों दलों के नेताओं को भी पंचायत चुनाव का इंतजार है। पंचायत चुनाव के जरिए जनप्रतिनिधि और नेता अपनी दूसरी पीढ़ी को राजनीति के मैदान में उतारना चाहते हैं। पिछले चुनाव में भी तत्कालीन ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मौजूदा पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह सहित कई विधायक, सांसद और मंत्रियों के परिजन ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। ———————– ये खबर भी पढ़ें… मधुमक्खी कांड- निरीक्षण करने या पिकनिक मनाने गए थे अफसर?, ललितपुर में कर्मचारियों ने कहा- जंगल में 150 छत्ते, मत जाइए; जानिए पूरी सच्चाई तारीख- 25 मई 2025, दिन- रविवार। 40-50 अफसर और कर्मचारियों की टीम ललितपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर देवगढ़ गांव पहुंची। अचानक मधुमक्खियों ने हमला बोल दिया। ADM नमामि गंगे राजेश श्रीवास्तव को 500 से ज्यादा डंक मारे। CDO कमलाकांत ने भागकर अपना मुंह मिट्टी में दबा लिया। अफसरों की चीख-पुकार सुनकर गांव वाले न पहुंचते, तो शायद जान भी चली जाती। ADM को आईसीयू में एडमिट कराना पड़ा। करीब 30 लोगों पर मधुमक्खियों ने हमला किया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी पंचायत चुनाव के लिए भाजपा का मास्टर प्लान:4 रणनीति से देगी विरोधियों को मात, सहयोगी दल बिगाड़ सकते हैं खेल
