यूपी में भाजपा के 46% हारे सांसद बोले-भितरघात हुआ:आधे ने माना जातिवाद, आरक्षण का भ्रम था; केवल एक सांसद को दिखी खुद में कमी

यूपी में भाजपा के 46% हारे सांसद बोले-भितरघात हुआ:आधे ने माना जातिवाद, आरक्षण का भ्रम था; केवल एक सांसद को दिखी खुद में कमी

शिखंडी ने इस बार भी छिपकर वार किया। हम हार गए हैं। लोकसभा चुनाव में जो जयचंद की भूमिका में रहे, उनके खिलाफ पार्टी कार्रवाई करेगी। सोमवार को यह बात मुजफ्फरनगर से चुनाव हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। यह दर्द सिर्फ बालियान का नहीं, चुनाव हारे भाजपा के 46% सांसदों का है। यूपी में सपा-कांग्रेस के जीतने से ज्यादा भाजपा के हार की चर्चा है। 2019 में 62 सीट जीतने वाली भाजपा 2024 में 33 सीटों पर सिमट गई। 29 सीटें हार गई। इनमें से 26 सिटिंग सांसद शामिल हैं। दैनिक भास्कर ने हारे हुए सभी सिटिंग सांसदों को फोन कॉल किया। इनमें 13 यानी 50% ने अपनी हार के कारण बताए। भाजपा के इन सांसदों में से 46% ने कहा है कि भितरघात की वजह से हारे हैं। इशारा साफ था- लोकल लेवल पर भाजपा नेताओं में खींचतान मची थी। स्थानीय स्तर पर नेता पार्टी छोड़, व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने में लगे रहे। इसकी वजह से भाजपा हार गई। वहीं, जातिगत समीकरण, जिसमें संविधान और आरक्षण का मुद्दा शामिल है, को हार की वजह मानने वाले में भी 46% सांसद हैं। एक हारे सांसद ने माना है कि खुद में कमी रही होगी, इसलिए हारे हैं। समीक्षा कर रहे हैं। हमने तीन सवाल पूछे… पहला सवाल- क्या भितरघात की वजह से हारे?
दूसरा सवाल- क्या जातिगत समीकरण की वजह से हारे?
तीसरा सवाल- कोई अन्य कारण जिस वजह से हारे पढ़िए हारे हुए सांसदों ने अपनी हार के क्या कारण बताए… कारण क्या बताया : भोलानाथ बीपी सरोज ने बताया- चुनाव हारने का मुख्य कारण आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर विपक्ष का झूठ है। इसकी वजह से ध्रुवीकरण हो गया। नतीजा, विपक्ष जीत गया। भाजपा कई सीटें इस वजह से ही हार गई है। कारण क्या बताया : संगमलाल गुप्ता ने बताया- हमसे जातिगत समीकरण साधने में भूल हो गई। चुनाव में आरक्षण और संविधान का मुद्दा उछलने से जातिगत समीकरण बिगड़ गए। इस वजह से हम सीट हार गए। कारण क्या बताया : भानु प्रताप वर्मा ने बताया- इंडी गठबंधन ने संविधान और आरक्षण पर भ्रम फैलाया। इस वजह से बसपा प्रत्याशी को उसका वोट पिछले चुनाव की तुलना में कम मिला। इसका फायदा विपक्ष को हुआ। साथ ही इंडी गठबंधन ने झूठे वादे कर लोगों को प्रलोभन दिया। एक वजह भीषण गर्मी भी रही। बुंदेलखंड में गर्मी की वजह से भाजपा का वोटर घर से नहीं निकला। यही वजह रही कि जालौन में पिछली बार से 2.5% वोट कम मिले और हार हुई। कारण क्या बताया : रामशंकर कठेरिया ने कहा- पूरे चुनाव में विपक्ष ने भाजपा के खिलाफ संविधान और आरक्षण विरोधी अभियान चलाया। इसका असर इटावा लोकसभा सीट पर पड़ा। इस वजह से हम हार गए। कारण क्या बताया : रविंद्र कुशवाहा का कहना है- विपक्ष ने पूरे चुनाव में संविधान और आरक्षण पर मतदाताओं में भ्रम फैलाया। उन्होंने कहा कि भाजपा की अगर 400 सीटें आ गई तो वह संविधान बदल देंगे। इस कारण से हम अपनी सीट हार गए। कारण क्या बताया : मेनका गांधी ने कहा- हम पूरा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ रहे थे। अंतिम समय में चुनाव जातिगत मुद्दों की ओर चला गया। जिसका प्रभाव चुनाव पर पड़ा। इन हारे सांसदों ने भितरघात की बात कही… कारण क्या बताया : संजीव बालियान ने बताया- हार की वजह मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण और हिंदुओं का जातियों में बंट जाना रहा। हिंदुओं का वोट भी अपेक्षित अंदाज में नहीं पड़ा। शिखंडी ने इस बार भी छिपकर वार किया। हम हार गए हैं, इसके लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। कारण क्या बताया : साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा- चुनाव 4.5 लाख से ज्यादा वोट मिला। इसका मतलब है जनता का आशीर्वाद हमारे साथ था, लेकिन कुछ अपने ही लोगों ने भितरघात किया। इसकी वजह से हम चुनाव हार गए। इनकी शिकायत आलाकमान से की जाएगी। कारण क्या बताया : राजवीर सिंह ने बताया- स्थानीय स्तर पर भितरघात की वजह से हम हारे। इसकी समीक्षा की जा रही है। इसकी रिपोर्ट ऊपर भी भेजी जाएगी। जिन लोगों ने पार्टी के खिलाफ काम किया है, पार्टी उनके ऊपर कार्रवाई करेगी। कारण क्या बताया : आरके सिंह पटेल बोले- हम भितरघात की वजह से चुनाव हार गए। हमने जिनके ऊपर भरोसा किया, उन लोगों ने ही हमें हरवाया। हम हार की समीक्षा कर रहे हैं। कारण क्या बताया : प्रदीप कुमार ने बताया- संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष ने मतदाताओं को बरगला दिया। इससे कैराना के जातिगत समीकरण बदल गए। जो हमारे वोटर थे, वह दूसरी ओर चले गए। इसके साथ ही हमारे साथ भितरघात भी हुआ है। इसका असर हमारे चुनाव पर पड़ा। इसकी समीक्षा की जा रही है। पार्टी दोषियों पर कार्रवाई करेगी। कारण क्या बताया : ​​​​​​​चुनाव के बीच में जब क्षेत्र में विजिट करता था और लोगों से मिल रहा था तो एक बात का अंदाजा हो रहा था कि आरक्षण बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। लोगों को ऐसा लगता था कि हमारा आरक्षण खत्म हो जाएगा। विपक्ष के संविधान बदलने के बरगलाने वाले बयान से लोगों ने खुद को जोड़ लिया। इसी बात से नाराजगी ज्यादा बढ़ गई। इधर कुछ भितरघात भी दिखाई दिया, जिसका असर ग्रामीण क्षेत्र की वोटिंग में पड़ा। सिर्फ एक हारे सांसद ने माना, खुद में कमी कारण क्या बताया : ​​​​​​​हरीश द्विवेदी ने बताया- मुझसे ही कोई कमी हुई होगी, जिसकी वजह से हम हार गए। हार की समीक्षा की जा रही है, जो भी कमियां निकलेंगी उसे हम दूर करने की कोशिश करेंगे। भाजपा के 26 में से 13 सीटिंग सांसदों ने दिया जवाब
इस बार हारे 26 सांसदों में भाजपा के 24 सांसद 2019 में जीते थे। आजमगढ़ में अखिलेश यादव के सीट छोड़ने के बाद चुनाव जीतने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ 2022 में चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। अंबेडकरनगर से रितेश पांडेय को भाजपा ने अबकी बार टिकट दिया। 2019 में रितेश पांडेय बसपा से सांसद थे। हमने हर सांसद से बात करने के लिए कॉल किया, 13 सांसदों ने हार के कारण बताए। हार के बाद 5 सिटिंग सांसदों का फोन नहीं उठा। तीन ने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि 6 हारे सांसदों का फोन बंद रहा। भाजपा के अंदर उठ रही आवाज
यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी के भीतर जीते और हारे उम्मीदवारों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। सभी ने अब पार्टी के नेताओं पर ही ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है। उन्नाव से लगातार तीसरी बार जीते साक्षी महाराज की जीत का अंतर काफी कम हो गया। इस पर साक्षी महाराज ने कहा- कुछ तो कमियां रही होंगी। मैं कल्याण सिंह के समय से राजनीति कर रहा हूं। यूपी की 80 सीटों पर आना-जाना रहा है। कुछ गद्दारों ने गद्दारी की। जो आस्तीन के सांप बने, उनके लिए पार्टी समीक्षा करेगी। फतेहपुर से चुनाव हार चुकीं केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने भी पार्टी के भीतर के कुछ लोगों के भितरघात करने का दावा किया है। उन्होंने भितरघात को ही अपनी हार का जिम्मेदार बताया। सहारनपुर से चुनाव हारे राघव लखनपाल का मानना है, 400 पार के नारे का उल्टा असर पड़ा। साथ ही दलितों ने भाजपा के खिलाफ वोट किया। भाजपा के जीते और हारे उम्मीदवारों की कुछ इसी तरह की रिपोर्ट मुख्यालय में पहुंची हैं। भाजपा में भी अब इसकी समीक्षा करने की बात कही जा रही है। शिखंडी ने इस बार भी छिपकर वार किया। हम हार गए हैं। लोकसभा चुनाव में जो जयचंद की भूमिका में रहे, उनके खिलाफ पार्टी कार्रवाई करेगी। सोमवार को यह बात मुजफ्फरनगर से चुनाव हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। यह दर्द सिर्फ बालियान का नहीं, चुनाव हारे भाजपा के 46% सांसदों का है। यूपी में सपा-कांग्रेस के जीतने से ज्यादा भाजपा के हार की चर्चा है। 2019 में 62 सीट जीतने वाली भाजपा 2024 में 33 सीटों पर सिमट गई। 29 सीटें हार गई। इनमें से 26 सिटिंग सांसद शामिल हैं। दैनिक भास्कर ने हारे हुए सभी सिटिंग सांसदों को फोन कॉल किया। इनमें 13 यानी 50% ने अपनी हार के कारण बताए। भाजपा के इन सांसदों में से 46% ने कहा है कि भितरघात की वजह से हारे हैं। इशारा साफ था- लोकल लेवल पर भाजपा नेताओं में खींचतान मची थी। स्थानीय स्तर पर नेता पार्टी छोड़, व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने में लगे रहे। इसकी वजह से भाजपा हार गई। वहीं, जातिगत समीकरण, जिसमें संविधान और आरक्षण का मुद्दा शामिल है, को हार की वजह मानने वाले में भी 46% सांसद हैं। एक हारे सांसद ने माना है कि खुद में कमी रही होगी, इसलिए हारे हैं। समीक्षा कर रहे हैं। हमने तीन सवाल पूछे… पहला सवाल- क्या भितरघात की वजह से हारे?
दूसरा सवाल- क्या जातिगत समीकरण की वजह से हारे?
तीसरा सवाल- कोई अन्य कारण जिस वजह से हारे पढ़िए हारे हुए सांसदों ने अपनी हार के क्या कारण बताए… कारण क्या बताया : भोलानाथ बीपी सरोज ने बताया- चुनाव हारने का मुख्य कारण आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर विपक्ष का झूठ है। इसकी वजह से ध्रुवीकरण हो गया। नतीजा, विपक्ष जीत गया। भाजपा कई सीटें इस वजह से ही हार गई है। कारण क्या बताया : संगमलाल गुप्ता ने बताया- हमसे जातिगत समीकरण साधने में भूल हो गई। चुनाव में आरक्षण और संविधान का मुद्दा उछलने से जातिगत समीकरण बिगड़ गए। इस वजह से हम सीट हार गए। कारण क्या बताया : भानु प्रताप वर्मा ने बताया- इंडी गठबंधन ने संविधान और आरक्षण पर भ्रम फैलाया। इस वजह से बसपा प्रत्याशी को उसका वोट पिछले चुनाव की तुलना में कम मिला। इसका फायदा विपक्ष को हुआ। साथ ही इंडी गठबंधन ने झूठे वादे कर लोगों को प्रलोभन दिया। एक वजह भीषण गर्मी भी रही। बुंदेलखंड में गर्मी की वजह से भाजपा का वोटर घर से नहीं निकला। यही वजह रही कि जालौन में पिछली बार से 2.5% वोट कम मिले और हार हुई। कारण क्या बताया : रामशंकर कठेरिया ने कहा- पूरे चुनाव में विपक्ष ने भाजपा के खिलाफ संविधान और आरक्षण विरोधी अभियान चलाया। इसका असर इटावा लोकसभा सीट पर पड़ा। इस वजह से हम हार गए। कारण क्या बताया : रविंद्र कुशवाहा का कहना है- विपक्ष ने पूरे चुनाव में संविधान और आरक्षण पर मतदाताओं में भ्रम फैलाया। उन्होंने कहा कि भाजपा की अगर 400 सीटें आ गई तो वह संविधान बदल देंगे। इस कारण से हम अपनी सीट हार गए। कारण क्या बताया : मेनका गांधी ने कहा- हम पूरा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ रहे थे। अंतिम समय में चुनाव जातिगत मुद्दों की ओर चला गया। जिसका प्रभाव चुनाव पर पड़ा। इन हारे सांसदों ने भितरघात की बात कही… कारण क्या बताया : संजीव बालियान ने बताया- हार की वजह मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण और हिंदुओं का जातियों में बंट जाना रहा। हिंदुओं का वोट भी अपेक्षित अंदाज में नहीं पड़ा। शिखंडी ने इस बार भी छिपकर वार किया। हम हार गए हैं, इसके लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। कारण क्या बताया : साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा- चुनाव 4.5 लाख से ज्यादा वोट मिला। इसका मतलब है जनता का आशीर्वाद हमारे साथ था, लेकिन कुछ अपने ही लोगों ने भितरघात किया। इसकी वजह से हम चुनाव हार गए। इनकी शिकायत आलाकमान से की जाएगी। कारण क्या बताया : राजवीर सिंह ने बताया- स्थानीय स्तर पर भितरघात की वजह से हम हारे। इसकी समीक्षा की जा रही है। इसकी रिपोर्ट ऊपर भी भेजी जाएगी। जिन लोगों ने पार्टी के खिलाफ काम किया है, पार्टी उनके ऊपर कार्रवाई करेगी। कारण क्या बताया : आरके सिंह पटेल बोले- हम भितरघात की वजह से चुनाव हार गए। हमने जिनके ऊपर भरोसा किया, उन लोगों ने ही हमें हरवाया। हम हार की समीक्षा कर रहे हैं। कारण क्या बताया : प्रदीप कुमार ने बताया- संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष ने मतदाताओं को बरगला दिया। इससे कैराना के जातिगत समीकरण बदल गए। जो हमारे वोटर थे, वह दूसरी ओर चले गए। इसके साथ ही हमारे साथ भितरघात भी हुआ है। इसका असर हमारे चुनाव पर पड़ा। इसकी समीक्षा की जा रही है। पार्टी दोषियों पर कार्रवाई करेगी। कारण क्या बताया : ​​​​​​​चुनाव के बीच में जब क्षेत्र में विजिट करता था और लोगों से मिल रहा था तो एक बात का अंदाजा हो रहा था कि आरक्षण बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। लोगों को ऐसा लगता था कि हमारा आरक्षण खत्म हो जाएगा। विपक्ष के संविधान बदलने के बरगलाने वाले बयान से लोगों ने खुद को जोड़ लिया। इसी बात से नाराजगी ज्यादा बढ़ गई। इधर कुछ भितरघात भी दिखाई दिया, जिसका असर ग्रामीण क्षेत्र की वोटिंग में पड़ा। सिर्फ एक हारे सांसद ने माना, खुद में कमी कारण क्या बताया : ​​​​​​​हरीश द्विवेदी ने बताया- मुझसे ही कोई कमी हुई होगी, जिसकी वजह से हम हार गए। हार की समीक्षा की जा रही है, जो भी कमियां निकलेंगी उसे हम दूर करने की कोशिश करेंगे। भाजपा के 26 में से 13 सीटिंग सांसदों ने दिया जवाब
इस बार हारे 26 सांसदों में भाजपा के 24 सांसद 2019 में जीते थे। आजमगढ़ में अखिलेश यादव के सीट छोड़ने के बाद चुनाव जीतने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ 2022 में चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। अंबेडकरनगर से रितेश पांडेय को भाजपा ने अबकी बार टिकट दिया। 2019 में रितेश पांडेय बसपा से सांसद थे। हमने हर सांसद से बात करने के लिए कॉल किया, 13 सांसदों ने हार के कारण बताए। हार के बाद 5 सिटिंग सांसदों का फोन नहीं उठा। तीन ने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि 6 हारे सांसदों का फोन बंद रहा। भाजपा के अंदर उठ रही आवाज
यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी के भीतर जीते और हारे उम्मीदवारों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। सभी ने अब पार्टी के नेताओं पर ही ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है। उन्नाव से लगातार तीसरी बार जीते साक्षी महाराज की जीत का अंतर काफी कम हो गया। इस पर साक्षी महाराज ने कहा- कुछ तो कमियां रही होंगी। मैं कल्याण सिंह के समय से राजनीति कर रहा हूं। यूपी की 80 सीटों पर आना-जाना रहा है। कुछ गद्दारों ने गद्दारी की। जो आस्तीन के सांप बने, उनके लिए पार्टी समीक्षा करेगी। फतेहपुर से चुनाव हार चुकीं केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने भी पार्टी के भीतर के कुछ लोगों के भितरघात करने का दावा किया है। उन्होंने भितरघात को ही अपनी हार का जिम्मेदार बताया। सहारनपुर से चुनाव हारे राघव लखनपाल का मानना है, 400 पार के नारे का उल्टा असर पड़ा। साथ ही दलितों ने भाजपा के खिलाफ वोट किया। भाजपा के जीते और हारे उम्मीदवारों की कुछ इसी तरह की रिपोर्ट मुख्यालय में पहुंची हैं। भाजपा में भी अब इसकी समीक्षा करने की बात कही जा रही है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर