यूपी में सिपाहियों को जनवरी में मिलेगी नौकरी..ट्रेनिंग में देरी:प्रशिक्षण के लिए ढाई गुना की गई क्षमता; फिर भी करनी पड़ेगी अलग से व्यवस्था

यूपी में सिपाहियों को जनवरी में मिलेगी नौकरी..ट्रेनिंग में देरी:प्रशिक्षण के लिए ढाई गुना की गई क्षमता; फिर भी करनी पड़ेगी अलग से व्यवस्था

उत्तर प्रदेश में चल रही 60,244 सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा का रिजल्ट अक्टूबर तक आ सकता है। दो से ढाई महीने में फिजिकल टेस्ट और उसके बाद कटऑफ जारी होने की उम्मीद है। यानी जनवरी तक भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सकती है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ट्रेनिंग की है। सिपाहियों की ट्रेनिंग कब शुरू होगी और फील्ड में तैनाती कब मिलेगी? कहां दिक्कत आ रही? सरकार की क्या तैयारी है? पढ़िए सिलसिलेवार… उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए सीमित संसाधन हैं। प्रदेश में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए कुल 11 संस्थान हैं। इसके अलावा 31 रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर और 62 अस्थाई इकाइयां हैं, जहां ट्रेनिंग होती हैं। सभी को मिलाकर 13,220 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने की क्षमता है। इनकी क्षमता बढ़ाकर ढाई गुना की जा रही है। फिर भी बड़ी संख्या में प्रशिक्षण के लिए दूसरे ट्रेनिंग सेंटर और अस्थाई ट्रेनिंग सेंटर की मदद लेनी पड़ेगी। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण के लिए उसी अनुपात में अन्य संसाधनों की भी जरूरत होती है। मसलन स्मार्ट क्लास की व्यवस्था, रहने, खाने-पीने की व्यवस्था, प्रशिक्षकों की व्यवस्था करनी होती है। पुलिस महकमे में अलग-अलग पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग टाइम निर्धारित है। इसमें सीओ के लिए 12 महीने, कमांडेंट होमगार्ड के लिए 9 महीने, सहायक अभियोजन अधिकारी के लिए 3 महीने, उपनिरीक्षक सीधी भर्ती, प्लाटून कमांडर के लिए 12-12 महीने, गोपनीय सहायक लिपिक के लिए 6 महीने, सहायक लिपिक, सहायक लेखा लिपिक, मुख्य आरक्षी कंप्यूटर ऑपरेटर, आरक्षी नागरिक पुलिस और आरक्षी पीएसी के लिए 6-6 महीने का प्रशिक्षण निर्धारित है। यानी जो सिपाहियों की भर्ती प्रकिया चल रही है, उसमें 6 महीने का प्रशिक्षण होगा। एक साल से चल रही सिपाही भर्ती प्रक्रिया
मौजूदा भर्ती प्रक्रिया पिछले एक साल से चल रही है। सिपाही के 60,244 पदों के लिए विज्ञप्ति अक्टूबर, 2023 में निकली थी। इसी साल फरवरी में परीक्षा हुई। लेकिन पेपर लीक होने के कारण परीक्षा दोबारा करानी पड़ी। अगस्त में इसकी परीक्षा संपन्न हुई। अब संबंधित एजेंसी पहले कटऑफ जारी करेगी। इसके बाद डीवी-पीएसटी होगी। डीवी-पीएसटी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंतिम परिणाम घोषित होंगे। फिर प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू होगी। अधिकारियों का मानना है कि कटऑफ जारी होने के बाद डीवी-पीएसटी का काम पूरा होने में कम से कम दो से तीन महीने का समय और लगेगा। दिक्कत क्या आ रही?
जमीनी हकीकत यह है कि जिन प्रशिक्षण केंद्रों पर क्षमता बढ़ाई जा रही है, वहां फिलहाल कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। जिसे पूरा होने में कम से कम 6 महीने का समय और लगेगा। क्षमता भी 38 हजार रहेगी। ऐसे में या तो सिपाहियों का प्रशिक्षण दूसरे राज्यों और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के ट्रेनिंग सेंटरों में कराई जाए या फिर यह प्रशिक्षण दो बार में कराया जाए। ये तीन संभावानाएं बन रहीं 1- 60 हजार पुलिसकर्मियों को एक बार में प्रशिक्षण दे पाना राज्य में उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए फिलहाल संभव नहीं लगता। मुमकिन है, इसे दो चरणों में कराया जाए। 2- दूसरे राज्यों और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के प्रशिक्षण केंद्रों की मदद ली गई, तो एक बार में भी सभी पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। 3- अस्थाई प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाकर प्रदेश में सभी पुलिसकर्मियों को एक बार में प्रशिक्षित किया जाए। इसके लिए तीन महीने में पूरी तैयारी करनी होगी, जो मुश्किल होगी। सरकार की क्या है तैयारी?
प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार बताते हैं- हमने प्रशिक्षण की क्षमता को ढाई गुना तक बढ़ाया है। अब हमारे प्रशिक्षण केंद्रों पर 38 हजार पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने की क्षमता है। इसके अलावा हम अपने पीएसी और अन्य केंद्रों पर सब्सिडरी बेस पर प्रशिक्षण कराएंगे। हमारी पहली कोशिश होगी कि सभी पुलिसकर्मियों को एक साथ प्रशिक्षण दिया जाए। अभी पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी। कटऑफ लिस्ट आने के बाद कागजों की जांच और शारीरिक परीक्षण होगा। उसके बाद प्रशिक्षण का नंबर आएगा। तब तक उम्मीद की जा सकती है कि बाकी 22 हजार पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए भी हम लोग इंतजाम पूरा कर लेंगे। यानी सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो 2024 के अंत तक यह सभी 60 हजार पुलिसकर्मी व्यावहारिक प्रशिक्षण पूरा कर फील्ड में आ जाएंगे। प्रशिक्षकों के लिए चलाया जा रहा अलग कोर्स
प्रशिक्षण विभाग के एक अधिकारी ने बताया- पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से कोर्स कराया जाता है। ताकि समय-समय पर पड़ने वाली जरूरत पर उनका इस्तेमाल किया जा सके। प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू होने पर इनको अस्थाई रूप से संबंधित प्रशिक्षण केंद्रों पर तैनाती दी जाती है। पिछली बार दूसरे राज्यों और अर्धसैनिक बलों से लेनी पड़ी थी मदद
2018 में निकली 49,568 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओड़िशा, महाराष्ट्र, राजस्थान के अलावा बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, आरएएफ के प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रशिक्षण दिलाया गया था। ये भी पढ़ें… दिसंबर में सिपाही भर्ती का रिजल्ट…6 महीने में नौकरी; जनवरी में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट यूपी सिपाही के लिए 60 हजार 244 पदों पर भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट दिसंबर के अंत तक आ जाएगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 6 महीने का समय लगेगा। बोर्ड परीक्षा की आंसर-की इसी हफ्ते वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जनवरी तक डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट होगा। पूरी खबर पढ़ें… उत्तर प्रदेश में चल रही 60,244 सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा का रिजल्ट अक्टूबर तक आ सकता है। दो से ढाई महीने में फिजिकल टेस्ट और उसके बाद कटऑफ जारी होने की उम्मीद है। यानी जनवरी तक भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सकती है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ट्रेनिंग की है। सिपाहियों की ट्रेनिंग कब शुरू होगी और फील्ड में तैनाती कब मिलेगी? कहां दिक्कत आ रही? सरकार की क्या तैयारी है? पढ़िए सिलसिलेवार… उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए सीमित संसाधन हैं। प्रदेश में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए कुल 11 संस्थान हैं। इसके अलावा 31 रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर और 62 अस्थाई इकाइयां हैं, जहां ट्रेनिंग होती हैं। सभी को मिलाकर 13,220 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने की क्षमता है। इनकी क्षमता बढ़ाकर ढाई गुना की जा रही है। फिर भी बड़ी संख्या में प्रशिक्षण के लिए दूसरे ट्रेनिंग सेंटर और अस्थाई ट्रेनिंग सेंटर की मदद लेनी पड़ेगी। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण के लिए उसी अनुपात में अन्य संसाधनों की भी जरूरत होती है। मसलन स्मार्ट क्लास की व्यवस्था, रहने, खाने-पीने की व्यवस्था, प्रशिक्षकों की व्यवस्था करनी होती है। पुलिस महकमे में अलग-अलग पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग टाइम निर्धारित है। इसमें सीओ के लिए 12 महीने, कमांडेंट होमगार्ड के लिए 9 महीने, सहायक अभियोजन अधिकारी के लिए 3 महीने, उपनिरीक्षक सीधी भर्ती, प्लाटून कमांडर के लिए 12-12 महीने, गोपनीय सहायक लिपिक के लिए 6 महीने, सहायक लिपिक, सहायक लेखा लिपिक, मुख्य आरक्षी कंप्यूटर ऑपरेटर, आरक्षी नागरिक पुलिस और आरक्षी पीएसी के लिए 6-6 महीने का प्रशिक्षण निर्धारित है। यानी जो सिपाहियों की भर्ती प्रकिया चल रही है, उसमें 6 महीने का प्रशिक्षण होगा। एक साल से चल रही सिपाही भर्ती प्रक्रिया
मौजूदा भर्ती प्रक्रिया पिछले एक साल से चल रही है। सिपाही के 60,244 पदों के लिए विज्ञप्ति अक्टूबर, 2023 में निकली थी। इसी साल फरवरी में परीक्षा हुई। लेकिन पेपर लीक होने के कारण परीक्षा दोबारा करानी पड़ी। अगस्त में इसकी परीक्षा संपन्न हुई। अब संबंधित एजेंसी पहले कटऑफ जारी करेगी। इसके बाद डीवी-पीएसटी होगी। डीवी-पीएसटी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंतिम परिणाम घोषित होंगे। फिर प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू होगी। अधिकारियों का मानना है कि कटऑफ जारी होने के बाद डीवी-पीएसटी का काम पूरा होने में कम से कम दो से तीन महीने का समय और लगेगा। दिक्कत क्या आ रही?
जमीनी हकीकत यह है कि जिन प्रशिक्षण केंद्रों पर क्षमता बढ़ाई जा रही है, वहां फिलहाल कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। जिसे पूरा होने में कम से कम 6 महीने का समय और लगेगा। क्षमता भी 38 हजार रहेगी। ऐसे में या तो सिपाहियों का प्रशिक्षण दूसरे राज्यों और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के ट्रेनिंग सेंटरों में कराई जाए या फिर यह प्रशिक्षण दो बार में कराया जाए। ये तीन संभावानाएं बन रहीं 1- 60 हजार पुलिसकर्मियों को एक बार में प्रशिक्षण दे पाना राज्य में उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए फिलहाल संभव नहीं लगता। मुमकिन है, इसे दो चरणों में कराया जाए। 2- दूसरे राज्यों और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के प्रशिक्षण केंद्रों की मदद ली गई, तो एक बार में भी सभी पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। 3- अस्थाई प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाकर प्रदेश में सभी पुलिसकर्मियों को एक बार में प्रशिक्षित किया जाए। इसके लिए तीन महीने में पूरी तैयारी करनी होगी, जो मुश्किल होगी। सरकार की क्या है तैयारी?
प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार बताते हैं- हमने प्रशिक्षण की क्षमता को ढाई गुना तक बढ़ाया है। अब हमारे प्रशिक्षण केंद्रों पर 38 हजार पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने की क्षमता है। इसके अलावा हम अपने पीएसी और अन्य केंद्रों पर सब्सिडरी बेस पर प्रशिक्षण कराएंगे। हमारी पहली कोशिश होगी कि सभी पुलिसकर्मियों को एक साथ प्रशिक्षण दिया जाए। अभी पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी। कटऑफ लिस्ट आने के बाद कागजों की जांच और शारीरिक परीक्षण होगा। उसके बाद प्रशिक्षण का नंबर आएगा। तब तक उम्मीद की जा सकती है कि बाकी 22 हजार पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए भी हम लोग इंतजाम पूरा कर लेंगे। यानी सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो 2024 के अंत तक यह सभी 60 हजार पुलिसकर्मी व्यावहारिक प्रशिक्षण पूरा कर फील्ड में आ जाएंगे। प्रशिक्षकों के लिए चलाया जा रहा अलग कोर्स
प्रशिक्षण विभाग के एक अधिकारी ने बताया- पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से कोर्स कराया जाता है। ताकि समय-समय पर पड़ने वाली जरूरत पर उनका इस्तेमाल किया जा सके। प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू होने पर इनको अस्थाई रूप से संबंधित प्रशिक्षण केंद्रों पर तैनाती दी जाती है। पिछली बार दूसरे राज्यों और अर्धसैनिक बलों से लेनी पड़ी थी मदद
2018 में निकली 49,568 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओड़िशा, महाराष्ट्र, राजस्थान के अलावा बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, आरएएफ के प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रशिक्षण दिलाया गया था। ये भी पढ़ें… दिसंबर में सिपाही भर्ती का रिजल्ट…6 महीने में नौकरी; जनवरी में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट यूपी सिपाही के लिए 60 हजार 244 पदों पर भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट दिसंबर के अंत तक आ जाएगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 6 महीने का समय लगेगा। बोर्ड परीक्षा की आंसर-की इसी हफ्ते वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जनवरी तक डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट होगा। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर