यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव का ऐलान हो सकता है। महाराष्ट्र और झारखंड के साथ चुनाव आयोग यूपी में भी उपचुनाव करा सकता है। इलेक्शन कमीशन की दोपहर 3:30 बजे प्रेस कांफ्रेंस है। 10 सीटों पर होने वाले इस उपचुनाव को विधानसभा 2027 के सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है। सपा अब तक 6, जबकि बसपा 5 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए। लेकिन दो दिन पहले दिल्ली में हुई बैठक में 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। एक सीट गठबंधन सहयोगी रालोद को दी जाएगी। लोकसभा के बाद होने वाला उपचुनाव योगी सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के हाथों मिली हार के बाद सरकार और भाजपा ने उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इधर, अखिलेश यादव और मायावती ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि यूपी में 15 से 20 नवंबर के बीच वोटिंग हो सकती है। इन 10 सीटों पर उपचुनाव: 5 पर सपा, 5 NDA ने जीती थी
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट है। इनमें से मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, करहल और सीसामऊ सपा के कब्जे में थी। खैर, फूलपुर और गाजियाबाद भाजपा के पास थी। जबकि मझवां भाजपा के सहयोगी दल निषाद और मीरापुर रालोद के पास थी। यानी 5 सीट पर सपा और 5 सीट पर एनडीए का कब्जा था। ग्राफिक्स में पढ़िए 10 सीटों पर क्यों हो रहे उपचुनाव… सपा ने 6, बसपा ने 5 प्रत्याशी को उतारा उपचुनाव की 10 सीटों का समीकरण… 1- करहल सीट: अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हुई है। मैनपुरी जिले की इस सीट से लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी। 2024 लोकसभा चुनाव में सपा को करहल विधानसभा में सबसे ज्यादा 1.34 लाख वोट मिले थे। यहां भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह को डिंपल यादव से 57 हजार 540 कम वोट मिले। इस सीट पर भाजपा ने सिर्फ एक बार 2002 में जीत दर्ज की है। जातीय समीकरण: करहल सीट यादव बाहुल्य है। यहां सवा लाख यादव मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर शाक्य, तीसरे पर बघेल और क्षत्रिय मतदाता हैं। सपा के तेज प्रताप के सामने कौन:अखिलेश ने भतीजे तेज प्रताप सिंह यादव को टिकट दिया। भाजपा यहां जातिगत समीकरण ही साधेगी। नाम अभी सामने नहीं आए हैं। बसपा ने भी करहल से किसी को नहीं उतारा है। 2- मिल्कीपुर सीट: मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सांसद बने। लोकसभा रिजल्ट में अगर मिल्कीपुर के नतीजे देखें, तो यहां सपा को 95,612 वोट मिले। भाजपा को 87,879 वोट मिले। मिल्कीपुर में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दो बार सपा और एक बार भाजपा ने जीत दर्ज की। जातीय समीकरण: मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम वोटर्स भी अच्छी तादाद में हैं। अवधेश के बेटे के सामने प्रत्याशी कौन? सपा ने अवधेश प्रसाद के बड़े बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है। भाजपा से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, चंद्रकेश रावत, बबलू पासी, राधेश्याम त्यागी का नाम चर्चा में हैं। बसपा ने रामगोपाल को टिकट दिया है। 3. कटेहरी सीट: अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से विधायक लालजी वर्मा ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद अब यहां उपचुनाव होने हैं। इस सीट पर सपा का दबदबा बरकरार है। यहां पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार। जातीय समीकरण: कटेहरी में दलित वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और कुर्मी मतदाता हैं। यादव-ठाकुर, निषाद और राजभर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां जातीय समीकरण साधने में सपा माहिर है। सपा ने सांसद की पत्नी के सामने कौन?
सपा ने सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है। भाजपा से उपचुनाव को लेकर भाजपा खेमे में पूर्व प्रत्याशी अवधेश द्विवेदी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रमाशंकर सिंह, पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद, छोटे पांडेय का नाम चर्चा में हैं। बसपा ने यहां से अमित वर्मा को टिकट दिया है। 4. कुंदरकी सीट: संभल सीट से जियाउर रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। वह कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा को रिकॉर्ड 57 हजार वोटों से जीत मिली। जियाउर रहमान बर्क को यहां 1.43 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 86 हजार। जातिगत समीकरण: इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 58 फीसदी है। इसके अलावा ओबीसी और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। सपा से मोहम्मद रिजवान का नाम चर्चा में
सपा: पार्टी ने शफीकुर्रहमान बर्क के पोते के लिए 2022 में सिटिंग विधायक मोहम्मद रिजवान का टिकट काट दिया था। इसके बाद मोहम्मद रिजवान ने पार्टी छोड़ दी थी। अब वह फिर से सपा में आ गए हैं। ऐसे में रिजवान के उम्मीदवार बनने की चर्चा है। भाजपा : रामवीर सिंह कई बार चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी संभावना प्रबल बताई जा रही है। हालांकि, भाजपा कोई नया उम्मीदवार भी उतार सकती है। 5. खैर सीट: सीएम योगी के मंत्री और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से विधायक अनूप वाल्मीकि को हाथरस लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वो हाथरस में चुनाव जीत गए। लेकिन, जिस विधानसभा सीट से वो विधायक थे। वहां सपा गठबंधन को सबसे ज्यादा वोट मिले। यहां सपा के बिजेंद्र सिंह को 95,391 वोट, जबकि भाजपा के सतीश गौतम को 93,900 वोट मिले। हालांकि, रालोद गठबंधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है। जातीय समीकरण: इस क्षेत्र में जाट वोटर्स की संख्या ज्यादा है। यहां 1.10 लाख जाट, इसके बाद दलित-50 हजार, ब्राह्मण-40 हजार और 30 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके अलावा वैश्य वोटर्स की संख्या भी निर्णायक रहती है। राजवीर दिलेर को प्रत्याशी बना सकती है भाजपा
भाजपा: पार्टी ने इस बार अपने सिटिंग सांसद राजवीर दिलेर का टिकट काट दिया था। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इसकी भरपाई करेगी। वह उनके बेटे सुरेंद्र दिलेर को उपचुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। सपा: अखिलेश यादव यहां पीडीए समीकरण के तहत प्रत्याशी उतारेंगे। वहीं, दलित हत्याकांड के बाद अलीगढ़ पहुंचे आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने यहां से प्रत्याशी उतारने के संकेत दिए हैं। 6-गाजियाबाद सदर: लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सदर से विधायक अतुल गर्ग जीते, इस वजह से सीट खाली हुई। उनके विधानसभा सीट पर भाजपा को रिकॉर्ड 1.37 लाख वोट मिले। यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी डॉली शर्मा को 73,950 वोट मिले। इससे पहले इस सीट पर 2004 में उपचुनाव हुए थे। तब सपा ने यहां जीत दर्ज की थी। यहां दो बार से लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है। जातीय समीकरण : गाजियाबाद सदर सीट पर वैश्य, अनुसूचित जाति के वोटर्स निर्णायक हैं। जाट वोट बैंक भी मायने रखता है। भाजपा और सपा गठबंधन में जल्द हो सकता है प्रत्याशियों का ऐलान भाजपा : उपचुनाव में भाजपा दो नामों पर मंथन कर रही है। पहला नाम महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा का है। संजीव शर्मा ने निकाय चुनाव में मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी। लेकिन, पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। दूसरा नाम- पश्चिमी यूपी के पूर्व महामंत्री अशोक मोंगा का है। वह संगठन में लंबे समय से एक्टिव हैं। कांग्रेस : इस सीट पर सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग हो सकती है। गाजियाबाद में डॉली शर्मा ने लोकसभा चुनाव लड़ा और रनरअप रहीं। ऐसे में वह उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। दूसरा नाम पूर्व सांसद सुरेंद्र प्रकाश गोयल के बेटे सुशांत गोयल का है। उन्होंने भी मेयर चुनाव के लिए टिकट मांगा था। लेकिन, उन्हें टिकट नहीं मिला। ऐसे में वह प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं। नगीना के सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर भी यहां एक्टिव हैं। यहां कैंडिडेट उतार सकते हैं। 7- मीरापुर: मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक चंदन चौहान ने बिजनौर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। लेकिन, अपनी विधानसभा सीट पर उन्हें सपा प्रत्याशी से कम वोट मिले। यहां सपा प्रत्याशी दीपक सैनी को 89429 और चंदन चौहान को 88,438 वोट मिले। ऐसे में उपचुनाव में इस सीट पर कांटे की टक्कर तय है। जातीय समीकरण : मीरापुर विधानसभा सीट पर एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 50 हजार से अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसी तरह से जाट 24 हजार और गुर्जर 18 हजार हैं। सिर्फ बसपा ने प्रत्याशी घोषित किए रालोद: यह सीट रालोद के पास थी। ऐसे में यह तय है कि जयंत चौधरी की पार्टी यहां से अपना कैंडिडेट उतारेगी। ग्राउंड पर रालोद नेता उपचुनाव के लिए एक्टिव हैं। इस लिस्ट में रालोद नेता और पूर्व सांसद अमीर आलम के पुत्र पूर्व विधायक नवाजिश आलम का नाम चर्चा में है। नवाजिश 2017 में मीरापुर विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। सपा: मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान की हार के बाद सपा के हौसले बुलंद हैं। मीरापुर सीट पर पार्टी PDA के तहत कैंडिडेट उतारेगी, यह तय माना जा रहा है। सपा से कादिर राणा इस समय एक्टिव हैं। चर्चा है कि वह उपचुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे।
बसपा: बसपा ने यहां से शाहनजर को प्रत्याशी बनाया है। फूलपुर: फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने सांसदी जीती है। अपनी विधानसभा सीट पर उन्होंने सपा को 29 हजार 705 वोटों से हराया। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में भाजपा को दो बार और सपा को एक बार जीत मिली है। जातीय समीकरण : फूलपुर में 21 से 23% दलित, 20% यादव मतदाता है। यहां सवर्ण वोटर्स 10 से 12% के बीच हैं। वहीं मुस्लिम मदताताओं की संख्या 14% है। सपा-बसपा ने प्रत्याशी उतारे सपा ने यहां से पूर्व विधायक मुस्तफा सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बसपा ने शिवबरन पासी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। 9- मझवां सीट: मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट से विधायक विनोद कुमार बिंद को भाजपा ने भदोही से टिकट दिया। यहां उन्होंने टीएमसी प्रत्याशी ललितेश मिश्रा को हराया। वहीं, मिर्जापुर में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। मझवां विधानसभा सीट से उन्हें सपा प्रत्याशी से 1762 वोट ज्यादा मिले। जातिगत समीकरण : दलित, ब्राह्मण, बिंद की संख्या 60-60 हजार है। कुशवाहा 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं। सपा-बसपा ने टिकट दिया
भाजपा-निषाद पार्टी: मझवां सीट भाजपा में शामिल निषाद पार्टी के पास थी। अब उपचुनाव में भाजपा इस सीट पर अपना कैंडिडेट उतारती है या सहयोगी पार्टी को देती है, यह घोषित नहीं है। हालांकि, भाजपा से सोहन श्रीमाली का नाम चर्चा में हैं। निषाद पार्टी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। सपा ने यहां से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को टिकट दिया है। बसपा ने दीपू तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। 10-सीसामऊ सीट: कानपुर की सीसामऊ विधानसभा से सपा विधायक इरफान सोलंकी को जाजमऊ आगजनी केस में 7 साल की सजा सुनाई गई है। इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के रमेश अवस्थी ने जीत दर्ज की। लेकिन सीसामऊ विधानसभा सीट पर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा से कम वोट मिले। जातीय समीकरण : मुस्लिम वोटर्स 80 हजार हैं। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण लगभग 55 हजार हैं। दलित 35 हजार, कायस्थ 20 हजार, वैश्य 15 हजार, यादव 16 हजार, सिंधी-पंजाबी 2000 हैं। अन्य वोटर्स की संख्या लगभग 35 है। सपा ने सोलंकी परिवार पर जताया भरोसा
सपा ने इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया है। भाजपा से 10 नाम चर्चा में है। इनकी लिस्ट हाई कमान को भेजी गई है। इनमें सलिल विश्नोई, अजय कपूर, अनूप पचौरी का नाम भी शामिल है। आखिर में पढ़िए राजनीतिक दल किस तरह तैयारी कर रहे
NDA: उपचुनाव में 10 सीटों में से मीरापुर सीट पर NDA के सहयोगी रालोद की ओर से प्रत्याशी उतारा जाएगा। निषाद पार्टी भी कटेहरी और मझवां सीट की मांग कर रही थी। लेकिन, भाजपा से कोई संकेत नहीं मिलने के बाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है। हालांकि, भाजपा संजय निषाद को मनाने की कोशिश में जुटी है। निषाद पार्टी को गठबंधन में 2 सीटें देने पर सहमति नहीं बनी, तो भाजपा 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीएम योगी, दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन दो-दो सीटों की कमान संभाल रहे हैं। सभी ने अपने-अपने हिस्से की सीट पर दौरा कर भी लिया है। साथ ही सीएम योगी ने 30 मंत्रियों की टीम भी उतारी है। भाजपा की ओर से भी हर सीट पर एक-एक प्रभारी तैनात किए गए हैं। समाजवादी पार्टी : लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित सपा भी उपचुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव साफ कर चुके हैं, संविधान और आरक्षण के साथ PDA के मुद्दे पर ही पार्टी चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने मिल्कीपुर, कटेहरी, मझवां, करहल, फूलपुर और सीसामऊ सीट पर पहले चुनाव प्रभारी घोषित कर दिए हैं। अब 9 अक्टूबर को इन छह सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। बसपा : बहुजन समाज पार्टी ने भी सभी 10 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। पार्टी की ओर से 5 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए गए हैं। कांग्रेस : उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पांच सीटें सपा से मांग रही है। हांलाकि अभी कुछ तय नहीं हो पाया है। सपा सिर्फ गाजियाबाद सीट देना चाह रही है। हालांकि 10 सीटों पर कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। उपचुनाव तय करेंगे यूपी की राजनीतिक दिशा उपचुनाव वाली सीटों में अयोध्या की मिल्कीपुर और अंबेडकरनगर की कटेहरी भी शामिल है। इन दोनों सीटों के चुनाव परिणाम से पूरे प्रदेश और देश में राजनीतिक संदेश जाएगा। जानकारों का मानना है कि उपचुनाव के नतीजे यूपी की राजनीति की दिशा तय करेंगे। इसीलिए भाजपा की तरफ से इन दोनों सीटों को जिताने की जिम्मेदारी खुद सीएम योगी ने संभाल रखी है। नई मतदाता सूची से होंगे चुनाव
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ऑफिस के एक अफसर ने बताया- उपचुनाव नई मतदाता सूची से कराए जाएंगे। मतदाता सूची को अपग्रेड करने का काम चल रहा है। इसके आधार पर नई मतदाता सूची तैयार होगी। उसी के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे। यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव का ऐलान हो सकता है। महाराष्ट्र और झारखंड के साथ चुनाव आयोग यूपी में भी उपचुनाव करा सकता है। इलेक्शन कमीशन की दोपहर 3:30 बजे प्रेस कांफ्रेंस है। 10 सीटों पर होने वाले इस उपचुनाव को विधानसभा 2027 के सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है। सपा अब तक 6, जबकि बसपा 5 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए। लेकिन दो दिन पहले दिल्ली में हुई बैठक में 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। एक सीट गठबंधन सहयोगी रालोद को दी जाएगी। लोकसभा के बाद होने वाला उपचुनाव योगी सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के हाथों मिली हार के बाद सरकार और भाजपा ने उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इधर, अखिलेश यादव और मायावती ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि यूपी में 15 से 20 नवंबर के बीच वोटिंग हो सकती है। इन 10 सीटों पर उपचुनाव: 5 पर सपा, 5 NDA ने जीती थी
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट है। इनमें से मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, करहल और सीसामऊ सपा के कब्जे में थी। खैर, फूलपुर और गाजियाबाद भाजपा के पास थी। जबकि मझवां भाजपा के सहयोगी दल निषाद और मीरापुर रालोद के पास थी। यानी 5 सीट पर सपा और 5 सीट पर एनडीए का कब्जा था। ग्राफिक्स में पढ़िए 10 सीटों पर क्यों हो रहे उपचुनाव… सपा ने 6, बसपा ने 5 प्रत्याशी को उतारा उपचुनाव की 10 सीटों का समीकरण… 1- करहल सीट: अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हुई है। मैनपुरी जिले की इस सीट से लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी। 2024 लोकसभा चुनाव में सपा को करहल विधानसभा में सबसे ज्यादा 1.34 लाख वोट मिले थे। यहां भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह को डिंपल यादव से 57 हजार 540 कम वोट मिले। इस सीट पर भाजपा ने सिर्फ एक बार 2002 में जीत दर्ज की है। जातीय समीकरण: करहल सीट यादव बाहुल्य है। यहां सवा लाख यादव मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर शाक्य, तीसरे पर बघेल और क्षत्रिय मतदाता हैं। सपा के तेज प्रताप के सामने कौन:अखिलेश ने भतीजे तेज प्रताप सिंह यादव को टिकट दिया। भाजपा यहां जातिगत समीकरण ही साधेगी। नाम अभी सामने नहीं आए हैं। बसपा ने भी करहल से किसी को नहीं उतारा है। 2- मिल्कीपुर सीट: मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सांसद बने। लोकसभा रिजल्ट में अगर मिल्कीपुर के नतीजे देखें, तो यहां सपा को 95,612 वोट मिले। भाजपा को 87,879 वोट मिले। मिल्कीपुर में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दो बार सपा और एक बार भाजपा ने जीत दर्ज की। जातीय समीकरण: मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम वोटर्स भी अच्छी तादाद में हैं। अवधेश के बेटे के सामने प्रत्याशी कौन? सपा ने अवधेश प्रसाद के बड़े बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है। भाजपा से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, चंद्रकेश रावत, बबलू पासी, राधेश्याम त्यागी का नाम चर्चा में हैं। बसपा ने रामगोपाल को टिकट दिया है। 3. कटेहरी सीट: अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से विधायक लालजी वर्मा ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद अब यहां उपचुनाव होने हैं। इस सीट पर सपा का दबदबा बरकरार है। यहां पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार। जातीय समीकरण: कटेहरी में दलित वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और कुर्मी मतदाता हैं। यादव-ठाकुर, निषाद और राजभर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां जातीय समीकरण साधने में सपा माहिर है। सपा ने सांसद की पत्नी के सामने कौन?
सपा ने सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है। भाजपा से उपचुनाव को लेकर भाजपा खेमे में पूर्व प्रत्याशी अवधेश द्विवेदी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रमाशंकर सिंह, पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद, छोटे पांडेय का नाम चर्चा में हैं। बसपा ने यहां से अमित वर्मा को टिकट दिया है। 4. कुंदरकी सीट: संभल सीट से जियाउर रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। वह कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा को रिकॉर्ड 57 हजार वोटों से जीत मिली। जियाउर रहमान बर्क को यहां 1.43 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 86 हजार। जातिगत समीकरण: इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 58 फीसदी है। इसके अलावा ओबीसी और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। सपा से मोहम्मद रिजवान का नाम चर्चा में
सपा: पार्टी ने शफीकुर्रहमान बर्क के पोते के लिए 2022 में सिटिंग विधायक मोहम्मद रिजवान का टिकट काट दिया था। इसके बाद मोहम्मद रिजवान ने पार्टी छोड़ दी थी। अब वह फिर से सपा में आ गए हैं। ऐसे में रिजवान के उम्मीदवार बनने की चर्चा है। भाजपा : रामवीर सिंह कई बार चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी संभावना प्रबल बताई जा रही है। हालांकि, भाजपा कोई नया उम्मीदवार भी उतार सकती है। 5. खैर सीट: सीएम योगी के मंत्री और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से विधायक अनूप वाल्मीकि को हाथरस लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वो हाथरस में चुनाव जीत गए। लेकिन, जिस विधानसभा सीट से वो विधायक थे। वहां सपा गठबंधन को सबसे ज्यादा वोट मिले। यहां सपा के बिजेंद्र सिंह को 95,391 वोट, जबकि भाजपा के सतीश गौतम को 93,900 वोट मिले। हालांकि, रालोद गठबंधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है। जातीय समीकरण: इस क्षेत्र में जाट वोटर्स की संख्या ज्यादा है। यहां 1.10 लाख जाट, इसके बाद दलित-50 हजार, ब्राह्मण-40 हजार और 30 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके अलावा वैश्य वोटर्स की संख्या भी निर्णायक रहती है। राजवीर दिलेर को प्रत्याशी बना सकती है भाजपा
भाजपा: पार्टी ने इस बार अपने सिटिंग सांसद राजवीर दिलेर का टिकट काट दिया था। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इसकी भरपाई करेगी। वह उनके बेटे सुरेंद्र दिलेर को उपचुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। सपा: अखिलेश यादव यहां पीडीए समीकरण के तहत प्रत्याशी उतारेंगे। वहीं, दलित हत्याकांड के बाद अलीगढ़ पहुंचे आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने यहां से प्रत्याशी उतारने के संकेत दिए हैं। 6-गाजियाबाद सदर: लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सदर से विधायक अतुल गर्ग जीते, इस वजह से सीट खाली हुई। उनके विधानसभा सीट पर भाजपा को रिकॉर्ड 1.37 लाख वोट मिले। यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी डॉली शर्मा को 73,950 वोट मिले। इससे पहले इस सीट पर 2004 में उपचुनाव हुए थे। तब सपा ने यहां जीत दर्ज की थी। यहां दो बार से लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है। जातीय समीकरण : गाजियाबाद सदर सीट पर वैश्य, अनुसूचित जाति के वोटर्स निर्णायक हैं। जाट वोट बैंक भी मायने रखता है। भाजपा और सपा गठबंधन में जल्द हो सकता है प्रत्याशियों का ऐलान भाजपा : उपचुनाव में भाजपा दो नामों पर मंथन कर रही है। पहला नाम महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा का है। संजीव शर्मा ने निकाय चुनाव में मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी। लेकिन, पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। दूसरा नाम- पश्चिमी यूपी के पूर्व महामंत्री अशोक मोंगा का है। वह संगठन में लंबे समय से एक्टिव हैं। कांग्रेस : इस सीट पर सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग हो सकती है। गाजियाबाद में डॉली शर्मा ने लोकसभा चुनाव लड़ा और रनरअप रहीं। ऐसे में वह उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। दूसरा नाम पूर्व सांसद सुरेंद्र प्रकाश गोयल के बेटे सुशांत गोयल का है। उन्होंने भी मेयर चुनाव के लिए टिकट मांगा था। लेकिन, उन्हें टिकट नहीं मिला। ऐसे में वह प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं। नगीना के सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर भी यहां एक्टिव हैं। यहां कैंडिडेट उतार सकते हैं। 7- मीरापुर: मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक चंदन चौहान ने बिजनौर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। लेकिन, अपनी विधानसभा सीट पर उन्हें सपा प्रत्याशी से कम वोट मिले। यहां सपा प्रत्याशी दीपक सैनी को 89429 और चंदन चौहान को 88,438 वोट मिले। ऐसे में उपचुनाव में इस सीट पर कांटे की टक्कर तय है। जातीय समीकरण : मीरापुर विधानसभा सीट पर एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 50 हजार से अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसी तरह से जाट 24 हजार और गुर्जर 18 हजार हैं। सिर्फ बसपा ने प्रत्याशी घोषित किए रालोद: यह सीट रालोद के पास थी। ऐसे में यह तय है कि जयंत चौधरी की पार्टी यहां से अपना कैंडिडेट उतारेगी। ग्राउंड पर रालोद नेता उपचुनाव के लिए एक्टिव हैं। इस लिस्ट में रालोद नेता और पूर्व सांसद अमीर आलम के पुत्र पूर्व विधायक नवाजिश आलम का नाम चर्चा में है। नवाजिश 2017 में मीरापुर विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। सपा: मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान की हार के बाद सपा के हौसले बुलंद हैं। मीरापुर सीट पर पार्टी PDA के तहत कैंडिडेट उतारेगी, यह तय माना जा रहा है। सपा से कादिर राणा इस समय एक्टिव हैं। चर्चा है कि वह उपचुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे।
बसपा: बसपा ने यहां से शाहनजर को प्रत्याशी बनाया है। फूलपुर: फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने सांसदी जीती है। अपनी विधानसभा सीट पर उन्होंने सपा को 29 हजार 705 वोटों से हराया। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में भाजपा को दो बार और सपा को एक बार जीत मिली है। जातीय समीकरण : फूलपुर में 21 से 23% दलित, 20% यादव मतदाता है। यहां सवर्ण वोटर्स 10 से 12% के बीच हैं। वहीं मुस्लिम मदताताओं की संख्या 14% है। सपा-बसपा ने प्रत्याशी उतारे सपा ने यहां से पूर्व विधायक मुस्तफा सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बसपा ने शिवबरन पासी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। 9- मझवां सीट: मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट से विधायक विनोद कुमार बिंद को भाजपा ने भदोही से टिकट दिया। यहां उन्होंने टीएमसी प्रत्याशी ललितेश मिश्रा को हराया। वहीं, मिर्जापुर में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। मझवां विधानसभा सीट से उन्हें सपा प्रत्याशी से 1762 वोट ज्यादा मिले। जातिगत समीकरण : दलित, ब्राह्मण, बिंद की संख्या 60-60 हजार है। कुशवाहा 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं। सपा-बसपा ने टिकट दिया
भाजपा-निषाद पार्टी: मझवां सीट भाजपा में शामिल निषाद पार्टी के पास थी। अब उपचुनाव में भाजपा इस सीट पर अपना कैंडिडेट उतारती है या सहयोगी पार्टी को देती है, यह घोषित नहीं है। हालांकि, भाजपा से सोहन श्रीमाली का नाम चर्चा में हैं। निषाद पार्टी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। सपा ने यहां से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को टिकट दिया है। बसपा ने दीपू तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। 10-सीसामऊ सीट: कानपुर की सीसामऊ विधानसभा से सपा विधायक इरफान सोलंकी को जाजमऊ आगजनी केस में 7 साल की सजा सुनाई गई है। इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के रमेश अवस्थी ने जीत दर्ज की। लेकिन सीसामऊ विधानसभा सीट पर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा से कम वोट मिले। जातीय समीकरण : मुस्लिम वोटर्स 80 हजार हैं। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण लगभग 55 हजार हैं। दलित 35 हजार, कायस्थ 20 हजार, वैश्य 15 हजार, यादव 16 हजार, सिंधी-पंजाबी 2000 हैं। अन्य वोटर्स की संख्या लगभग 35 है। सपा ने सोलंकी परिवार पर जताया भरोसा
सपा ने इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया है। भाजपा से 10 नाम चर्चा में है। इनकी लिस्ट हाई कमान को भेजी गई है। इनमें सलिल विश्नोई, अजय कपूर, अनूप पचौरी का नाम भी शामिल है। आखिर में पढ़िए राजनीतिक दल किस तरह तैयारी कर रहे
NDA: उपचुनाव में 10 सीटों में से मीरापुर सीट पर NDA के सहयोगी रालोद की ओर से प्रत्याशी उतारा जाएगा। निषाद पार्टी भी कटेहरी और मझवां सीट की मांग कर रही थी। लेकिन, भाजपा से कोई संकेत नहीं मिलने के बाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है। हालांकि, भाजपा संजय निषाद को मनाने की कोशिश में जुटी है। निषाद पार्टी को गठबंधन में 2 सीटें देने पर सहमति नहीं बनी, तो भाजपा 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीएम योगी, दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन दो-दो सीटों की कमान संभाल रहे हैं। सभी ने अपने-अपने हिस्से की सीट पर दौरा कर भी लिया है। साथ ही सीएम योगी ने 30 मंत्रियों की टीम भी उतारी है। भाजपा की ओर से भी हर सीट पर एक-एक प्रभारी तैनात किए गए हैं। समाजवादी पार्टी : लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित सपा भी उपचुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव साफ कर चुके हैं, संविधान और आरक्षण के साथ PDA के मुद्दे पर ही पार्टी चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने मिल्कीपुर, कटेहरी, मझवां, करहल, फूलपुर और सीसामऊ सीट पर पहले चुनाव प्रभारी घोषित कर दिए हैं। अब 9 अक्टूबर को इन छह सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। बसपा : बहुजन समाज पार्टी ने भी सभी 10 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। पार्टी की ओर से 5 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए गए हैं। कांग्रेस : उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पांच सीटें सपा से मांग रही है। हांलाकि अभी कुछ तय नहीं हो पाया है। सपा सिर्फ गाजियाबाद सीट देना चाह रही है। हालांकि 10 सीटों पर कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। उपचुनाव तय करेंगे यूपी की राजनीतिक दिशा उपचुनाव वाली सीटों में अयोध्या की मिल्कीपुर और अंबेडकरनगर की कटेहरी भी शामिल है। इन दोनों सीटों के चुनाव परिणाम से पूरे प्रदेश और देश में राजनीतिक संदेश जाएगा। जानकारों का मानना है कि उपचुनाव के नतीजे यूपी की राजनीति की दिशा तय करेंगे। इसीलिए भाजपा की तरफ से इन दोनों सीटों को जिताने की जिम्मेदारी खुद सीएम योगी ने संभाल रखी है। नई मतदाता सूची से होंगे चुनाव
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ऑफिस के एक अफसर ने बताया- उपचुनाव नई मतदाता सूची से कराए जाएंगे। मतदाता सूची को अपग्रेड करने का काम चल रहा है। इसके आधार पर नई मतदाता सूची तैयार होगी। उसी के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर