रहमानखेड़ा में खोदे गए गड्ढे से बचकर निकला बाघ:100 मीटर दूर मिले पैरों के नए निशान, वन विभाग की हर प्लानिंग हो रही फेल

रहमानखेड़ा में खोदे गए गड्ढे से बचकर निकला बाघ:100 मीटर दूर मिले पैरों के नए निशान, वन विभाग की हर प्लानिंग हो रही फेल

लखनऊ के रहमानखेड़ा में करीब 42 दिन से बाघ की मौजूदगी से दहशत का माहौल बना हुआ है। वन विभाग की टीम लगातार बाघ को पकड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन हर बार फेल हो जाती है। वन विभाग की कोई भी प्लानिंग अभी तक सफल नहीं हुई है। रविवार को जोन-1 में खोदे गए गड्ढे से 100 मीटर दूर बाघ के पैरों के नए निशान मिले हैं। टीम ने सुबह के समय क्षेत्र में लगाए गए ट्रैप और सीसीटीवी कैमरों की जांच की। बाघ की गतिविधियां मुख्य रूप से जोन-1 और जोन-2 में देखी जा रही हैं, जिन्हें सुरक्षा कारणों से नो-गो जोन घोषित कर दिया गया है। पहले देखें ये दो तस्वीर… वहीं शाम के समय काकोरी कस्बे में भी बाघ के पदचिह्न मिले। हालांकि वन विभाग की टीम ने इन्हें पुराने बताया। तकिया शरीफ के पीछे स्थित आम के बाग में भी पैरों के निशान मिले, जिनकी सूचना स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग को दी। जांच में ये पदचिह्न भी कई दिन पुराने पाए गए। वन विभाग की टीम ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जागरूकता अभियान भी चलाया है। विभाग का दावा है कि जल्द ही बाघ को पकड़ लिया जाएगा। फिलहाल दोनों जोन में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। रहमानखेड़ा को तीन जोन में बांटा रहमानखेड़ा में वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए इलाके को तीन जोन में बांटा है। जोन-1 और जोन-2 में खास निगरानी की जा रही है। बाघ के पैरों के निशान तीनों जोन में मिल रहे हैं। जोन-1 और जोन-2 में पिंजड़े भी लगाए गए हैं। DFO सितांशु पांडेय ने बताया कि बाघ लगातार मूवमेंट कर रहा है। इसलिए उसको ट्रेस करने में परेशानी होती है। शनिवार को बाघ ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बनाए गए तीनों जोन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। 15 हैक्टेयर में फैला है जंगल रहमानखेड़ा जंगल 15 हैक्टेयर में फैला है। इसके पास ही बेहता नाला है। वन विभाग ने आस-पास के गांवों को मिलाकर तीन जोन में बांटा है। इसमें जोन-वन में बाघ का मूवमेंट सबसे ज्यादा देखा गया है। इस जोन में ही CISH संस्थान है। वन विभाग की कॉम्बिंग टीम को बाघ के आने-जाने के पगमार्क मिले। सुबह बाघ जोन-1 में बेहता नाला के आस-पास घूमता रहा। दोपहर में वह जोन-2 में गया और फिर वापस जोन-1 में लौट आया। इसके बाद बेहता नाला के रास्ते होते हुए जोन-3 में चला गया, जहां शाम तक उसकी मौजूदगी दर्ज की गई। वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए जोन-1 में पिट फॉल तकनीक के तहत गड्ढा खोदा था, लेकिन बाघ उस क्षेत्र से दूर ही रहा। इसके अलावा, जोन-2 में लगे पिंजरों की लोकेशन भी बदलनी पड़ी। वन विभाग ने हथिनी सुलोचना और डायना की मदद से जोन-3 में तीन घंटे तक कॉम्बिंग की, लेकिन सफलता नहीं मिली। यह बाघ पिछले डेढ़ महीने से क्षेत्र में घूम रहा है और वन विभाग की सभी रणनीतियों को विफल करता रहा है। विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे और खोदे गए गड्ढों से भी वह सफलतापूर्वक बचता रहा है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियां बढ़ गई हैं। लखनऊ के रहमानखेड़ा में करीब 42 दिन से बाघ की मौजूदगी से दहशत का माहौल बना हुआ है। वन विभाग की टीम लगातार बाघ को पकड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन हर बार फेल हो जाती है। वन विभाग की कोई भी प्लानिंग अभी तक सफल नहीं हुई है। रविवार को जोन-1 में खोदे गए गड्ढे से 100 मीटर दूर बाघ के पैरों के नए निशान मिले हैं। टीम ने सुबह के समय क्षेत्र में लगाए गए ट्रैप और सीसीटीवी कैमरों की जांच की। बाघ की गतिविधियां मुख्य रूप से जोन-1 और जोन-2 में देखी जा रही हैं, जिन्हें सुरक्षा कारणों से नो-गो जोन घोषित कर दिया गया है। पहले देखें ये दो तस्वीर… वहीं शाम के समय काकोरी कस्बे में भी बाघ के पदचिह्न मिले। हालांकि वन विभाग की टीम ने इन्हें पुराने बताया। तकिया शरीफ के पीछे स्थित आम के बाग में भी पैरों के निशान मिले, जिनकी सूचना स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग को दी। जांच में ये पदचिह्न भी कई दिन पुराने पाए गए। वन विभाग की टीम ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जागरूकता अभियान भी चलाया है। विभाग का दावा है कि जल्द ही बाघ को पकड़ लिया जाएगा। फिलहाल दोनों जोन में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। रहमानखेड़ा को तीन जोन में बांटा रहमानखेड़ा में वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए इलाके को तीन जोन में बांटा है। जोन-1 और जोन-2 में खास निगरानी की जा रही है। बाघ के पैरों के निशान तीनों जोन में मिल रहे हैं। जोन-1 और जोन-2 में पिंजड़े भी लगाए गए हैं। DFO सितांशु पांडेय ने बताया कि बाघ लगातार मूवमेंट कर रहा है। इसलिए उसको ट्रेस करने में परेशानी होती है। शनिवार को बाघ ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बनाए गए तीनों जोन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। 15 हैक्टेयर में फैला है जंगल रहमानखेड़ा जंगल 15 हैक्टेयर में फैला है। इसके पास ही बेहता नाला है। वन विभाग ने आस-पास के गांवों को मिलाकर तीन जोन में बांटा है। इसमें जोन-वन में बाघ का मूवमेंट सबसे ज्यादा देखा गया है। इस जोन में ही CISH संस्थान है। वन विभाग की कॉम्बिंग टीम को बाघ के आने-जाने के पगमार्क मिले। सुबह बाघ जोन-1 में बेहता नाला के आस-पास घूमता रहा। दोपहर में वह जोन-2 में गया और फिर वापस जोन-1 में लौट आया। इसके बाद बेहता नाला के रास्ते होते हुए जोन-3 में चला गया, जहां शाम तक उसकी मौजूदगी दर्ज की गई। वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए जोन-1 में पिट फॉल तकनीक के तहत गड्ढा खोदा था, लेकिन बाघ उस क्षेत्र से दूर ही रहा। इसके अलावा, जोन-2 में लगे पिंजरों की लोकेशन भी बदलनी पड़ी। वन विभाग ने हथिनी सुलोचना और डायना की मदद से जोन-3 में तीन घंटे तक कॉम्बिंग की, लेकिन सफलता नहीं मिली। यह बाघ पिछले डेढ़ महीने से क्षेत्र में घूम रहा है और वन विभाग की सभी रणनीतियों को विफल करता रहा है। विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे और खोदे गए गड्ढों से भी वह सफलतापूर्वक बचता रहा है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियां बढ़ गई हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर