पंजाब के डेरा ब्यास प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों और उनके उत्तराधिकारी जसदीप सिंह ढिल्लों आज (मंगलवार को) पंजाब राजभवन में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पंजाब के गवर्नर व चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की है। यह जानकारी खुद गवर्नर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर इस संबंधी पोस्ट डालकर दी। उनकी तरफ से चार फोटोग्राफ भी शेयर भी किए गए। साथ ही उनकी तरफ से लिखा गया कि- पंजाब राजभवन में डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों और जसदीप सिंह गिल से मिलकर अत्यंत धन्य महसूस कर रहा हूं। पंजाब के डेरा ब्यास प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों और उनके उत्तराधिकारी जसदीप सिंह ढिल्लों आज (मंगलवार को) पंजाब राजभवन में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पंजाब के गवर्नर व चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की है। यह जानकारी खुद गवर्नर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर इस संबंधी पोस्ट डालकर दी। उनकी तरफ से चार फोटोग्राफ भी शेयर भी किए गए। साथ ही उनकी तरफ से लिखा गया कि- पंजाब राजभवन में डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों और जसदीप सिंह गिल से मिलकर अत्यंत धन्य महसूस कर रहा हूं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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फाजिल्का में मौजम माइनर में हुआ कटाव:कई एकड़ खेत में पानी भरने से फसल खराब, घरों तक पहुंचने का खतरा फाजिल्का जिले की ढाणी इशरदास के नजदीक मौजम माइनर में करीब 100 फुट का कटाव आ गया है l जिसके कारण तेज बहाव से निकला पानी कई एकड़ फसलों में फैल गया है l हालांकि किसानों के आरोप है कि चलती नहर में जेसीबी से सफाई करने के चलते यह हादसा हुआ है l जिसको लेकर उनके द्वारा सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए नुकसान की भरपाई की मांग की जा रही है l किसानों ने अधिकारियों पर लगाए आरोप पीड़ित किसान संदीप कुमार और पवन कुमार ने बताया कि वह ढाणी ईशरदास के रहने वाले है l उनके गांव के पास से गुजरती मौजम माइनर में अचानक कटाव आ गया और तेज बहाव से निकला पानी ने उनकी कई एकड़ फसलों को अपनी चपेट में ले लियाl कई एकड़ फसलें तो ऐसी है, जिनमें बहुत ज्यादा पानी भर गया हैl किसानों ने आरोप लगाया कि चलती नहर में मशीन के जरिए सफाई की जा रही है l जिस वजह से मोघे बंद हो गए और डाफ लगने से नहर टूट गई l उन्होंने बताया कि अब नहर का पानी बंद कर दिया गया है l विभाग के अधिकारियों को समय पर सूचित किया गया था। जिस पर कटाव को बांधने का प्रयास किया जा रहा है l वहीं किसानों ने मांग की है कि जो किसानों का नुकसान हुआ है l उसकी भरपाई की जाए और इन दिनों में की जाने वाली नहर की सफाई बंद की जाए l
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लेबनान में फंसा शख्स 24 साल बाद लुधियाना लौटा:खो गया था पासपोर्ट, बच्चों को छोड़कर गया विदेश, संत सीचेवाल का जताया आभार लेबनान में 24 साल से फंसे व्यक्ति ने वतन वापसी के बाद सबसे पहले राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल से मुलाकात कर उनका आभार जताया और भावुक हो कर कहा कि उसने तो वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन संत सीचेवाल के प्रयास से वह अपने परिवार से मिला है। यह उसका दूसरा जन्म है। लेबनान में 24 साल से फंसे गुरतेज सिंह ने कहा कि ट्रेवल एजेंट ने उसे लेबनान भेजने के लिए एक लाख रुपए लिए थे। उस ज़माने में उसने यह एक लाख कैसे इकट्ठा किया, यह वह या उसका भगवान ही जनता। लुधियाना जिले के मत्तेवाड़ा गांव के रहने वाले गुरतेज सिंह 33 साल के थे जब वह 2001 में अपने दो छोटे बच्चों को छोड़कर विदेश चले गए। लेबनान में रहने के दौरान 2006 में उनका पासपोर्ट खो गया, जिससे उनके लिए घर लौटना और भी मुश्किल हो गया। कई कोशिशों के बाद भी उनके लिए पासपोर्ट बनवाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि पासपोर्ट बहुत पहले बना हुआ था। उन्होंने कहा कि जब इतनी कोशिशों के बाद भी उन्हें पासपोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी। बेहतर भविष्य के लिए गया था लेबनान संत बलबीर सिंह सीचेवाल से परिवार के सदस्यों ने संपर्क किया। जिन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और गुरतेज़ सिंह की वापसी को संभव बनाया। विदेशी धरती पर आजीविका कमाने और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए लेबनान गए गुरतेज़ सिंह ने कहा कि संत सीचेवाल के प्रयासों से वह 24 साल बाद अपने गांव की मिट्टी को चूमने में सक्षम हुए हैं। संत सीचेवाल का शुक्रिया अदा करने के लिए अपने परिवार सहित सुल्तानपुर लोधी आए गुरतेज सिंह ने आप बीती बताते हुए कहा कि विदेश जाने से पहले वह कोटियां-स्वेटर बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। जब घर में गुजारा करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने विदेश जाने का मन बना लिया था। गुरतेज सिंह ने कहा कि लेबनान पहुंचना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी। सारा दिन करता था खेतों में काम एजेंट उसे पहले जॉर्डन ले गया और फिर पड़ोसी देश सीरिया में भर्ती दाखिल करवाया। वहां से डोंकी लगाकर लेबनान पहुंचे। उन्होंने कहा कि युद्ध जैसे माहौल में वहां रहकर काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल था। सारा दिन खेतों में काम करना पड़ता था। छिपकर रहने के कारण हमेशा डर बना रहता था कि कहीं पकड़ा न जाए। किसी तरह जिंदगी अपने ढर्रे पर चलती रही और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने खेतों में मेहनत-मजदूरी की। गुरतेज़ ने बताया कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका बेटे, जिसे उन्होंने 24 साल पहले जवान छोड़े थे, वे कब जवान हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान उसके जवान हुए लड़कों में एक लड़के की शादी हो गई थी और उनके घर एक बेटे का भी जन्म हुआ था। गुरतेज सिंह की आंखों में उस वक्त खुशी के आंसू आ गए जब उन्होंने बताया कि जब वह 24 साल बाद घर आए तो उनका पोता उनके पैरों से लिपट गया। मां और भाईयों को खो दिया गुरतेज़ ने कहा कि उनको सबसे बड़ा दुःख इस बात का है कि लेबनान में रहते हुए उसकी प्रतीक्षा में पहले उसने अपनी मां और फिर उसके भाई को खो दिया जिसको वो अंतिम बार देख भी नहीं पाया। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने इसके पहले कई नेताओं और अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा था। गुरतेज ने कहा कि यह संत सीचेवाल का ही प्रयास था कि वह 24 साल बाद अपने परिवार से मिल पाए। इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि यह पंजाबी युवक लंबे समय के बाद परिवार में लौटा है। उन्होंने कहा कि परिवार से दूर अजनबी देश में अजनबियों के साथ रहना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट काफी पुराना होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने विदेश मंत्रालय और खासकर भारतीय दूतावास के अधिकारियों को धन्यवाद दिया।
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एयर-इंडिया 182 की 39वीं बरसी:आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि देने इकट्ठा हुए लोग; कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थकों ने डाला खलल पंजाब में आतंकवाद के दौर में खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा की तरफ से बम से उड़ाए गए एयर-इंडिया फ्लाइट 182 की रविवार 39वीं बरसी रही। कनाडा के होलोकॉस्ट स्मारक पर लोग श्रद्धांजिल देने पहुंचे। लेकिन खालिस्तान समर्थकों ने यहां आकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्मारक पर एकत्रित भारतीय व कनाडाइयों की तरफ से विरोध के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा। मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां उनके पारिवारिक सदस्य व कुछ सामाजिक संगठन पहुंचे थे। लेकिन खालिस्तानी समर्थक यहां पहुंच गए और आतंकी निज्जर की तस्वीरों के साथ भारत के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोगों के कहने पर भी स्थानीय पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों को वहां से खदेड़ने का प्रयास नहीं किया। जिसके बाद माहौल गर्मा गया।ये देख श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे कनाडाई व भारतीय भड़क गए। उन्होंने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और अंत में खालिस्तान समर्थकों को वहां से जाना पड़ा। एकता व एकजुटता के लिए एकत्रित हुए लोग श्रद्धांजिल देने पहुंचे लोगों ने कहा- हमें कनाडा के इतिहास का सबसे भयानक आतंकवादी हमला याद है। 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 पर हुए बम विस्फोट में 329 निर्दोष लोगों की जान चली गई। हम अपनी एकता और एकजुटता दिखाने के लिए क्वींस पार्क स्मारक के सामने एकत्र हुए। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। ईरान में इस्लामी शासन ने उड़ान PS752 के साथ भी ऐसा ही किया है। कनाडा को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना होगा। क्या हुआ था 23 जून 1985 को एयर इंडिया फ्लाइट 182 मॉन्ट्रियल – लंदन – दिल्ली – बॉम्बे के बीच चलती थी। 23 जून 1985 को ये फ्लाइट अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भर रही थी। इसमें अचानक बम ब्लास्ट हुआ, जिसे बब्बर खालसा के कनाडाई खालिस्तान आतंकियों द्वारा किया गया। मॉन्ट्रियल से लंदन के रास्ते में 31,000 फीट की ऊंचाई पर हुए हमले के बाद विमान व मृतकों के अवशेष आयरलैंड के तट से लगभग 190 किलोमीटर दूर समुद्र में गिरे। फ्लाइट में सवार 329 लोग मारे गए। इनमें 268 कनाडाई, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक थो। बब्बर खालसा ने इसकी जिम्मेदारी ली। इस मामले में कुछ लोगों को ही गिरफ्तार किया गया। लेकिन मुकदमे के बाद एकमात्र व्यक्ति इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया। जिसे पंद्रह साल जेल की सजा सुनाई गई थी।