<p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab News:</strong> शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने शनिवार (17 मई) को स्पष्ट कर दिया कि वह बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की दया याचिका वापस नहीं लेगी. राजोआना को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए वर्ष 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, SGPC ने 2012 में संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत उनके लिए दया याचिका दायर की थी, जिस पर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दया याचिका वापस लेने का कोई औचित्य नहीं- हरजिंदर सिंह धामी</strong><br />SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि इस मुद्दे पर वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों के साथ गहन बैठक के बाद याचिका वापस न लेने का फैसला किया गया. उन्होंने बताया कि राजोआना ने खुद SGPC से याचिका वापस लेने की अपील की थी, लेकिन सभी विशेषज्ञों का एकमत मत था कि यह लड़ाई जारी रहनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धामी ने कहा, “हमें देखना होगा कि केंद्र सरकार इस याचिका पर क्या रुख अपनाती है, लेकिन अब इसे वापस लेने का कोई औचित्य नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बार-बार निर्णय टालना राजोआना के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन- हरजिंदर सिंह धामी</strong><br />धामी ने केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए और इसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि SGPC पिछले कई सालों से इस मामले में संवैधानिक और कानूनी प्रयास कर रही है, लेकिन सरकारों द्वारा बार-बार निर्णय टालना न केवल न्याय प्रक्रिया में देरी है, बल्कि यह राजोआना के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है. उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार अब इस याचिका पर जल्द निर्णय ले.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अहम बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ताओं पूरन सिंह हुंदल, जी एस बल, अमर सिंह चहल, राजविंदर सिंह बैंस, सिख विद्वान डॉ. केहर सिंह और पूर्व आईएएस अधिकारी काहन सिंह पन्नू जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए. गौरतलब है कि 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ स्थित सिविल सचिवालय के बाहर हुए धमाके में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 17 लोग मारे गए थे. इस मामले में राजोआना को दोषी ठहराया गया था. इस वर्ष जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दया याचिका पर फैसला लेने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab News:</strong> शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने शनिवार (17 मई) को स्पष्ट कर दिया कि वह बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की दया याचिका वापस नहीं लेगी. राजोआना को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए वर्ष 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, SGPC ने 2012 में संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत उनके लिए दया याचिका दायर की थी, जिस पर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दया याचिका वापस लेने का कोई औचित्य नहीं- हरजिंदर सिंह धामी</strong><br />SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि इस मुद्दे पर वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों के साथ गहन बैठक के बाद याचिका वापस न लेने का फैसला किया गया. उन्होंने बताया कि राजोआना ने खुद SGPC से याचिका वापस लेने की अपील की थी, लेकिन सभी विशेषज्ञों का एकमत मत था कि यह लड़ाई जारी रहनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धामी ने कहा, “हमें देखना होगा कि केंद्र सरकार इस याचिका पर क्या रुख अपनाती है, लेकिन अब इसे वापस लेने का कोई औचित्य नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बार-बार निर्णय टालना राजोआना के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन- हरजिंदर सिंह धामी</strong><br />धामी ने केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए और इसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि SGPC पिछले कई सालों से इस मामले में संवैधानिक और कानूनी प्रयास कर रही है, लेकिन सरकारों द्वारा बार-बार निर्णय टालना न केवल न्याय प्रक्रिया में देरी है, बल्कि यह राजोआना के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है. उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार अब इस याचिका पर जल्द निर्णय ले.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अहम बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ताओं पूरन सिंह हुंदल, जी एस बल, अमर सिंह चहल, राजविंदर सिंह बैंस, सिख विद्वान डॉ. केहर सिंह और पूर्व आईएएस अधिकारी काहन सिंह पन्नू जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए. गौरतलब है कि 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ स्थित सिविल सचिवालय के बाहर हुए धमाके में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 17 लोग मारे गए थे. इस मामले में राजोआना को दोषी ठहराया गया था. इस वर्ष जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दया याचिका पर फैसला लेने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.</p> पंजाब देशभक्ति के रस में डूबे काशी के शिल्पकार, गुलाबी मीनाकारी से बनाई ब्रह्मोस मिसाइल, देशभर से आए सैकड़ों ऑर्डर
राजोआना की दया याचिका वापस नहीं लेगी SGPC, मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्या मामले में सुनाई गई थी फांसी की सजा
