राम रहीम की पैरोल पर अब 8 अगस्त को सुनवाई:डेरा प्रमुख ने लगाई है अर्जी; हाई कोर्ट के फैसले पर सरकार की नजर

राम रहीम की पैरोल पर अब 8 अगस्त को सुनवाई:डेरा प्रमुख ने लगाई है अर्जी; हाई कोर्ट के फैसले पर सरकार की नजर

राम रहीम की पैरोल पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी है। हाई कोर्ट ने आगामी 8 अगस्त की अगली तारीख लगा दी है। याचिका पर अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
डेरा प्रमुख की याचिका पर हरियाणा सरकार की भी नजर है। क्योंकि हरियाणा में आगामी 2 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है। हरियाणा में BJP सरकार को सिरसा डेरा सच्चा सौदा का समर्थन मिलता रहा है। इस बार भी BJP हरियाणा में डेरा के समर्थन की उम्मीद लगाए बैठी है। राम रहीम के वकील जितेंद्र खुराना ने पुष्टि करते हुए बताया कि” पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट आज सुनवाई की जानी थी मगर किसी कारण वश सुनवाई नहीं हो सकी। हाई कोर्ट ने अगले सप्ताह की तारीख दी है। साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में काट रहा सजा
बता दें कि साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता है। राम रहीम ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सामने किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने की गुहार लगाई है। राम रहीम ने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है। वह इसका लाभ उठाना चाहता है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर राम रहीम को बार-बार जेल से बाहर लाने का विरोध जताया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि कोर्ट की परमिशन के बिना डेरा प्रमुख की पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए। राम रहीम ने यह दलील दी
राम रहीम ने हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक हटाने मांग करते हुए दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है। हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो। पैरोल या फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक प्राविधान के अनुसार है। उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है। चुनाव के वक्त जेल में राम रहीम
यह पहली बार है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में हो रहे आम चुनाव बिना राम रहीम के हो रहे हैं। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार की ओर से डेरा प्रमुख राम रहीम को इस बार चुनाव में पैरोल नहीं दी गई, जबकि अब तक वह 2022 से 6 बार फरलो और 3 पैरोल लेकर 192 दिन तक बाहर आ चुका है। लगभग 200 दिन डेरा प्रमुख 3 राज्यों के पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा चुनाव में एक्टिव रह चुका है। 2 साध्वियों से रेप, पत्रकार छत्रपति और डेरा मैनेजर रणजीत सिंह मर्डर केस में जेल में बंद गुरमीत राम रहीम की फरलो-पैरोल को राजनीति के जानकार लोग इसे सिर्फ संयोग मानने को तैयार नहीं हैं। राम रहीम की पैरोल पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी है। हाई कोर्ट ने आगामी 8 अगस्त की अगली तारीख लगा दी है। याचिका पर अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
डेरा प्रमुख की याचिका पर हरियाणा सरकार की भी नजर है। क्योंकि हरियाणा में आगामी 2 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है। हरियाणा में BJP सरकार को सिरसा डेरा सच्चा सौदा का समर्थन मिलता रहा है। इस बार भी BJP हरियाणा में डेरा के समर्थन की उम्मीद लगाए बैठी है। राम रहीम के वकील जितेंद्र खुराना ने पुष्टि करते हुए बताया कि” पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट आज सुनवाई की जानी थी मगर किसी कारण वश सुनवाई नहीं हो सकी। हाई कोर्ट ने अगले सप्ताह की तारीख दी है। साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में काट रहा सजा
बता दें कि साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता है। राम रहीम ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सामने किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने की गुहार लगाई है। राम रहीम ने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है। वह इसका लाभ उठाना चाहता है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर राम रहीम को बार-बार जेल से बाहर लाने का विरोध जताया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि कोर्ट की परमिशन के बिना डेरा प्रमुख की पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए। राम रहीम ने यह दलील दी
राम रहीम ने हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक हटाने मांग करते हुए दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है। हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो। पैरोल या फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक प्राविधान के अनुसार है। उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है। चुनाव के वक्त जेल में राम रहीम
यह पहली बार है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में हो रहे आम चुनाव बिना राम रहीम के हो रहे हैं। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार की ओर से डेरा प्रमुख राम रहीम को इस बार चुनाव में पैरोल नहीं दी गई, जबकि अब तक वह 2022 से 6 बार फरलो और 3 पैरोल लेकर 192 दिन तक बाहर आ चुका है। लगभग 200 दिन डेरा प्रमुख 3 राज्यों के पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा चुनाव में एक्टिव रह चुका है। 2 साध्वियों से रेप, पत्रकार छत्रपति और डेरा मैनेजर रणजीत सिंह मर्डर केस में जेल में बंद गुरमीत राम रहीम की फरलो-पैरोल को राजनीति के जानकार लोग इसे सिर्फ संयोग मानने को तैयार नहीं हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर